स्वर्गिक राज्य के मार्ग पर चलने से मुझे कौन रोकता है?

07 दिसम्बर, 2022

अगस्त 2020 में, एक बहन ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की ऑनलाइन सभा में बुलाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर, खोज और जांच करके मुझे यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है। मैं बहुत प्रेरित और उत्साहित था। मेरे भाई भी प्रभु की वापसी की बाट जोह रहे थे। मैंने उन्हें जल्दी से खुशखबरी सुनानी थी, ताकि वे भी अंत के दिनों का परमेश्वर का कार्य स्वीकार सकें। इसलिए मैंने अपने बड़े भाई को सुसमाचार सुनाया, और उसने हमारे सबसे बड़े भाई, कलीसिया के अगुआ को प्रभु के आने की खबर सुनाई। आशा के विपरीत, सबसे बड़े भाई को पता चला तो वे उस रात जल्दी में मेरे घर आ पहुँचे... "हेंगशिन, तुमने कहा कि प्रभु यीशु वापस आ चुका है और कार्य का नया चरण कर रहा है? यह कैसे संभव है? प्रभु यीशु हमारे पाप क्षमा कर चुका है। लौटकर वह हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में उठा लेगा। भला वह नया कार्य कैसे कर सकता है?" "भाई, मुझसे नाराज न हों। हालाँकि प्रभु यीशु हमारे पाप क्षमा कर चुका है, लेकिन हम अब भी पाप करते हैं, हमारी पापी प्रकृति बरकरार है। परमेश्वर कहते हैं, 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्यव्यवस्था 11:45)। भाई, हम पवित्र हुए बिना प्रभु को नहीं देख पाएंगे, और पापमुक्त न होने पर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। हमें अभी भी जरूरत है कि परमेश्वर हमारी पापी प्रकृति मिटाने के लिए न्याय-कार्य करे और पाप की समस्या को जड़ से मिटाए—" "प्रभु यीशु हमारे पाप अपने सिर लेने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था। प्रभु अब हमें पापी नहीं मानता। तुम कहते हो कि हम शुद्ध नहीं हुए हैं, पर यह तुम्हारा अपना विचार है। बाइबल ऐसा नहीं कहती। क्या तुम्हें नहीं पता कि बाइबल क्या कहती है? 'क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:10)। क्या हमें पहले ही प्रभु में आस्था के कारण बचा नहीं लिया गया? प्रभु को अभी भी नया कार्य करने की क्या जरूरत है?" "भाई, आपने जो कहा है वह पौलुस के वचन हैं, प्रभु यीशु के नहीं। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि आस्था से बचाए गए लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। प्रभु यीशु साफ बताया है कि स्वर्ग के राज्य में कौन जा सकता है। 'जो मुझ से, "हे प्रभु! हे प्रभु!" कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है' (मत्ती 7:21)। भाई, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए हमें परमेश्वर की इच्छा पूरी करना और उसके वचनों पर चलना है। क्या हम ये मानक पूरा करते हैं? हम अभी भी अक्सर पाप करते हैं, और प्रभु के वचन अभ्यास में नहीं ला पाते। प्रभु यीशु हमें पड़ोसियों से अपने समान प्रेम करने को कहता है। क्या हम कर पाते हैं? न केवल हम उनसे प्रेम नहीं कर पाते, बल्कि उनसे ईर्ष्या और घृणा भी करते हैं, और अक्सर पाप में जीते हैं। हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने लायक नहीं हैं। इसीलिए परमेश्वर अंत के दिनों में बोलने और न्याय का कार्य करने वापस आया है। ऐसा वह लोगों की पापी प्रकृति मिटाने, उनकी पाप की समस्या जड़ से हल करने, और उन्हें शुद्ध करके बचाने के लिए करता है। प्रभु यीशु ने खुद भविष्यवाणी की थी, 'जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:48)। 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए' (1 पतरस 4:17)।" "बहुत हुआ! तुम कहते हो, प्रभु के लौटने पर कार्य का एक और चरण होगा। यानी प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य बेकार है? क्या वह व्यर्थ नहीं जाएगा?" भाई की बात सुनकर मैं परेशान हो गया। कैसे संगति करूँ कि वह परमेश्वर का कार्य समझ जाए और उसकी धारणाएँ खत्म हों? तभी मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया। "यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। परमेश्वर के वचनों से मेरे मन की धुंध छँट गई। मैंने भाई से कहा, "अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए परमेश्वर के लौटने का मतलब यह नहीं कि प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य बेकार है। प्रभु यीशु ने लोगों के पाप क्षमा कर दिए, ताकि व्यवस्था अब उनकी निंदा न करे और उन्हें दंड न दे, लेकिन प्रभु यीशु ने जो किया वह केवल छुटकारे का कार्य था, लोगों को शुद्ध करने और बचाने का नहीं। हम सब अभी भी पाप में जी रहे हैं। अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय-कार्य के बिना हम पाप से बचकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।" जब उन्होंने देखा कि वे मेरी बात नहीं काट सकते, तो बेहद नाराज होकर बोले, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कर कुछ ही समय में काफी सीख गए हो। मेरी हर बात की काट तुम्हारे पास है, इसलिए मैं तुमसे क्या कहूँ!" इसके बाद वे गुस्सा होकर चले गए। मैंने सोचा, "वे प्रभु में विश्वास करते हैं और प्रभु के आगमन के लिए तरसते हैं, तो प्रभु की वापसी के बारे में सुनकर क्यों उन्होंने न केवल गौर नहीं किया, बल्कि इतने नाराज हो गए? हो सकता है, उनकी बहुत-सी धार्मिक धारणाएँ हों, इसलिए वे इसे तुरंत नहीं स्वीकार पाए। मुझे उनके साथ संगति का एक और मौका खोजना होगा।"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास की बात सुनकर मेरी दो भाभियाँ जल्दी ही मेरे घर आईं... "हेंगशिन, तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था के साथ उससे प्रार्थना करते हो, प्रभु का नाम नहीं लेते। यह प्रभु को धोखा देना और धर्मभ्रष्ट होना है।" "देखिए, आप ऐसा इसलिए कहती हैं, क्योंकि आप अभी समझती नहीं। आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़े, और आप नहीं जानतीं कि वह लौटा हुआ प्रभु यीशु है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु एक आत्मा और एक परमेश्वर हैं। अलग-अलग युगों में परमेश्वर के अलग-अलग नाम होते हैं। व्यवस्था के युग में परमेश्वर का नाम यहोवा था, जबकि अनुग्रह के युग में परमेश्वर का नाम यीशु था। परमेश्वर का नाम बदला, पर क्या प्रभु यीशु और यहोवा एक ही परमेश्वर नहीं थे? क्या प्रभु यीशु में विश्वास करना यहोवा परमेश्वर से विश्वासघात था? सर्वशक्तिमान परमेश्वर, प्रभु यीशु और यहोवा एक ही परमेश्वर हैं। आइये, यह वीडियो देखकर आप समझ जाएँगी।" सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मैं कभी यहोवा के नाम से जाना जाता था। मुझे मसीहा भी कहा जाता था, और लोग कभी मुझे प्यार और सम्मान से उद्धारकर्ता यीशु भी कहते थे। किंतु आज मैं वह यहोवा या यीशु नहीं हूँ, जिसे लोग बीते समयों में जानते थे; मैं वह परमेश्वर हूँ जो अंत के दिनों में वापस आया है, वह परमेश्वर जो युग का समापन करेगा। मैं स्वयं परमेश्वर हूँ, जो अपने संपूर्ण स्वभाव से परिपूर्ण और अधिकार, आदर और महिमा से भरा, पृथ्वी के छोरों से उदित होता है। लोग कभी मेरे साथ संलग्न नहीं हुए हैं, उन्होंने मुझे कभी जाना नहीं है, और वे मेरे स्वभाव से हमेशा अनभिज्ञ रहे हैं। संसार की रचना के समय से लेकर आज तक एक भी मनुष्य ने मुझे नहीं देखा है। यह वही परमेश्वर है, जो अंत के दिनों के दौरान मनुष्यों पर प्रकट होता है, किंतु मनुष्यों के बीच में छिपा हुआ है। वह सामर्थ्य से भरपूर और अधिकार से लबालब भरा हुआ, दहकते हुए सूर्य और धधकती हुई आग के समान, सच्चे और वास्तविक रूप में, मनुष्यों के बीच निवास करता है। ऐसा एक भी व्यक्ति या चीज़ नहीं है, जिसका मेरे वचनों द्वारा न्याय नहीं किया जाएगा, और ऐसा एक भी व्यक्ति या चीज़ नहीं है, जिसे जलती आग के माध्यम से शुद्ध नहीं किया जाएगा। अंततः मेरे वचनों के कारण सारे राष्ट्र धन्य हो जाएँगे, और मेरे वचनों के कारण टुकड़े-टुकड़े भी कर दिए जाएँगे। इस तरह, अंत के दिनों के दौरान सभी लोग देखेंगे कि मैं ही वह उद्धारकर्ता हूँ जो वापस लौट आया है, और मैं ही वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ जो समस्त मानवजाति को जीतता है। और सभी देखेंगे कि मैं ही एक बार मनुष्य के लिए पाप-बलि था, किंतु अंत के दिनों में मैं सूर्य की ज्वाला भी बन जाता हूँ जो सभी चीज़ों को जला देती है, और साथ ही मैं धार्मिकता का सूर्य भी बन जाता हूँ जो सभी चीज़ों को प्रकट कर देता है। अंत के दिनों में यह मेरा कार्य है। मैंने इस नाम को इसलिए अपनाया और मेरा यह स्वभाव इसलिए है, ताकि सभी लोग देख सकें कि मैं एक धार्मिक परमेश्वर हूँ, दहकता हुआ सूर्य हूँ और धधकती हुई ज्वाला हूँ, और ताकि सभी मेरी, एक सच्चे परमेश्वर की, आराधना कर सकें, और ताकि वे मेरे असली चेहरे को देख सकें : मैं केवल इस्राएलियों का परमेश्वर नहीं हूँ, और मैं केवल छुटकारा दिलाने वाला नहीं हूँ; मैं समस्त आकाश, पृथ्वी और महासागरों के सारे प्राणियों का परमेश्वर हूँ" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, उद्धारकर्ता पहले ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है)। परमेश्वर के वचन पढ़ने के बाद मैंने भाभियों से संगति की, "परमेश्वर का नाम युग और कार्य के चरण के साथ बदलता है। परमेश्वर अलग-अलग युगों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, हर नाम हर युग में परमेश्वर के कार्य को दर्शाता है। व्यवस्था के युग में, परमेश्वर ने 'यहोवा' नाम से व्यवस्थाओं का आदेश दिया और मानव-जाति को पृथ्वी पर रहना सिखाया। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर के आत्मा ने प्रभु यीशु के रूप में देहधारण कर मानव-जाति के छुटकारे का कार्य किया। अंत के दिनों में परमेश्वर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देहधारी होता है, ताकि सत्य व्यक्त कर सके और लोगों का न्याय कर उन्हें शुद्ध कर सके। बाहर से परमेश्वर का नाम और कार्य बदला है, लेकिन परमेश्वर का सार नहीं बदलता। यह हमेशा वही परमेश्वर रहा है, जो मानव-जाति को बचाने का काम कर रहा है।" मैंने उन्हें उदाहरण भी दिया। एक व्यक्ति अस्पताल में काम करता है और हर कोई उसे "डॉक्टर" कहता है, फिर वह पढ़ाने का फैसला करता है, तो लोग उसे "शिक्षक" कहते हैं, बाद में वह कलीसिया में प्रचार करने लगता है, तो लोग उसे "पादरी" कहते हैं। समझीं? उसका काम, और उसका नाम बदल गया है, फिर भी वह वही है। बदला नहीं है। इसी तरह परमेश्वर अलग युगों में अलग नाम इस्तेमाल करता है, लेकिन उसका सार और पहचान नहीं बदलती, वह वही परमेश्वर रहता है। जब हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करते हैं, तो प्रभु से धोखा कर धर्मभ्रष्ट नहीं होते, बल्कि प्रभु का स्वागत कर उसके रास्ते पर चल रहे होते हैं। मैं बात कर ही रहा था, कि तभी अचानक मेरे दोनों बड़े भाई आ गए। सबसे बड़े भाई ने मुझे गुस्से से टोका। "अब इससे बात मत करो। इससे कोई नहीं जीत सकता। तुम कुछ भी कहो, इसके पास जवाब होगा, तो क्यों परेशान हों?" "हेंगशिन, तुम गलत चीज में विश्वास कर रहे हो। अब बस करो।" "तुम कहते हो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है। जाकर पादरी को समझाओ। अगर पादरी कह दे कि यही सच्चा मार्ग है, तो सभी विश्वास करेंगे, नहीं तो वापस कलीसिया आकर हमारे साथ विश्वास करना। तुम सब सगे भाई हो। तुममें से हरेक अपने तरीके से नहीं चल सकता।" जब मैंने देखा कि मेरे भाई और भाभियाँ कैसे पादरी को पूजते हैं, तो मैंने उनसे कहा, "हमें परमेश्वर का आज्ञापालन और सम्मान करना चाहिए। आँखें बंद कर लोगों की बात नहीं मान सकते। खासकर जब प्रभु का स्वागत करने की बात हो, तो हम फैसला पादरी पर नहीं छोड़ सकते। प्रभु यीशु ने कहा था कि परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनती हैं। हमें परमेश्वर की वाणी सुनने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि प्रभु का स्वागत कर सकें।" मैंने उनसे यह भी कहा, "जब प्रभु यीशु काम करने आया, तो यहूदी धर्म के विश्वासियों ने परमेश्वर की वाणी सुनने की कोशिश नहीं की। उन्होंने प्रभु यीशु के का विरोध और निंदा करने में आँख बंद करके फरीसियों का अनुसरण किया। नतीजतन, उन्होंने प्रभु का उद्धार खो दिया। यह हमारे लिए सबक है।" मगर मैंने जो कुछ भी कहा, मेरे भाई-भाभियों ने एक न सुनी, और जोर देकर कहा कि पादरी गलत नहीं हो सकता। उनका रवैया देखकर मैंने सोचा, "वे पादरी की इतनी पूजा करते हैं कि यदि पादरी मान ले, तो वे भी मान लेंगे।"

जनवरी 2021 में एक दिन पादरी और अगुआ मेरे घर आए और मैंने इस मौके का इस्तेमाल उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिए किया। "मत्ती 24: 37 कहता है, 'जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।' और 24:44 कहता है, 'इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।' लूका 17:24-25 कहता है, 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' भविष्यवाणी है 'मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा' और 'मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।' तो मनुष्य का पुत्र कौन है? मनुष्य के पुत्र का मतलब है परमेश्वर का देहधारण। प्रभु यीशु मनुष्य का पुत्र था, क्योंकि वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारण था। आत्मा को मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता। इसलिए, भविष्यवाणी कहती है कि प्रभु अंत के दिनों में मनुष्य के पुत्र के रूप में लौटेगा, यानी देहधारण करेगा। अगर पुनरुत्थान के बाद प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर बादलों पर उतरता और बड़ी महिमा के साथ सामने आता, तो कौन उसका विरोध या निंदा कर पाता? फिर भी प्रभु यीशु ने कहा, 'पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है? केवल तभी, जब परमेश्वर मनुष्य के पुत्र के रूप में साधारण और मामूली व्यक्ति की तरह देहधारी होता है, जिससे लोग उसे न पहचानें, तभी वे उसकी निंदा कर उसे नकार सकते हैं। इसलिए प्रभु यीशु की भविष्यवाणी के अनुसार प्रभु अंत के दिनों में देहधारण करके लौटा है, और यह बिल्कुल पक्का है।" "बाइबल के इन पदों में 'मनुष्य के पुत्र' का उल्लेख है जिसका अर्थ है प्रभु यीशु।" "भाई हान, प्रभु यीशु ने बिलकुल स्पष्ट कहा है। ये प्रभु की वापसी के बारे में भविष्यवाणियां हैं, न कि प्रभु यीशु की।" "बाइबल साफ कहती है, 'तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे' (मत्ती 24:30)। प्रभु एक बादल पर लौटेगा, पर तुम कहते हो कि वह देहधारण करके आएगा। क्या ये बातें विरोधी नहीं हैं? हम बादल पर आने वाले प्रभु यीशु का इंतजार कर रहे हैं। अब समय करीब है, सभी प्रकार की आपदाएं आ चुकी हैं, और प्रभु हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने को एक बादल पर आने वाला है। प्रभु में इतने वर्षों की आस्था के बाद हम सफल होने को हैं, मगर तुम, तुम यह सब छोड़ रहे हो।" "पादरी वांग, जिस भविष्यवाणी का आपने जिक्र किया, वह भी सच है, पर परमेश्वर का देहधारण उसके बादलों पर आने का खंडन नहीं करता। पहले मुझे भी यह बात समझ नहीं आई थी। बाद में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर लगा कि प्रभु की वापसी दो चरणों में होती है। पहले वह सत्य व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने के लिए चुपचाप मनुष्य के पुत्र के रूप में आता है, फिर विजेताओं का समूह बनाने के बाद परमेश्वर अच्छाई को पुरस्कृत और बुराई को दंडित करने के लिए आपदाएं भेजता है। आपदाओं के बाद परमेश्वर बादल पर उतरता है और सभी के सामने खुलेआम प्रकट होता है। उस समय, वे सभी जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हैं, रोएंगे और दांत पीसेंगे, जिससे प्रभु के बादलों पर आने की भविष्यवाणी खरी होती है, 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)।" उस समय, पादरी और दूसरे लोग हैरान होकर चुप हो गए। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा। "जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है' अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग प्रकट करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)। परमेश्वर के अधिकारपूर्ण वचन सुनकर सभी दंग रह गए। थोड़ी देर बाद पादरी बोला। "तुमने अभी कहा कि ये परमेश्वर के नए वचन हैं? यह सही नहीं है। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, उसके बाहर उसके कोई वचन नहीं हैं। यदि हैं, तो वे बाइबल में जोड़े गए हैं। प्रकाशितवाक्य साफ बताता है, 'मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूँ : यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्‍वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्‍वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा' (प्रकाशितवाक्य 22:18-19)।" "पादरी वांग, जब यह कहती है कि कुछ भी जोड़ा-घटाया नहीं जा सकता, तो यह चेतावनी है कि लोग वे प्रकाशितवाक्य की किताब में मनमानी भविष्यवाणियां न जोड़ें-घटाएं, इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर अब नए शब्द नहीं बोलेगा। प्रभु यीशु ने खुद कहा था, 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। प्रभु यीशु ने बहुत साफ कहा था, अंत के दिनों में लौटकर वह सभी सत्यों में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कई वचन बोलेगा। आपकी समझ के अनुसार जब परमेश्वर अंत के दिनों में लौटेगा, तो वह न तो बोलेगा और न कार्य करेगा। तो फिर प्रभु यीशु के ये वचन कैसे पूरे और साकार होंगे? परमेश्वर सत्य है, जीवन का स्रोत है, जीवंत जल का अविरल झरना है। आप परमेश्वर के वचनों और कार्य को बाइबल तक सीमित करते हैं, मानो परमेश्वर ये वचन केवल बाइबल में ही कह सकता हो। क्या यह परमेश्वर को अपमानित करना नहीं है?" मेरी बात सुनकर पादरी वांग की बोलती बंद हो गई। मैंने सोचा, "मैं पादरियों की पूजा करता था। मुझे लगता था कि वे बाइबल के जानकार हैं और उन्हें परमेश्वर का ज्ञान है। ताज्जुब है कि वे बाइबल को नहीं समझते, और परमेश्वर के कार्य को सीमित भी करते हैं।" मैं निराश था।

कई बार की बहस के बाद, पादरी ने मुझे अडिग देखकर भ्रमित करने के लिए कई झूठे तर्क दिए, जिनका मैंने परमेश्वर के वचनों से खंडन कर अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की गवाही दी, पर उन्होंने एक नहीं सुनी। बहस के अंत में, जब पादरी वांग ने देखा कि वह मेरा खंडन नहीं कर सकता, तो चुप हो गया। उनके साथ आए अगुआ हान ने मुझसे कहा, "हेंगशिन, तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करना बंद कर दो, क्योंकि हमें तुम्हारे जीवन की चिंता है। हम ऐसा तुमसे प्रेम के कारण कर रहे हैं। हमें डर है कि तुम गलत रास्ता अपना लोगे। तुम जैसे लोगों को तो कलीसिया में अगुआ होना चाहिए और हमारे काम में सहयोग करना चाहिए। यह ज्यादा अच्छा होगा।" उन्हें यह कहते सुनकर, मुझे शैतान के शब्द याद आ गए, जिसने बाइबल में प्रभु यीशु को प्रलोभन दिया था, "फिर इब्लीस उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर उससे कहा, 'यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा'" (मत्ती 4:8-9)। उनका मुझे कलीसिया में अगुआ बनने को कहना शैतान का प्रलोभन था। उन्होंने सोचा था कि प्रतिष्ठा और हैसियत के लालच में आकर मैं उनके साथ हो लूँगा। प्रतिष्ठा और हैसियत उनके लिए बहुत अहम थे! उन्होंने प्रभु के आने की खबर सुनी थी, पर तलाश और जाँच करने के बजाय उन्होंने मुझे सच्चे मार्ग से भटकाने की कोशिश की। यह उनकी धूर्तता थी! इसलिए मैंने उन्हें ठुकरा दिया। "मैं वापस कलीसिया नहीं जाने वाला। अब प्रभु यीशु नया कार्य करने के लिए लौट आया है। वह अब अनुग्रह के युग की कलीसियाओं में कार्य नहीं करता। कलीसिया जाने से मेरा क्या भला होगा? हमें परमेश्वर का नया कार्य स्वीकारना चाहिए, नहीं तो प्रभु हमें त्यागकर निकाल देगा। यह ठीक वैसा ही है, जब प्रभु यीशु काम पर आया था। चेलों ने प्रभु यीशु के वचन सुने, प्रभु की वाणी पहचानी, उसका अनुसरण कर उद्धार प्राप्त किया, और मंदिर में व्यवस्थाओं का पालन करने वालों को प्रभु ने त्यागकर निकाल दिया। आप सभी को इस तथ्य की जानकारी होनी चाहिए। प्रभु अंत के दिनों में लौट आया है। हम उसकी वाणी नहीं सुनेंगे, तो उसका स्वागत कैसे करेंगे? प्रभु यीशु ने कहा था, 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं' (यूहन्ना 10:27)। प्रकाशितवाक्य में भी भविष्यवाणी की गई है, 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। 'देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ' (प्रकाशितवाक्य 3:20)। पादरी वांग, प्रभु के स्वागत में सबसे जरूरी चीज प्रभु की वाणी सुनना है। अगर कोई उसके लौटने की गवाही देता है, तो हमें खोज और जाँच करनी चाहिए। वरना हम प्रभु का स्वागत और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएँगे।" "हमें परमेश्वर की वाणी सुनने की जरूरत नहीं, बस प्रभु के बादल पर आकर हमें अपने राज्य में ले जाने की प्रतीक्षा करनी है। अगर वह दिन आया जब प्रभु यीशु बादल पर आएगा, और हम रोते और दांत पीसते रह गए, तो इसकी जिम्मेदारी हमारी होगी। मैं तुम्हें कुछ बातें साफ बता दूँ। अगर तुम अविश्वास करके गलत रास्ते पर गए, तो हमें दोष न देना। अभी भी चीजों को बदलना चाहो, तो कलीसिया में लौट सकते हो। मैं तुम्हें सोचने के लिए कुछ और दिन देता हूँ। सात दिन के भीतर कलीसिया आकर मुझे बता देना। और खबरदार, तुम कलीसिया में अपने सुसमाचार का प्रचार नहीं कर सकते। अगर हमारी कलीसिया में कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने लगा, तो तुम्हें भुगतना होगा!" इसके बाद पादरी ने मेरे परिवार से कहा, "हमने इतना कुछ कहा, पर यह नहीं माना। आप इसका परिवार हैं, इसे समझाएं।" इसके बाद पादरी जल्दी से चला गया।

मुझे पादरी की बात न मानते देख मेरा परिवार बहुत गुस्सा हो गया था, इसलिए वे सब मुझे डांटने लगे, मेरे बड़े भाई ने तो मुझे पीटने की धमकी तक दे डाली। "हमने पादरी को बुलाया था, और तुमने हमें शर्मिंदा कर दिया। पादरी ने इतना कहा, पर तुम नहीं माने, और अभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने पर अड़े हो। मैं तुम्हें पीट-पीटकर मार डालूँगा!" "कृपया सुनिए, मैंने क्या गलत किया जो आप मुझे मारना चाहते हैं? प्रभु आ गया है। मैंने अभी-अभी उसकी वाणी सुनी है और उसका स्वागत किया है। आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या आप अभी भी परमेश्वर के विश्वासी हैं?" "तुमने पादरी तक की नहीं सुनी। तुम्हें क्या हो गया है?" "आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं या पादरी पर? केवल अंत के दिनों का परमेश्वर का कार्य स्वीकारने के कारण पादरी मुझे ऐसे परेशान कर रहा है। पादरी और वे अगुआ मुझे पाखंडी फरीसी लगते हैं। अब परमेश्वर लौट आया है, वह नया कार्य कर रहा है, और उसने बहुत-से सत्य व्यक्त किए हैं, लेकिन वे खुद तो खोज और जाँच नहीं ही करते, दूसरों को भी प्रभु का स्वागत करने से रोकते हैं। हैसियत का लालच देकर मुझे सच्चे मार्ग से हटाना चाहते हैं, कहते हैं कि यह मेरे जीवन की खातिर है। क्या यह सरासर झूठ नहीं? वे मुझे फँसाकर बरबाद करना चाहते हैं! प्रभु यीशु ने फरीसियों का पर्दाफाश करते हुए कहा था, 'हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। ... तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो' (मत्ती 23:13, 15)। पादरी और अगुआओं तथा फरीसियों के बीच क्या फर्क है? आप उनके पक्ष में कैसे हो सकते हैं?" "अगर पादरी ने तुम्हें निकाला, तो हम तुम्हारे भाई नहीं रहेंगे, और फिर चाहे तुम जियो या मरो। तुमने जो कर्जा हमसे लिया हुआ है, उसे दो हफ्ते में चुका दो।"

उनकी बेरहमी देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। जब वे मुसीबत में थे, तो मैंने उनकी भरसक मदद की थी, पर अब वे मेरे साथ ऐसे पेश आ रहे थे। मैं जिन अच्छे भाइयों को जानता था, वे ऐसे कैसे हो गए? ये मेरे परिवार के लोग थे? उस रात मैं बिस्तर पर लेटा, तो सो नहीं पाया। यह सब सोचकर मुझे इतना दुख हुआ कि मेरे आँसू बहने लगे। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, और उससे मुझे आस्था देने और अपनी इच्छा समझाने की विनती की, ताकि मैं जान सकूँ कि यह माहौल कैसे झेलना है। मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने कहा था, "यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ; मैं मिलाप कराने नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूँ। मैं तो आया हूँ कि : मनुष्य को उसके पिता से, और बेटी को उसकी माँ से, और बहू को उसकी सास से अलग कर दूँ; मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे" (मत्ती 10:34-36)। "यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो कि उसने तुम से पहले मुझ से बैर रखा" (यूहन्ना 15:18)। प्रभु के वचन सत्य हैं और उसकी भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं। मैंने अंत के दिनों का परमेश्वर का कार्य स्वीकारा था, इसलिए पादरी और भाइयों ने मुझे रोकने की कोशिश की। वे मुझसे नहीं, परमेश्वर से नफरत कर रहे थे। हाल के दिनों में जो कुछ हुआ, उस पर सोचकर मैं परमेश्वर का आभारी था। परमेश्वर के वचनों ने मुझे पादरी और परिवार के व्यवधान पर काबू पाने में मदद की, और मुझे उनके बारे में कुछ समझ भी दी।

एक दिन एक बहन को मेरी स्थिति का पता चला तो उसने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का यह अंश भेजा। "निराश न हो, कमज़ोर न बनो, मैं तुम्हारे लिए चीज़ें स्पष्ट कर दूँगा। राज्य की राह इतनी आसान नहीं है; कुछ भी इतना सरल नहीं है! तुम चाहते हो कि आशीष आसानी से मिल जाएँ, है न? आज हर किसी को कठोर परीक्षणों का सामना करना होगा। बिना इन परीक्षणों के मुझे प्यार करने वाला तुम लोगों का दिल मजबूत नहीं होगा और तुम्हें मुझसे सच्चा प्यार नहीं होगा। यदि ये परीक्षण केवल मामूली परिस्थितियों से युक्त भी हों, तो भी सभी को इनसे गुज़रना होगा; अंतर केवल इतना है कि परीक्षणों की कठिनाई हर एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होगी। परीक्षण मेरे आशीष हैं, और तुममें से कितने मेरे सामने आकर घुटनों के बल गिड़गिड़ाकर मेरे आशीष माँगते हैं? बेवकूफ़ बच्चे! तुम्हें हमेशा लगता है कि कुछ मांगलिक वचन ही मेरा आशीष होते हैं, किंतु तुम्हें यह नहीं लगता कि कड़वाहट भी मेरे आशीषों में से एक है। जो लोग मेरी कड़वाहट में हिस्सा बँटाते हैं, वे निश्चित रूप से मेरी मिठास में भी हिस्सा बँटाएँगे। यह मेरा वादा है और तुम लोगों को मेरा आशीष है। मेरे वचनों को खाने-पीने और उनका आनंद लेने में संकोच न करो। जब अँधेरा छँटता है, रोशनी हो जाती है। भोर होने से पहले अँधेरा सबसे घना होता है; उसके बाद धीरे-धीरे उजाला होता है, और तब सूर्य उदित होता है। डरपोक या कायर मत बनो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 41)। उसने मेरे साथ संगति की, "हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास और प्रभु का स्वागत करते हैं, पर शैतान नहीं चाहता कि परमेश्वर हमें बचाए या प्राप्त करे, इसलिए वह हमें बाधित करने की तरकीबें भिड़ाता है। लेकिन परमेश्वर ऐसा होने देता है। क्यों? यह प्रकट करने के लिए कि लोगों की आस्था सच्ची है या झूठी। सच्ची आस्था वाला, परमेश्वर की भेड़, परीक्षा में अडिग रहता है। शैतान उसे चाहे जितना परेशान करे, वह परमेश्वर का अनुसरण करता रहता है। जो परमेश्वर के नहीं हैं, झूठा विश्वास करते हैं, वे शैतान के परेशान करने पर लौट जाते हैं। यह परमेश्वर की बुद्धि है, जो शैतान के षड्यंत्रों के आधार पर इस्तेमाल की जाती है। अब तुम अपने पादरी और परिवार द्वारा बाधित किए जा रहे हो। यह परीक्षा है। इस अनुभव के बाद तुम कुछ सत्य जानोगे और कुछ चीजें साफ देख पाओगे। तुम यह भी जानोगे कि कौन सच्चा विश्वासी है और कौन झूठा, और परमेश्वर में तुम्हारी आस्था बढ़ेगी, ये चीजें हम आरामदायक माहौल में नहीं पा सकते। यह कष्ट उठाने लायक है।" बहन की संगति सुनकर मुझे समझ आया कि पादरी और मेरे परिवार की बाधा और रुकावट इंसानों का काम दिखता था, पर असल में यह शैतान की बाधा थी, जो मुझे परमेश्वर का उद्धार पाने से रोकना चाहता था। शैतान वाकई घृणास्पद है। इस घटना से मुझे पादरी के बारे में कुछ समझ मिली, और परमेश्वर के अनुसरण की मेरी इच्छा और मजबूत हुई। मुझे अभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते देख मेरे चाचाजी भी मुझे मना करने आए। "हेंगशिन, मेरी बात सुनो। वापस आ जाओ। अगर पादरी ने तुम्हें निकाल दिया, तो क्या करोगे? अगर भविष्य में तुम्हें कोई कठिनाई हुई या तुम बीमार हुए, तो कौन मदद करेगा?" "मैंने प्रभु का स्वागत किया है, चाहे जो हो, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करूँगा। वापस कलीसिया नहीं जाऊँगा।" "तुम उतना नहीं जानते, जितना पादरी जानता है। परमेश्वर पर विश्वास के मामले में हमें पादरी की सुननी होती है।" "जब प्रभु यीशु काम करने आया था, तो यहूदी धर्म के विश्वासियों को भी लगा था कि फरीसी ज्यादा जानते हैं और उन्होंने प्रभु का विरोध करने में उनका साथ दिया। नतीजतन, उन्हें शाप देकर दंडित किया गया। परमेश्वर के विश्वासी होने के नाते हमें उसके वचन सुनने चाहिए। अगर पादरी के वचन परमेश्वर के अनुरूप न हों, तो हम उसकी नहीं सुन सकते। मैंने पादरी से कहा था कि परमेश्वर अंत के दिनों में कई सत्य व्यक्त करने लौटा है, जो बाइबल और प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों से साबित होता है, और वो इसका खंडन नहीं कर पाए, पर उनकी खोजने की जरा भी इच्छा नहीं थी, उन्होंने मुझे प्रभु का स्वागत करने से रोकने की कोशिश की, और मुझे इसे अपने भाई-बहनों से साझा करने से रोका। क्या आपको यह परमेश्वर के वचनों के अनुरूप लगता है? चाचाजी, आप अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की खोज नहीं करते। आप बस पादरी की बात सुनते हैं। आपने कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़े, तो आप कैसे जान पाएँगे कि वे सच्चे हैं या झूठे? यह नदी पार करने जैसा है। एक कहता है कि पानी गहरा है और दूसरा कहता है कि यह उथला है, तो आप किस पर यकीन करेंगे? क्या खुद पानी में उतरने से ही सच पता नहीं चलेगा? अगर आप प्रभु में विश्वास करके भी उसकी नहीं, बल्कि पादरी की सुनते हैं, तो अंत में पादरी के साथ क्या आप भी नरक नहीं जाएंगे? क्या यह अंधे का अंधे को गड्ढे में ले जाना नहीं है?" "क्या तुम्हें पादरी द्वारा सरकार से रिपोर्ट कर तुम्हें गिरफ्तार करा देने का डर नहीं?" "चाहे वे सरकार से मेरी रिपोर्ट कर दें, चाहे सरकार मुझे कितना भी सताए, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण जरूर करूँगा।" उस दिन मेरे चाचाजी ने लगातार मुझे मनाने की कोशिश की, पर मैं नहीं माना। एक हफ्ते बाद, पादरी को मुझे फिर परेशान करने से रोकने के लिए मैं पादरी और अगुआओं के पास गया, और उनसे कह दिया कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने पर दृढ़ हूँ, आप मुझसे दोबारा बात न करें। पादरी हार मानने को तैयार नहीं था, वह मुझसे बोला, "चमकती पूर्वी बिजली प्रभु की वापसी नहीं है। उस पर विश्वास करके तुम प्रभु को धोखा दे रहे हो।" मैंने उससे कहा, "प्रभु यीशु ने यह कहकर अपनी वापसी की भविष्यवाणी की थी, 'क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा' (मत्ती 24:27)। क्या चमकती पूर्वी बिजली का दिखना उसकी भविष्यवाणी पूरी नहीं करता?" पादरी वांग मेरा खंडन नहीं कर पाया, तो नाराज हो गया और परमेश्वर के कार्य की आलोचना करने लगा। उसकी बातों पर मुझे बहुत गुस्सा आया। मुझे प्रभु यीशु का कहा याद आया, "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनती हैं। पादरी और अगुआ परमेश्वर की वाणी नहीं समझते और उसकी आलोचना करते हैं। वे परमेश्वर की भेड़ें नहीं, शैतान की भेड़ें हैं। मैंने उनसे कहा, "अतीत में फरीसियों ने प्रभु यीशु की आलोचना और निंदा की थी। अब आप यह सुनकर भी कि प्रभु लौट आया है, खोज या जाँच नहीं करते। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन इतनी अच्छी तरह बोले गए हैं, फिर भी आप निंदा और विरोध करते हैं। क्या आप नए जमाने के फरीसी नहीं हैं?" मेरे यह कहने पर पादरी और अगुआ बहुत गुस्सा हुए, उन्होंने मुझे मजबूर करने का एक और तरीका आजमाया। "चूँकि तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हो, तो इस आशय के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दो कि तुम प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करते।" "मैं क्यों हस्ताक्षर करूँ? सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है, मेरा सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करना प्रभु का स्वागत करना है। फिर कैसे मैं प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करता? क्या यह तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है? आपके अनुसार, जब प्रभु यीशु काम करने के लिए आया, तो पतरस और यूहन्ना जैसे चेलों ने मंदिर छोड़ दिया और प्रभु यीशु के पीछे हो लिए। तो क्या उन्होंने यहोवा परमेश्वर को धोखा दिया? हरगिज नहीं। वे परमेश्वर के नए कार्य के साथ चले। उसी तरह अब प्रभु यीशु नया कार्य करने के लिए लौटा है, और मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करके मेमने के नक्शेकदम पर चल रहा हूँ। यह प्रभु यीशु के साथ विश्वासघात कैसे हुआ? मैं कहीं हस्ताक्षर नहीं करूँगा!" "तुम्हें घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे, और तुम्हारे भाइयों और माता-पिता को भी करने होंगे, यह साबित करने के लिए कि तुमने खुद कलीसिया छोड़ी है, हमने नहीं निकाला।" तब मुझे पादरी का उद्देश्य समझ आया। यह घोषणा करके कि मैं प्रभु यीशु पर नहीं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ क्या मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु के एक होने को नहीं नकार दूँगा? अगर मैंने हस्ताक्षर किए, तो उनके पास यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नकारने का प्रमाण हो जाएगा। वे कितने पापी और शातिर थे! अगर वे इसे वियतनामी सरकार के पास ले गए, तो मुझे सताया जाएगा। यह था उनका घिनौना उद्देश्य। उस रात हमारी दस बजे के बाद तक बहस हुई, पर मैंने चाहे जो कहा, पादरी ने समझने से इनकार कर दिया, वह असभ्य और अविवेकी बना रहा, मेरे पास उनसे कहने को कुछ नहीं बचा। अगले दिन खबर सुनकर मेरा परिवार मुझ पर आरोप लगाने आ गया। "हमने तुम्हें कितनी मेहनत करके पाला, और अब तुम हमें छोड़ रहे हो? तुममें जरा भी जमीर नहीं है!" "माँ, मैंने तुम्हें नहीं छोड़ा है। मैंने तुम्हें कई बार सुसमाचार सुनाया, पर तुम विश्वास नहीं करती। तुम परमेश्वर के वचन नहीं, पादरी की बात सुनती हो। यह तुम्हारी अपनी पसंद है।" "अब से तुम मेरे बेटे नहीं हो!" "अब से हम अलग रास्तों पर चलेंगे। हम अब भाई नहीं हैं। भविष्य में तुम्हें जो भी मुश्किलें आएं, हम तुम्हारी मदद नहीं करेंगे।" "अब यह तुम पर है। सिर्फ मेरे परमेश्वर पर विश्वास करने से आप मुझे सता रहे हैं, अपने और परमेश्वर के बीच चुनाव करने के लिए कहते हैं, तो बेशक मैं परमेश्वर को चुनूँगा। पर मैंने कभी नहीं कहा कि आप मेरे माता-पिता और भाई नहीं। ये आपके शब्द हैं।"

इसके बाद मैंने कलीसिया जाना बंद कर दिया। मैंने सोचा था कि पादरी और अगुआ अब मुझे परेशान नहीं करेंगे। लेकिन अप्रैल में एक दिन अचानक कलीसिया में पैसे का प्रबंधन करने वाला सहकर्मी आया और प्रभु यीशु पर अविश्वास की घोषणा पर हस्ताक्षर करने पर जोर देने लगा। मुझे गुस्सा आ गया। ये लोग मुझे अकेला नहीं छोड़ेंगे। ये इतनी घृणा से क्यों भरे हैं? उसे विदा करके मैंने खुद को शांत कर परमेश्वर से प्रार्थना की और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के इस अंश के बारे में सोचा। "जब परमेश्वर कार्य करता है, किसी की देखभाल करता है, उस पर नजर रखता है, और जब वह उस व्यक्ति पर अनुग्रह करता और उसे स्वीकृति देता है, तब शैतान करीब से उसका पीछा करता है, उस व्यक्ति को धोखा देने और नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। अगर परमेश्वर इस व्यक्ति को पाना चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को भ्रमित, बाधित और खराब करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; परमेश्वर जिन्हें पाना चाहता है, वह उसकी संपत्ति छीन लेना चाहता है, वह उन पर नियंत्रण करना, उनको अपने अधिकार में लेना चाहता है, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है? तुम लोग अकसर कहते हो कि शैतान कितना बुरा, कितना खराब है, परंतु क्या तुमने उसे देखा है? तुम यह देख सकते हो कि मनुष्य जाति कितनी बुरी है; तुमने यह नहीं देखा है कि असल शैतान कितना बुरा है। पर अय्यूब के मामले में, तुम स्पष्ट रूप से देखा है कि शैतान कितना बुरा है? इस मामले ने शैतान के भयंकर चेहरे और उसके सार को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। परमेश्वर के साथ युद्ध करने और उसके पीछे-पीछे चलने में शैतान का उद्देश्य उस समस्त कार्य को नष्ट करना है, जिसे परमेश्वर करना चाहता है; उन लोगों पर कब्ज़ा और नियंत्रण करना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है; उन लोगों को पूरी तरह से मिटा देना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है। यदि वे मिटाए नहीं जाते, तो वे शैतान द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए उसके कब्ज़े में आ जाते हैं—यह उसका उद्देश्य है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)। परमेश्वर के वचनों पर विचार करने से मुझे शैतान की चालें ज्यादा साफ दिखने लगीं। मैंने देखा कि वे पादरी और एल्डर शैतान के साथी थे। उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर मेरा विश्वास तोड़ने की पूरी कोशिश की, ताकि मैं परमेश्वर से दूर हो जाऊँ। मुझे प्रभु यीशु को नकारने वाले पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा, ताकि मेरी निंदा कर सकें। उनके मन कितने काले थे! शुरू से अंत तक उन्होंने शैतानों की भूमिका निभाई। बाद में मेरा परिवार भी पादरी के इरादे समझ गया, कि वह सरकार से मेरी रिपोर्ट करने के लिए मुझसे पत्र पर हस्ताक्षर करवाना चाहता है, इसलिए मेरी माँ ने मुझसे कहा, "हेंगशिन, हस्ताक्षर मत करना। पादरी भयानक है। परमेश्वर पर विश्वास करके तुमने कुछ गलत नहीं किया, फिर भी वह ऐसा कर रहा है। अगर उसने तुम पर अत्याचार किया, तो मैं उसे छोड़ूँगी नहीं।" मैं पादरियों की पूजा किया करता था। मुझे लगता था कि वे प्रभु के सेवक हैं और उनकी मदद करना प्रभु से प्रेम करना है, मैं अक्सर उन्हें धन और सामान भेंट किया करता। उनकी कारें मुफ्त में ठीक कर देता, चाहे जितना भी खर्च आए। इस अनुभव से मैंने पादरियों का असली चेहरा देख लिया। समूह की रक्षा के नाम पर वे लोगों को सच्चे मार्ग की जाँच करने और उन्हें प्रभु का स्वागत करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने से रोकते हैं। वे केवल हम सभी को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं, ताकि हम उन्हें अधिक धन दें और उनका समर्थन करें। वे रास्ते के रोड़े हैं, जो लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने से रोकते हैं।

जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के ये वचन कहते हैं। "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। मैं परमेश्वर की सुरक्षा के लिए आभारी हूँ। ये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही थे, जिन्होंने कदम-दर-कदम मेरी अगुआई की, मुझे शैतान की चालें समझने का मौका दिया, साफ दिखाया कि पादरी सत्य से घृणा और परमेश्वर का विरोध करते हैं, मुझे बुरे सेवकों और मसीह-विरोधियों के बंधन से पूरी तरह आजाद कराया, और परमेश्वर के घर में लौटाया। मेरा मन परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता से भरा था! अब मैं रोज परमेश्वर के वचनों की आपूर्ति का आनंद लेता हूँ, मैं भाई-बहनों को सुसमाचार सुनाकर परमेश्वर की गवाही देता हूँ, और संतुष्ट और खुश महसूस करता हूँ! परमेश्वर का धन्यवाद!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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