31 सभी राष्ट्रों और लोगों पर परमेश्वर का न्याय
1 मेरा राज्य पूरी तरह से साकार हो गया है और वह सार्वजनिक रूप से दुनिया में उतर आया है; यह इस बात का और भी अधिक द्योतक है कि मेरा न्याय पूरी तरह से आ चुका है। एक के बाद एक सभी तरह की आपदाएँ आ पड़ेंगी; सभी राष्ट्र और स्थान आपदाओं का सामना करेंगे : हर जगह महामारी, अकाल, बाढ़, सूखा और भूकंप आएँगे। ये आपदाएँ सिर्फ एक-दो जगहों पर ही नहीं आएँगी, न ही वे एक-दो दिनों में समाप्त होंगी, बल्कि इसके बजाय वे बड़े से बड़े क्षेत्र तक फैल जाएँगी, और अधिकाधिक गंभीर होती जाएँगी। इस दौरान, एक के बाद एक सभी प्रकार की कीट-जनित महामारियाँ उत्पन्न होंगी, और हर जगह नरभक्षण की घटनाएँ होंगी। सभी राष्ट्रों और लोगों पर यह मेरा न्याय है।
2 मेरा नाम सभी दिशाओं में और सभी स्थानों तक फैलना चाहिए, ताकि हर कोई मेरे पवित्र नाम को और मुझे जान सके। आपदाओं के परिणामस्वरूप मेरा नाम व्यापक रूप से फैलेगा, और यदि तुम लोग सजग नहीं रहे, तो तुम लोग अपने हक़ के हिस्से को गँवा दोगे। क्या तुम्हें डर नहीं लगता? मेरा नाम सभी धर्मों, जीवन के सभी क्षेत्रों, सभी राष्ट्रों और सभी संप्रदायों तक फैला है। यह मेरा कार्य है जो, निकट संयोजन में, व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है; यह सब मेरी बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवस्था द्वारा होता है। मैं केवल यही चाहूँगा कि तुम लोग मेरे पदचिह्नों का निकटता से अनुसरण करते हुए हर कदम पर आगे बढ़ने में सक्षम रहो।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 65 से रूपांतरित