970 परमेश्वर के पवित्र सार को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है
ईश्वर की पवित्रता को समझ लेने पर,
तुम उसमें सच्ची आस्था रख सकते हो;
ईश्वर की पवित्रता को समझ लेने पर,
तुम "स्वयं अद्वितीय ईश्वर" के मायने जान लोगे।
1
फिर किसी और पथ पर चलने का तुम्हें ख़्याल न आएगा,
ईश्वर की योजनाओं को तुम धोखा नहीं देना चाहोगे।
क्योंकि ईश्वर का सार पवित्र है,
उसी के ज़रिये तुम सही पथ पर चल सकते हो।
चूँकि किसी सृजित, गैर-सृजित में ईश्वर के जैसा सार नहीं है
राह दिखा या बचा न सके, कोई इंसान या चीज़ तुम्हें।
यही अहमियत है इंसान के लिए ईश्वर के सार की।
2
ईश्वर से ही तुम जीवन का अर्थ जान सको और असली मानवता जी सको,
सत्य पा सको, सत्य जान सको।
ईश्वर के ज़रिए ही तुम जीवन से सत्य पा सको।
ईश्वर ही तुम्हें बुराई से बचा सके,
शैतान के नुकसान और नियंत्रण से बचा सके।
चूँकि किसी सृजित, गैर-सृजित में ईश्वर के जैसा सार नहीं है
राह दिखा या बचा न सके, कोई इंसान या चीज़ तुम्हें।
यही अहमियत है इंसान के लिए ईश्वर के सार की।
3
ईश्वर ही तुम्हें अथाह कष्टों से बचा सके। ये तय होता ईश्वर के सार से।
स्वयं ईश्वर ही बचाए तुम्हें निस्वार्थ भाव से।
वही तुम्हारे लिए हर चीज़ की व्यवस्था करे।
उसी पर तुम्हारा भविष्य, नियति और जीवन निर्भर है।
कोई सृजित या गैर-सृजित इसे न हासिल कर सके।
चूँकि किसी सृजित, गैर-सृजित में ईश्वर के जैसा सार नहीं है
राह दिखा या बचा न सके, कोई इंसान या चीज़ तुम्हें।
यही अहमियत है इंसान के लिए ईश्वर के सार की।
यही अहमियत है इंसान के लिए ईश्वर के सार की।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI से रूपांतरित