एक कैथोलिक याजक का चुनाव

06 जनवरी, 2023

वेई मो, चीन

मेरे माता-पिता ने मुझे कैथोलिक कलीसिया में पाला और बड़ा होने पर मैं एक याजक बन गया। बाद में कलीसिया अधिकाधिक निराशाजनक हो गई। बिशप और याजक लगातार अंदरूनी कलह और सत्ता के संघर्ष में लगे रहते, ब्रदर और सिस्टर हमेशा एक-दूसरे से ईर्ष्या और झगड़ा करते थे। हमारे एक सहायक बिशप परेशान हो गए, क्योंकि धर्मप्रांतीय बिशप द्वारा उनका अभिषेक नहीं किया गया था, इसलिए उन्होंने अन्य याजकों को इकट्ठा कर उनसे कहा कि चूँकि धर्मप्रांतीय बिशप ने कलीसिया का पैसा कारों और संपत्ति के विकास पर खर्च किया है और वे थ्री-सेल्फ कलीसिया में शामिल हो गए हैं, इसलिए उन्हें उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए। यहाँ तक कि धर्मप्रांतीय बिशप का समर्थन करने वाले पल्लीवासियों से उनकी हाथापाई भी हो गई थी। इसके बाद ईर्ष्या और घृणा की घटनाएँ ज्यादा से ज्यादा गंभीर होती गईं और कलीसिया गुटों में विभाजित होने लगी। उन्हें इस तरह हैसियत के लिए लड़ते देख मुझे घृणा होने लगी। यह एक कलीसिया की तरह बिल्कुल नहीं था—यह बाहर की दुनिया की तरह ही अंधकारमय था। धर्मप्रांतीय बिशप मुझे अलग-थलग करने लगा, क्योंकि मैं थ्री-सेल्फ में शामिल नहीं होना चाहता था। उन्होंने मेरे सहायक के रूप में कार्य करने और पद के लिए होड़ करने के लिए एक याजक नियुक्त कर दिया। उस याजक ने आकर पल्लीवासियों को मुझे बहिष्कृत करने के लिए उकसाया, और जल्दी ही मेरी कलीसिया दो गुटों में बँट गई और झगड़े और संघर्ष होने लगे। मैं उन चीजों का हिस्सा नहीं बनना चाहता था, इसलिए मैंने अपना इस्तीफा बिशप को सौंप दिया। मैंने नफरत और संघर्ष से भरी उस कलीसिया को छोड़ दिया और कई ब्रदर और सिस्टर्स के साथ सुदूर पहाड़ों में स्थित एक अन्य कलीसिया में शामिल हो गया।

मैंने सोचा था कि इसके सदस्य सरल और दिखावे से दूर होंगे, यहाँ सत्ता के लिए उतने संघर्ष नहीं होंगे और शायद स्थिति बेहतर होगी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से चीजें उतनी ही निराशाजनक थीं। पल्ली के लोगों की आस्था नाम की थी—वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन तक नहीं करते थे और बेतहाशा पाप करते थे। वे झूठ बोलते और धोखा देते थे और हमेशा तकरार करते थे। अविश्वासी लगातार आकर मेरे पास उनकी शिकायतें दर्ज करा रहे थे। ये ऐसी समस्याएँ थीं, जिन्हें मैं हल नहीं कर सका। हालाँकि मैं नियमित रूप से परमेश्वर से प्रार्थना करता था, लेकिन मैं पवित्र आत्मा की उपस्थिति और बाइबल के वचनों में कोई प्रबुद्धता महसूस नहीं कर पा रहा था। धर्मोपदेशों में मेरे पास कहने के लिए कुछ नया नहीं था। मैं आध्यात्मिक रूप से प्यासा था—लगा, जैसे पवित्र आत्मा ने मुझे त्याग दिया हो।

जब मैं खुद को खोया हुआ और असहाय महसूस कर रहा था, दुख में डूबा हुआ था, तभी याजक लियू और उपयाजक झांग ने मुझे अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की गवाही देकर बताया कि प्रभु यीशु लौट आया है। जब मैंने यह सुना, तो मैं स्तब्ध रह गया और भीतर तक हिल गया। मैं प्रभु यीशु की वापसी के बारे में और ज्यादा जानने के लिए बेताब था और मैंने उन दोनों भाइयों को और बताने के लिए कहा। उन्होंने मेरे साथ ढेर सारी संगति साझा की और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन पढ़े, जिसमें यह अंश भी शामिल था जिसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं : “यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के मध्य अपना कार्य करने के लिए देहधारी हो गया। उसका कार्य अलग से किया गया कार्य नहीं था, बल्कि यहोवा के कार्य के आधार पर किया गया था। यह कार्य एक नए युग के लिए था, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का युग समाप्त करने के बाद किया था। इसी प्रकार, यीशु का कार्य समाप्त हो जाने के बाद परमेश्वर ने अगले युग के लिए अपना कार्य जारी रखा, क्योंकि परमेश्वर का संपूर्ण प्रबंधन सदैव आगे बढ़ रहा है। जब पुराना युग बीत जाता है, तो उसके स्थान पर नया युग आ जाता है, और एक बार जब पुराना कार्य पूरा हो जाता है, तो परमेश्वर के प्रबंधन को जारी रखने के लिए नया कार्य शुरू हो जाता है। यह देहधारण परमेश्वर का दूसरा देहधारण है, जो यीशु का कार्य पूरा होने के बाद हुआ है। निस्संदेह, यह देहधारण स्वतंत्र रूप से घटित नहीं होता; व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के बाद यह कार्य का तीसरा चरण है। हर बार जब परमेश्वर कार्य का नया चरण आरंभ करता है, तो हमेशा एक नई शुरुआत होती है और वह हमेशा एक नया युग लाता है। इसलिए परमेश्वर के स्वभाव, उसके कार्य करने के तरीके, उसके कार्य के स्थल, और उसके नाम में भी परिवर्तन होते हैं। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि मनुष्य के लिए नए युग में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करना कठिन होता है। परंतु इस बात की परवाह किए बिना कि मनुष्य द्वारा उसका कितना विरोध किया जाता है, परमेश्वर सदैव अपना कार्य करता रहता है, और सदैव समस्त मानवजाति का प्रगति के पथ पर मार्गदर्शन करता रहता है। जब यीशु मनुष्य के संसार में आया, तो उसने अनुग्रह के युग में प्रवेश कराया और व्यवस्था का युग समाप्त किया। अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर एक बार फिर देहधारी बन गया, और इस देहधारण के साथ उसने अनुग्रह का युग समाप्त किया और राज्य के युग में प्रवेश कराया। उन सबको, जो परमेश्वर के दूसरे देहधारण को स्वीकार करने में सक्षम हैं, राज्य के युग में ले जाया जाएगा, और इससे भी बढ़कर वे व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर का मार्गदर्शन स्वीकार करने में सक्षम होंगे। यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)परमेश्वर के वचन पढ़ने के बाद उन्होंने मेरे साथ और ज्यादा संगति साझा की। मैंने जाना कि परमेश्वर का कार्य लगातार आगे बढ़ रहा है—कि प्रभु यीशु ने छुटकारे और प्रभु में आस्था का जो कार्य किया था, वह केवल पाप से क्षमा दिलाता है। लेकिन इस तरह हमारी पापी प्रकृति हल नहीं हुई है, इसलिए हम दिन में पाप करने और रात में कबूलने के कुचक्र में जीते हुए अभी भी पाप से बँधे हैं। लोगों को पाप और शैतान के प्रभुत्व से पूरी तरह से बचाने के लिए परमेश्वर को हमारा न्याय कर हमें शुद्ध करने के लिए सत्य व्यक्त करते हुए कार्य का एक और चरण करने की आवश्यकता है। यह वास्तव में हमारे भ्रष्ट स्वभाव और पापी प्रकृति का समाधान करने के लिए है, ताकि हम पाप से बच सकें, शुद्ध हो सकें और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकें। धार्मिक जगत बहुत पहले ही पवित्र आत्मा का कार्य खो चुका है। पवित्र आत्मा का मार्गदर्शन और सत्य का पोषण प्राप्त करने के लिए हमें अंत के दिनों का परमेश्वर का कार्य स्वीकारना होगा और उसके पदचिह्नों पर चलना होगा। जीवन में बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है। इसके बाद मैंने “वचन देह में प्रकट होता है” को बहुत पढ़ा—मेरा दिल परमेश्वर के वचनों की ओर आकर्षित हुआ। उसे पढ़कर मेरा जी न भरता, और मैं हर रात 2 बजे तक जागकर उसे पढ़ता रहता। कुछ समय बाद मुझे यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है और मैंने खुशी-खुशी परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य स्वीकार लिया। इसलिए मैं उन भाई-बहनों को, जिन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार मेरी कलीसिया में साझा किया था, उन पल्लीवासियों के पास ले गया, जो सच्चे विश्वासी थे ताकि वे उन्हें अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही दे सकें। अंत में उन सभी ने उसे स्वीकार लिया। हम रोज कलीसिया में इकट्ठे होकर एक-साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ते और नई रोशनी और प्रबुद्धता प्राप्त करते। यह बहुत पोषक और आनंददायक लगा। हम मेमने के विवाह-भोज में शामिल हो रहे थे!

जल्दी ही बिशप और याजक मुझे परेशान और बाधित करने लगे। पहले बिशप झाओ ने कहा, “मैंने सुना है कि तुम चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गए हो। तुमने इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर मेरे साथ चर्चा नहीं की और बहुत से पल्लीवासियों को अपने साथ ले गए। यह प्रभु के साथ विश्वासघात है! जब वह लौटेगा, तो निश्चित रूप से इसे पहले हम बिशपों पर प्रकट करेगा। अगर वह वाकई वापस आ गया है, तो मुझे कैसे नहीं पता? यह सब छोड़ो और वापस आ जाओ! मैं जानता हूँ कि तुम दूर के किसी इलाके में हो और जीवन कठिन है। अगर तुम वापस आते हो, तो मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करने में मदद करूँगा।” उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और बदनामी करने वाली बहुत-सी बातें भी कहीं। मुझे उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने मुझसे कई बार कहा था कि प्रभु जल्दी ही वापस आएगा, इसलिए हमें प्रार्थना करने में पल्लीवासियों की अगुआई करनी है और प्रभु का स्वागत करने के लिए सजग रहना है, लेकिन अब जबकि प्रभु वापस आ गया था, तो उनका खोज करने का कोई इरादा नहीं था, यहाँ तक कि वे परमेश्वर की निंदा और बदनामी भी कर रहे थे। वे किसी तरह से सच्चे विश्वासी नहीं थे। मैं उनसे प्रभावित हुए बिना सुसमाचार का प्रसार करता रहा।

फिर बिशप वांग किसी और के साथ आए और मुस्कराते हुए मुझसे बोले, “बिशप झाओ ने मुझे इसलिए भेजा है कि मैं तुम्हें मनाकर बिशप-हाउस ले आऊँ और उनसे मिलाऊँ। वे तुम्हारे लिए बेहद चिंतित हैं और डरते हैं कि तुम गलत मार्ग अपना रहे हो।” उन्हें यह कहते सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। उन्होंने निराश और कमजोर महसूस कर रहे पल्लीवासियों पर तो कोई ध्यान दिया नहीं, लेकिन अब वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था को लेकर मुझे परेशान करना बंद नहीं कर रहे थे। यह मुझे परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य स्वीकारने से रोकने का प्रयास था। मैंने उनसे कहा, “आप सब मुझे मेरी आस्था से हटाने पर पूरी तरह से आमादा हैं। वर्षों से पवित्र आत्मा के कार्य के बिना कलीसियाएँ वीरान पड़ी हैं। भाई-बहनों की आस्था ठंडी पड़ रही है और वे पाप करने और कबूलने के कुचक्र में फँसे हैं। वे पाप कबूलते रहे हैं, लेकिन पाप की बेड़ियों से मुक्त होने में असमर्थ हैं। मैं बेहद पीड़ा में था। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से जाना कि प्रभु में हमारी आस्था केवल पापों से क्षमा दिलाती है, शुद्धिकरण नहीं करती। अगर हमारी पापी प्रकृति का समाधान नहीं होता, तो हम कभी पाप के बंधनों से नहीं बच पाएँगे। अंत के दिनों में प्रभु वापस आ गया है और मानवजाति की पापमयता की जड़ मिटाने के लिए सत्य व्यक्त कर न्याय का कार्य कर रहा है, ताकि हम पाप से मुक्त हो सकें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे शुद्ध होकर पूरी तरह से बचाए जाने का मार्ग दिखाया है। इस पर गौर करने के बाद मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटा हुआ प्रभु है। आप चाहे कुछ भी कहें, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपनी आस्था नहीं छोडूँगा।” बिशप वांग ने कहा, “यह सच है कि कलीसिया में पवित्र आत्मा के कार्य और प्रभु की उपस्थिति का अभाव है, लेकिन यह अस्थायी है—प्रभु हमारी परीक्षा ले रहा है। अगर हम अंत तक मजबूत बने रहे, तो हम कलीसिया का महान पुनरुद्धार देखेंगे। अगर तुम सभी को चमकती पूर्वी बिजली में ले जाओगे, तो कलीसिया खाली हो जाएगी, फिर हम पुनरुद्धार कैसे पा सकते हैं? प्रभु वापस आने वाला है, लेकिन अभी तक आया नहीं है। तुम वास्तव में सोचते हो कि जब वह वापस आएगा, तो इसे पोप पर प्रकट नहीं करेगा? चूँकि पोप और बिशपों ने प्रभु की वापसी के बारे में नहीं सुना है, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि यह खबर झूठी है। अगर तुम पोप या बिशपों की स्वीकृति के बिना सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हो, तो क्या यह धर्मत्याग नहीं है?” असल में, जब मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जाँच कर रहा था, तो मैंने भी यही बात पूछी थी, लेकिन खोज और संगति के बाद मैं समझ गया। जब बिशप वांग ने कहा कि प्रभु अपनी वापसी पोप और बिशपों पर पहले प्रकट करेगा, तो इसका कोई आधार नहीं था। प्रभु यीशु ने ऐसा कभी नहीं कहा और यह बाइबल में दर्ज नहीं है। प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए हमें उसी के वचनों का अनुसरण करना होगा। प्रभु ने कहा : “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ(प्रकाशितवाक्य 3:20)। “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा(यूहन्ना 16:12-13)। प्रभु के वचन बिल्कुल स्पष्ट हैं। जब वह आएगा, तो और ज्यादा वचन बोलेगा और हमें सत्य बताएगा, और केवल उसकी वाणी सुनकर और उसके द्वारा व्यक्त किए गए सत्य स्वीकार कर ही हम प्रभु का स्वागत कर सकते हैं। प्रभु यीशु ने कहा था : “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं(यूहन्ना 10:27)। पतरस और मत्ती जैसे प्रेरितों ने, जिन्होंने प्रभु का अनुसरण किया था, उन्होंने शुरू में उसके उपदेश सुने, और तभी उन्हें एहसास हुआ कि वह वही मसीहा है, जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे। हम प्रभु के झुंड का हिस्सा हैं या नहीं, इस बात का निर्णय वह इस आधार पर करता है कि हम उसकी वाणी सुन पाते हैं या नहीं। इसलिए सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने की कुंजी है प्रभु की वाणी सुनना और उसका उपयोग करके उसे पहचानना और स्वीकारना। यही सबसे विश्वसनीय है। प्रकाशितवाक्य में कई बार कहा गया है : “जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है(प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। जब प्रभु अंत के दिनों में आएगा, तो इसे पहले धार्मिक अगुआओं और बिशपों पर प्रकट नहीं करेगा—वह सीधे कलीसियाओं से बात करेगा और अपनी आवाज सुनने देगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत सारे सत्य व्यक्त किए हैं, बाइबल के बहुत सारे रहस्यों पर से पर्दा उठाया है, हमें हमारे उद्धार के लिए अपनी प्रबंधन-योजना के बारे में बताया है, और हमें बचाए जाने और राज्य में प्रवेश करने का मार्ग दिया है। यह प्रभु यीशु द्वारा कही गई यह बात पूरी करता है : “जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा(यूहन्ना 16:13)। जो लोग परमेश्वर के वचनों से उसकी वाणी पहचानकर उसका अनुसरण करते हैं, वे उसकी भेड़ें हैं, और केवल वही हैं जो प्रभु का स्वागत कर सकते हैं। इसलिए मैंने बिशप वांग का यह कहते हुए खंडन किया, “आप दावा करते हैं कि पोप और बिशपों को प्रभु की वापसी का पहले पता होना चाहिए, लेकिन क्या यह प्रभु के वचन पर आधारित है? न तो प्रभु यीशु ने कभी ऐसा कुछ कहा, और न ही पिता परमेश्वर या पवित्र आत्मा ने। बाइबल में भी ऐसा कुछ दर्ज नहीं है। इसलिए आप जो कह रहे हैं, क्या वह सिर्फ एक मानवीय धारणा और कल्पना नहीं है? प्रभु का स्वागत करने के लिए हमें प्रभु के ही वचनों का अनुसरण करना होगा, न कि अपनी धारणाओं और कल्पनाओं का। पुराने विधान में यह दर्ज है कि बालक शमूएल एली की मौजूदगी में यहोवा की सेवा करता था। मनुष्य की कल्पना के अनुसार यहोवा का प्रकाशन पहले एली को दिया जाना चाहिए था, लेकिन यहोवा ने ऐसा नहीं किया। उसने अपनी इच्छा बताने के लिए बालक शमूएल को चार बार पुकारा। जब प्रभु यीशु आया, तो यह यहूदी याजकों और शास्त्रियों पर प्रकट नहीं किया गया, बल्कि एक स्वर्गदूत ने चरवाहों के सामने प्रकट होकर उन्हें प्रभु यीशु के जन्म के बारे में बताया। स्पष्ट रूप से प्रभु मनुष्य की धारणाओं के अनुसार कार्य नहीं करता। चाहे कोई कितने भी समय से विश्वासी हो या उसकी जो भी हैसियत हो, अगर वह अपनी धारणाएँ छोड़ने, विनम्रतापूर्वक खोजने और परमेश्वर की वाणी सुनने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तैयार है, तो वह परमेश्वर का प्रकटन देख सकता है। अंत के दिनों में प्रभु आ गया है और सत्य व्यक्त कर न्याय का कार्य कर रहा है। उसे किसी की राय लेने या किसी व्यक्ति विशेष को प्रकाशन देने की आवश्यकता नहीं है। यह परमेश्वर का अपना कार्य है, जिसमें कोई मनुष्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता। जो कोई अवज्ञा या विद्रोह करेगा, वह परमेश्वर के स्वभाव का अपमान करेगा, ठीक उन शास्त्रियों और फरीसियों की तरह जो धारणाओं से चिपके थे और प्रभु यीशु की निंदा करते थे और जिन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया था। उन्होंने जघन्य पाप किया था और वे परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित किए गए थे। क्या यह ऐसा कड़वा सबक नहीं है, जिस पर हम चिंतन कर सकें?” उसने बेहद गुस्से में जवाब दिया, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम पोप के खिलाफ जाने की हिमाकत करते हो! तुम्हें पता है, याजक लियू को चमकती पूर्वी बिजली में शामिल होने के बाद कलीसिया से बाहर निकाल दिया गया था। कलीसिया के सदस्यों ने उसे नकार दिया, यहाँ तक कि उसका परिवार भी इसके खिलाफ था। उसने अपना याजक पद छोड़ दिया और कार और पैसे ठुकरा दिए। क्या तुम्हें यह अजीब नहीं लगता?” तब मैंने सोचा कि कैथोलिक कलीसिया के पास वाकई पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, और सभी बिशप किसी अविश्वासी की ही तरह सिर्फ पैसे, रुतबे और आनंद के बारे में ही बात करते हैं। यह परमेश्वर की सेवा करना कैसे था? उन्होंने मुझे परेशान करने और मेरे आड़े आने की कितनी भी कोशिश करें, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने पर दृढ़ था। मैंने कहा, “बाइबल कहती है : ‘मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है’ (प्रेरितों 5:29)। मैं सिर्फ परमेश्वर के वचनों का पालन करता हूँ, मनुष्यों के शब्दों का नहीं। आप यह ख्याल छोड़ दें और मुझे सलाह देना बंद कर दें।” जब उसने देखा कि मैं उसकी बात नहीं मानूँगा, तो वह नाराज होकर चला गया।

इसके बाद बिशप झाओ और बिशप वांग मुझे परेशान करने और मेरे आड़े आने की कोशिश करने के लिए आते रहे। उन्होंने कहा, “फादर वेई, तुम ऐसी बेशर्मी नहीं दिखा सकते! उस समय तुम्हें याजक बनने में मदद करने के लिए हमने और अन्य याजकों ने तुम्हारी रक्षा के लिए कारावास का जोखिम उठाया, धर्मोपदेश देने के 10 वर्षों के प्रशिक्षण में तुम्हारी मदद करने के लिए काफी कीमत चुकाई। हम तुम्हें खाना-पीना देते रहे हैं। तुम्हारे माता-पिता ने बहुत मेहनत की थी, ताकि तुम जल्दी से जल्दी याजक का पद प्राप्त कर सको, लेकिन अब तुम चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करके उनके खिलाफ हो गए हो। क्या तुम अभी भी हमारा सामना कर सकते हो? क्या तुम अभी भी अपने माता-पिता का सामना कर सकते हो? इस आस्था को त्याग दो और हमारे पास वापस आ जाओ। हम तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।” जब वे ये बातें कह रहे थे, तो मेरे मन में खलबली मची थी। मैं उन तमाम वर्षों के बारे में सोच रहा था, जब बिशपों ने मेरा ध्यान रखा था—उन्होंने वाकई बहुत-कुछ किया था। उन वर्षों में पुलिस मेरे पीछे पड़ी थी और मेरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बिशपों ने मेरे लिए बहुत सोच-समझकर चीजों की व्यवस्था की थी। मेरा परिवार गरीब था और बिशप मेरी देखभाल करते थे। मुझे डर था कि अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी, तो यह बेशर्मी दिखाना होगा। लेकिन मैं जानता था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु है और मैं उससे मुँह नहीं मोड़ सकता था। इसलिए मैंने प्रार्थना की : “हे परमेश्वर, मैं कमजोर महसूस कर रहा हूँ। कृपया मुझे आस्था और शक्ति दो, ताकि मैं बाहरी प्रभावों में न आ जाऊँ।” इसके बाद मैंने “वचन देह में प्रकट होता है” पुस्तक खोली और यह अंश देखा : “जिस क्षण तुम रोते हुए इस दुनिया में आते हो, उसी पल से तुम अपना कर्तव्य पूरा करना शुरू कर देते हो। परमेश्वर की योजना और उसके विधान के लिए तुम अपनी भूमिका निभाते हो और तुम अपनी जीवन-यात्रा शुरू करते हो। तुम्हारी पृष्ठभूमि जो भी हो और तुम्हारी आगे की यात्रा जैसी भी हो, कोई भी स्वर्ग के आयोजनों और व्यवस्थाओं से बच नहीं सकता, और किसी का भी अपनी नियति पर नियंत्रण नहीं है, क्योंकि केवल वही, जो सभी चीज़ों पर शासन करता है, ऐसा करने में सक्षम है। जिस दिन से मनुष्य अस्तित्व में आया है, परमेश्वर ने ब्रह्मांड का प्रबंधन करते हुए, सभी चीज़ों के लिए परिवर्तन के नियमों और उनकी गतिविधियों के पथ को निर्देशित करते हुए हमेशा ऐसे ही काम किया है। सभी चीज़ों की तरह मनुष्य भी चुपचाप और अनजाने में परमेश्वर से मिठास और बारिश तथा ओस द्वारा पोषित होता है; सभी चीज़ों की तरह मनुष्य भी अनजाने में परमेश्वर के हाथ के आयोजन के अधीन रहता है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है)। मुझे यह भी याद आया कि प्रभु यीशु ने कहा था : “आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?(मत्ती 6:26)। परमेश्वर हवा में उड़ते पक्षियों की देखभाल करता है—जरा मनुष्यों के बारे में सोचो! मैं परमेश्वर द्वारा बनाया गया था और उसने मुझे अपना जीवन दिया। मेरा भोजन, मेरे वस्त्र, सब-कुछ मुझे परमेश्वर ने दिया है। बिशपों का मेरी देखभाल करना परमेश्वर की व्यवस्था थी और याजक के रूप में परमेश्वर की सेवा करने का मेरा अवसर भी उसी के द्वारा व्यवस्थित और निर्धारित किया गया था—यह उसका प्रेम था। वह परमेश्वर ही है, जिसका मुझे धन्यवाद करना चाहिए। अगर मैंने किसी व्यक्ति की तथाकथित दयालुता का बदला चुकाने के लिए परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया, तो सच में यह शर्मनाक होगा! मैंने फिर से उन सभी बिशपों और याजकों के बारे में सोचा, जो ईर्ष्यालु, सत्ता के भूखे और हैसियत के लाभों के लोभी थे। प्रभु लौट आया है, पर उन्होंने न केवल इसकी खोज या जाँच करने से इनकार कर दिया, बल्कि दूसरों को भी प्रभु का स्वागत करने से रोक दिया, यहाँ तक कि झूठ और ईशनिंदा भी फैलाई। क्या वे अपने हर काम में पाप नहीं कर रहे थे? चाहे वे कितने भी अच्छे दिखते हों, वे लोगों को प्रभु के सामने लाने की कोशिश नहीं कर रहे थे, उन्हें प्रभु को जानने और उससे सत्य और जीवन प्राप्त करने में मदद नहीं कर रहे थे। यह लोगों को अपने सामने लाना था, उनसे अपनी प्रशंसा और अनुसरण करवाना था, जिससे लोग प्रभु से अधिकाधिक दूर हो रहे थे। इसने मुझे प्रभु द्वारा फरीसियों को उजागर किए जाने की याद दिला दी : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो : इसलिये तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा(मत्ती 23:13-14)। बिशपों और याजकों ने सभी को अपने अधिकार में कर लिया था और लोगों को प्रभु की वापसी का स्वागत करने से रोक दिया था। यह शास्त्रियों और फरीसियों से भिन्न कैसे था? क्या वे दुष्ट सेवक नहीं थे, जिन्हें परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य उजागर करता है? उनके लिए जमीर रखना ही प्रभु के साथ वास्तविक विश्वासघात होगा।

बाद में अन्य प्रांतों के पादरियों को भी पता चल गया कि मैंने अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य स्वीकार लिया है। कई पल्लियों के बिशपों और याजकों ने मुझे घेर लिया। वे दोषारोपण, हमलों और निंदा से भरे हुए थे और कह रहे थे कि चमकती पूर्वी बिजली में मेरा विश्वास प्रभु के साथ विश्वासघात है, कि मैं एक गद्दार हूँ और मुझे धिक्कारा जाना चाहिए। सबसे बुरी बात यह थी कि उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को कलंकित और कलुषित करने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करने के लिए चीजें गढ़ीं और तथ्य तोड़-मरोड़कर पेश किए। कोई शांति से मेरी बात सुनने वाला नहीं था। मैं आगबबूला हो गया—परमेश्वर के लिए काम करते दिख रहे ये लोग ऐसे कैसे हो सकते हैं? उनके मुँह से निकली हर बात तिरस्कार और ईशनिंदा थी, परमेश्वर से अत्यधिक नफरत करने वाली थी! कुछ देर के लिए ऐसा लगा कि कोई चीज मेरे दिल को कसकर जकड़ रही है और मुझे शांति नहीं मिल पाई। मैं जानता था कि उनके द्वारा मेरी इस तरह निंदा करने और मुझे इस तरह नकारने से उनके पल्लीवासी भी मेरे साथ निश्चित रूप से ऐसा ही व्यवहार करेंगे। मैं चाहे कहीं भी जाऊँ, मैं उनकी बदनामी और अफवाहों में डूबा रहूँगा। यह मेरे लिए बहुत दर्दनाक और निराशाजनक था। तब मुझे याद आया कि प्रभु ने क्या कहा था : “धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएँ और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें(मत्ती 5:11)। परमेश्वर देहधारण कर मानवजाति को बचाने के लिए धरती पर आया और धार्मिक दुनिया की निंदा और तिरस्कार सहे, लेकिन फिर भी उसने हमें बचाने के लिए सत्य व्यक्त किए। उसकी तुलना में मेरा यह दुःख क्या था? परमेश्वर का अनुसरण करने और सत्य और जीवन प्राप्त करने के लिए थोड़ा कष्ट सहन करने योग्य है। इस बारे में इस तरह से सोचते हुए मुझे अब अन्य लोगों की आलोचना या निंदा की चिंता नहीं रही। वे मेरा त्याग और निंदा कर सकते हैं, लेकिन मैंने प्रभु का स्वागत किया था, उसके वचन पढ़े थे, उसका सिंचन और पोषण प्राप्त किया था। यह सबसे बड़ा आशीष था। यह वास्तव में सुकून देने वाला था और इससे मुझे शांति का एहसास हुआ। अपनी पुरानी कलीसिया में मैं आध्यात्मिक रूप से पोषित नहीं था और अँधेरे में जी रहा था। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने पर मुझे सत्य का पोषण मिल रहा था और मैं उद्धार को करीब देख पा रहा था। यह मरकर लौट आने जैसा था। मुझे अनंत जीवन का मार्ग मिल गया था, और कैथोलिक पादरी चाहे मेरी कितनी भी निंदा और मुझे कितना भी बाधित करें, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करूँगा। इसके बाद मैंने परमेश्वर के वचनों का यह अंश पढ़ा : “परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय विघ्न से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाजी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का विघ्न था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाजी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गया कि बाहरी तौर पर बिशप और याजक हमला कर मुझे दबा रहे थे, लेकिन इसके पीछे शैतान मुझे परेशान कर रहा था और मेरी परीक्षा ले रहा था। बिशपों और याजकों के जरिये शैतान मुझे परमेश्वर को धोखा देने को लुभाने के लिए धन, शक्ति और प्रतिष्ठा का उपयोग कर रहा था। जब उन्हें वह नहीं मिला जो वे चाहते थे, तो वे मुझ पर भड़क उठे—वे मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपनी आस्था छोड़ने और उसका उद्धार खो देने के लिए मजबूर करना चाहते थे। मैं शैतान की चालों में नहीं फँस सकता था। जितनी ज्यादा पादरियों ने मेरी आलोचना की और मुझ पर हमला किया, उतना ही ज्यादा मैंने इसका सच देखा कि कैसे वे परमेश्वर का विरोध और सत्य से घृणा करते थे। उनमें से एक भी व्यक्ति ने परमेश्वर के प्रकटन की खोज या लालसा नहीं की। वे अहंकारी थे और सत्य स्वीकारने में असमर्थ थे। वे सभी आधुनिक काल के फरीसी थे, जो परमेश्वर के विरुद्ध कार्य कर रहे थे।

बीस दिन बाद, एक सुबह जब सूरज उग ही रहा था, मैं कलीसिया में कुछ ब्रदर, सिस्टर और उन पल्लीवासियों के साथ प्रार्थना कर रहा था, जिन्होंने अभी-अभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकारा था। तभी याजक वांग और ली उपयाजकों और कुछ ऐसे पल्लीवासियों के साथ आए, जो श्रद्धालु नहीं थे—तकरीबन 70 लोग कलीसिया के प्रांगण में घुस आए। उनके चेहरे बहुत खतरनाक दिखाई दे रहे थे और मुझे लगा कि वे भाई-बहनों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। मैं काफी डर गया और मैंने जल्दी से परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर! मेरा आध्यात्मिक कद छोटा है, कृपया मुझे आस्था और शक्ति दो, ताकि मैं इन मसीह-विरोधी धार्मिक ताकतों के आगे न झुकूँ।” प्रार्थना के बाद मुझे शांति महसूस हुई और उतना डर नहीं लगा। मैं बहुत शांति से उनके पास पहुँचा और बोला, “फादर वांग, फादर ली, आप इन सब लोगों को यहाँ क्यों लाए हैं?” याजक वांग ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा, “तुमने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकारा है, और इससे भी बुरी बात यह है कि तुमने पल्लीवासियों को भी इसमें शामिल कर लिया है! प्रभु की वापसी का स्वागत करना एक बड़ी बात है, लेकिन तुम हमसे चर्चा किए बिना गुप्त रूप से चमकती पूर्वी बिजली के पास चले गए। तुम विद्रोह कर रहे हो! क्या तुम प्रभु के वचन भूल गए हो? बाइबल कहती है : ‘उस समय यदि कोई तुम से कहे, “देखो, मसीह यहाँ है!” या “वहाँ है!” तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें(मत्ती 24:23-24)। प्रभु के दूसरे देहधारण की हर खबर झूठी है। तुम्हें गुमराह किया गया है और तुमने प्रभु को धोखा दिया है, और तुम्हें एक आखिरी मौका मिल रहा है। चमकती पूर्वी बिजली को छोड़ दो और दूसरों को वापस ले आओ, और तुम याजक बने रहोगे।” मैंने बहुत दृढ़ता से कहा, “फादर वांग, आप मेरे साथ जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन हमें सच्चे मार्ग की जाँच करने, परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु की वापसी का स्वागत करने से रोकना बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह सच है कि अंत के दिनों में लोगों को गुमराह करने वाले झूठे मसीह और झूठे नबी हैं, लेकिन प्रभु ने कहा था कि वह निश्चित रूप से वापस आएगा। झूठे मसीहों द्वारा धोखा दिए जाने के डर से हम प्रभु की वापसी का स्वागत करने से नहीं चूक सकते। क्या यह गले में खाना अटकने के डर से खाना छोड़ देने जैसा नहीं है? प्रभु यीशु ने हमें झूठे मसीहों से इसलिए सावधान रहने को कहा था, क्योंकि वे सत्य व्यक्त नहीं कर सकते, बल्कि सिर्फ चिह्नों और चमत्कारों से लोगों को गुमराह कर सकते हैं। केवल देहधारी मसीह ही सत्य व्यक्त कर सकता है, मानवजाति को जीवन प्रदान कर सकता है और हमें परमेश्वर के राज्य में जाने के लिए उद्धार का मार्ग दिखा सकता है। मसीह दैहिक रूप में परमेश्वर का आत्मा है और उसमें दिव्य सार है, इसलिए केवल वही मनुष्यों को पोषित कर उनकी चरवाही करने के लिए सत्य व्यक्त कर सकता है, केवल वही परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकता है और मनुष्य को छुड़ाने और बचाने का कार्य पूरा कर सकता है। कोई मनुष्य ऐसा नहीं कर सकता और कोई मनुष्य इसकी नकल नहीं कर सकता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट हो गया है और अंत के दिनों में कार्य कर रहे हैं, परमेश्वर की 6,000-वर्षीय प्रबंधन-योजना और देहधारणों के रहस्य उजागर कर रहा है, मानवजाति को शुद्ध कर बचाने के लिए आवश्यक सभी सत्य व्यक्त कर रहा है। केवल स्वयं परमेश्वर ही यह सब कार्य कर सकता है। परमेश्वर के अलावा और कौन सत्य व्यक्त कर सकता है? अंत के दिनों में और कौन न्याय का कार्य कर सकता है? और कौन मानवजाति को शुद्ध कर पूरी तरह से बचा सकता है? कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का इतने सारे सत्य व्यक्त करना पूरी तरह से साबित करता है कि वह लौटकर आया प्रभु यीशु है, अंत के दिनों का मसीह है।” याजक वांग ने आँखें दिखाईं और मेरी ओर इशारा कर कहा, “हमें परवाह नहीं कि तुम कितने सही हो! चूँकि तुम वापस मुड़ना नहीं चाहते और चमकती पूर्वी बिजली के प्रति संकल्पबद्ध हो, इसलिए बिशपों ने हमें तुम्हें चेतावनी देने के लिए कहा है—तुम्हें तुरंत चमकती पूर्वी बिजली का प्रसार करना बंद करके उनकी किताबें हमें सौंप देनी चाहिए।” फिर याजक ली ने कहा, “कलीसिया की चाबियाँ सौंप दो, और चमकती पूर्वी बिजली के उस प्रचारक को भी!” तभी याजक वांग ने पल्लीवासियों को आदेश दिया, “इस जगह तलाशी लो और चमकती पूर्वी बिजली की सभी पुस्तकें ढूँढ़ो! ये उन पुस्तकों के बिना अपनी आस्था का अभ्यास नहीं कर सकते।” फिर उन्होंने उनमें से कुछ को मुझे एक जगह रोककर रखने को कह दिया। एक उपयाजक मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर चिल्लाया, “तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास नहीं कर सकते! अगर तुम हमारे याजक नहीं रहे, तो हम क्या करेंगे? तुम्हें हमें स्वर्ग जाने की राह दिखानी है...।” मैं उनसे बचकर नहीं निकल पाया। मैं बस इतना ही कर पाया कि असहाय होकर देखता रहा, जबकि अन्य लोग अपने बेलचे और फावड़े लेकर कलीसिया के प्रांगण में घुस गए, फिर मैंने खिड़कियों और दरवाजों के टूटने की आवाजें सुनीं। मुझे बहुत गुस्सा आया और चिंता हुई—भाई चेन गुआंग, जिसने सुसमाचार साझा किया था, अंदर था। अगर वह उनके हाथ लग गया, तो दिक्कत हो जाएगी। वहाँ के पल्लीवासी अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के लिए नए थे और उनकी नींव अच्छी नहीं थी। मुझे डर था कि उनमें इस तरह के व्यवधान के आगे मजबूती से खड़े होने की ताकत नहीं होगी। जल्दी ही, उन्होंने कलीसिया का हर कमरा उलट-पुलट दिया। यहाँ तक कि उन्होंने मुख्य वेदी भी उलट-पलट दी। उन्हें परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें नहीं मिलीं और वे छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं थे। वे कलीसिया के सदस्यों के घरों में घुस गए, उन्हें डराया-धमकाया और अफवाहें फैलाईं, और उनमें से अधिकांश से परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें ले लीं। चेन गुआंग को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि वह फर्श से उठ नहीं सका; याजकों ने यह तक कहा कि वे उसे पुलिस के पास ले जाएँगे। मैंने आगबबूला होकर उनसे कहा, “चेन गुआंग एक सच्चा विश्वासी है। उसे इतनी बुरी तरह से पीटना और पुलिस के पास ले जाने की धमकी तक देना—क्या आपके पास जमीर भी है? क्या आप परमेश्वर के विश्वासी हैं? परमेश्वर धार्मिक है, और जो लोग बुराई और उसका विरोध करते हैं, उन्हें निश्चित रूप से इसका प्रतिफल मिलेगा।” मेरे यह कहने पर याजक और उपयाजक उसे पुलिस के पास नहीं ले गए। तब याजक वांग ने मुझसे कहा, “बिशपों और याजकों के सिर्फ अच्छे इरादे हैं, मुझे आशा है कि तुम इसे समझोगे। हमारे साथ वापस बिशप हाउस चलो।” मैंने उनसे कहा, “मैं आपके साथ नहीं जा रहा हूँ। मैंने परमेश्वर की वाणी सुन ली है और मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल रहा हूँ। मैं इस रास्ते पर चल पड़ा हूँ!” इसके बाद वे मायूस होकर चले गए।

उस रात मैं बस बिस्तर पर पड़ा रहा, सो नहीं पाया। दिन भर की घटनाएँ मेरे दिमाग में चलचित्र की तरह चलती रहीं। मेरे मन में उथल-पुथल मची थी। मैं सोच रहा था कि बिशप और याजक, प्रभु के आजीवन सेवक, हमारे सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से इतनी नफरत कैसे कर सकते हैं। कलीसिया आराधना-स्थल होती है, लेकिन उनमें वास्तव में उसे तोड़ने, सुसमाचार साझा करने वाले एक भाई को मारने और विश्वासियों से परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें ले लेने का माद्दा था। वे किसी भी तरह की बुराई करने में सक्षम थे! याजकों के सरकारी संपर्क थे, इसलिए पता नहीं, कब वे मेरी शिकायत पुलिस से कर दें। मैंने हमेशा आधिकारिक कलीसिया में शामिल होने से इनकार किया था और राजनीतिक सुरक्षा अनुभाग का प्रमुख मुझे हमेशा अपनी आँख की किरकिरी समझता था। उसने मुझे पहले भी यह कहते हुए धमकी दी थी कि मेरे थ्री-सेल्फ़ कलीसिया में शामिल न होने की वजह से प्रांतीय सार्वजनिक सुरक्षा विभाग और नगर सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो ने उसकी आलोचना की है, और मौका मिलने पर वह मुझे मेरी औकात दिखाएगा। अब, अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के एक विश्वासी के रूप में मैं पुलिस के हत्थे चढ़ गया, तो वे मुझे यातना देकर मार भी सकते हैं। धार्मिक जगत द्वारा तिरस्कृत और निंदित किया जाना और पार्टी द्वारा पीछा किया जाना मेरे लिए वास्तव में पीड़ादायक था। मैं बस प्रभु के पदचिह्नों का अनुसरण कर रहा था, अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण कर रहा था। यह इतना कठिन क्यों था? मैं उस रात बिल्कुल भी सो नहीं सका। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, कृपया मेरी मदद करो और मुझे आस्था और शक्ति दो, ताकि मैं अपनी दैहिक कमजोरी पर काबू पा सकूँ और इस स्थिति में अडिग रह सकूँ।” फिर मैंने परमेश्वर के वचनों के एक भजन के बारे में सोचा, जो मैंने सीखा था :

1  सर्वशक्तिमान परमेश्वर, समस्त पदार्थों का मुखिया, अपने सिंहासन से अपनी राजसी शक्ति का निर्वहन करता है। वह समस्त ब्रह्माण्ड और सब वस्तुओं पर राज और सम्पूर्ण पृथ्वी पर हमारा मार्गदर्शन करता है। हम हर क्षण उसके समीप होंगे, और एकांत में उसके सम्मुख आयेंगे, एक पल भी नहीं खोयेंगे और हर समय कुछ न कुछ सीखेंगे। हमारे इर्द-गिर्द के वातावरण से लेकर लोग, विभिन्न मामले और वस्तुएँ, सबकुछ उसके सिंहासन की अनुमति से अस्तित्व में हैं। किसी भी वजह से अपने दिल में शिकायतें मत पनपने दो, अन्यथा परमेश्वर तुम्हें अनुग्रह प्रदान नहीं करेगा।

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4  विश्वास एक ही लट्ठे से बने पुल की तरह है : जो लोग घृणास्पद ढंग से जीवन से चिपके रहते हैं उन्हें इसे पार करने में परेशानी होगी, परन्तु जो आत्म बलिदान करने को तैयार रहते हैं, वे बिना किसी फ़िक्र के, मज़बूती से कदम रखते हुए उसे पार कर सकते हैं। अगर मनुष्य कायरता और भय के विचार रखते हैं तो ऐसा इसलिए है कि शैतान ने उन्हें मूर्ख बनाया है क्योंकि उसे इस बात का डर है कि हम विश्वास का पुल पार कर परमेश्वर में प्रवेश कर जायेंगे। ...

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 6

इस भजन को बार-बार गुनगुनाने से मुझे कुछ आंतरिक शक्ति मिली। यह सच है—ब्रह्मांड में सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है, जिसमें मेरा भाग्य भी शामिल है, इसलिए मुझे गिरफ्तार किया जाएगा या नहीं, यह भी परमेश्वर पर निर्भर है। शैतान मेरी कमजोरियाँ जानता था और शोहरत, हैसियत और गिरफ्तारी के खतरे का इस्तेमाल मुझ पर हमला करने और मुझसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धोखा दिलवाने के लिए कर रहा था। परमेश्वर इस स्थिति का उपयोग मेरी आस्था पूर्ण करने और यह देखने के लिए के लिए कर रहा था कि मुझमें उसका अनुसरण करते रहने के लिए सब-कुछ त्यागने का संकल्प है या नहीं। मैं उनके दबाव से पीड़ित था, लेकिन मैं परमेश्वर का मार्गदर्शन महसूस कर पाया, और उसमें मेरी आस्था बढ़ गई। मुझे याद आया कि प्रभु ने कहा था : “क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा(मत्ती 16:25)। मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए प्रभु यीशु धार्मिक दुनिया और सरकार द्वारा सूली पर चढ़ाया गया था। उसका अनुसरण करने वाले तमाम शिष्य सताए गए। उन्हें पत्थर मारकर, घोड़ों से खिंचवाकर मार डाला गया या फाँसी पर लटका दिया गया। वे सुसमाचार का प्रसार करने, सुंदर गवाही प्रदान करने के लिए शहीद हुए, और उन्हें परमेश्वर की स्वीकृति मिली। परमेश्वर का अनुसरण करना क्रूस का मार्ग अपनाना है। प्रभु यीशु पहले ही हमारे लिए एक आदर्श के रूप में कार्य कर चुका है—हमें उस कड़वे प्याले से पीना चाहिए जिससे उसने पिया था, और उस मार्ग पर चलना चाहिए जिस पर वह चला था। अब जबकि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण कर रहा था, तो भले ही इसका मतलब यह हो कि मुझे कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया जाएगा, लेकिन यह धार्मिकता के लिए उत्पीड़न सहना होगा। इसे परमेश्वर की स्वीकृति मिलेगी और यह महिमामय होगा। इसके बाद मुझे चाहे जिस भी चीज का सामना करना पड़े, मैं इसके लिए अपनी जान तक देने, बिल्कुल अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए तैयार था।

बाद में मैंने सोचा कि आखिर क्यों बिशपों और याजकों ने अंत के दिनों के परमेश्वर के सुसमाचार की खोज या जाँच नहीं की और वे उसके प्रति इतने प्रतिरोधी क्यों थे। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में यह पढ़ा : “क्या तुम लोग कारण जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन सत्य का अनुसरण नहीं किया। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के बस नाम के साथ चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का पालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या यह सोच हास्यास्पद और बेतुकी नहीं है?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)। परमेश्वर के वचन पढ़कर मैंने जाना कि फरीसियों ने प्रभु यीशु का विरोध इसलिए किया, क्योंकि वे हठी, अहंकारी और सत्य से घृणा करते थे। उन्होंने प्रभु यीशु के वचन सुने, लेकिन यह नहीं स्वीकारा कि उसने सत्य बोला। उन्होंने देखा कि प्रभु यीशु ने अंधों को आँखें दीं, कोढ़ियों को चंगा किया और मरे हुओं को फिर से जीवित किया, बहुत सारे चिह्न और चमत्कार दिखाए, लेकिन फिर भी उन्होंने यह नहीं स्वीकारा कि वह वो मसीहा, स्वयं परमेश्वर था, जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी। वे आश्वस्त थे कि प्रभु यीशु केवल एक मनुष्य है, उन्होंने यह कहते हुए उसकी निंदा तक की कि वह राक्षसों के राजकुमार के जरिये राक्षस बाहर निकालता है। उन्होंने पवित्र आत्मा का कार्य नहीं पहचाना, सत्य नहीं स्वीकारा, न ही परमेश्वर के वचनों का पालन किया। वे “मसीहा” नाम से चिपके रहे और अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर अड़े रहे, अंततः प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। अब प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है, मानवजाति का न्याय कर उसे शुद्ध करने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है, और खुले तौर पर परमेश्वर का धार्मिक और प्रतापी स्वभाव प्रदर्शित कर रहा है जो कोई अपमान बरदाश्त नहीं करता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन शक्तिशाली और अधिकारपूर्ण हैं, उन्होंने हर संप्रदाय से परमेश्वर के सच्चे विश्वासियों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है। वे सभी स्वीकारते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं और वे कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं। लेकिन बिशप और याजक धर्मग्रंथों के शब्दों और अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं, अहंकारपूर्वक प्रभु के लौटकर पहले उन्हें प्रकाशन देने की प्रतीक्षा करते हैं। वे सत्य की तलाश नहीं करते, न ही परमेश्वर की वाणी सुनने की थोड़ी भी कोशिश करते हैं, बल्कि पागलपन की हद तक लोगों को परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य स्वीकारने से रोकते हैं। ये सब चीजें जो वे करते हैं, सत्य और परमेश्वर से घृणा करने वाले उनके असली चेहरे को प्रकट करती हैं। वे पूरी तरह से आधुनिक काल के फरीसी हैं।

उनके कलीसिया में तोड़फोड़ करने के बाद मैं कुछ ब्रदर और सिस्टर के साथ निकल गया, जो सुसमाचार साझा करना चाहते थे। कुछ दिनों बाद एक भाई ने मुझे संदेश भेजा कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे वापस नहीं आना है—मेरे जाने के एक ही दिन बाद पुलिस मुझे गिरफ्तार करने के लिए कलीसिया गई थी। जब उसने मुझे नहीं पाया, तो वह कलीसिया में डेरा डालकर मेरा इंतजार कर रही थी। उसने कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने अभी-अभी सुसमाचार स्वीकारा था, और उनसे मेरा पता-ठिकाना बताने की माँग की। उस भाई ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा ब्रिगेड के कप्तान के पास मेरे बारे में कई पल्ली के उपयाजकों की एक संयुक्त रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया था कि मैं थ्री-सेल्फ कलीसिया में शामिल नहीं हुआ था और मैंने अन्य उपयाजकों और याजकों से भी उसमें शामिल न होने को कहा था, इसलिए मैं सीधे तौर पर सरकार का विरोध कर रहा था। उस कप्तान ने कहा कि चमकती पूर्वी बिजली का प्रचार करना ऐसा अपराध है जिसकी सजा मौत है, और वे मुझे गोली मारकर किसी को भी खत्म सकते हैं। पुलिस ने भाई-बहनों को यह कहकर धमकाया कि अगर उन्होंने मेरा पता-ठिकाना नहीं बताया, तो उन्हें अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है। जब मैंने खबर सुनी, तो मुझे बहुत गुस्सा आया। पार्टी मुझे वर्षों से लगातार परेशान कर रही थी और मुझ पर थ्री-सेल्फ में शामिल होने का दबाव बना रही थी। अब जबकि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण कर रहा था और अंत के दिनों का सुसमाचार साझा कर रहा था, तो मैं उनकी आँख में वाकई चुभने लगा था। वे मुझे गिरफ्तार करना चाहते थे और मुझे तुरंत मार डालना चाहते थे। कम्युनिस्ट पार्टी के वे राक्षस नीच हैं! मैं अपने दिल में जानता था कि बिशपों और याजकों की अनुमति के बिना उपयाजकों ने खुद से मेरी रिपोर्ट नहीं करते। ऐसा करना उनकी पापी और दुष्ट प्रकृति और भी स्पष्ट रूप से दिखाता था। मैंने फरीसियों के बारे में सोचा—यहूदी विश्वासियों को प्रभु यीशु का उद्धार स्वीकारने से रोकने के लिए उन्होंने रोमन सरकार के साथ मिलकर प्रभु को क्रूरतापूर्वक सूली पर चढ़ाने का काम किया था और उसके शिष्यों का पीछा कर उन्हें सताया था। अब पादरी शैतानी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ काम कर रहे थे, ताकि मेरा पीछा कर मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के खिलाफ होने पर मजबूर किया जा सके। वे पहले के फरीसियों से अलग नहीं थे।

उपयाजकों की रिपोर्ट के कुछ ही समय बाद पुलिस मेरे मेजबानों के घर पर नजर रखने लगी, इसलिए भाई-बहनों ने मुझे फौरन छिपाकर बाहर भेज दिया। अगले दिन मुझे पता चला कि मेजबान दंपती को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने उन्हें मेरी एक फोटो दिखाकर जानना चाहा था कि मैं कहाँ हूँ। उसके बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए मुझे लगातार जगह बदलते रहना पड़ा। मैं हमेशा कम्युनिस्ट पार्टी से बचने की कोशिश में छिपा रहता था और सोचता था कि आखिर ये दिन कब खत्म होंगे। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान मेरे चाचा को कैथोलिक होने के कारण पीट-पीटकर मार डाला गया था और उनके शरीर पर जंजीरों से पीटने और गर्म लोहे से दागने के निशान पड़ गए थे। वह अभी भी मेरे दिमाग में छपा हुआ है। मुझे डर था—अगर मैं पार्टी के हाथ लग गया, तो वे मुझे किस तरह प्रताड़ित करेंगे?

तब मैंने परमेश्वर के वचनों का एक भजन सुना :

सत्य के लिए तुम्हें सब कुछ त्याग देना चाहिए

1  तुम्हें सत्य के लिए कष्ट उठाने होंगे, तुम्हें सत्य के लिए समर्पित होना होगा, तुम्हें सत्य के लिए अपमान सहना होगा, और अधिक सत्य प्राप्त करने के लिए तुम्हें अधिक कष्ट उठाने होंगे। यही तुम्हें करना चाहिए। एक शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन के लिए तुम्हें सत्य का त्याग नहीं करना चाहिए, और क्षणिक आनन्द के लिए तुम्हें अपने जीवन की गरिमा और सत्यनिष्ठा को नहीं खोना चाहिए।

2  तुम्हें उस सबका अनुसरण करना चाहिए जो खूबसूरत और अच्छा है, और तुम्हें अपने जीवन में एक ऐसे मार्ग का अनुसरण करना चाहिए जो ज्यादा अर्थपूर्ण है। ...

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान

गाते हुए मैंने भजन के अर्थ के बारे में सोचा। ऐसा करने से मुझे परमेश्वर की इच्छा की बेहतर समझ मिली और मेरी आस्था बढ़ी। परमेश्वर का विरोध करने वाले इस राष्ट्र चीन में, परमेश्वर का अनुसरण करने और सत्य प्राप्त करने के लिए कुछ पीड़ा सहना आवश्यक है। केवल कठिनाइयों और परीक्षणों द्वारा ही हमारी आस्था पूर्ण की जाती है और हम बहुत-सी चीजों का विवेक प्राप्त करते हैं। धार्मिक दुनिया द्वारा मुझे नकारकर मेरे साथ विश्वासघात इसलिए किया गया, क्योंकि मैं अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण कर रहा था, और अब बड़े लाल अजगर द्वारा मेरा पीछा किया जा रहा था और मैं हमेशा भागता रहता था। मैं रोजाना चिंतित रहता था और बहुत पीड़ित था। लेकिन इन अनुभवों ने मुझे यह वास्तविकता और ज्यादा स्पष्ट रूप से देखने में मदद की कि पादरी सत्य और परमेश्वर से से घृणा करते हैं। मैंने सच में परमेश्वर के मार्गदर्शन का भी अनुभव किया। जब भी मैं दुखी और कमजोर हुआ, परमेश्वर ने मुझे अपनी इच्छा समझने में मेरा मार्गदर्शन किया, मुझे मजबूत किया और मुझे आस्था दी, ताकि मैं कमजोर और भयभीत न रहूँ। मैं महसूस कर सकता था कि परमेश्वर मेरा मार्गदर्शन कर रहा है और मुझ पर नजर रख रहा है। हालाँकि इसमें काफी दुख था, लेकिन इसका अर्थ और मूल्य था। अगर मैं गिरफ्तार भी हो गया, तो मैं जानता था कि यह परमेश्वर की अनुमति से होगा, और मैं उसके आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होने के लिए तैयार था। चाहे चीजें कितनी भी कठिन क्यों न हो जाएँ, मैं परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए तैयार था!

हालाँकि मैंने कलीसिया छोड़ दी थी, फिर भी पादरी मुझे सुसमाचार फैलाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करते रहे। एक दिन मैं बस स्टेशन पर किसी से मिलने गया, और जैसे ही मैं बाहर निकला, कई लोगों ने अचानक मेरे चारों ओर से घेरकर मुझे पकड़ लिया। मैं बिल्कुल चकित था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। फिर, मेरे कुछ परिजन और रिश्तेदार एक कार से बाहर निकले और बिना कुछ बताए उन्होंने मुझे उसमें ठूँस दिया। बाद में मुझे पता चला कि बिशपों ने एक उपयाजक से मेरे परिवार और कुछ पल्लीवासियों को बुलाकर यह बताने के लिए कहा था कि मैं चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गया हूँ, दिमाग पर असर करने वाली नशीली दवाओं के इंजेक्शन लगवाने और उन्हें खाने से मेरा दिमाग खराब हो गया है, मैं याजक नहीं बनना चाहता और पैसे की भी परवाह नहीं करता। उन्होंने कहा कि मुझे नियंत्रित किया जा रहा है और मैं प्रभु से की गई अपनी प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध जा रहा हूँ—कि मैंने एक विधवा से विवाह किया है और मेरे बच्चों की उम्र तक बताई। उन्होंने मेरे परिवार और रिश्तेदारों से कहा कि वे मुझे वापस लाने के लिए बिशपों के साथ मिलकर काम करें, ताकि मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने और सुसमाचार साझा करने से रोका जा सके। मेरा परिवार पादरियों का बहुत सम्मान करता था और उसे उनकी बातों पर पूरा विश्वास था, इसलिए उन्होंने बिशपों की बात सुनी और मुझे लेने आ गए। उन अफवाहों को सुनकर मैं आगबबूला हो गया, मैंने और भी स्पष्ट रूप से देखा कि पादरी देह में एक राक्षस हैं। बाइबल में कहा गया है : “तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं। जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है(यूहन्ना 8:44)। केवल राक्षस ही इतनी बेहूदगी से झूठ बोलते और अफवाहें फैलाते हैं, और लोगों को धोखा देने के लिए झूठी गवाही देते हैं।

फिर मेरा परिवार मुझे जबरदस्ती बिशप के घर ले गया। बिशप झाओ मुझे झूठे आलिंगन में लेकर मुस्करा रहे थे : “तुम वापस आ गए—खोई हुई भेड़ घर आ गई है।” फिर उन्होंने बाकी सभी को जाने के लिए कहा, ताकि वे मुझसे अकेले में बात कर सकें। उन्होंने कहा, “पहले तुम आगे की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी जाना चाहते थे, लेकिन हम नहीं माने थे। इस बार हम तुम्हारे तमाम अनुरोध मान लेंगे और तुम जिस भी विश्वविद्यालय में जाना चाहो, जा सकते हो। बहुत सारे दिव्यता-विद्यालयों में प्रशिक्षकों की कमी है और कई पल्लियों में याजकों का अभाव है। अगर तुम विश्वविद्यालय न जाना चाहो, तो किसी दिव्यता-विद्यालय में प्रशिक्षक हो सकते हो या याजक के रूप में सेवा करने के लिए अपनी पसंद की पल्ली चुन सकते हो। तुम अब युवा नहीं रहे हो और हाल के वर्षों में तुमने कठिन समय बिताया है। हमारे पास तुम्हारे लिए पैसा, कार और घर तैयार है। तुम्हें अपनी पेंशन के बारे में चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। बस चमकती पूर्वी बिजली छोड़कर याजक बन जाओ, और तुम्हें कोई चिंता नहीं होगी।” उनकी यह बात सुनकर मुझे बहुत घृणा हुई। वे सभी बिशप रुतबे, पैसे और शोहरत के बारे में ही सोचते थे। वे प्रभु में विश्वास करते थे, लेकिन उसके वचनों का पालन नहीं करते थे। उन्होंने इस खबर की बिल्कुल भी खोज या जाँच नहीं की कि प्रभु वापस आ गया है—अपने रुतबे और प्रसिद्धि की रक्षा के लिए वे पागलों की तरह दूसरों को अंत के दिनों का परमेश्वर का सुसमाचार स्वीकारने से रोकते थे। क्या उनका रुतबा और प्रसिद्धि वास्तव में उन्हें पाप से बचा सकती है? इसलिए मैंने बिशप झाओ से कहा, “बिशप जी, मुझे इनमें से कुछ नहीं चाहिए। जब शैतान ने प्रभु यीशु को प्रलोभन दिया, तो उसने धन और प्रसिद्धि का उपयोग करके उसे अपने सामने झुकाने की कोशिश की। तो ये चीजें जो आप कह रहे हैं, वास्तव में किससे आती हैं? जब आपने याजक के रूप में मेरा अभिषेक किया था, तो हमने क्रूस उठाकर जीवन भर प्रभु के पीछे चलने की शपथ ली थी। अब प्रभु लौट आया है और मैं उसका अनुसरण करने के लिए संकल्पबद्ध हूँ। यहाँ तक कि अगर पोप भी सभी को मेरे खिलाफ कर दें और उनसे मुझे अस्वीकार करवा दें, तो भी मैं नहीं रुकूँगा!” जब बिशप झाओ ने देखा कि वे मुझे बहका नहीं सकते, तो उन्होंने मुझे चेतावनी दी, “बेहतर होगा कि तुम कलीसिया के सदस्यों को चमकती पूर्वी बिजली के बारे में बताना बंद कर दो!” मैंने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। फिर वे मुझे भोजन के लिए बाहर ले गए, जहाँ मेरे कुछ रिश्‍तेदार भी थे। उनमें से एक ने मुझसे कहा, “पीढ़ियों से हमारे परिवार से एकमात्र तुम ही याजक बने हो, तुम हमारे परिवार का गौरव हो। हमने कभी नहीं सोचा था कि तुम चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो जाओगे। तुम्हारे पिता अब 80 वर्ष के हो चुके हैं और तुम अपने माता-पिता की देखभाल करने के बजाय चमकती पूर्वी बिजली का प्रचार कर रहे हो। तुमने याजक का पद भी छोड़ दिया है। यह प्रभु के साथ विश्वासघात है और तुम इसके लिए नरक जाओगे!” फिर मेरे भाई ने हस्तक्षेप किया, “तुम याजक बन पाओ, इसके लिए मैंने बहुत-कुछ सहा! जब तुम दिव्यता-विद्यालय में थे, तो हमें खाने के भी लाले पड़े थे, और मैं तुम्हें भोजन और पैसे दिलाने के लिए संघर्ष कर रहा था। तुम्हें याजक का पद दिलाना आसान नहीं था। लेकिन अब तुम चमकती पूर्वी बिजली के साथ हो—तुमने प्रभु को धोखा दिया है। तुम याजक नहीं हो और पैसे की परवाह नहीं करते। क्या तुम्हारा दिमाग फिर गया है?” मैंने जवाब दिया, “यह सच है कि मुझे याजक बनने के लिए तुम्हारे सहारे की जरूरत थी, लेकिन तुम्हारे यह कहने का क्या मतलब है कि मैं अपने माता-पिता की देखभाल करने के लिए घर नहीं जाऊँगा? याजक का पद प्राप्त करते समय मैंने प्रभु से प्रतिज्ञा की थी कि मैं जीवन भर उसकी सेवा करने के लिए अपना घर, परिवार और विवाह का अवसर छोड़ दूँगा। बाइबल में कहा गया है : ‘जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं; और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं; और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं(मत्ती 10:37-38)। तुम कहते हो कि मुझे सुसमाचार साझा करना छोड़ देना चाहिए और संतानोचित कर्तव्य निभाने के लिए घर जाना चाहिए, लेकिन क्या यह प्रभु के वचनों के अनुरूप है? हमारी आस्था का अर्थ है क्रूस उठाना और सुसमाचार साझा करना, उसे हर परिवार और घर में ले जाना। अब प्रभु वापस आ गया है और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है, इसलिए यह सुसमाचार साझा करना एक बहुत ही धार्मिक कार्य है। मैं प्रभु के साथ विश्वासघात नहीं कर रहा, बल्कि उसके पदचिह्नों पर चल रहा हूँ...।” इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी कर पाता, मेरा भाई यह कहते हुए मुझे मारने को हुआ कि मैंने हमारे परिवार की पीढ़ियों को शर्मिंदा कर दिया है और अगर मैंने सुसमाचार साझा करना जारी रखा, तो वह मेरे पैर तोड़ देगा। उसने कुछ ईशनिंदा की बातें भी कहीं। इसके बाद बिशप झाओ ने मुझे वहीं रखा और यह कहते हुए मुझे जाने नहीं दिया कि मुझे चिकित्सा की आवश्यकता है। अगर मैं गया, तो मेरा पीछा किया जाएगा—मुझे लगा कि मैं एक अपराधी की तरह हूँ, जो किसी तरह आजाद नहीं है। सौभाग्य से चौथे दिन मैंने परमेश्वर पर भरोसा किया और जब उनका ध्यान मेरी तरफ नहीं था, तो मैं वहाँ से भाग निकला और सुसमाचार साझा करना जारी रखने के लिए भाई-बहनों के पास लौट आया।

मैंने देखा कि पादरी न केवल लोगों को परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु का स्वागत करने से रोक रहे थे, बल्कि विश्वासियों को धोखा देने और उन्हें परमेश्वर के विपरीत मार्ग पर ले जाने के लिए हर तरह की चालें चल रहे थे और उन्हें बलि का बकरा बना रहे थे। मेरे परिवार का परमेश्वर के विरुद्ध काम करना और उसकी निंदा करना पूरी तरह से बिशपों के झूठ, निंदा और परमेश्वर पर हमलों का नतीजा था। मुझे याद आया कि जब प्रभु ने फरीसियों को शाप दिया था, तो उसने कहा था : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। ... हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो(मत्ती 23:13-15)। बिशप और याजक भी लोगों को धर्म में शामिल कराते थे, फिर सभी से अपनी बात मनवाते थे, परमेश्वर का विरोध करवाते थे और उन्हें नरक की संतान बनाते थे। वे लोगों की आत्माओं को भकोसने वाले राक्षस थे! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे ‘मज़बूत देह’ वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे दिखाया कि ये धार्मिक अगुआ वास्तव में किस तरह के लोग हैं। वे हमेशा पाप क्षमा करने के अपने अधिकार के बारे में शेखी बघारते हैं। जब विश्वासी पाप करते हैं, तो क्षमा प्राप्त करने के लिए उन्हें पादरियों के सामने घुटने टेककर पाप कबूलने पड़ते हैं। पादरी परमेश्वर का पद ग्रहण कर लोगों को धोखा देने का काम करते हैं, लोगों से अपनी आराधना करवाते हैं, अपना अनुसरण करवाते हैं और अपने साथ परमेश्वर जैसा व्यवहार करवाते हैं। इस हद तक धोखा खाने के बाद लोग परमेश्वर की वाणी सुनने और उसका अनुसरण करने के इच्छुक नहीं रह जाते। पल्लीवासियों की नजर में पादरी परमेश्वर के समान हो गए हैं। अब जबकि प्रभु वापस आ गया है और मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है, वे खोज या जाँच नहीं करते, न ही विश्वासियों को इसे स्वीकारने देते हैं। इसके बजाय, वे झूठ फैलाते हैं, आलोचना करते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा और बदनामी करते हैं। वे परमेश्वर या सत्य से प्रेम नहीं करते, केवल रुतबे और पैसे से प्रेम करते हैं और रुतबे के लाभों के लिए लालायित रहते हैं। अपने पद और आजीविका की रक्षा के लिए वे विश्वासियों को मजबूती से अपनी मुट्ठी में रखते हैं, परमेश्वर की सेवा करने का दावा करते हुए लोगों की आत्माओं को निगलते हैं। वे असली राक्षस हैं, कलीसिया में छिपे मसीह-विरोधी हैं जो सत्य से घृणा करते हैं और परमेश्वर के शत्रु हैं। समय-समय पर धार्मिक अगुआओं के प्रलोभनों और बाधाओं से गुजरते हुए मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि उनमें परमेश्वर-विरोधी और मसीह-विरोधी सार है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही थे, जिन्होंने मेरी समझ विकसित की और मुझे आस्था और शक्ति दी, ताकि मैं उनके प्रलोभनों और हमलों पर काबू पा सकूँ, धार्मिक दुनिया के इन मसीह-विरोधियों का सार देख सकूँ, उनके बंधनों से मुक्त हो सकूँ और परमेश्वर का अनुसरण कर सकूँ। मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य और जीवन हैं। मैं परमेश्वर के उद्धार के लिए बहुत आभारी हूँ!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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