परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 584
20 सितम्बर, 2020
मैंने तुम लोगों के बीच बहुत काम किया है और निस्संदेह, बहुत-से कथन भी कहे हैं। फिर भी मुझे महसूस हुए बिना नहीं रहता कि मेरे वचनों और कार्य ने अंत के दिनों में मेरे कार्य का उद्देश्य अच्छी तरह पूरा नहीं किया है। क्योंकि, अंत के दिनों में, मेरा कार्य किसी विशेष व्यक्ति या विशेष लोगों के लिए नहीं है, बल्कि अपना अंतर्निहित स्वभाव प्रदर्शित करने के लिए है। लेकिन, असंख्य कारणों से—शायद समय की कमी या कार्य की व्यस्तता के कारण—लोगों ने मेरे स्वभाव से मेरे बारे में कोई ज्ञान प्राप्त नहीं किया है। इसलिए मैं अपनी नई योजना, अपना अंतिम कार्य प्रारंभ करता हूँ और अपने कार्य में एक नया पन्ना खोलता हूँ, ताकि वे सब जो मुझे देखते हैं, मेरे अस्तित्व के कारण लगातार अपनी छाती पीटें, रोएँ और निरंतर विलाप करें। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मैं संसार में मनुष्यों का अंत करता हूँ, और इस क्षण से, मैं मनुष्यों के सामने अपना संपूर्ण स्वभाव प्रकट करता हूँ, ताकि वे सभी लोग जो मुझे जानते हैं, और जो नहीं जानते वे भी, अपनी आँखें तृप्त कर सकें और देख सकें कि मैं वास्तव में मनुष्यों के संसार में आ गया हूँ, पृथ्वी पर आ गया हूँ जहाँ सभी चीजें द्विगुणित होती रहती हैं। मनुष्यों के सृजन के समय से यह मेरी योजना है और मेरी एकमात्र "स्वीकारोक्ति" है। तुम लोग अपना पूरा ध्यान मेरी प्रत्येक गतिविधि पर दो, क्योंकि मेरी छड़ी एक बार फिर मनुष्यों के पास, उन सबके पास आती है, जो मेरा विरोध करते हैं।
स्वर्ग के साथ मिलकर मैं वह कार्य आरंभ करता हूँ जो मुझे करना चाहिए। इसलिए मैं लोगों की भीड़ के बीच से निकलता हूँ और आसमान और पृथ्वी के बीच विचरण करता हूँ, किसी को भी मेरी गतिविधियों की भनक नहीं पड़ती, न कोई मेरे वचनों पर ध्यान देता है। इसलिए, मेरी योजना निरंतर सुचारु रूप से आगे बढ़ रही है। इतना ही है कि तुम लोगों की सभी इंद्रियाँ इतनी सुन्न हो गई हैं कि तुम मेरे कार्य के कदमों से अनजान रहते हो। किंतु, एक दिन जरूर आएगा, जब तुम लोग मेरे इरादे जान जाओगे। आज, मैं तुम लोगों के साथ रहता हूँ और तुम लोगों के साथ कष्ट सहता हूँ, और मैंने बहुत पहले ही अपने प्रति इंसान की प्रवृत्ति समझ ली है। मैं इसके बारे में और बात नहीं करना चाहता, और इस कष्टदायक विषय के और उदाहरण देकर तुम्हें शर्मिंदा तो बिलकुल नहीं करना चाहता। मैं केवल यह आशा करता हूँ कि तुम लोग अपने हृदय में वह सब याद रखो, जो तुम लोगों ने किया है, ताकि जिस दिन हम पुनः मिलें, उस दिन अपने खातों का मिलान कर सकें। मैं तुम लोगों में से किसी पर झूठा आरोप नहीं लगाना चाहता, क्योंकि मैंने सदैव न्यायपूर्वक, निष्पक्ष रूप से और सम्मान के साथ कार्य किया है। बेशक, मैं यह भी आशा करता हूँ कि तुम लोग ईमानदार बन सको और ऐसा कुछ न करो, जो स्वर्ग, पृथ्वी और तुम्हारे विवेक के विरुद्ध हो। यही एकमात्र चीज है, जो मैं तुम लोगों से माँगता हूँ। कई लोग बेचैनी और व्यग्रता महसूस करते हैं क्योंकि उन्होंने भयानक गलतियाँ की हैं, और कई लोग स्वयं पर शर्मिंदा होते हैं क्योंकि उन्होंने कभी एक भी अच्छा कर्म नहीं किया है। लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं, जो अपने पापों पर शर्मिंदा होने के बजाय, बद से बदतर होते जाते हैं, और अपने घिनौने लक्षण—जिनका पूरी तरह से उजागर होना अभी बाकी था—छिपाने वाले मुखौटे को पूरी तरह से फाड़ देते हैं, ताकि वे मेरे स्वभाव की परीक्षा ले सकें। मैं किसी एक व्यक्ति के कार्यों की न तो परवाह करता हूँ, न ही उन पर कोई ध्यान देता हूँ। बल्कि, मैं वह कार्य करता हूँ जो मुझे करना चाहिए, चाहे वह जानकारी इकट्ठी करना हो, या देश भर में घूमना हो, या अपनी रुचि का कुछ करना हो। महत्वपूर्ण समयों पर, मैं लोगों के बीच अपने कार्य को, एक भी क्षण पहले या देर से किए बिना, सहजता और स्थिरता से, मूल योजना के अनुसार आगे बढ़ाता हूँ। लेकिन, मेरे कार्य के हर कदम के साथ कुछ लोगों को अलग कर दिया जाता है, क्योंकि मैं उनके चापलूसी भरे तौर-तरीकों और उनकी झूठी आज्ञाकारिता से घृणा करता हूँ। जो मेरे लिए घृणित हैं, वे निश्चित रूप से त्याग दिए जाएँगे, चाहे जानबूझकर त्यागे जाएँ या अनजाने में। संक्षेप में, मैं चाहता हूँ कि जिनसे मैं घृणा करता हूँ, वे मुझसे बहुत दूर रहें। कहने की आवश्यकता नहीं कि मैं अपने घर में रहने वाले दुष्टों को छोड़ूँगा नहीं। क्योंकि मनुष्य को दंड देने का दिन निकट है, मैं उन सभी नीच आत्माओं को अपने घर से बाहर निकालने की जल्दबाजी नहीं करता, क्योंकि मेरी अपनी एक योजना है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो
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