201 ज़िंदगी का जीवित झरना है देहधारी परमेश्वर
1
जो कार्य प्रदान करे सटीक वचन, अनुसरण के लिये स्पष्ट लक्ष्य,
देखा और छुआ जा सके जिसे, देखा और छुआ जा सके जिसे,
वो कार्य सबसे ज़्यादा मूल्यवान है भ्रष्ट इंसान के लिये।
सिर्फ़ वास्तविक कार्य और मार्गदर्शन जो समय पर होता है,
ऐसे कार्य हैं जो इंसान की रुचि के सबसे अनुकूल होते हैं।
हाँ, असली कार्य ही इंसान को बचाता है दुराचरण और उसके भ्रष्ट स्वभाव से।
केवल देहधारी परमेश्वर ही ऐसा कर सकता है, इंसान को उसके पहले के भ्रष्ट
और दूषित स्वभाव से बचा सकता है, दूषित स्वभाव से बचा सकता है।
2
बन गए हैं अधिकतर लोग दुश्मन, परमेश्वर के दुश्मन, इस देह की वजह से,
मगर जब वो अंत करेगा, अपने सारे कार्य पूरे करेगा,
तो फिर वे दुश्मन नहीं रहेंगे, वे फिर उसके ख़िलाफ़ नहीं रहेंगे।
बल्कि बन जाएंगे वे सभी उसके गवाह,
परमेश्वर द्वारा जीत लिये जाने के बाद,
बन जाएंगे अनुरूप उसके, वे हैं अनुरूप उसके,
और हो नहीं सकते जुदा उससे।
केवल देहधारी परमेश्वर ही ऐसा कर सकता है,
इंसान को उसके पहले के भ्रष्ट और दूषित स्वभाव से बचा सकता है।
दिखायेगा इन्सान को वो अहमियत देह में किये गये अपने काम की,
ताकि समझ सके इंसान,
मानव के अस्तित्व के अर्थ की ख़ातिर अहमियत क्या है इस देह की,
जानेगा उसका असली मूल्य इंसान की ज़िंदगी के विकास की ख़ातिर।
ये भी जानेगा इंसान, कि यह देह बनेगा जीवन का जीवित झरना
जिसकी जुदाई सह नहीं सकता इंसान, जिसकी जुदाई सह नहीं सकता इंसान।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है से रूपांतरित