96 परमेश्वर ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है
1
परमेश्वर ने अंत के दिनों में देहधारण किया है, वह दीन बनकर इंसानों के बीच छिपा रहता है।
वह इंसानों को बचाने के लिए सत्य व्यक्त करता है; बिना किसी शिकायत के अपना अधिकतम देता है।
उसका दिल करुणामय है, फिर भी उसके प्रति लोगों का रुख ठंडा है।
वह अपनी जान देकर कीमत चुकाता है, लेकिन किसने उसका स्वागत एक मुसकान के साथ किया है?
उसने इंसान को बचाने की दिलो-जान से कोशिश की है।
लोग उसके दिल को समझते क्यों नहीं?
2
परमेश्वर मुझे वचनों से पुकारता है, और वह अपने सिंहासन के समक्ष मुझे उठाता है।
जब मुझमें अज्ञानता और कमियाँ होती हैं, तो परमेश्वर मुझे प्रबुद्ध करता है; जब मैं दुखी और कमजोर होता हूँ, तो परमेश्वर मुझे दिलासा देता है।
जब मैं अहंकारी, आत्माभिमानी, या विद्रोही होता हूँ, तो परमेश्वर का न्याय और ताड़ना मुझे अनुशासित करते हैं।
जब मैं मुसीबतों और परीक्षणों का अनुभव करता हूँ, तो परमेश्वर के वचन मेरा मार्गदर्शन और अगुआई करते हैं।
परमेश्वर के प्रेम से मेरा जीवन परिपक्व होता।
मैं परमेश्वर की उदारता का का मूल्य चुकाने के लिए अपना पूरा अस्तित्व अर्पित कर दूँगा।
3
परमेश्वर हमारे साथ रहता है, वह हमारी विपत्ति, खुशी और दर्द बाँटता है।
उसके वचन मेरा न्याय और शुद्धिकरण करते हैं; मैं अपनी भ्रष्टता छोड़ देता हूँ और बचा लिया जाता हूँ।
परमेश्वर को सिय्योन लौटना है; काश हम और साथ रह पाते।
मेरा दिल उदास और उचाट है; पता नहीं हम फिर कब साथ होंगे।
मुझे परमेश्वर का अनुग्रह याद आता है, जिसका हर दृश्य अविस्मरणीय है।
मुझे गहराई से उसकी सुलभता, वंदनीयता और मनोहरता महसूस होती है।
परमेश्वर का महान प्रेम मेरे दिल में अंकित है।
मैं बिना डगमगाए सदा उसका अनुसरण करता हूँ।
मैं परमेश्वर से प्रेम करूँगा और आजीवन उसके प्रेम का प्रतिदान दूँगा।