पर सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, जो लोग यीशु में विश्वास करते हैं, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपने परिवार का त्याग कर दिया। कुछ लोग तो ज़िंदगी भर शादी नहीं करते। दस्तावेज़ भी यही कहते है कि सरकार उन लोगों के समूह को गिरफ़्तार करना चाहती है जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और दूसरे समूह को मार देना चाहती है। उन्हें मारना मतलब कुछ नहीं। ऐसा कुछ और भी है, जैसे "जब तक प्रतिबंध समाप्त नहीं हो जाता तब तक सैनिकों को नहीं हटाया जाएगा।" सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से विश्वासियों को बंदी बनाया गया, उन्हें घायल और अपंग बना दिया गया। कई लोगों को तो अपनी नौकरी तक खोनी पड़ी और उनके परिवार बर्बाद हो गए। इसकी बहुत आलोचना भी हुई कि परमेश्वर के विश्वासियों को अपने परिवार की चिंता नहीं होती। क्या तुम्हें यह सही लगता है? तुम न तो अपने परिवार को छोड़ सकते हो और न ही अपनी शादी को तोड़ सकते हो। अगर इस तरह से तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, तो मेरी सलाह है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास मत करो, ठीक है?

14 मार्च, 2021

उत्तर: अगर आप सच में जानती कि परमेश्वर का प्रकटन और उनका कार्य मनुष्य के उद्धार के लिए है, तो आप भी परमेश्वर में विश्वास करती और उनका अनुसरण करती। प्रभु यीशु ने कहा था: "मैं तुम से सच कहता हूँ कि ऐसा कोई नहीं जिसने परमेश्‍वर के राज्य के लिए घर,या पत्नी, या भाइयों, या माता-पिता, या बाल-बच्‍चों को छोड़ दिया हो; और इस समय कई गुणा अधिक न पाए और आने वाले युग में अनन्त जीवन" (लूका 18:29-30)। "और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा" (मत्ती 10:38-39)। अगर आप प्रभु यीशु के इन वचनों को देखेंगी, तो आपको पता चलेगा कि किस प्रकार के लोग प्रभु यीशु के सच्चे विश्वासी हैं। प्रभु के इसी प्रकार के विश्वासी हैं, जिनसे चीनी कम्युनिस्ट सरकार सबसे ज़्यादा नफ़रत करती है। क्या आपको पता है कि वे क्यों प्रभु का इस तरह से अनुसरण करते हैं? वे इस तरह से प्रभु का अनुसरण सत्य, जीवन, और प्रभु के लिए करते हैं। वे सांसारिक महिमा और धन-दौलत को भी छोड़ सकते हैं, उनमें भौतिक सुखों और शारीरिक सुख का लालच नहीं है, वे सुसमाचार का उपदेश देने और प्रभु के लिए गवाही देने के लिए सभी तरह के दुखों को झेलने के लिए तैयार हैं। कितने भले लोग है वे! प्रभु हमेशा ऐसे लोगों की प्रशंसा करते हैं। फिर भी, क्यों चीनी कम्युनिस्ट सरकार इन लोगों से इतनी नफ़रत और निंदा करती है? क्यों इन लोगों को गिरफ़्तार कर मार दिया जाता है? यहाँ तक कि धमकी भी दी जाती है कि "जब तक प्रतिबंध समाप्त नहीं हो जाता तब तक सैनिकों को नहीं हटाया जाएगा।" क्या यह स्वर्ग के विरुद्ध विकृत कार्य नहीं हैं? क्या यह परमेश्वर का विरोध नहीं है? मेरे विचार में, चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने परमेश्वर में विश्वास करने वाले इन लोगों के साथ जो कुछ भी किया है, वह अपराध और महापाप है। यह सच में बेहद प्रतिक्रियात्मक है!

परमेश्वर के विश्वासी, परमेश्वर की गवाही देने के लिए सुसमाचार का उपदेश देते हैं ताकि लोग आयें और परमेश्वर की पूजा करें, और परमेश्वर द्वारा उन्हें बचाया जा सके। आप यह भी देख रही हैं कि दुनिया तेज़ी से अंधकार की ओर जा रही है। लोग भ्रष्ट, बुरे और सत्य से नफ़रत करने वाले हो रहे हैं। वे सभी दुनिया में फैली बुराई का अनुसरण कर रहे हैं, खाने-पीने, जुआ खेलने, और पाप करने में मज़ा लेते हैं, और खुले तौर पर परमेश्वर को अस्वीकार करते हैं, उनका विरोध करते हैं और उनके विरुद्ध कार्य करते हैं। बोलिए, यह दुनिया बहुत बुरी है और लोग बहुत बेईमान है, क्या उन्हें बहुत पहले ही खत्म कर दिया जाना चाहिए था? बाइबल ने अंत के दिनों में एक प्रलय की भविष्यवाणी की है। अगर मानवजाति सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास लौट कर नहीं आती है, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की शुद्धि और उद्धार को स्वीकार नहीं करती है तो वह प्रलय में नष्ट हो जायेगी। अब प्रलय आने वाली है, और मनुष्य जाति विनाश की आपदाओं का सामना कर रही है। देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों में सत्‍य व्यक्त किया है और मनुष्य जाति के लिए न्याय और शुद्धि के अपने कार्य को आगे बढ़ाया है ताकि वह पाप से बचे और परमेश्वर के राज्य में लाई जा सके। अगर मनुष्य जाति सुरक्षित रहना चाहती है, तो अब केवल एक ही मार्ग बचा है। और वह है प्रलय से बचने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सुरक्षा में उनके न्याय तथा ताड़ना को स्वीकार करके अपने भ्रष्ट स्वभाव की शुद्धि करना। जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, मनुष्य को बचाने के लिए वे परमेश्वर की उत्सुकता को समझ सकते हैं। वे शारीरिक सुख-सुविधाओं को छोड़ने, गिरफ्तारी का बहादुरी से सामना करने और चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा सताए जाने के लिए, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का उपदेश देने और उनकी गवाही देने का प्रयास करने के लिए तैयार हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग परमेश्वर के उद्धार के ज़रिये बच सकें। यह परमेश्वर कि इच्छा को पूरा करना है। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है: "तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो" (मरकुस 16:15)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मानवजाति के एक सदस्य और एक सच्चे ईसाई होने के नाते अपने मन और शरीर परमेश्वर के आदेश की पूर्ति करने के लिए समर्पित करना हम सभी का उत्तरदायित्व और कर्तव्य है, क्योंकि हमारा संपूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और वह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है। यदि हमारे मन और शरीर परमेश्वर के आदेश और मानवजाति के धार्मिक कार्य के लिए नहीं हैं, तो हमारी आत्माएँ उन लोगों के योग्य नहीं होंगी, जो परमेश्वर के आदेश के लिए शहीद हुए थे, और परमेश्वर के लिए तो और भी अधिक अयोग्य होंगी, जिसने हमें सब-कुछ प्रदान किया है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। क्या आपको लगता है जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते है वे सभी मूर्ख हैं जिन्हें सुसमाचार का प्रचार करने के ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है? अगर आपको ऐसा लगता है, तो आप गलत हैं। सुसमाचार का प्रचार स्वर्ग और लोगों की इच्छाओं के अनुरूप है। यह एक नैतिक और नेक काम है! लेकिन, पागलों की तरह ईसाइयों की दयालुता की निंदा और उन्हें क्रूरतापूर्वक गिरफ़्तार कर और सता कर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने स्वर्ग और लोगों की इच्छाओं को धोखा दिया है। बहुत-से ईसाइयों को बेघर कर दिया गया। बहुत-से लोगों को जेल में डाल दिया गया कुछ को तो मौत की सज़ा भी दे दी गयी! हज़ारों ईसाई परिवारों की बरबादी की वजह कम्युनिस्ट सरकार ही है। लेकिन वह उल्टा यह कहती है कि इनकी बर्बादी परमेश्वर में विश्वास करने के कारण हुई हैं। क्या यह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और झूठ को सच में बदलना नहीं है? अगर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने ईसाइयों को पागलों की तरह गिरफ़्तार कर नहीं सताया होता, तो क्या यह परिणाम हो सकते थे? ईसाइयों को सज़ा दे कर क्या चीनी कम्युनिस्ट सरकार पाप नहीं कर रही है? परमेश्वर में विश्वास करना पूरी तरह से उचित है। दुनिया भर के देशों में बड़ी संख्या में लोग परमेश्वर में विश्वास कर रहे हैं। किनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं? क्या यह सब सच नहीं है? कुछ अज्ञानी लोग अभी भी सीसीपी सरकार की बेतुकी बातों में आ रहे हैं। वे लोग सीसीपी सरकार से ईसाइयों को सताने के लिए उनसे नफ़रत ही नहीं करते बल्कि वे कहते हैं कि परमेश्वर में विश्वास कर ईसाई गलत कर रहे हैं। क्या यह मूर्खता और बेहूदगी नहीं है?

हमें यह भी पता है कि चीन में सुसमाचार का प्रचार करने पर गिरफ़्तार होने का खतरा भी है। लेकिन अगर हम चीनी कम्युनिस्ट सरकार के सत्ता से बाहर होने का इंतज़ार करते है और फिर सुसमाचार का प्रचार करते हैं तो, तब तक बहुत देर हो जाएगी। तब तक तो परमेश्वर का कार्य पूरा हो चुका होगा और प्रलय आ चुकी होगी। जिन्होंने अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त नहीं किया होगा, वे प्रलय में नष्ट हो जायेंगे, और उनकी आत्माओं को नर्क में सज़ा मिलेगी! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "आपदा मेरे द्वारा उत्पन्न की जाती है और निश्चित रूप से मेरे द्वारा ही आयोजित की जाती है। यदि तुम लोग मेरी नज़रों में अच्छे इंसान के रूप में नहीं दिखाई दे सकते हो, तो तुम लोग आपदा भुगतने से नहीं बच सकते" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो)। "कोई नहीं जानता कि परमेश्वर के बार-बार के अनुस्मारकों और आग्रहों का कारण यह है कि उसने अपने हाथों में एक अभूतपूर्व आपदा तैयार की है, एक ऐसी आपदा, जो मनुष्य की देह और आत्मा के लिए असहनीय होगी। यह आपदा केवल देह का ही नहीं, बल्कि आत्मा का भी दंड है। ... क्योंकि परमेश्वर की योजना मनुष्य-जाति का केवल एक बार सृजन करने और उसे केवल एक बार बचाने की है। यह पहली बार है, और यही अंतिम बार भी है। इसलिए, जिन श्रमसाध्य इरादों और उत्साहपूर्ण प्रत्याशा से परमेश्वर इस बार इंसान को बचाता है, उसे कोई नहीं समझ सकता" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है)। परमेश्वर की आतुरता मनुष्य जाति को आपदा की तकलीफ़ों से बचाAना है। अगर हम सीसीपी सरकार की सज़ा के डर से सुसमाचार के प्रचार से भयभीत होंगे, आराम और जिंदा रहने के लिए घरों में शर्म से बैठे रहेंगे, तो हमें कभी भी शांति नहीं मिलेगी!

"परिवार में रक्तिम पुनर्शिक्षा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: तुम गवाही देते हो कि यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर दोनों ही पहले और अंतिम मसीह हैं। हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार इस बात को नहीं मानती, "द इंटरनेशनेल" में उसने साफ कहा है, "संसार में कोई उद्धारकर्ता कभी नहीं रहा।" तुम रक्षक मसीह की वापसी की गवाही पर ज़ोर देते हो। तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार तुम्हारी निंदा क्यों न करे? हमारे विचार से, यीशु जिनमें ईसाई विश्वास करते हैं, एक आम व्यक्ति थे। यहाँ तक कि उन्हें सूली पर भी चढ़ा दिया गया था। यहूदी तक उन्हें मसीह नहीं मानते हैं। अंत के दिनों के जिन देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की तुम गवाही देते हो वे भी तो एक आम इंसान ही हैं। चीनी कम्युनिस्ट सरकार के दस्तावेज़ों से यह साफ़ पता चलता है कि उनका एक उपनाम और पहला नाम है। यह भी एक सच है। तुम एक आम इंसान के मसीह होने की, परमेश्वर के प्रकटन होने की, गवाही क्यों देते हो? यह सच में अजीब है! इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किसी सत्य और अंत के दिनों में किए गए न्याय के कार्य की गवाही तुम कैसे देते हो, हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार कभी इस बात को नहीं मानेगी कि यह व्यक्ति परमेश्वर है। मुझे लगता है कि तुम भी ईसाई धर्म, कैथोलिक धर्म, और पूर्वी परंपरावादी के लोगों में से एक हो जो यीशु में विश्वास करते हैं, एक व्यक्ति को परमेश्वर मानना, क्या यह नासमझी नहीं है? परमेश्वर और परमेश्वर का प्रकटन और उनका कार्य दरअसल क्या है? क्या केवल सत्य को व्यक्त करना और परमेश्वर का कार्य करना, सच्चे परमेश्वर का प्रकट होना है? यह हम कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर परमेश्वर चमत्कार और करिश्मा करके चीनी कम्युनिस्ट सरकार और उन सभी को जो उनका विरोध करते है, उनको नष्ट कर दें, तब हम उन्हें एक सच्चे परमेश्वर के रूप में मानेंगे। अगर परमेश्वर बादलों में प्रकट होते हैं, और ऐसे गरजते है कि जो पूरी मनुष्य जाति को भयभीत कर दे, वह परमेश्वर का प्रकटन होता है। तब हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार उन्हें मानेगी। नहीं तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार कभी स्वीकार नहीं करेगी कि परमेश्वर है।
अगला: नर्क में जाने वाली तुम्हारी बात पर मैं विश्वास नहीं करता। किसने देखा है कि नरक कहाँ है? नरक दिखता कैसा है? मैं तो यह भी नहीं जानता कि परमेश्वर का कोई अस्तित्व है भी या नहीं। आखिर परमेश्वर कहाँ है? परमेश्वर को किसने देखा है? अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच्चे परमेश्वर हैं, जब चीनी कम्युनिस्ट सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और आक्रमण करती है, तो परमेश्वर ने उनका विनाश क्यों नहीं किया? अगर परमेश्वर अपनी सर्वशक्तिमत्ता से कम्युनिस्ट पार्टी को नष्ट कर देते हैं, तो वे वाकई परमेश्वर हैं। इस प्रकार, सम्पूर्ण मनुष्य जाति को यह स्वीकार करना होगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही सच्चे परमेश्वर हैं। यहाँ तक कि सीसीपी सरकार को भी सच्चे परमेश्वर की पूजा करनी होगी। परमेश्वर के विरोध की हिम्मत किसकी होगी? लेकिन वाकई हुआ क्या? मैंने देखा था कि पुलिस परमेश्वर में विश्वास रखने वालों को हर जगह गिरफ़्तार कर रही थी। परमेश्वर में विश्वास करने वाले बहुत से लोगों को जेल में सताया गया और उन्हें अपाहिज बना दिया गया। उनमें से कई मारे गए। लेकिन क्या तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें बचाया? यह सब कैसे किसी को विश्वास दिला सकता है कि जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वह सच है? मैं तो तुम्हें समझ ही नहीं पा रहा हूँ। जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वह सच हैं या झूठ? मुझे तो लगता है कि तुम भी यह नहीं जानते। ऐसे में क्या तुम बेवकूफी नहीं कर रहे? जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वही सच्चा परमेश्वर है, क्या तुम इसे समझा सकते हो?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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