532 हटा दिया जाएगा उन्हें जो नहीं करते परमेश्वर के वचनों का अभ्यास
1
तुम्हारे स्वभाव में तब्दीली लाना है परमेश्वर के काम और वचन का अभिप्राय।
महज़ इसे समझाना या पहचान कराना मकसद नहीं है उसका।
इतना काफ़ी नहीं है, और यही सब-कुछ नहीं है।
तुम ग्रहण कर सको अगर, तो आसान है समझना परमेश्वर के वचन।
क्योंकि इंसानी ज़बान में लिखे हैं अधिकतर वचन।
जो परमेश्वर चाहता है कि तुम जानो और करो,
वो है ऐसा जो सामान्य इन्सान समझ सकता।
इंसान परमेश्वर के वचनों में, हर तरह के सत्य का अनुभव करे।
वो विस्तार से खोजे और जाँचे इसे।
जो भी मिल जाए उसे लेने का इंतज़ार न करे,
वरना मुफ़्तख़ोर के सिवा कुछ न होगा वो।
जानता हो परमेश्वर के वचन के सत्य को, मगर अमल में न लाए वो,
तो इसे प्रेम नहीं करता वो, आख़िरकार हटा दिया जाएगा उसको।
2
परमेश्वर जो कहता है अब साफ़ है। ये पारदर्शी और सुबोध है।
बहुत-सी चीज़ों पर ध्यान दिलाता है परमेश्वर जो सोची नहीं हैं इंसान ने।
इंसान के अलग-अलग हालात ज़ाहिर करता है वो।
सबको अंगीकार करते हैं परमेश्वर के वचन।
पूर्णमासी के चाँद की रोशनी की तरह साफ़ हैं वो।
बहुत से मामलों को समझ सकता है इंसान।
परमेश्वर के वचन को अमल में लाने की कोशिश करे इंसान।
बस यही कमी है असल में इंसान में।
इंसान परमेश्वर के वचनों में, हर तरह के सत्य का अनुभव करे।
वो विस्तार से खोजे और जाँचे इसे।
जो भी मिल जाए उसे लेने का इंतज़ार न करे,
वरना मुफ़्तख़ोर के सिवा कुछ न होगा वो।
जानता हो परमेश्वर के वचन के सत्य को, मगर अमल में न लाए वो,
तो इसे प्रेम नहीं करता वो, आख़िरकार हटा दिया जाएगा उसको।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सत्य को समझने के बाद, तुम्हें उस पर अमल करना चाहिए से रूपांतरित