258 ईश्वर की जीवन-शक्ति का मूर्त रूप
1
दुनिया में सभी को जीवन और मृत्यु से गुजरना है;
अधिकांश मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से गुज़रे हैं।
जो जीवित हैं, शीघ्र ही मर जाएँगे; जो मृत हैं, शीघ्र ही लौट आएँगे।
ये ईश्वर द्वारा व्यवस्थित जीवन-क्रम है
हर प्राणी के लिए, जो इस संसार में आता है।
ईश्वर सजीव-निर्जीव सभी चीजों को अपने जीवन से आपूर्ति करे।
अपनी शक्ति और अधिकार से सभी को सुव्यवस्थित करे।
इस सत्य की कल्पना न की जा सके, न इसे समझा जा सके।
ये ईश्वर की जीवन-शक्ति की अभिव्यक्ति और प्रमाण है।
2
वो चाहे, जीवन के इस क्रम से इंसान देखे,
ईश्वर इंसान को असीम जीवन देता है।
इंसान का जीवन भौतिकता, समय और स्थान से मुक्त है।
यह ईश्वर के दिए जीवन का रहस्य है,
और इस बात का प्रमाण कि जीवन उसी से आया।
ईश्वर सजीव-निर्जीव सभी चीजों को अपने जीवन से आपूर्ति करे।
अपनी शक्ति और अधिकार से सभी को सुव्यवस्थित करे।
इस सत्य की कल्पना न की जा सके, न इसे समझा जा सके।
ये ईश्वर की जीवन-शक्ति की अभिव्यक्ति और प्रमाण है।
3
शायद बहुत-से लोग न मानें, जीवन ईश्वर से आया,
फिर भी ईश्वर जो भी देता, वे उसका आनंद लेने से न चूकें,
चाहे वे उसके अस्तित्व को मानें या न मानें।
अगर ईश्वर का किसी दिन हृदय बदल जाए और वो पूरा संसार और
अपना दिया जीवन वापस लेना चाहे, तो कुछ भी न रहेगा।
ईश्वर सजीव-निर्जीव सभी चीजों को अपने जीवन से आपूर्ति करे।
अपनी शक्ति और अधिकार से सभी को सुव्यवस्थित करे।
इस सत्य की कल्पना न की जा सके, न इसे समझा जा सके।
ये ईश्वर की जीवन-शक्ति की अभिव्यक्ति और प्रमाण है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है से रूपांतरित