161 ईसाइयों के हृदयों में वचन

1 चीन में परमेश्वर में विश्वास रखना और उसकी गवाही देना इतना मुश्किल क्यों है? सीसीपी को परमेश्वर और ईसाइयों से इतनी भयंकर घृणा क्यों है? जब संविधान में धार्मिक आस्था की आज़ादी है, तो सीसीपी ईसाइयों का उत्पीड़न और उनकी गिरफ़्तारी क्यों करती है? पुलिस द्वारा कितने ही भाई-बहनों का पीछा किया गया है, उन पर नज़र रखी गई है, कितने ही लोगों को जेल में डाल दिया गया है और उन्हें यातना देकर मार दिया गया है, कितने ही लोगों को घर-बार छोड़कर भागने पर मजबूर किया गया है। परमेश्वर में आस्था साफ़ तौर पर इंसानी ज़िंदगी का सही मार्ग है, फिर भी इसे कलंकित और बदनाम किया जाता है; जो मसीह के अनुयायी परमेश्वर की गवाही देते हैं उन्हें गिरफ़्तार करके यातना दी जाती है। अगर दो-तीन लोग मिलकर परमेश्वर में अपनी आस्था पर बातचीत करते हैं, तो उसे गैर-कानूनी सभा का आयोजन बताकर उन्हें दंडित किया जाता है। जब हम लोग मिलकर परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं, तो हमें सार्वजनिक जीवन को अस्त-व्यस्त करने का दोषी करार दिया जाता है। कैमरों के ज़रिये हर गली-मुहल्ले पर नज़र रखी जाती है, हर जगह सादे कपड़ों में अधिकारी और भेदिए घूमते हैं, अगर हम ज़रा-सी भी लापरवाही करते हैं तो हम परमेश्वर के विश्वासियों को गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया जाता है। हम लोग कब बेफ़िक्र होकर एक साथ परमेश्वर के वचनों को पढ़ पाएँगे? मेरा दिल रोता है। परमेश्वर में विश्वास रखना, मसीह का अनुसरण करना, उसकी गवाही देना उचित और उपयुक्त है; मैं एक ईसाई हूँ, और मैं एक स्वतंत्र विश्व के लिये लालायित हूँ!

2 सीसीपी परमेश्वर के प्रति अपनी शत्रुता में निर्मम है, वह गृह कलीसियाओं का विनाश करती है। वह ऑनलाइन माध्यमों से ईसाइयों को बदनाम करती है, पुलिस बल को इकट्ठा करके, पागलों की तरह ईसाइयों का पीछा करती है, इसने दूर-दूर तक अपना जाल फैला रखा है; ईसाइयों की शिकायत करने और हम पर नज़र रखने के लिये वह लोगों को उकसाती है। मसीह का पीछा करने में यह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती। इसे मसीह का समूल नाश करके की ख़ुशी मिलेगी; यह कलीसियाओं की घेराबंदी करती है, और ईसाइयों को कहीं रहने लायक नहीं छोड़ती। परमेश्वर में हमारी आस्था और हमारा मसीह का अनुसरण करना न तो अनुचित है, और न ही गैर-कानूनी है; फिर सीसीपी ईसाइयों का उत्पीड़न और हमें हमारे जीवन के अधिकारों से वंचित क्यों करती है? इंसान को बचाने के लिए मसीह के सत्य व्यक्त करने की निंदा और इसका प्रतिरोध क्यों करती है? यह लोगों को सत्य की खोज करने, मसीह का अनुसरण करने, और इंसानी जीवन के उचित मार्ग पर चलने से क्यों रोकती है? यह उपदेश देने और इंसानों के बीच उद्धारक के आगमन की गवाही देने से मना क्यों करती है? यह किस तरह की राष्ट्रीय सरकार है? कानून और न्याय कहाँ हैं? मानवाधिकार कहाँ हैं, आज़ादी कहाँ है? चीन शैतान की कालकोठरी है! परमेश्वर में विश्वास रखना, मसीह का अनुसरण करना, उसकी गवाही देना उचित और उपयुक्त है; मैं एक ईसाई हूँ, और यह मेरा अधिकार है कि मैं अपने जीवन का मार्ग ख़ुद चुनूँ!

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