909 परमेश्वर का अधिकार असली और सच्चा है
1
हालाँकि ईश्वर के पास सामर्थ्य और अधिकार है,
उसका अधिकार खोखला नहीं, असली और सच्चा है।
धीरे-धीरे प्रकट और साकार होती है
उसके सामर्थ्य की प्रमाणिकता और वास्तविकता
उसके सृजन में, हर चीज़ पर उसके नियंत्रण में, उस प्रक्रिया में
जिससे वो इंसान की अगुवाई और प्रबंधन करता है।
सामर्थ्य और अधिकार ईश्वर का हर चीज़ में निरंतर प्रकट होता है।
ये प्रकाशन उसके अधिकार के अस्तित्व को दिखाते हैं,
क्योंकि वो अपना काम जारी रखने,
हर चीज़ को आज्ञा देने, उन पर शासन करने के लिए
इस्तेमाल करता है अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
उसके अग्रदूत या स्वर्गदूत नहीं ले सकते स्थान उसके सामर्थ्य का।
वही कर सकता है इस्तेमाल अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
कोई इंसान इस पर शक नहीं कर सकता|
2
इंसान, कायनात और तमाम चीज़ों पर, ईश्वर की हुकूमत का
तरीका, नज़रिया और ब्योरा,
उसका किया सारा काम और उसका सारा ज्ञान
पक्के सबूत हैं इस बात के ईश्वर का सामर्थ्य और अधिकार
गूँजने वाले खोखले शब्द नहीं, असली और सच्चे हैं।
सामर्थ्य और अधिकार ईश्वर का हर चीज़ में निरंतर प्रकट होता है।
ये प्रकाशन उसके अधिकार के अस्तित्व को दिखाते हैं,
क्योंकि वो अपना काम जारी रखने,
हर चीज़ को आज्ञा देने, उन पर शासन करने के लिए
इस्तेमाल करता है अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
उसके अग्रदूत या स्वर्गदूत नहीं ले सकते स्थान उसके सामर्थ्य का।
वही कर सकता है इस्तेमाल अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
कोई इंसान इस पर शक नहीं कर सकता|
3
अग्रदूतों, स्वर्गदूतों में बहुत सामर्थ्य होता है।
किए होंगे उन्होंने चमत्कार या काम जो सौंपे ईश्वर ने उन्हें,
मगर अंत में, ईश्वर के आदेशों को पूरा किया उन्होंने।
इस बात का सबूत नहीं थे उनके काम कि ईश्वर की तरह अधिकार है उनमें।
क्योंकि ईश्वर जैसा सामर्थ्य नहीं किसी में
जो सृजन, शासन कर सके उस पर जो था, होगा और जो है आज।
कोई नहीं जो इस्तेमाल कर सके, दिखा सके सामर्थ्य ईश्वर का।
सामर्थ्य और अधिकार ईश्वर का हर चीज़ में निरंतर प्रकट होता है।
ये प्रकाशन उसके अधिकार के अस्तित्व को दिखाते हैं,
क्योंकि वो अपना काम जारी रखने,
हर चीज़ को आज्ञा देने, उन पर शासन करने के लिए
इस्तेमाल करता है अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
उसके अग्रदूत या स्वर्गदूत नहीं ले सकते स्थान उसके सामर्थ्य का।
वही कर सकता है इस्तेमाल अपने सामर्थ्य और अधिकार का।
कोई इंसान इस पर शक नहीं कर सकता|
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I से रूपांतरित