348 हैसियत सँजोने में क्या मूल्य है?

लोग ईश-इच्छा का ध्यान रखना न जानें।

उसके कार्यकलाप न देख सकें।

प्रकाश के भीतर चल न सकें,

न उससे रोशन हो सकें।


1

हालांकि इंसान ईश-वचनों को सँजोये,

पर वो शैतान की चालें न समझ सके।

क्योंकि उसका आध्यात्मिक कद है बहुत छोटा,

वो जो करना चाहे, न कर सके।

इंसान ने ईश्वर से कभी सच्चा प्यार नहीं किया है।

ईश्वर जब उसका उत्कर्ष करे,

तो वो खुद को लायक न समझे,

फिर भी उसे संतुष्ट करने की कोशिश न करे,

जो हैसियत मिली, बस उसकी जाँच करे।


इंसान अपने रुतबे से मिले लाभ हड़पने में लगा रहे।

ईश्वर की मनोहरता उसे समझ न आए।

क्या ये इंसान की कमी नहीं?


क्या इंसान के पद के लिए पहाड़

सरकने का रास्ता बदल सकें?

जलसमूह का बहाव रुक सके?

क्या स्वर्ग और धरती पलट सकें?


2

ईश्वर कभी इंसान के प्रति बहुत दयालु था,

बार-बार उसने दया दिखाई,

फिर भी कोई इसे नहीं सँजोता।

वे बस इसे कहानी समझकर सुनते,

उपन्यास समझकर पढ़ते।

क्या उसके वचन इंसान का दिल नहीं छूते?

क्या उसके कथनों का कोई प्रभाव न पड़े?

शायद उसके अस्तित्व में किसी को विश्वास नहीं?


इंसान को खुद से प्रेम नहीं;

वो शैतान के साथ मिलकर ईश्वर पर हमला करे।

शैतान को संपत्ति-सा इस्तेमाल करे ईश-सेवा के लिए।


ईश्वर शैतान की सभी साजिशें भेद देगा,

और उसके धोखे में आने से धरा के लोगों को रोकेगा,

ताकि वे उसका विरोध ना करें।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 22 से रूपांतरित

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