94 राज्य के युग में परमेश्वर मनुष्य को वचनों के द्वारा पूर्ण करता है

1

राज्य के युग में परमेश्वर मनुष्य को वचनों के द्वारा पूर्ण करता है।

इस युग में, परमेश्वर तुम लोगों में ये साकार करेगा:

कि सभी करेंगे उसके सत्य का अभ्यास,

कि सभी उसके वचन जिएँगे और दिल से करेंगे उससे प्यार।

परमेश्वर का वचन है उनके जीवन का आधार।

उन सभी का हृदय मानता है परमेश्वर का भय।

परमेश्वर के वचनों के अभ्यास के ज़रिये,

साथ परमेश्वर वे करेंगे शासन और हुकूमत।

केवल परमेश्वर का वचन मनुष्य को देता है जीवन।

केवल उसका ही वचन मनुष्य के लिए ला सकता है रोशनी,

दिखा सकता है अभ्यास करने का मार्ग।

राज्य के युग में यह है अधिक सत्य।

दिखा सकता है अभ्यास करने का मार्ग।

राज्य के युग में यह है अधिक सत्य।


2

परमेश्वर के वचन, करते हैं मनुष्य पर शासन।

परमेश्वर का वचन है शक्ति और भोजन।

तू इसे खाकर महसूस करता है अच्छा।

अगर तू इसे नहीं खाता तो फिर तुझे मिलेगा न कोई रस्ता,

तुझे मिलेगा न कोई रस्ता।


बाइबल में है लिखा: मनुष्य केवल रोटी से नहीं,

बाइबल में है लिखा: मनुष्य केवल रोटी से नहीं,

परन्तु परमेश्वर के वचनों से जीवित रहेगा।

अब परमेश्वर तुम लोगों में करेगा ये साकार।

अब परमेश्वर तुम लोगों में करेगा ये साकार।

केवल परमेश्वर का वचन मनुष्य को देता है जीवन।

केवल उसका ही वचन मनुष्य के लिए ला सकता है रोशनी,

दिखा सकता है अभ्यास करने का मार्ग।

राज्य के युग में यह है अधिक सत्य।

दिखा सकता है अभ्यास करने का मार्ग।

राज्य के युग में यह है अधिक सत्य।


3

पहले, मनुष्य परमेश्वर के वचनों को बिना पढ़े बहुत दिन रहता था;

वो काम करता था और अपना जीवन जीता था।

लेकिन आज चीज़ें गईं बदल, वचनों के ज़रिये परमेश्वर करता सभी पर शासन।

लोग परखे और पूर्ण बनाए जाते, उसके राज्य में प्रवेश कर पाते,

होता ये सब उसके वचन के कारण।

परमेश्वर के वचनों को पीना रोज़। परमेश्वर के वचनों को खाना रोज़।

परमेश्वर के वचनों को पीना रोज़। परमेश्वर के वचनों को खाना रोज़।

वचन के सत्य को मत छोड़।

और तू बना दिया जाएगा बिल्कुल पूर्ण, बिल्कुल पूर्ण, बिल्कुल पूर्ण।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, राज्य का युग वचन का युग है से रूपांतरित

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