41. मैंने प्रभु की वापसी का स्वागत किया है

चुआनयांग, संयुक्त राज्य अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका की 2010 की सर्दियों में मुझे बहुत ठंड लगी। हवा और बर्फ की कड़ाके की ठंड के अलावा एक और भी बुरी बात यह थी कि मेरा दिल ऐसा महसूस करता था मानो किसी "शीत लहर" ने उस पर हमला बोल दिया हो। हम लोगों के लिए, जो आंतरिक सज्जा के व्यवसाय में हैं, सर्दियों का समय सबसे कठिन होता है क्योंकि जैसे ही सर्दी शुरू होती है, काम बहुत कम हो जाता है। यहाँ तक कि हम अपनी रोज़गारी भी खो देते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह मेरा पहला वर्ष था, मैं अभी आया ही था, और मुझे सब कुछ अपरिचित लगता था। न तो किराए पर एक अपार्टमेंट लेना आसान था, और न ही नौकरी पाना—और मेरे दिन मुश्किलों से भरे हुए थे। यह इतना कठिन हो गया कि मुझे अपने अपार्टमेंट का किराया चुकाने के लिए भी उधार लेना पड़ा। इस दुर्दशा का सामना करते हुए मैं उदास रहने लगा, और मुझे लगा कि मेरा जीवन वास्तव में असह्य था। रात होते ही ठिठुरती दीवारों में रहकर मैं इतना दुखी महसूस करता कि मैं केवल रोना चाहता था। एक दिन, जब मैं अपने दुःख और चिंता में बेख़बर टहल रहा था, तो प्रभु यीशु के सुसमाचार को फैलाने वाले एक व्यक्ति ने मुझे एक कार्ड दिया, और कहा, "प्रभु यीशु आपसे प्रेम करता है। भाई, हमारी कलीसिया में आओ और प्रभु के सुसमाचार को सुनो!" मैंने मन ही मन सोचा: "लगता है, मेरे पास करने को अभी कुछ नहीं है, इसलिए इसे सुनने के लिए चले जाने में कोई नुकसान नहीं है। मैं चला ही जाऊँ, करने को कुछ तो है।" तो बस ऐसे ही, मैं कलीसिया पहुँच गया। मैंने पादरी को परमेश्वर यीशु की कोई बात ऊँची आवाज़ में पढ़ते हुए सुना: "क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। जब मैंने यह सुना, तो प्रभु के प्रेम से मैं गहराई से द्रवित हो उठा। मुझे कैसा लगा यह मैं स्पष्ट रूप से समझा नहीं सकता, लेकिन मैं महसूस कर सकता था कि प्रभु का प्रेम वास्तविक था, और यह संसार में पाए जाने वाले किसी भी प्रेम से बढ़कर था। मेरे दुःख-संतप्त दिल को बहुत सांत्वना महसूस हुई। परिणामस्वरूप, मैंने प्रभु यीशु पर अपना भरोसा रखने का निश्चय कर लिया। बाद में, मैंने उत्साहपूर्वक हर रविवार की सभा में भाग लेना शुरू कर दिया, और अपने उत्साही अनुसरण के कारण मैं जल्द ही कलीसिया में एक सहकर्मी बन गया।

कलीसिया में दो साल सेवा करने के बाद, प्रभु के मेरे साथ होने को मैं लगातार कम महसूस करने लगा। बाइबल पढ़ते समय मुझे प्रबुद्ध होने की अनुभूति नहीं होती थी, प्रार्थना करते समय मैं द्रवित महसूस नहीं करता था, न ही मुझे ऐसा महसूस होता था कि सभाओं में शामिल होने से मुझे कुछ लाभ हो रहा था। इसके अलावा, मैंने देखा कि कैसे कलीसिया में हर कोई केवल दिन में पाप करने और रात में कबूल करने का जीवन जी रहा था, और कैसे हर कोई, चाहे वह पादरी, एल्डर या सामान्य विश्वासी हो, पाप से बंधा हुआ था, ईर्ष्यापूर्ण विवादों में उलझा हुआ था, गुटबंदी के लिए साजिश कर रहा था, प्रसिद्धि और लाभ के लिए लड़ रहा था, और सांसारिक चीज़ों की कामना कर रहा था। सभी प्रकार के गैर-कानूनी काम अधिक से अधिक किए जा रहे थे। मैंने यह भी देखा कि बाहर समाज में, लोग हर गुज़रते दिन के साथ और अधिक बुरे और स्वार्थी होते जा रहे थे, और दुनिया भर में भूकंप, अकाल और महामारियों की विपदाएँ लगातार घट रही थीं। सभी प्रकार के संकेतों से यह स्पष्ट था कि अंतिम दिन आ गए थे, और प्रभु यीशु जल्द ही लौट आएगा। पादरी और एल्डर्स अक्सर बाइबल के इन छंदों के बारे में हमारे लिए प्रचार किया करते थे: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। अपने उपदेशों में, उन्होंने अंधाधुंध दावा किया कि अंतिम दिनों में झूठे मसीह दिखाई देंगे, और उन्होंने हमें बताया कि हमें अजनबियों के उपदेश को बिलकुल नहीं सुनना चाहिए। उन्होंने यहाँ तक कहा कि हमारी कलीसिया के लोगों के अलावा, अन्य मतों में विश्वास करने वाले सभी गलत थे, और हमें ध्यान से अन्य लोगों के बारे में सतर्क रहना चाहिए ताकि हम धोखा न खा जाएँ और अंततः गलत रास्ते का अनुसरण न कर लें। चूँकि मैंने पादरियों को अक्सर इस तरह से उपदेश देते हुए सुना, इसलिए मैंने खुद से कहा: "प्रभु के सन्निकट आगमन के इस अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण में मुझे मार्ग से भटकना नहीं चाहिए, और मुझे निश्चित रूप से प्रभु में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।"

सितंबर 2016 के मध्य में एक दिन, मुझे बहन झू का एक अप्रत्याशित फोन आया। बहन झू हमारी कलीसिया में एक लंबे समय से विश्वास करने वाली और एक उत्साही साधक थी, और हमारे सम्बन्ध हमेशा अच्छे रहे थे, इसलिए मुझे उसका फोन आने पर बहुत खुशी हुई। मैंने बहन झू को उत्साह से यह कहते हुए सुना, "भाई, मेरे पास आपको देने के लिए एक अच्छी ख़बर है: प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है! इस बार परमेश्वर ने मनुष्य का न्याय करने, शुद्धिकरण करने और बचाने का कार्य करने के लिए देहधारण किया है!" मुझे ये शब्द सुनकर कुछ आश्चर्य हुआ, और मैंने मन ही मन सोचा: "क्या बहन झू ने प्रभु का मार्ग छोड़ दिया है? क्या वह एक और संप्रदाय में शामिल हो गई है? वह इतनी मूर्ख कैसे हो सकती है? पादरियों और एल्डर्स ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि अंतिम दिनों में झूठे मसीह सामने आएँगे, तो उसने उनकी बात क्यों नहीं सुनी है? यदि हम इस महत्वपूर्ण क्षण में जब प्रभु जल्द ही आने वाला है, अपने विश्वास में भटक जाते हैं, तो क्या इतने वर्षों से किया गया हमारे विश्वास का अभ्यास व्यर्थ न होगा?" यह सोचते ही, मैंने घबराकर बहन ज़ू से पूछा, "बहन, बाइबल में कहा गया है कि अंतिम दिनों में झूठे—", लेकिन मेरी बात पूरी होने का इंतज़ार किए बिना, बहन झू बोल पड़ी। "भाई, प्रभु यीशु ने हमें 'दोष मत लगाओ,' की चेतावनी दी थी, और हमें मनचाहा निर्णय पारित नहीं करना चाहिए, ताकि हम परमेश्वर द्वारा निंदित न हों।" बहन की चेतावनी ने मुझे प्रभु के इन वचनों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया: 'दोष मत लगाओ, तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा। दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे' (लूका 6:37)। मैंने कुछ और कहने की हिम्मत नहीं की। बहरहाल, प्रभु की वापसी जैसी एक महत्वपूर्ण घटना के बारे में, बहन झू और मेरी अपनी-अपनी राय थी, और हम दोनों एक दूसरे को मनाना चाहते थे। इसलिए हमने बारी-बारी से अपनी बात कहने की कोशिश की, लेकिन अंत में हम दोनों में से कोई भी दूसरे को मना न सका।

इसके एक महीने से भी अधिक समय बाद तक, बहन झू ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए बार-बार फोन किया, बल्कि मैंने हमेशा इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया, और उससे आग्रह किया कि वह हमारी कलीसिया में वापस आए और प्रभु में विश्वास करना जारी रखे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैंने देखा कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर अपने विश्वास में दृढ़ थी और वह अपनी आस्था में ज़रा भी नहीं डगमगाएगी, इसलिए मुझे इसे जाने देना पड़ा, और मैंने उसे मनाने की कोशिश करना बंद कर दिया। मैंने कहा, "अब से, मैं फिर भी अपने प्रभु यीशु पर विश्वास करता रहूँगा और तुम अपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास कर सकती हो, और हम एक-दूसरे के विश्वास में हस्तक्षेप नहीं करेंगे!" उसके बाद, जब भी बहन झू ने मुझे परमेश्‍वर के अंतिम दिनों के कार्य के बारे में गवाही देने के लिए बुलाया, मैं उससे बचने का बहाना ढूँढ़ लेता था। मैं अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से इनकार करता रहा, लेकिन उसने कभी भी मेरे लिए सुसमाचार फैलाने का प्रयास नहीं त्यागा।

नवंबर में एक सुबह, 5 बजे के तुरंत बाद, दिन के उजाले से पहले ही, किसी ने मेरे घर के दरवाज़े की घंटी बजाई। मैंने दरवाजा खोला और बहन ज़ू को देखा, और उसके साथ एक भाई और एक बहन थे। बहन झू को देखकर मैं अपना बचाव करने लगा। मैंने मन ही मन सोचा: "क्या मैंने तुम्हें साफ़-साफ़ नहीं कहा था? तुम फिर भी इतनी दूर मेरे घर पर क्यों आई हो? चाहे तुम जो भी कहो, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाला नहीं हूँ।" इतने वर्षों से एक ही कलीसिया के सदस्यों के रूप में एक-दूसरे को जानने के बावजूद मैंने उनसे कुछ अप्रिय वचन कहे और उन्हें अंदर जाने से रोका। जब बहन झू ने मुझे इतना दृढ़ देखा, उसके चेहरे पर एक निराशा दिखाई दी और भावुकता से भर्रायी आवाज़ में वह मुझसे बोली, "भाई, मैं तुम्हारे पास राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने इसलिए आई हूँ कि मैं पवित्र आत्मा से प्रेरित हुई हूँ। यदि यह परमेश्वर के प्रेम के कारण नहीं होता, तो मैं अपने अभिमान को निगलकर तुम्हारे लिए बार-बार सुसमाचार के प्रचार का प्रयास कर पाने में सक्षम न होती। भाई, प्रभु यीशु वास्तव में लौट आया है। फिलहाल, पवित्र आत्मा उन लोगों पर काम कर रहा है जिन्होंने परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार किया है। अगर यह पवित्र आत्मा के कार्य के लिए न होता, तो किसी में भी, तुम्हारे पास सुसमाचार का प्रचार करने आने के लिए, इतनी आस्था और इच्छाशक्ति कैसे हो सकती है? तुमने भी हमारी (पुरानी) कलीसिया की वर्तमान स्थिति को देखा है। हमारे भाई-बहन सभी पाप से बंधे रहते हैं और उनमें इससे मुक्त होने की ताक़त नहीं है। परमेश्वर इस बार मनुष्य का न्याय करने, हमें पाप से मुक्त करने और हमें शुद्ध करने के लिए अपने वचनों को व्यक्त करने आया है। यदि हम अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य को चूक जाते हैं, तो हमारे पास परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने का एक और मौका न होगा।" बहन के नेक वचनों ने मुझे हिला दिया और मैं कुछ ढीला पड़ा। विशेष रूप से, जब वह हमारी कलीसिया की स्थिति के बारे में बात कर रही थी, तो कलीसियाओं में होने वाली सभी चीज़ें अचानक मेरे मन में उभरने लगीं: जिस कलीसिया में मैंने सबसे पहले सेवा की थी, पादरी कहते तो कुछ थे, और करते कुछ और थे, और जो भी बहुत-से धन का योगदान करता था, पादरी उसका मुस्कुराहट के साथ स्वागत करते थे और उसकी ओर बहुत ध्यान दिया करते थे। लेकिन जो भी अधिक धन का योगदान नहीं देता था, पादरी उसे अनदेखा करते थे और उसको छोटा समझते थे। मैं वास्तव में ऐसा होते नहीं देख सकता था, इसलिए मैं एक दूसरी कलीसिया में शामिल हो गया। इस कलीसिया में मैंने सहकर्मियों को एक दूसरे को हटाने, ईर्ष्यापूर्ण विवादों में पड़ने और एक दूसरे के साथ गुटबंदी करने के लिए साजिश करते हुए देखा था, और वे लौकिक दुनिया के लोगों से ज़रा भी अलग नहीं थे। इससे मुझे बहुत निराशा हुई। पहले मैं एक और कलीसिया में चले जाना चाहता था, लेकिन एक भाई ने मुझे बताया कि वह पहले ही कई कलीसियाओं से गुज़र चुका है, और चाहे वह जहाँ भी गया हो, उसने हमेशा वही एक जैसा उजाड़ और अन्धकार पाया था...। मैंने उन विभिन्न व्यवहारों के बारे में भी सोचा जो मैंने स्वयं पाप में रहते हुए प्रदर्शित किए थे, जिससे मुझे अपने दिल में अस्थिरता महसूस होने लगी। मैंने सोचा: "क्या ऐसा हो सकता है कि प्रभु यीशु पाप को मिटाने का कार्य करने के लिए सचमुच देह में लौट आया है?" ठीक तभी, बहन झू ने आगे कहा, "जहाँ तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु है या नहीं, इसका प्रश्न है, तुम्हें केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ना है, और फिर तुम जान लोगे। जिस समय प्रभु यीशु अपने कार्य को पूरा करने आया, उसके शिष्यों ने उसका अनुसरण किया क्योंकि उन्होंने उसके वचनों और उसके कार्य के माध्यम से पहचान लिया था कि वह मसीहा था जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी। आज, यह निर्धारित करने के लिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जो अपना कार्य करने के लिए आया है, प्रभु यीशु का प्रकटन है या नहीं, हमें भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों को देखकर वैसा ही करना चाहिए। यदि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद भी, तुम मानते हो कि वह लौटा हुआ परमेश्वर नहीं हैं, तो मैं तुम्हें विश्वास करने के लिए मजबूर करने की कोशिश नहीं करुँगी, और मैं तुम्हारे लिए सुसमाचार का प्रचार करना बंद कर दूँगी, क्योंकि परमेश्वर ने कभी किसी को अपने सुसमाचार को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं किया है।"

बहन झू के ऐसा कहने के बाद, मैंने एक पल के लिए झिझकते हुए मन ही मन सोचा: "मैं उन्हें पढ़ ही लूँ और ठीक-ठीक देखूँ तो सही कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में कौन-से सत्य बताये गए हैं, जिन्होंने बहन झू को सर्वशक्तिमान परमेश्वर में ऐसा दृढ़ विश्वास दिया है।" तब, मैंने दरवाजा खोला और बहन झू और बाकी को अपने घर में आने दिया। बहन झू ने अन्य लोगों का परिचय दिया, कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से बहन झांग किंग और भाई लियू कैमिंग थे। बहन झू ने कहा, "भाई चुआनयांग, पिछले कई महीनों से मैंने अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया है। इसकी जाँच करने के लिए मैं खुद सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में गई, और मैंने उनके कलीसियाई जीवन में भाग लिया। व्यक्तिगत अनुभवों और नेक खोजबीन के माध्यम से, मैंने देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया वास्तव में एक ऐसी कलीसिया है जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य है। यह एक प्रामाणिक कलीसिया है, और यह बिल्कुल परमेश्वर से उत्पन्न हुई है। तुम और मैं वर्षों से एक साथ एक कलीसिया के सदस्य रहे हैं, और कलीसिया के सह-कार्यकर्ता के रूप में, तुम्हें मुझसे बेहतर मालूम होगा कि अब उसके भीतर क्या चल रहा है। पवित्र आत्मा ने हमारी उस कलीसिया में बहुत पहले ही काम करना बंद कर दिया था, और यह कुछ ऐसा है जो हर कोई जानता है। पादरी उन उपदेशों का प्रचार नहीं कर सकते जो हमें जीवन प्रदान करते हैं। वे केवल यह प्रचार करते हैं कि कैसे हमला करना है या अन्य संप्रदायों के खिलाफ़ कैसे सतर्क रहना है, वे हमें बताते हैं कि हमें परमेश्वर का नाम निभाए रखना चाहिए और जब तक हम अपने कलीसिया को नहीं छोड़ते हैं, तब तक हमें बचा लिया जाएगा। लेकिन वास्तव में प्रभु के वचन में उनके इस काम के लिए कोई भी आधार नहीं है। वे केवल अपनी स्थिति की रक्षा करने और अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं, और वे हमारे जीवन के लिए कुछ भी नहीं सोचते हैं। अगर वे वास्तव में हमारे जीवन के लिए ज़िम्मेदार महसूस करते तो उन्हें पहल करनी चाहिए और एक ऐसी कलीसिया की तलाश में हमारी अगुआई करनी चाहिए जहाँ पवित्र आत्मा कार्यरत हो, बजाय इसके कि हम उस धर्म में ज़िद से बने रहें जिसमें पवित्र आत्मा ने बहुत पहले कार्य करना बंद कर दिया हो, (आध्यात्मिक) भुखमरी से या पवित्र आत्मा के कार्य से रहित एक कलीसिया में फंसकर हमारी मौत का इंतज़ार करते हुए।" यह सुनने के बाद मैंने मन ही मन सोचा: "जो कुछ भी चल रहा है, बहन झू उसका सही वर्णन कर रही है। कलीसिया में आज वास्तव में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, पादरी और एल्डर्स जो कुछ भी करते हैं वह वास्तव में हम विश्वासियों के जीवन की खातिर नहीं किया जाता है, और इस कलीसिया के साथ वर्षों से अटके रहकर मैंने अधिकाधिक महसूस किया है कि प्रभु हमारे साथ नहीं है। मेरी आत्मा ने लंबे समय से शुष्क और प्रकाशविहीन महसूस किया है, जैसे कि यह एक बंद गली में आ गई हो।" उसकी तर्कसंगत और ठोस बात सुनकर, मुझे अब उनके आने के प्रति कोई विरोध महसूस न हुआ।

ठीक तभी, जो भाई—ब्रदर लियू—उसके साथ आया था, उसने कहा, "भाई, धार्मिक दुनिया के उजाड़ का कारण यह है कि परमेश्वर नया कार्य करने आया है और पवित्र आत्मा का कार्य आगे बढ़ा है, लेकिन लोग परमेश्वर के नए कार्य के साथ नहीं हैं। उससे भी एक बड़ा कारण यह है कि पादरियों और एल्डर्स ने प्रभु की आज्ञाओं का पालन नहीं किया है, न ही उन्होंने परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाया है, बजाय इसके उन्होंने विश्वासियों को दुनिया की बुरी प्रवृत्तियों की ओर प्रेरित किया है, यहाँ तक कि उन्होंने परमेश्वर के नए कार्य का विरोध और निंदा भी की है। यह ठीक वैसा ही है जैसे प्रभु यीशु जब अपने कार्य को पूरा करने आया था, तब मंदिर को एक ऐसे स्थान में बदल दिया गया था जहाँ मवेशी, भेड़ और कबूतर बेचे जाते थे और धन का लेन-देन होता था। याजकों ने नियमों का उल्लंघन किया और परमेश्वर को धोखा देने के लिए बलि के रूप में खोट वाले जानवरों की पेशकश की, फरीसियों ने धन का लोभ किया और अपनी स्थिति से प्राप्त लूट का आनंद लिया, और ऐसे अन्य पाप किए गए। यहाँ तक कि जो परमेश्वर की सेवा किया करते थे, वे भी अपने दिलों में परमेश्वर के लिए रत्ती भर भी सम्मान रखे बिना पापों में जीते थे। यह इसे दिखाने के लिए काफ़ी था कि पवित्र आत्मा अब मंदिर में काम नहीं करता था, कि पवित्र आत्मा का कार्य आगे बढ़ चुका था, और यह कि परमेश्वर का व्यवस्था के युग का कार्य समाप्त हो चुका था। प्रभु यीशु व्यवस्था के युग के कार्य की नींव पर छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए आया था, और पवित्र आत्मा अब उन लोगों में कार्य नहीं करता था जो यहोवा परमेश्वर का नाम रखते थे और व्यवस्था से लिपटे रहते थे। बजाय इसके, पवित्र आत्मा का कार्य उन लोगों के लिए स्थानांतरित हो गया था जिन्होंने प्रभु यीशु के नए कार्य को स्वीकार किया। चूँकि अब मंदिर में परमेश्वर की उपस्थिति नहीं थी, इसलिए यह अधिक से अधिक उजाड़ हो गया, और अंततः यह चोरों का अड्डा बन गया। दूसरी ओर, प्रभु यीशु के शिष्यों ने प्रभु के उद्धार को हासिल किया, उन्होंने प्रभु के उपदेशों का पालन किया, उन्होंने आस्था और शक्ति के साथ प्रभु का अनुसरण किया, उन्होंने किसी उत्पीड़न या प्रतिकूलता के डर बिना, अपने घरों को त्याग दिया और सुसमाचार की गवाही देने और उसे फ़ैलाने के लिए अपनी नौकरियाँ छोड़ दीं। क्या यह सब पवित्र आत्मा के कार्य द्वारा उन लोगों में हासिल नहीं किया गया? उसी तरह, आज प्रभु की वापसी यह दर्शाती है कि पुराना युग समाप्त हो गया है, एक नया युग शुरू हुआ है। पवित्र आत्मा ने बहुत पहले ही अनुग्रह के युग की कलीसियाओं में कार्य करना बंद कर दिया था; बल्कि उसने उन लोगों पर कार्य करना शुरू कर दिया है जिन्होंने परमेश्वर के नए काम को स्वीकार किया है, जिससे बाइबल की ये भविष्यवाणियाँ पूरी होती हैं: 'जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया' (आमोस 4:7)। 'देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महँगी करूँगा; उस में न तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी' (आमोस 8:11)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर यह भी कहता है: 'परमेश्वर इस तथ्य को पूर्ण करेगा : वह संपूर्ण ब्रह्मांड के लोगों को अपने सामने आने के लिए बाध्य करेगा, और पृथ्वी पर परमेश्वर की आराधना करवाएगा, और अन्य स्थानों पर उसका कार्य समाप्त हो जाएगा, और लोगों को सच्चा मार्ग तलाशने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह यूसुफ की तरह होगा : हर कोई भोजन के लिए उसके पास आया, और उसके सामने झुका, क्योंकि उसके पास खाने की चीज़ें थीं। अकाल से बचने के लिए लोग सच्चा मार्ग तलाशने के लिए बाध्य होंगे। संपूर्ण धार्मिक समुदाय गंभीर अकाल से ग्रस्त होगा, और केवल आज का परमेश्वर ही मनुष्य के आनंद के लिए हमेशा बहने वाले स्रोत से युक्त, जीवन के जल का स्रोत है, और लोग आकर उस पर निर्भर हो जाएँगे' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सहस्राब्दि राज्य आ चुका है)। 'परमेश्वर ने लोगों के इस समूह को समस्त ब्रह्माण्ड भर में अपने कार्य का एकमात्र केंद्रबिंदु बनाया है। उसने तुम लोगों के लिए अपने हृदय का रक्त तक निचोड़कर दे दिया है; उसने ब्रह्माण्ड भर में पवित्रात्मा का समस्त कार्य पुनः प्राप्त करके तुम लोगों को दे दिया है। इसी कारण से मैं कहता हूँ कि तुम लोग सौभाग्यशाली हो। इतना ही नहीं, वह अपनी महिमा इस्राएल, उसके चुने हुए लोगों से हटाकर तुम लोगों के ऊपर ले आया है, और वह इस समूह के माध्यम से अपनी योजना का उद्देश्य पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष करेगा। इसलिए तुम लोग ही वह हो जो परमेश्वर की विरासत प्राप्त करोगे, और इससे भी अधिक, तुम परमेश्वर की महिमा के वारिस हो' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है जितना मनुष्य कल्पना करता है?)। 'चूँकि धर्म में मौजूद लोग परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार करने में अक्षम हैं और केवल अतीत के पुराने कार्य को ही पकड़े रहते हैं, इसलिए परमेश्वर ने इन लोगों को छोड़ दिया है, और वह अपना कार्य उन लोगों पर करता है जो इस नए कार्य को स्वीकार करते हैं। ये वे लोग हैं, जो उसके नए कार्य में सहयोग करते हैं, और केवल इसी तरह से उसका प्रबंधन पूरा हो सकता है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास)। परमेश्वर के इन वचनों से हम देख सकते हैं कि पवित्र आत्मा अब अनुग्रह के युग की कलीसियाओं में काम नहीं करता है, इसलिए चाहे लोग कितना भी कठिन प्रयास करें या कलीसियाओं को पुनर्जीवित करने के लिए किसी भी प्रकार के मानवीय तरीकों का उपयोग करें, इसका कोई लाभ नहीं है। कैथलिक कलीसिया और प्रोटेस्टेंट संप्रदाय सभी एक जैसे हैं; उनके विश्वासियों की आत्माएँ भूखी-प्यासी हैं, उनका विश्वास और उनका प्रेम धीरे-धीरे ठंडा होता जा रहा है, वे प्रभु की शिक्षाओं को निभाने में असमर्थ हैं, और उनमें से कई दुनिया की बुरी प्रवृत्तियों का पालन करते हैं, धन का पीछा करते हैं और सांसारिक चीज़ों की कामना करते हैं। कलीसियाएँ उजाड़ की जगहें बन गई हैं। दूसरी ओर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन विभिन्न संप्रदायों को छोड़कर, और विभिन्न व्यवसायों से, अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के लिए आते हैं। वे वो बुद्धिमान कुंवारियाँ हैं, जो परमेश्वर की आवाज़ सुनकर उसके सिंहासन के सामने लौट आई हैं। वे लोग जीवन के जीवित जल की आपूर्ति प्राप्त कर रहे हैं जो परमेश्वर के सिंहासन से बहता है, स्वयं परमेश्वर उनकी चरवाही और अगुआई कर रहा है, और वे एकजुट होकर परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रसार कर रहे हैं और इसकी गवाही दे रहे हैं। वे दुनिया के उपहास और बदनामी को झेलते हैं, वे विभिन्न संप्रदायों के नेताओं के दुर्व्यवहार और निंदा को सहते हैं, और उन्हें पीटा भी जाता है, सीसीपी सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जाता है, उनके घरों की तलाशी ली जाती है, उनकी संपत्ति ज़ब्त की जाती है, उन्हें घोर यातनाएँ दी जाती हैं और जेल में डाल दिया जाता है। फिर भी, उनके पास आस्था है, उनके पास ताक़त है, उनके पास प्रेम है, और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने में और अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य की गवाही देने में दृढ और अटल हैं। उनका ऐसा कर पाना उनकी अपनी ताक़त से नहीं है। ये सब पवित्र आत्मा के कार्य से प्राप्त हुए प्रभाव हैं! इसके अलावा, परमेश्वर की इच्छा धार्मिक दुनिया में उसके द्वारा अकाल भेजने में देखी जाती है। ऐसा करने में उसका उद्देश्य उन लोगों को जो वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करते हैं और सत्य के प्यासे हैं, धर्म से नाता तोड़ने, स्वयं को धार्मिक मसीह-विरोधियों के नियंत्रण से बचाने, और धर्म से दूर हट जाने के लिए मजबूर करना है। ऐसा करने में, वे परमेश्वर के नक्शेक़दम और परमेश्वर के प्रकटन की तलाश कर सकते हैं, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार कर सकते हैं, और परमेश्वर द्वारा शुद्ध और पूर्ण किए जा सकते हैं। इसके साथ ही, जो अविश्वासी लोग धर्म में बने रहते हैं, जो भोग करने की इच्छा रखते हैं और जो सच्चे दिल से परमेश्वर को नहीं मानते हैं, बल्कि जो इंसानों की उपासना और उनका अनुसरण करते हैं, उन्हें उजागर कर हटा दिया जाएगा। इस तरह, सभी लोगों को उनके प्रकार के अनुसार अलग किया जाएगा। क्या यह परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और सर्वशक्तिमत्ता नहीं है?"

परमेश्वर के वचनों और इस भाई की सहभागिता को सुनने के बाद, मुझे लगा कि यह सब बहुत व्यावहारिक और वस्तुस्थिति से जुड़ा हुआ था। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मानो मैं एक सपने से जाग उठा था, और मैंने विभिन्न कलीसियाओं के उजाड़ के स्रोत को समझ लिया। इस क्षण में, मैंने अंततः देखा कि मैं कितना असंवेदनशील रहा था। हालाँकि मैंने देखा था कि पादरी और एल्डर्स से लेकर साधारण विश्वासी तक सभी पाप से बंधे हुए थे, और यह कि कलीसिया अधर्म और अन्याय से भरी हुई थी, मैंने फिर भी न तो परमेश्वर की इच्छा की, और न ही पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश की। मैंने परमेश्वर की आवाज़ को सुनने पर भी ध्यान नहीं दिया और इसके परिणामस्वरूप, मुझे पवित्र आत्मा के कार्य से हटा दिया गया था, जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं था। मुझे एहसास हुआ कि मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता थी। उस दिन, जब बहन झू और उसके साथी जा रहे थे, उन्होंने फिर से आने और मेरे साथ सहभागिता करने के लिए एक समय भी निश्चित किया, और उन्होंने मुझे मेमने ने पुस्तक को खोला की एक प्रति भी दी, जिसे पाकर मैं बहुत खुश हुआ।

बाद में, जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन की पुस्तक मेमने ने पुस्तक को खोला पढ़ी, तो मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से कई रहस्यों का पता चलता है, जैसे मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर द्वारा किए गए कार्य के तीन चरण, अंतिम दिनों में उसके न्याय का कार्य, उसके राज्य की सुंदरता, इत्यादि, जिसने मुझे परमेश्वर के कार्य की गहरी समझ दी। मेरी प्यासी आत्मा तृप्त हो गई, और जितना अधिक मैंने इस पुस्तक को पढ़ा, यह मुझे उतनी ही अधिक अच्छी लगी। मैं सुबह 5:30 बजे उठा करता था, लेकिन जब मैंने मेमने ने पुस्तक को खोला की अपनी प्रति प्राप्त की, तो मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने और उनके वचनों पर चिंतन करने के लिए सुबह 4:30 बजे उठने लगा, और मेरी आत्मा को बहुत संतोष महसूस हुआ। एक दिन सुबह, जब मैं "क्या तुम परमेश्वर के एक सच्चे विश्वासी हो?" नाम का अध्याय पढ़ रहा था, मैंने अपने दिल में एक ज़बरदस्त हलचल महसूस की। सर्वशक्तिमान परमेश्वर वो परमेश्वर है जो लोगों के अंतरतम दिलों की छानबीन करता है, और उसने हमारे भ्रष्ट स्वभाव को उजागर किया है जिसे हम कभी भी खुद से नहीं जान सकते थे, इस प्रकार मैं शैतान द्वारा अपनी भ्रष्टता की सच्चाई को देखने में सक्षम हुआ। यह विशेष रूप से सच था जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा: "बहरहाल, मैं कहता हूँ कि जो लोग सत्य का सम्मान नहीं करते हैं वे सभी अविश्वासी और सत्य के प्रति गद्दार हैं। ऐसे लोगों को कभी भी मसीह का अनुमोदन प्राप्त नहीं होगा। ... तुम्हें समझना चाहिए कि परमेश्वर इस संसार या किसी एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि उन सबका है जो उस पर सचमुच विश्वास करते हैं, उन सबका जो उसकी आराधना करते हैं, और उन सबका है जो उसके प्रति समर्पित और निष्ठावान है।" इन वचनों पर विचार करते समय, मैं अपने आप से पूछता रहा: क्या मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करता हो? क्या मैं सत्य का आदर करता हूँ? प्रभु में मेरे विश्वास करने के इन बीते वर्षों में मैंने किसका आदर किया है? मैंने सोचा, किस तरह मैं अधिकांश भाइयों और बहनों के जैसा ही था: बाहर से तो मैं बाइबल पढ़ता था और बैठकों में भाग लेता था, लेकिन मैं प्रभु के वचन का अनुभव या अभ्यास करने पर कोई ध्यान नहीं देता था। इसके बजाय, मैंने पादरियों द्वारा प्रचारित उपदेशों और बाइबल के अक्षरों के शाब्दिक अर्थ का आदर किया। मैंने पादरियों द्वारा प्रचारित बाइबल के ज्ञान और धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों में निर्विवाद विश्वास रखा। मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा कि वे जो उपदेश देते थे, उसमें वास्तव में कोई सच्चाई थी या नहीं, या यह प्रभु की इच्छा के अनुरूप था या नहीं, और मैंने निश्चित रूप से वे जो कहते थे उसकी जांच और माप के लिए परमेश्वर के वचनों का उपयोग कभी नहीं किया। उन्होंने जो कुछ भी उपदेश दिया, उसे हम विश्वासी मान लिया करते थे। अब इसके बारे में सोचकर, मुझे एहसास हुआ कि आँख मूंदकर लोगों की उपासना करने में मैं कितना मूर्ख और अज्ञानी था! मैंने पादरियों और एल्डर्स द्वारा दिए गए उन उपदेशों पर फिर से विचार किया। वे या तो चढ़ावा देने या अन्य संप्रदायों के खिलाफ़ सतर्क रहने और कलीसिया की तालाबंदी करने के बारे में उपदेश देते थे, या वे केवल उन्हीं पुरानी चीज़ों के बारे में प्रचार करते थे जिनका वे वर्षों से प्रचार कर रहे थे। कहीं न कोई नई रोशनी थी, न कोई नया ज्ञान था, उनके पास हमें प्रदान करने के लिए कुछ भी नहीं था, हमारी आत्माओं की बंजरता की समस्या को वे हल नहीं कर सकते थे, और निश्चित रूप से वे कलीसिया की वीरानी को दूर नहीं कर सकते थे। इसके चलते भाई-बहन बैठकों में भाग लेते वक्‍त अनमने से रहते थे। बैठकों के दौरान, कुछ लोग बातें किया करते थे, कुछ झपकियाँ लेते थे, और कुछ अपने फोन पर गेम खेला करते थे। मैं इस अंधेरी और उजाड़ कलीसिया में रहता था, लेकिन मैं परमेश्वर की इच्छा को खोजना नहीं जानता था, न ही मैं पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करना जानता था। ऐसा लगता था, मैं कोई ऐसा व्यक्ति था ही नहीं जिसे सत्य की तलाश हो या जो वास्तव में परमेश्वर पर कोई विश्वास भी करता हो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : "जो लोग सत्य का सम्मान नहीं करते हैं वे सभी अविश्वासी हैं।" "परमेश्वर इस संसार या किसी एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि उन सबका है जो उस पर सचमुच विश्वास करते हैं, उन सबका है जो उसकी आराधना करते हैं।" ये वचन बहुत वास्तविक थे, और उन्होंने अचानक मुझे प्रभु यीशु के वचनों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया: "मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 14:6)। मैं तब समझ गया कि परमेश्वर सत्य है, कि परमेश्वर मनुष्य को सत्य, मार्ग और जीवन देने के लिए अपने कार्य को पूरा करता है, और जो लोग परमेश्वर में सचमुच विश्वास करते हैं, वे सत्य की तलाश करने और सत्य को प्राप्त करने पर ध्यान देते हैं। परमेश्वर में विश्वास करने वाले व्यक्ति के रूप में, मैं सत्य की तलाश करने पर ध्यान नहीं दे रहा था, तो क्या मैं अपने विश्वास में गड़बड़ाया नहीं था? यदि मैं परमेश्वर में ऐसे ही विश्वास करता रहता, तो मैं कभी भी परमेश्वर की स्वीकृति कैसे प्राप्त कर सकता था? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से मुझे बहुत लाभ हुआ! जितना अधिक मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ता था, उतना ही अधिक मुझे लगा कि मुझ में कई कमियाँ थीं। और इसलिए, अपने काम का समय छोड़कर, मैंने बाक़ी सारा समय सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने में बिताया। मैं तहेदिल से निश्चित था है कि यही सही तरीका था। लेकिन मैं अब भी प्रभु यीशु द्वारा कहे गए इन वचनों से हैरान था: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। मुझे नहीं पता था कि इन वचनों का आंतरिक अर्थ क्या था, इसलिए मैंने बहन झू और उसके साथियों के फिर से आने पर इसके बारे में तलाश करने का फैसला किया।

हमारे द्वारा निर्धारित समय पर बहन झू और दूसरे भाई और बहन मेरे घर पर आए, और मैंने बहन झांग से कहा, "पिछले कुछ दिनों से मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से बहुत कुछ पढ़ता रहा हूँ, और मुझे लगता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा कहा गया हर वचन सत्य है, और यह वही है जिसकी मुझे वास्तव में ज़रुरत है। इससे पहले, बहन झू ने बार-बार मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को समझने के लिए आमंत्रित करने की कोशिश की थी, लेकिन चूँकि मेरे पादरियों ने प्रचार किया था कि लोगों को धोखा देने के लिए अंतिम दिनों में किस तरह झूठे मसीह प्रकट होंगे, मैंने सच्चे मार्ग की ओर देखने से इनकार कर दिया, और अब मुझे वास्तव में इसका अफ़सोस है। बहरहाल, मैं अभी भी इस बारे में उलझन में हूँ, इसलिए मैं आपके साथ खोज करना चाहूँगा। प्रभु यीशु ने कहा था: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। आप सभी लोग इन वचनों का क्या अर्थ समझते हैं?"

बहन झांग ने कहा, "परमेश्वर को धन्यवाद हो, और वह इस सहभागिता में हमारी अगुआई करे। जहाँ तक आपके द्वारा उठाये गए प्रश्न की बात है, पहले हमें यह समझना चाहिए कि इन वचनों को कहने में प्रभु यीशु का क्या उद्देश्य था, और इसे कहने में उसका तात्पर्य क्या था। प्रभु यीशु ने हमें बताया कि जब वह वापस लौटेगा, तो वह फिर से मसीह के रूप में, मनुष्य के पुत्र के रूप में, देह बनेगा, और इस गद्यांश में प्रभु ने कहा कि झूठे मसीह भी होंगे, जो लोगों को धोखा देने के लिए संकेत और चमत्कार दिखाएँगे। कहने का मतलब यह है कि अगली बार जब परमेश्वर देह धारण करेगा, तो ये झूठे मसीह भी प्रकट होंगे। इससे, हम देख सकते हैं कि प्रभु ने ये वचन हमें यह बताने के लिए कहे थे कि हमें इन झूठे मसीहों के छल से बचने के लिए विवेक विकसित करना चाहिए। उसने ये वचन इसलिए नहीं कहे थे कि हम किसी ऐसे को सुनने से इंकार कर दें जो कि प्रभु के आगमन की खुशखबरी फैलाता है और हमेशा उनके लिए हमारे दरवाज़े बंद कर दें। ऐसा करना एक भूल होगी, और यह प्रभु के इरादे के बारे में पूरी ग़लतफ़हमी होगी। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी: "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। प्रभु के वचनों से यह स्पष्ट होता है कि जब परमेश्वर लौटेगा, तो परमेश्वर की भेड़ों को बुलाने के लिए वह अपनी आवाज़ का उपयोग करेगा, और उसकी आवाज़ से परमेश्वर की भेड़ें उसे पहचान लेगी और उसकी ओर लौट आएँगी। कहने का तात्पर्य यह है कि हम परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने में सक्षम हैं या नहीं, यह इस बात पर अत्यंत निर्भर करता है कि हम परमेश्वर की आवाज़ को पहचान पाते हैं या नहीं। यदि हम परमेश्वर की आवाज़ को सुनने का प्रयास नहीं करते हैं, और लगातार उन लोगों को मना करते हैं जो परमेश्वर की वापसी का सुसमाचार फैलाते हैं, तो क्या हम प्रभु के प्रति द्वार बंद करने और उसे बाहर ही रोक देने की ओर उन्मुख न होंगे? प्रभु के वचनों से हम देखते हैं कि झूठे मसीहों की ख़ास विशेषताएँ लोगों को धोखा देने के लिए संकेतों और चमत्कारों को कर दिखाने की क्षमता है, वे प्रभु यीशु ने अतीत में जो कार्य किया है उसकी नक़ल करते हैं, कुछ संकेतों और चमत्कारों को दिखाते हैं, जैसे बीमारों को ठीक करना और भूत-प्रेतों को भगाना। बहरहाल, झूठे मसीह बुरी आत्माओं के मूर्त रूप हैं, इसलिए चाहे वे जैसे भी करतब दिखाएँ, वे किसी भी सच्चाई को व्यक्त नहीं कर सकते हैं। यह निर्विवाद है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन झूठे मसीहों के भाव और सार को प्रचुरता से स्पष्ट कर देते हैं। आइए, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के कई अंश देखें और आप समझ जाएँगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'यदि अंत के दिनों में यीशु के जैसा ही कोई "परमेश्वर" प्रकट हो जाता, जो बीमार को चंगा करता और दुष्टात्माओं को निकालता, और मनुष्य के लिए सलीब पर चढ़ाया जाता, तो वह "परमेश्वर", बाइबल में वर्णित परमेश्वर के समरूप तो अवश्य होता और उसे मनुष्य के लिए स्वीकार करना भी आसान होता, लेकिन तब वह अपने सार रूप में, परमेश्वर के आत्मा द्वारा नहीं, बल्कि एक दुष्टात्मा द्वारा धारण किया गया देह होता। क्योंकि जो परमेश्वर ने पहले ही पूरा कर लिया है, उसे कभी नहीं दोहराना, यह परमेश्वर के कार्य का सिद्धांत है। इसलिए परमेश्वर के दूसरे देहधारण का कार्य पहले देहधारण के कार्य से भिन्न है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। 'यदि वर्तमान समय में ऐसा कोई व्यक्ति उभरे, जो चिह्न और चमत्कार प्रदर्शित करने, दुष्टात्माओं को निकालने, बीमारों को चंगा करने और कई चमत्कार दिखाने में समर्थ हो, और यदि वह व्यक्ति दावा करे कि वह यीशु है जो आ गया है, तो यह बुरी आत्माओं द्वारा उत्पन्न नकली व्यक्ति होगा, जो यीशु की नकल उतार रहा होगा। यह याद रखो! परमेश्वर वही कार्य नहीं दोहराता। कार्य का यीशु का चरण पहले ही पूरा हो चुका है, और परमेश्वर कार्य के उस चरण को पुनः कभी हाथ में नहीं लेगा। ... यदि अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर अब भी चिह्नों और चमत्कारों को प्रदर्शित करे, और अब भी दुष्टात्माओं को निकाले और बीमारों को चंगा करे—यदि वह बिल्कुल यीशु की तरह करे—तो परमेश्वर वही कार्य दोहरा रहा होगा, और यीशु के कार्य का कोई महत्व या मूल्य नहीं रह जाएगा। इसलिए परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य का एक चरण पूरा करता है। ज्यों ही उसके कार्य का प्रत्येक चरण पूरा होता है, बुरी आत्माएँ शीघ्र ही उसकी नकल करने लगती हैं, और जब शैतान परमेश्वर के बिल्कुल पीछे-पीछे चलने लगता है, तब परमेश्वर तरीक़ा बदलकर भिन्न तरीक़ा अपना लेता है। ज्यों ही परमेश्वर ने अपने कार्य का एक चरण पूरा किया, बुरी आत्माएँ उसकी नकल कर लेती हैं। तुम लोगों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से यह स्पष्ट है कि सारे झूठे मसीह वो दुष्ट आत्माएँ हैं जो मसीह होने का ढोंग करती हैं। भले ही वे खुद को परमेश्वर कहें, उनके पास रत्ती भर सच्चाई नहीं होती है और निश्चित रूप से वे परमेश्वर के कार्य को अंजाम नहीं दे सकते, क्योंकि उनके पास मसीह का सार नहीं होता है। लोगों को धोखा देने के लिए वे केवल परमेश्वर के पीछे चलकर यीशु ने जो कार्य किया है उसकी नक़ल कर सकते हैं। झूठे मसीह कभी भी लोगों के सामने सच्चाई या उनके अभ्यास के लिए एक नया मार्ग नहीं ला पाएँगे। हर कोई जानता है कि इस दुनिया के सभी नकली उत्पाद असली उत्पादों की नक़ल करके बनाए जाते हैं। झूठे मसीह भी वैसे ही हैं। वे बीमारों को चंगा करते हैं और भूत-प्रेतों को बाहर निकालते हैं और प्रभु यीशु द्वारा किए गए कार्यों की नक़ल करके लोगों को धोखा देने के लिए कुछ सरल चमत्कार करते हैं, लेकिन इसकी कोई सम्भावना नहीं है कि झूठे मसीह मरे हुए को फिर से जीवित कर सकें, या पाँच रोटी और दो मछलियों से 5,000 लोगों को खिला सकें। इसलिए, जो कोई भी खुद को मसीह कहता है, जो कहता है कि वह लौटा हुआ प्रभु यीशु है, और जो संकेत और चमत्कार प्रदर्शित कर बीमारों को चंगा करता है और भूतों को बाहर निकालता है, ये लोग बिना किसी संदेह के लोगों को छलने वाले झूठे मसीह हैं। बहरहाल, मसीह स्वयं परमेश्वर का देहधारण है, वह देह में अवतरित परमेश्वर की आत्मा है, उसमें सामान्य मानवता और पूर्ण दिव्यता होती है, और वह पूर्ण रूप से स्वयं परमेश्वर ही है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर का सार धारण करता है, और अपने कार्य में परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि धारण करता है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। वे जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते हैं, धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्य के बीच रहकर अपना कार्य करता और पूरा करता है। यह देह किसी भी आम मनुष्य द्वारा उसके बदले धारण नहीं की जा सकती है, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पर्याप्त रूप से संभाल सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है। जो मसीह का भेस धारण करते हैं, उनका देर-सवेर पतन हो जाएगा, क्योंकि वे भले ही मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें मसीह के सार का लेशमात्र भी नहीं है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि मसीह की प्रामाणिकता मनुष्य द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती, बल्कि स्वयं परमेश्वर द्वारा ही इसका उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। तो, केवल मसीह ही परमेश्वर के कार्य को अंजाम दे सकता है, केवल मसीह ही सत्य को व्यक्त कर सकता है, और केवल मसीह ही परमेश्वर के स्वभाव को व्यक्त कर मनुष्य को प्रावधान और चरवाही प्रदान कर सकता है। केवल मसीह ही मानव जाति को छुड़ाने और बचाने का कार्य कर सकता है, केवल वही पुराने युग को समाप्त कर सकता है और नए युग को ला सकता है। उससे भी बढ़कर, परमेश्वर का कार्य हमेशा नया है और कभी पुराना नहीं होता, और परमेश्वर कभी भी किसी कार्य को दोहराता नहीं है। इसलिए, हर बार जब भी मसीह किसी कार्य को करने आता है, वह हमेशा परमेश्वर के स्वभाव को, उसके पास क्या है और वह क्या है, इन्हें व्यक्त करते हुए एक नया कार्य लेकर आएगा। उदाहरण के लिए, जब प्रभु यीशु कार्य करने के लिए आया, तो उसने व्यवस्था के युग को समाप्त कर दिया और अनुग्रह के युग की शुरुआत की, उसने धर्मोपदेश दिया जिससे लोग अपने पापों को स्वीकार करें और पश्चाताप कर सकें, और उसने लोगों को अपने शत्रुओं से प्रेम करना, विनम्र होना, धैर्य रखना और दूसरों को क्षमा करना सिखाया। ये उन बातों में से थीं जिन्हें प्रभु यीशु ने की थीं। प्रभु यीशु ने मनुष्य के लिए परमेश्वर के प्रेमपूर्ण और दयालु स्वभाव का खुलासा किया। इसी प्रकार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंतिम दिनों में आया है, और उसने अनुग्रह के युग को समाप्त किया है और राज्य के युग की शुरुआत की है। हमें वे सच्चाइयाँ देकर जिनकी हमें शुद्ध होने और उद्धार को पाने के लिए आवश्यकता है, हमें वह मार्ग दिखाकर जिस पर चलकर हम पाप से मुक्त होकर उद्धार को प्राप्त कर सकें, और परमेश्वर के धर्मी, प्रतापी और क्रोधी स्वभाव को व्यक्त करते हुए, प्रभु यीशु के उद्धार के कार्य की नींव पर वह मनुष्य के न्याय और शुद्धिकरण का कार्य कर रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों के माध्यम से, हम पूर्ण रूप से यह पहचान लेने में सक्षम हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है और वह अंतिम दिनों में मानवजाति के बीच प्रकट होने वाला साक्षात् परमेश्वर है।"

परमेश्वर के वचनों और इस बहन द्वारा दी गई सहभागिता को सुनने के बाद, मुझे ऐसा लगा मानो मैं एक सपने से जाग गया था, और मैं अंततः समझ गया कि सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच भेद कैसे किया जाए। इससे मुझे खुशी और शर्मिंदगी दोनों महसूस हुईं, क्योंकि मैंने देखा कि सच्चाई के बिना मैं कितना दयनीय था। मैंने सोचा कि कैसे मैंने बार-बार अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य को नकारा था, और मैंने महसूस किया कि ऐसा इसलिए हुआ था कि मैं झूठे मसीहों द्वारा धोखा दिए जाने से भयभीत था, परिणामतः मैंने सच्चे मसीह को अस्वीकार कर दिया, जैसे कोई दम घुटने के भय से खाना ही छोड़ दे। जब प्रभु लौटा और उसने मेरे दरवाज़े पर दस्तक दी, तो मैंने परमेश्वर की आवाज़ को सुनने से इनकार कर दिया, बार-बार परमेश्वर के लिए दरवाज़ा बंद कर दिया। लेकिन परमेश्वर ने मुझे बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, बल्कि उसने इन भाइयों और बहनों को सुसमाचार फैलाने के लिए मेरे घर आने के लिए प्रेरित किया। परमेश्वर ने वास्तव में मुझे कभी नहीं त्यागा था—परमेश्वर का प्रेम वास्तव में बहुत महान है! चूँकि मेरे पादरियों की बात पर मैंने विश्वास किया था, मैंने यह तय कर लिया था कि जो कोई भी लौटे हुए प्रभु के लिए गवाही देगा, वह एक झूठे मसीह का प्रचार कर रहा होगा। मैंने प्रभु के वचन को गलत समझा था, और मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नकारा था, उसकी निंदा और उसका विरोध किया था, और मैंने यह भी माना था कि मैं जिन अवधारणाओं को थामे हुए था, वे सही थीं—मैं बहुत हास्यास्पद था! अगर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को नहीं पढ़ा होता और सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच रहे अंतर पर इन भाइयों और बहनों की सहभागिता को नहीं सुना होता, तो मैं कभी भी सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच भेद नहीं कर पाता और मैंने पादरियों और एल्डर्स की बातों से केवल धोखा खाया होता। परमेश्वर के आगमन के प्रति पादरियों और एल्डर्स के प्रतिरोध और इनकार का मैंने अनुसरण किया होता, और इस तरह परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने का यह अत्यंत दुर्लभ अवसर खो दिया होता। जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मैंने बहन झू और अन्य लोगों से कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने और आपकी सहभागिता को सुनने के माध्यम से, अब मुझे पता है कि सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच भेद कैसे करना है। अब मैं आश्वस्त हो गया हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटा हुआ प्रभु यीशु है, और मैं अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने को तैयार हूँ।"

जब मैंने कलीसिया के जीवन में भाग लेना शुरू किया, तो मैंने देखा कि भाइयों और बहनों ने बहुत-सी सच्चाइयों को समझा था, और उनकी तुलना में मुझमें बहुत कमी थी। मैंने मन ही मन सोचा: "परमेश्वर के वचन पर अधिक सहभागिता, और मेरी मदद करने के लिए बहन झू और वे अन्य लोग, मेरे पास होने चाहिए ताकि मैं और जल्दी से सत्य को समझ सकूँ।" मैंने बहन झू से इस बारे में बात की और उससे पूछा कि क्या मेरे घर को सभा स्थल में बदला जा सकता था, और वह तुरंत सहमत हो गई। उसके बाद, हम परमेश्वर के वचन को पढ़ने और सच्चाई के बारे में सहभागिता करने के लिए हर सप्ताह एकत्र होते थे। मुझे धीरे-धीरे परमेश्वर के वचनों का अधिक से अधिक ज्ञान हुआ और सत्य की अधिक से अधिक समझ हुई। मैं तहेदिल से महसूस कर सकता था कि ये वचन सत्य के प्रकटन थे। उस क्षण में, मैंने उन वचनोंके बारे में सोचा जो प्रभु यीशु ने कहे थे: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। मुझे और भी द्रवित महसूस हुआ, और मैंने देखा कि प्रभु के ये सभी वचन सच हो चुके थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन है "आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर सभी सच्चाइयों को समझने और उसमें प्रवेश पाने के लिए मनुष्य का मार्गदर्शन करने की प्रक्रिया में है। केवल अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करके और केवल परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सच्चाई को स्वीकार करके ही कोई शुद्ध किया जा सकता है, मोक्ष प्राप्त कर सकता है और एक ऐसा व्यक्ति बन सकता है जो परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन था जो मुझे परमेश्वर के घर वापस ले आया और यह मुझे परमेश्वर के सिंहासन के सामने ले आया। अब, हर दिन मुझे प्रावधान और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए मेरे पास परमेश्वर के वचन हैं, और मुझे शांत एवं आनंदित, सहज और प्रकाश से भरपूर महसूस होता है। सत्य की खोज और बिलकुल अंत तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने में जो भी हो सके, मैं वह सब करना चाहता हूँ!

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