एक ईमानदार व्यक्ति क्या होता है? परमेश्वर ईमानदार लोगों को क्यों पसंद करता है?

12 मार्च, 2021

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परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

तुम लोगों को पता होना चाहिए कि परमेश्वर ईमानदार इंसान को पसंद करता है। मूल बात यह है कि परमेश्वर निष्ठावान है, अत: उसके वचनों पर हमेशा भरोसा किया जा सकता है; इसके अतिरिक्त, उसका कार्य दोषरहित और निर्विवाद है, यही कारण है कि परमेश्वर उन लोगों को पसंद करता है जो उसके साथ पूरी तरह से ईमानदार होते हैं। ईमानदारी का अर्थ है अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करना; हर बात में उसके साथ सच्चाई से पेश आना; हर बात में उसके साथ खुलापन रखना, कभी तथ्यों को न छुपाना; अपने से ऊपर और नीचे वालों को कभी भी धोखा न देना, और परमेश्वर से लाभ उठाने मात्र के लिए काम न करना। संक्षेप में, ईमानदार होने का अर्थ है अपने कार्यों और शब्दों में शुद्धता रखना, न तो परमेश्वर को और न ही इंसान को धोखा देना। ... कुछ लोग परमेश्वर की उपस्थिति में नियम-निष्ठ और उचित शैली में व्यवहार करते हैं, वे "शिष्ट व्यवहार” के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, फिर भी आत्मा की उपस्थिति में वे अपने जहरीले दाँत और पँजे दिखाने लगते हैं। क्या तुम लोग ऐसे इंसान को ईमानदार लोगों की श्रेणी में रखोगे? यदि तुम पाखंडी और ऐसे व्यक्ति हो जो "व्यक्तिगत संबंधों" में कुशल है, तो मैं कहता हूँ कि तुम निश्चित रूप से ऐसे व्यक्ति हो जो परमेश्वर को हल्के में लेने का प्रयास करता है। यदि तुम्हारी बातें बहानों और महत्वहीन तर्कों से भरी हैं, तो मैं कहता हूँ कि तुम ऐसे व्यक्ति हो जो सत्य का अभ्यास करने से घृणा करता है। यदि तुम्हारे पास ऐसी बहुत-से गुप्त भेद हैं जिन्हें तुम साझा नहीं करना चाहते, और यदि तुम प्रकाश के मार्ग की खोज करने के लिए दूसरों के सामने अपने राज़ और अपनी कठिनाइयाँ उजागर करने के विरुद्ध हो, तो मैं कहता हूँ कि तुम्हें आसानी से उद्धार प्राप्त नहीं होगा और तुम सरलता से अंधकार से बाहर नहीं निकल पाओगे। यदि सत्य का मार्ग खोजने से तुम्हें प्रसन्नता मिलती है, तो तुम सदैव प्रकाश में रहने वाले व्यक्ति हो। यदि तुम परमेश्वर के घर में सेवाकर्मी बने रहकर बहुत प्रसन्न हो, गुमनाम बनकर कर्मठतापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से काम करते हो, हमेशा देने का भाव रखते हो, लेने का नहीं, तो मैं कहता हूँ कि तुम एक निष्ठावान संत हो, क्योंकि तुम्हें किसी फल की अपेक्षा नहीं है, तुम एक ईमानदार व्यक्ति हो। यदि तुम स्पष्टवादी बनने को तैयार हो, अपना सर्वस्व खपाने को तैयार हो, यदि तुम परमेश्वर के लिए अपना जीवन दे सकते हो और दृढ़ता से अपनी गवाही दे सकते हो, यदि तुम इस स्तर तक ईमानदार हो जहाँ तुम्हें केवल परमेश्वर को संतुष्ट करना आता है, और अपने बारे में विचार नहीं करते हो या अपने लिए कुछ नहीं लेते हो, तो मैं कहता हूँ कि ऐसे लोग प्रकाश में पोषित किए जाते हैं और वे सदा राज्य में रहेंगे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ

सामान्य लोगों के स्वभाव में कोई कुटिलता या धोखेबाज़ी नहीं होती, लोगों का एक-दूसरे के साथ एक सामान्य संबंध होता है, वे अकेले नहीं खड़े होते, और उनका जीवन न तो साधारण होता है और न ही पतनोन्मुख। इसलिए भी, परमेश्वर सभी के बीच ऊँचा है, उसके वचन मनुष्यों के बीच व्याप्त हैं, लोग एक-दूसरे के साथ शांति से, परमेश्वर की देखभाल और संरक्षण में रहते हैं, पृथ्वी, शैतान के हस्तक्षेप के बिना, सद्भाव से भरी है, और मनुष्यों के बीच परमेश्वर की महिमा बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे लोग स्वर्गदूतों की तरह हैं: शुद्ध, जोशपूर्ण, परमेश्वर के बारे में कभी भी शिकायत नहीं करने वाले, और पृथ्वी पर पूरी तरह से परमेश्वर की महिमा के लिए अपने सभी प्रयास समर्पित करने वाले।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 16

मैं उन लोगों में प्रसन्नता अनुभव करता हूँ जो दूसरों पर शक नहीं करते, और मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच को तत्परता से स्वीकार कर लेते हैं; इन दो प्रकार के लोगों की मैं बहुत परवाह करता हूँ, क्योंकि मेरी नज़र में ये ईमानदार लोग हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें

मेरे राज्य को उन लोगों की ज़रूरत है जो ईमानदार हैं, उन लोगों की जो पाखंडी और धोखेबाज़ नहीं हैं। क्या सच्चे और ईमानदार लोग दुनिया में अलोकप्रिय नहीं हैं? मैं ठीक विपरीत हूँ। ईमानदार लोगों का मेरे पास आना स्वीकार्य है; इस तरह के व्यक्ति से मुझे प्रसन्नता होती है, और मुझे इस तरह के व्यक्ति की ज़रूरत भी है। ठीक यही तो मेरी धार्मिकता है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 33

यह कि परमेश्वर लोगों से ईमानदार बनने का आग्रह करता है यह साबित करता है कि वो वास्तव में उन लोगों से घृणा करता है जो बेईमान हैं और परमेश्वर बेईमान लोगों को पसंद नहीं करताI परमेश्वर कपटी लोगों को पसंद नहीं करता है, इस तथ्य का अर्थ है कि वो उनके कार्यों, स्वभाव, और मंशाओं से नफ़रत करता है; अर्थात, परमेश्वर उनके कार्य करने के तरीके को पसंद नहीं करता। इसलिए, अगर हमें परमेश्वर को प्रसन्न करना है, तो हमें सबसे पहले अपने कार्यों और अपने मौजूदा अस्तित्व को बदलना होगा। इससे पहले, हमने लोगों के बीच रहने के लिए झूठ, दिखावे, और बेईमानी को अपनी पूँजी के रूप में और अस्तित्व संबंधी आधार, जीवन, और बुनियाद जिसके अनुसार हम आचरण करते थे, के रूप में उपयोग करते हुए इन पर पर भरोसा किया। यह कुछ ऐसा है जिससे परमेश्वर घृणा करता था। संसार के अविश्वासियों में यदि तू चालाकी या बेईमानी करना नहीं जानता तो तेरे लिए दृढ़ रहना कठिन हो सकता है। एक बेहतर जीवन पाने के लिए, तू केवल झूठ बोल पाएगा, धोखाधड़ी कर पाएगा, स्वयं को बचाने और छिपाने के लिए कपटी और धूर्त तरीकों का उपयोग करने में सक्षम होगा। परमेश्वर के घर में, ठीक इसका उल्टा होता है: तू जितना अधिक बेईमान होगा, उतना ही अधिक तू दिखावा करने और स्वयं को आकर्षक बनाने के लिए परिष्कृत हेरफेर का उपयोग करेगा, तब तू दृढ़ रहने में उतना ही असमर्थ होगा, परमेश्वर ऐसे लोगों को और अधिक खारिज करता और उनसे नफ़रत करता है। परमेश्वर ने पहले से तय किया है कि स्वर्ग के राज्य में केवल ईमानदार व्यक्ति ही भूमिका निभाएंगे। अगर तू ईमानदार नहीं है और अगर, तेरे जीवन में, तेरा व्यवहार ईमानदार बनने की दिशा में नहीं है और तू अपना वास्तविक चेहरा उजागर नहीं करता है, तब तुझे परमेश्वर के कार्य को प्राप्त करने या परमेश्वर की प्रशंसा हासिल करने का मौका कभी भी नहीं मिलेगा।

— "मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'एक ईमानदार व्यक्ति होने का सबसे बुनियादी अभ्यास' से उद्धृत

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण:

एक ईमानदार व्यक्ति होने का वास्तव में क्या अर्थ है? सबसे पहले, हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि एक ईमानदार व्यक्ति में अंतःकरण और समझ होती है, ऐसे लोग अपने हृदय में परमेश्वर का उत्कर्ष करते हैं, और वे परमेश्वर के प्यार का ऋण चुकाने में सक्षम हैं। दूसरा, एक ईमानदार व्यक्ति व्यावहारिक और यथार्थवादी तरीके से बोलता है। वह तथ्यों को विकृत नहीं करता है, वह निष्पक्ष रूप से बोलता है, और वह लोगों के साथ निष्पक्षता से व्यवहार करता है। ऐसा मनुष्य एक ईमानदार व्यक्ति है। तीसरा, एक ईमानदार व्यक्ति परमेश्वर का सम्मान करता है, वह सत्य का अभ्यास करता है और परमेश्वर का आज्ञापालन करता है। ऐसे व्यक्ति अपने हृदय में परमेश्वर का सम्मान करते हैं और वे सच्चाई का अभ्यास करने और परमेश्वर का आज्ञापालन करने में सक्षम होते हैं। इस तरह का व्यक्ति एक ईमानदार व्यक्ति है। चौथा, एक ईमानदार व्यक्ति निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों को करता है। वह जो कुछ भी करता है उसमें वह परमेश्वर के प्रति वफादार होता हैं। पाँचवाँ, एक ईमानदार व्यक्ति अपने हृदय में परमेश्वर से प्रेम करता है। वह सभी चीजों में परमेश्वर की इच्छा पर विचार करने में सक्षम होता है। छठा, एक ईमानदार व्यक्ति परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन जीता है। वह वास्तव में परमेश्वर की आराधना करने में सक्षम होता है। कोई भी व्यक्ति जो इन उपरोक्त अभिलक्षणों को धारण करने में सक्षम है, वह एक ईमानदार व्यक्ति है। परमेश्वर अपनी उपस्थिति में ऐसे लोग के रहने से संतुष्ट होता है क्योंकि वह ठीक इसी प्रकार के व्यक्ति को चाहता है। यह ठीक उसी प्रकार का व्यक्ति है जिसे कि परमेश्वर पूर्ण बनाना चाहता है। इसी प्रकार के व्यक्ति को परमेश्वर देखना चाहता है। इस प्रकार का मनुष्य एक ईमानदार व्यक्ति है।

— 'जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति' से उद्धृत

परमेश्वर ईमानदार लोगों को क्यों पसंद करता है? पहले तो, ईमानदार लोग दूसरों के साथ सद्भाव से ताल-मेल रख सकते हैं, वे दूसरों के अंतरंग मित्र हो सकते हैं। वे तुम्हें धोखा नहीं देते हैं, वे सच बोलते हैं; जब तुम इस प्रकार के लोगों से व्यवहार करते हो, तो तुम्हारा मन स्पष्ट, चिंतामुक्त और शांत होता है। दूसरा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईमानदार लोग भरोसेमंद और विश्वसनीय होते हैं; जब तुम उन्हें कुछ करने के लिए कहते हो, या जब वे तुम्हारी मदद करते हैं, तो तुम उन पर भरोसा कर सकते हो। यही कारण है कि किसी ईमानदार व्यक्ति के साथ काम करते समय, तुम बेफ़िक्र, निश्चिंत, चिंतामुक्त और शांत महसूस करते हो, तुम्हें राहत और खुशी का अनुभव होता है। केवल जब तुम ईमानदार व्यक्ति होते हो, तभी तुम दूसरों के अन्तरंग मित्र बन सकते हो और लोगों का विश्वास प्राप्त कर सकते हो, इस प्रकार केवल एक ईमानदार व्यक्ति ही एक सच्चे इंसान के सदृश होता है।

— 'जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति' से उद्धृत

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