सृष्टिकर्ता के अधिकार के अधीन, सभी चीज़ें पूर्ण हैं

28 मई, 2018

परमेश्वर के द्वारा सचल और अचल समेत सब वस्तुओं की सृष्टि की गई, जैसे पक्षी और मछलियाँ, जैसे वृक्ष और फूल, जिसमें मवेशी, कीड़े-मकौड़े, और छठे दिन बनाए गए जंगली जानवर भी शामिल थे—वे सभी परमेश्वर की निगाह में अच्छे थे और इसके अतिरिक्त, परमेश्वर की निगाहों में ये वस्तुएँ उसकी योजना के अनुरूप, पूर्णता के शिखर को प्राप्त कर चुकी थीं और एक ऐसे स्तर तक पहुँच गई थीं जहाँ परमेश्वर उन्हें पहुँचाना चाहता था। कदम-दर-कदम, सृष्टिकर्ता ने उन कार्यों को किया जो वह अपनी योजना के अनुसार करने का इरादा रखता था। जिन चीज़ों की वह रचना करना चाहता था, वे एक-के-बाद-एक प्रकट होती गईं और प्रत्येक का प्रकटीकरण सृष्टिकर्ता के अधिकार का प्रतिबिम्ब था और उसके अधिकार का ठोस रूप था, इन ठोस रूपों के कारण, सभी जीवधारी सृष्टिकर्ता के अनुग्रह और प्रावधान के प्रति नत-मस्तक थे। जैसे ही परमेश्वर के चमत्कारी कर्मों ने अपने आपको प्रकट किया, यह संसार परमेश्वर के द्वारा सृजी गई सब वस्तुओं से, अंश-अंश करके फैल गया और सब अव्यवस्था और अँधकार से स्पष्टता और उजाले में बदल गया, मृत्युपरक स्थिरता से जीवन्त और असीमित जीवन चेतना में बदल गया। सृष्टि की सब वस्तुओं के मध्य, बड़े से लेकर छोटे तक और छोटे से लेकर सूक्ष्म तक, ऐसा कोई भी नहीं था जो सृष्टिकर्ता के अधिकार और सामर्थ्‍य के द्वारा सृजित किया नहीं गया था और हर एक जीवधारी के अस्तित्व की एक अद्वितीय और अंतर्निहित आवश्यकता और मूल्य था। उनके आकार और ढांचे के अन्तर के बावजूद, उन्हें सृष्टिकर्ता के द्वारा ही बनाया जाना था ताकि सृष्टिकर्ता के अधिकार के अधीन अस्तित्व में बने रहें। कई बार लोग किसी बड़े बदसूरत कीड़े को देखकर कहते हैं, "यह कीड़ा बहुत ही भद्दा है, ऐसा हो ही नहीं सकता कि ऐसे कुरूप जीव को परमेश्वर बना सकता है—ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह इतनी भद्दी चीज़ को बनाए।" कितना मूर्ख़तापूर्ण नज़रिया है यह! इसके बजाय उन्हें यह कहना चाहिए, "भले ही यह कीड़ा इतना भद्दा है, उसे परमेश्वर के द्वारा बनाया गया है और इस लिए उसके पास उसका अपना अनोखा उद्देश्य ज़रूर होगा।" परमेश्वर के विचारों में, विभिन्न जीवित प्राणी जिन्हें उसने बनाया है, वह उन्हें हर प्रकार का और हर तरह का रूप और हर प्रकार की कार्य प्रणालियाँ और उपयोगिताएँ देना चाहता था और इस प्रकार परमेश्वर के द्वारा बनाई गई किसी भी वस्तु को एक ही साँचे में नहीं ढाला गया है। उनकी बाहरी संरचना से लेकर भीतरी संरचना तक, उनके जीने की आदतों से लेकर उनके निवास तक—हर एक चीज़ अलग है। गायों के पास गायों का रूप है, गधों के पास गधों का रूप है, हिरनों के पास हिरनों का रूप है, हाथियों के पास हाथियों का रूप है। क्या तुम कह सकते हो कि कौन सबसे अच्छा दिखता है और कौन सबसे भद्दा दिखता है? क्या तुम कह सकते हो कि कौन सबसे अधिक उपयोगी है और किसकी अस्तित्व की आवश्यकता सबसे कम है? कुछ लोगों को हाथियों का रूप अच्छा लगता है, परन्तु कोई भी खेती के लिए हाथियों का इस्तेमाल नहीं करता है; कुछ लोग शेरों और बाघों के रूप को पसंद करते हैं, क्योंकि उनका रूप सब जीवों में सबसे अधिक प्रभावकारी है, परन्तु क्या तुम उन्हें पालतू जानवर की तरह रख सकते हो? संक्षेप में, जब तमाम जीवों की बात आती है, तो मनुष्य को सृष्टिकर्ता के अधिकार को स्वीकार कर लेना चाहिये, अर्थात्, सब जीवों के लिए सृष्टिकर्ता के द्वारा नियुक्त किए गए क्रम को मान लेना चाहिये; यह सबसे बुद्धिमत्तापूर्ण रवैया है। सृष्टिकर्ता के मूल अभिप्रायों को खोजने और उसके प्रति आज्ञाकारी होने का रवैया ही सृष्टिकर्ता के अधिकार की सच्ची स्वीकार्यता और निश्चितता है। यह परमेश्वर की निगाह में अच्छा है तो मनुष्य के पास दोष ढूँढ़ने का कौन-सा कारण है?

अतः, सृष्टिकर्ता के अधिकार के अधीन सब वस्तुओं को सृष्टिकर्ता की संप्रभुता के लिए सुर में सुर मिलाकर गाना है और उसके नए दिन के कार्य के लिए एक बेहतरीन भूमिका की शुरूआत करनी है और इस समय सृष्टिकर्ता भी अपने प्रबन्ध के कार्य में एक नया पृष्ठ खोलेगा! सृष्टिकर्ता के द्वारा नियुक्त बसंत ऋतु के अँकुरों, ग्रीष्म ऋतु में परिपक्वता, शरद ऋतु में कटनी, और शीत ऋतु में भण्डारण की व्यवस्था के अनुसार, सब वस्तुएँ सृष्टिकर्ता की प्रबंधकीय योजना के साथ प्रतिध्वनित होंगी और वे अपने नए दिन, नई शुरूआत और नए जीवन पथक्रम का स्वागत करेंगी और वे सृष्टिकर्ता के अधिकार की संप्रभुता के अधीन हर दिन का अभिनन्दन करने के लिए कभी न खत्म होने वाले अनुक्रम के अनुसार जीवित रहेंगी और प्रजनन करेंगी ...

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I

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