अध्याय 99

चूँकि मेरे कार्य की गति तेज़ हो रही है, इसलिए कोई भी मेरे पदचिह्नों के साथ गति बनाए नहीं रख सकता और कोई भी मेरे मन में प्रवेश नहीं कर सकता, किन्तु आगे बढ़ने का यही एकमात्र मार्ग है। यह “मृत से पुनर्जीवित होना” वाली उक्ति का ही “मृत” है जिसकी चर्चा पहले ही की जा चुकी है। (इसका आशय मेरी इच्छा को समझने में असमर्थ होना है, अपने वचनों से मेरा जो मतलब है उसे समझने में असमर्थ होना है; यह “मृत” की एक और व्याख्या है, इसका अर्थ “मेरे आत्मा द्वारा त्याग दिया जाना नहीं है”)। जब तुम लोग और मैं इस चरण से शरीर में परिवर्तन कर लेंगे, तो “मृत से जी उठने” का मूल अर्थ पूरा हो जाएगा (अर्थात्, यह मृत से पुनर्जीवित होने का मूल अर्थ है)। तुम लोगों की स्थिति यह है : तुम लोग न तो मेरी इच्छा को समझ सकते हो और न ही मेरे पदचिह्नों को ढूँढ सकते हो। इसके अलावा, तुम लोगों की आत्मा शांत नहीं हो सकती है, इसलिए तुम लोग अशांत हो जाते हो। इस तरह की हालत वास्तव में वही “पीड़ा” है जिसका मैंने उल्लेख किया है। इस पीड़ा में, जिसे लोग सहन नहीं कर पाते, एक तरफ तो तुम लोग अपने भविष्य के बारे में सोच रहे हो और दूसरी तरफ तुम मेरे द्वारा दहन और मेरे न्याय को स्वीकार कर रहे हो, जो हर तरफ से तुम लोगों पर प्रहार कर रही है। इसके अलावा, जिस स्वर और तरीके से मैं बोलता हूँ, उसमें तुम लोग किसी भी नियम को नहीं समझ सकते, एक दिन के कथन में कई प्रकार के स्वर होते हैं जिसकी वजह से तुम लोग बहुत पीड़ित होते हो। ये मेरे कार्य के चरण हैं। यह मेरी बुद्धि है। भविष्य में तुम लोग इस संबंध में और अधिक पीड़ा का अनुभव करोगे जो कि पूरा का पूरा पाखंडी लोगों को उजागर करने के लिए है—यह अब स्पष्ट हो जाना चाहिए! मैं इसी तरह से कार्य करता हूँ। इस तरह की पीड़ा की प्रेरणा से और मृत्यु जैसी इस पीड़ा को सहने के बाद, तुम लोग एक अन्य क्षेत्र में प्रवेश करोगे। तुम लोग शरीर में प्रवेश करोगे और सभी राष्ट्रों एवं लोगों पर मेरे साथ शासन करोगे।

हाल ही में मैं अधिक गंभीर स्वर में क्यों बोलता रहा हूँ? मेरा स्वर इतनी बार बदला क्यों है और मेरे कार्य करने का तरीका भी इतनी बार क्यों बदला है? इन चीजों में मेरी बुद्धि रही है। मेरे वचन उन सभी के लिए बोले जाते हैं जिन्होंने इस नाम को स्वीकार कर लिया है (चाहे वे विश्वास करें या न करें, मेरे वचन पूरे किए जा सकते हैं), इसलिए मेरे वचन हर किसी के द्वारा सुने और देखे जाने चाहिए, उन्हें दबाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि मेरा कार्य करने का अपना तरीका है और मेरी अपनी बुद्धि है। मैं लोगों का न्याय करने, लोगों को प्रकट करने और मानवीय प्रकृति को उजागर करने के लिए अपने वचनों का उपयोग करता हूँ। इस प्रकार, मैं उन लोगों का चयन करता हूँ जिन्हें मैंने चुन लिया है, मैं उन लोगों को निकाल देता हूँ जिन्हें मैंने पूर्वनियत नहीं किया है या चुना नहीं है। यह सब मेरी बुद्धि है और मेरे कार्य की अद्भुतता है। मेरे कार्य के इस चरण में यह मेरी विधि है। लोगों में क्या कोई ऐसा है जो मेरी इच्छा को समझ सके? लोगों में क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरी ज़िम्मेदारी के बारे में विचारशील हो सके? एकमात्र जो कार्य कर रहा है वह मैं स्वयं परमेश्वर हूँ। एक दिन आएगा जब तुम लोग मेरे इन वचनों की महत्ता को अच्छी तरह से समझोगे और तुम लोगों को पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा कि मैं ये वचन क्यों बोलना चाहता हूँ। मेरी बुद्धि असीम, अनंत और अथाह है और यह मनुष्यों के लिए पूरी तरह से अभेद्य है। मेरे द्वारा किए गए कार्यों से लोग केवल इसके एक हिस्से को ही देख सकते हैं, लेकिन जो वे देखते हैं वह भी दोषपूर्ण और अधूरा ही होता है। जब तुम लोग इस चरण से अगले चरण में पूरी तरह से परिवर्तन कर लोगे, तब तुम लोग इसे स्पष्ट रूप से देख पाओगे। याद रखो! यह युग अनमोल युग है—यह अंतिम चरण है जिसमें तुम लोग देह में हो। तुम लोगों का जीवन तुम्हारे भौतिक जीवन का अंतिम जीवन है। जब तुम लोग देह से आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करोगे, तो उस समय तुम लोग सारी पीड़ाओं से मुक्त हो जाओगे। तुम लोग बहुत आनंदित और हर्षित हो जाओगे और खुशी से अनवरत कूदोगे। लेकिन तुम लोगों को यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि मैं जो वचन बोलता हूँ वे केवल ज्येष्ठ पुत्रों के लिए हैं, क्योंकि केवल ज्येष्ठ पुत्र ही इस आशीष के योग्य हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश ही सबसे बड़ा आशीष, सर्वोच्च आशीष और सबसे मूल्यवान आनंद है। अभी तुम लोगों को खाने और पहनने के लिए जो कुछ भी मिलता है वह देह के सुख से ज्यादा कुछ नहीं है; यह अनुग्रह है, जिसका मैं कोई सम्मान नहीं करता। मेरे कार्य का केन्द्र अगले चरण में है (आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करना और ब्रह्मांड की दुनिया का सामना करना)।

मैं कह चुका हूँ कि बड़े लाल अजगर को मेरे द्वारा पहले ही निष्कासित कर दिया और कुचल दिया गया है। तुम लोग मेरे वचनों पर विश्वास क्यों नहीं कर पाते? तुम लोग अभी भी मेरे लिए उत्पीड़न और विपत्ति का सामना क्यों करना चाहते हो? क्या यह तुम्हारे लिए बेकार की कीमत चुकाना नहीं है? मैंने तुम लोगों को कई बार याद दिलाया है कि मैं कार्य करूँ, तो तुम केवल आनंद लो। तुम लोग कार्रवाई करने के लिए इतने क्यों उत्सुक हो? तुम लोग वास्तव में नहीं जानते कि कैसे आनंद लेना है! मैंने तुम लोगों के लिए सबकुछ पूरी तरह से तैयार कर दिया है—तुम लोगों में से कोई भी इसे लेने के लिए मेरे पास क्यों नहीं आया? मैंने जो कहा है उसके बारे में तुम लोग अभी भी अनिश्चित हो! तुम लोग मुझे नहीं समझते! तुम लोगों को लगता है कि मैं खाली खुश करने वाली बातें बोल रहा हूँ; तुम लोग वास्तव में भ्रमित हो! (मैं जिस पूरी तैयारी की बात कर रहा हूँ उसका अर्थ है कि तुम लोगों को मेरा और अधिक आदर करना चाहिए और मेरे सामने और अधिक प्रार्थना करनी चाहिए, जबकि मैं अपना विरोध करने वाले हर किसी को शाप देने और तुम लोगों को सताने वाले हर किसी को दंडित करने के लिए व्यक्तिगत रूप कार्य करूँगा।) तुम लोग मेरे वचनों के बारे में कुछ नहीं जानते! मैं तुम लोगों के सामने अपने सभी रहस्यों को प्रकट कर देता हूँ, लेकिन तुममें से कितने लोग वास्तव में उन्हें समझते हैं? तुममें से कितने उन्हें गहराई से समझते हैं? मेरा सिंहासन क्या है? मेरा लौहदण्ड क्या है? तुम लोगों में से कौन जानता है? जब मेरे सिंहासन की बात आती है, तो ज्यादातर लोग सोचते हैं कि मैं वहीं बैठता हूँ या इसका अर्थ मेरे निवास स्थान से है या इसका अर्थ उस व्यक्ति से है जो मैं हूँ। ये सारी समझ गलत है—गलतियों का घालमेल है! उनमें से कोई भी व्याख्या सही नहीं है, है ना? तुम सभी लोग इसे इसी तरह से जानते और समझते हो—यह समझ का चरम भटकाव है? अधिकार क्या है? अधिकार और सिंहासन के बीच क्या संबंध है? सिंहासन मेरा अधिकार है। जब मेरे ज्येष्ठ पुत्र मेरे सिंहासन को ऊँचा रखेंगे, तभी मेरे ज्येष्ठ पुत्रों को मुझसे अधिकार प्राप्त होगा। केवल मेरे पास ही अधिकार है, इसलिए केवल मेरे पास ही सिंहासन है। दूसरे शब्दों में, जब मेरे ज्येष्ठ पुत्र मेरी तरह ही पीड़ित होंगे, तभी वे मेरे स्वरूप को स्वीकार करेंगे और मुझसे सबकुछ प्राप्त करेंगे; और इसी प्रक्रिया से वे ज्येष्ठ पुत्र होने की हैसियत प्राप्त करेंगे। इसी समय मेरे ज्येष्ठ पुत्र मेरे सिंहासन को ऊँचा रखेंगे, और इसी समय वे मुझसे अधिकार स्वीकार करेंगे। अब यह तुम लोगों की समझ में आ जाना चाहिए! जो कुछ भी मैं कहता हूँ वह स्पष्ट और पूर्णतः असंदिग्ध है ताकि हर कोई समझ जाए। अपनी अवधारणाओं को अलग रखो और उन रहस्यों को स्वीकार करने के लिए प्रतीक्षा करो जो मैं तुम लोगों के लिए प्रकट करता हूँ! तो लौहदण्ड क्या है? पिछले चरण में, इसका आशय मेरे कठोर वचनों से था, किन्तु अब यह अतीत से भिन्न है : आज लौहदण्ड का तात्पर्य मेरे कर्मों से है, जिनमें बड़ी आपदाओं के साथ अधिकार व्याप्त है। इसलिए जहाँ-कहीं भी लौहदण्ड का उल्लेख होता है, उसमें अधिकार का संयोजन होता है। लौहदण्ड का मूल अर्थ बड़ी आपदाएँ है—यह अधिकार का हिस्सा है। हर किसी को इसे स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए, तभी वे मेरी इच्छा को समझ सकते हैं और मेरे वचनों से प्रकाशन प्राप्त कर सकते हैं। जिस किसी में भी पवित्र आत्मा का कार्य है, वह अपने हाथ में लौहदण्ड रखता है उसी के पास अधिकार होता है और उसी के पास किसी भी बड़ी आपदा को निष्पादित करने का अधिकार होता है। यह मेरे प्रशासनिक आदेशों में से एक है।

हर चीज़ तुम लोगों के सामने खुली है (इसका तात्पर्य उस हिस्से से है जिसे स्पष्ट रूप से बताया जा चुका है) और हर चीज़ तुम लोगों से छिपी हुई है (इसका तात्पर्य मेरे वचनों के गुप्त हिस्से से है)। मैं बुद्धि से बोलता हूँ : मैं तुम लोगों को अपने कुछ वचनों के केवल शाब्दिक अर्थ को ही समझने देता हूँ, जबकि मैं दूसरे वचनों का अर्थ समझने देता हूँ (लेकिन अधिकांश लोग समझ नहीं पाते) क्योंकि यह मेरे कार्य का अनुक्रम है। जब तुम लोग विशेष आध्यात्मिक कद प्राप्त कर लोगे, तभी मैं तुम लोगों को अपने वचनों का सही अर्थ बता सकता हूँ। यही मेरी बुद्धि है और यही मेरे अद्भुत कर्म हैं (ताकि तुम लोगों को पूर्ण बनाकर शैतान को पूरी तरह से पराजित और दानवों को अपमानित किया जाए)। जब तक तुम लोग अन्य क्षेत्र में प्रवेश न कर लो, तब तक तुम लोग पूरी तरह से समझ नहीं पाओगे। मुझे ऐसा इसलिए करना पड़ता है क्योंकि मानवीय अवधारणाओं में ऐसी कई चीज़ें हैं जिन्हें लोग आसानी से नहीं समझ पाते। यदि मैं स्पष्ट रूप से भी बोलूँ तब भी तुम लोगों की समझ में नहीं आएँगी। आखिरकार, लोगों का दिमाग सीमित होता है। बहुत-सी चीज़ें मैं तुम्हें तभी बता सकता हूँ जब तुम आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश कर जाओ; अन्यथा मानवीय देह उपयोगी नहीं होती, बल्कि यह मेरे प्रबंधन को बाधित ही करेगी। यही “मेरे कार्य के अनुक्रम” का सही अर्थ है जिसके बारे में मैं बात करता हूँ। अपनी अवधारणाओं में, तुम लोग मुझे कितना समझते हो? क्या तुम लोगों की समझ दोषरहित है? क्या यह आत्मा का ज्ञान है? इसलिए, मुझे तुम लोगों को अन्य क्षेत्र में परिवर्तन करने देना चाहिए ताकि तुम लोग मेरे कार्य को पूरा करो और मेरी इच्छा के अनुसार चलो। वास्तव में यह अन्य क्षेत्र क्या है? क्या यह वास्तव में, जैसा कि लोग सोचते हैं, एक प्रकार का ज्ञानातीत दृश्य है? क्या यह वास्तव में हवा के समान है जिसे देखा या महसूस नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी उसका अस्तित्व है? जैसा कि मैंने कहा है, शरीर में होने की स्थिति मांस और हड्डी की स्थिति है, यह रूप और आकार धारण करने की स्थिति है। यह बिल्कुल सही और संशयहीन है और हर किसी को इस पर विश्वास करना करना चाहिए। यह शरीर की वास्तविक अवस्था है। इसके अलावा, शरीर में ऐसा कोई पदार्थ नहीं हैं जिससे लोग नफ़रत करते हों। किन्तु यह अवस्था वास्तव में क्या है? जब लोग देह से शरीर में जाएं, तो एक बड़ा समूह प्रकट होना चाहिए। यानी, वे अपने दैहिक घर से मुक्त हो जाएँगे। यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक अपने प्रकार का अनुसरण करेगा : देह देह को खींचता है और शरीर शरीर को। अब जो लोग अपने घर, माता—पिता, पत्नी, पति और पुत्र-पुत्री से अलग हो जाते हैं, वे लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करना शुरू कर देते हैं। अंत में, ऐसा होता है : आध्यात्मिक क्षेत्र की स्थिति यह है कि ज्येष्ठ पुत्र एक साथ इकट्ठे होते हैं, नाचते-गाते हैं, मेरे पवित्र नाम की स्तुति और जयजयकार करते हैं। यह एक ऐसा दृश्य है जो सुंदर और हमेशा नया रहता है। सभी मेरे प्यारे पुत्र हैं, जो हमेशा निरंतर मेरी स्तुति करते रहते हैं, मेरे पवित्र नाम को हमेशा ऊँचा रखते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश के बाद यही स्थिति होती है, आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश के बाद यही कार्य भी है और यही आध्यात्मिक क्षेत्र में कलीसिया की चरवाही करने की वह स्थिति भी है जिसके बारे में मैंने बोला है। इसके अलावा, मेरे अधिकार, मेरे कोप और मेरे न्याय को धारण किए हुए, और इससे भी अधिक, सभी राष्ट्रों और सभी लोगों को नियंत्रित करने के लिए मेरे लौहदण्ड को धारण किए हुए, मेरा व्यक्तित्व ब्रह्मांड के हर देश में और सभी राष्ट्रों और सभी लोगों के बीच प्रकट होता है। यह सभी लोगों में और पूरे ब्रह्मांड में मेरी गवाही देता है जो स्वर्ग और पृथ्वी को कँपा देती है, जिसके कारण सभी लोग, पर्वतों पर, नदियों में, झीलों में और पृथ्वी के सिरों पर की सभी चीज़ें मेरी स्तुति करती हैं, मुझे महिमान्वित करती हैं और मुझे, एकमात्र स्वयं परमेश्वर को, जानने लगती हैं, जो कि सभी चीज़ों का सृजनकर्ता है, जो हर चीज़ का मार्गदर्शन करता है, हर चीज़ प्रबंधन करता है, हर चीज़ का न्याय करता है, हर चीज़ संपन्न करता है, हर चीज़ को दंडित करता है और हर चीज़ को नष्ट करता है। यही मेरे व्यक्तित्व का प्रकटन है।

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परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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