610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1

पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने,

हर इंसान के छुटकारे के काम को,

क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,

इसमें न उसका स्वार्थ था, न योजना थी।

परमेश्वर की योजना को केंद्र में रखा उसने।

स्वर्गिक पिता की इच्छा की खोज करते हुए,

प्रार्थना की स्वर्गिक पिता से उसने।

उसने खोज की, और प्रार्थना की सदा।

गर यीशु की तरह, परवाह करो परमेश्वर की तुम सभी,

और मोड़ लो मुँह देह-सुख से तुम,

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।


2

प्रार्थना की उसने, "हे परमपिता परमेश्वर!

अपनी इच्छा को पूरा कर।

मेरे इरादों के मुताबिक नहीं,

योजना पूरी हो तेरी तू ऐसे काम कर।

तू उस कमज़ोर इंसान की परवाह न कर,

जो चींटी की तरह है तेरे हाथों में।

है मेरी कामना मैं वो करूँ जो इच्छा है तेरी।

जो तू चाहे वो कर मुझमें।"

गर यीशु की तरह, परवाह करो परमेश्वर की तुम सभी,

और मोड़ लो मुँह देह-सुख से तुम,

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।


3

यरूशलेम की राह पर, महसूस की व्यथा यीशु ने,

फिर भी, निभाया वचन अपना, बढ़ता गया उस ओर जहाँ,

सलीब पर चढ़ाया जाना था उसे।

सलीब पर आख़िरकार, चढ़ा दिया गया उसे,

बन गया छवि पापमय देह की, छुटकारे का काम पूरा करके,

मौत की बेड़ियों से ऊपर उठ गया वो।

गर यीशु की तरह, परवाह करो परमेश्वर की तुम सभी,

और मोड़ लो मुँह देह-सुख से तुम,

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।


4

यीशु तैंतीस बरस जिया, परमेश्वर की संतुष्टि के लिये सबकुछ किया।

नफ़े-नुकसान की कभी परवाह नहीं की,

पूरी की परमपिता परमेश्वर की इच्छा मगर।

सेवा प्रभु यीशु की थी परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप सदा।

छुटकारे के दायित्व को इसलिये, वो निभाने के काबिल था।

अपार यातनाएं सहीं उसने, जाने कितनी बार शैतान ने लालच दिया उसे।

मगर मायूस न हुआ वो कभी।

भरोसे और प्यार में ये काम दिया परमेश्वर ने उसे।

गर यीशु की तरह, परवाह करो परमेश्वर की तुम सभी,

और मोड़ लो मुँह देह-सुख से तुम,

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।

तो सौंप देगा परमेश्वर सेवा कर पाने का अहम काम तुम्हें।


ऐसे ही वक्त में क्या तुम साहस करोगे कहने का, तुम करते हो इच्छा पूरी उसकी,

करते हो उसके आदेश को पूरा, कि सही मायनों में करते हो सेवा परमेश्वर की।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप सेवा कैसे करें से रूपांतरित

पिछला: 609 वही पात्र हैं सेवा के जो अंतरंग हैं परमेश्वर के

अगला: 611 परमेश्वर की सेवा करने के लिए तुम्हें उसे अपना हृदय अर्पित करना चाहिए

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें