810 पतरस ने हमेशा परमेश्वर को जानने का प्रयास किया
1
पतरस ने जब यीशु को जाना तो लगा उसे ईश्वर ने भेजा।
उसने माना यीशु को प्रेरित पर माना कभी ना मसीह।
पतरस ने अनुभव किए थे वचन ईश्वर के और खुद से भी निपटा था;
झेली मुश्किल भी ईश्वर के लिए, पर उसके कामों से था अनजान।
2
थोड़े अनुभव के बाद उसने, यीशु में ईश्वर के कर्मों को देखा।
देखी ईश्वर की सुंदरता उसमें ईश्वर का अस्तित्व देखा।
देखा, जो बोला यीशु ने इंसान तो कह नहीं सकता;
किए थे सारे काम जो यीशु ने वो इंसान कर नहीं सकता।
यीशु के वचनों, कामों में, पतरस को परमेश्वर की बुद्धि दिखी।
यीशु के वचनों, कामों में, बहुत से दिव्य कार्य दिखे।
3
अनुभवों से पतरस ने ना सिर्फ खुद को, बल्कि जाना बहुत कुछ।
उसने यीशु के हर काम को देखा और कई नई बातें जानीं;
यीशु में व्यवहारिक परमेश्वर के कई भाव थे;
अपने वचनों, कामों और कर्मों में कलीसिया को राह दिखाने में
यीशु बढ़कर था आम इंसान से।
4
पतरस ने यीशु से ज़रूरी बातें सीखीं।
यीशु के क्रूस पे जाने से पहले, उसने यीशु के बारे में जाना,
जिससे वो उसका जीवन-भर वफ़ादार रहा।
यहां तक कि वो तो, क्रूस पे भी, उल्टा लटका था अपने प्रभु के लिए।
यीशु के वचनों, कामों में, पतरस को परमेश्वर की बुद्धि दिखी।
यीशु के वचनों, कामों में, बहुत से दिव्य कार्य दिखे।
यीशु के वचनों, कामों में, पतरस को परमेश्वर की बुद्धि दिखी।
यीशु के वचनों, कामों में, बहुत से दिव्य कार्य दिखे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर को जानने वाले ही परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं से रूपांतरित