145 परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने के लिए जीना सबसे सार्थक है
1 एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो परमेश्वर के प्रति प्रेम का अनुसरण करता है, परमेश्वर के जन बनने के लिए राज्य में प्रवेश करना ही तुम लोगों का सच्चा भविष्य है और यह ऐसा जीवन है, जो अत्यंत मूल्यवान और सार्थक है; कोई भी तुम लोगों से अधिक धन्य नहीं है। आज तुम लोग परमेश्वर के लिए जीते हो और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने के लिए जीवित हो। यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि तुम्हारा जीवन सबसे सार्थक है। केवल इसी समूह के लोग, जिन्हें परमेश्वर द्वारा चुना गया है, सबसे सार्थक जीवन जीने में सक्षम हैं : पृथ्वी पर और कोई इतना मूल्यवान और सार्थक जीवन नहीं जी सकता।
2 क्योंकि तुम परमेश्वर द्वारा चुने गए हो और परमेश्वर द्वारा ऊपर लाए गए हो और इसके अलावा, परमेश्वर के प्रेम के कारण तुम लोगों ने सच्चे जीवन को समझ लिया है और यह जानते हो कि सर्वाधिक मूल्यवान तरीके से कैसे जिएँ। ऐसा इसलिए नहीं है कि तुम लोग अच्छी तरह से अनुसरण करते हो, बल्कि यह परमेश्वर के अनुग्रह के कारण है; यह परमेश्वर ही था, जिसने तुम्हारी आध्यात्मिक आँखें खोलीं, और यह परमेश्वर का आत्मा ही था, जिसने तुम्हारे दिलों को छुआ था और इस प्रकार तुम्हें परमेश्वर के सामने आने का सौभाग्य प्रदान किया। यदि परमेश्वर के आत्मा ने तुम्हें प्रबुद्ध न किया होता, तो परमेश्वर के बारे में क्या सुंदर है, यह देखने में तुम असमर्थ होते, न ही तुम्हारे लिए परमेश्वर से प्रेम करना संभव होता। यह पूरी तरह से परमेश्वर के आत्मा द्वारा लोगों के दिलों को छू लेने के कारण ही है कि उनके दिल परमेश्वर उन्मुख हो चुके हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो