98 परमेश्वर के प्रेम का गुणगान हो हमेशा
1
बड़े अपमान को सहते हुए तुम किसकी मांग करते हो?
तुम किसके लिए मेहनत और फ़िक्र करते हो?
परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए यहां-वहां दौड़ते हुए,
तुम सिर्फ़ इस काम के बारे में सोचते हो।
शेर की गुफ़ा में इंसान को बचाने के लिए तुम सत्य व्यक्त करते हो,
चुपचाप अस्वीकृति और निंदा सहन करते हो।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
2
विनम्रता से, छिपकर, बोलते और काम करते हो,
तुम कभी दिखावा नहीं करते हो।
लोगों के लिए एक उदाहरण, तुम संग पीड़ा सहते हो,
बिना शिकायत या अफ़सोस, इंसान के बीच दर्द का स्वाद चखते हो।
तुम मानव जाति को अनन्त जीवन की राह देते हो।
तुम्हारे वचन और काम प्यार प्रकट करते हैं।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
3
इंसान को शुद्ध करने और बचाने के लिए
तुमने सहे सभी दर्द, चुकाई हर क़ीमत।
इंसानी दुनिया की मुश्किलों का अनुभव तुम करते हो।
तब तक बड़ी मेहनत से कोशिशें करते हो तुम
जब तक तुम्हारे दिल के टुकड़े न हो जाते हैं।
युग ने तुम्हें त्याग दिया, सहा है बहुत अपमान तुमने।
इंसान को बचाने के लिए अत्यंत मुश्किलों का सामना किया है तुमने।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
4
इंसान है अहंकारी और विद्रोही, अक्सर देता है तुम्हें तकलीफ़।
धैर्य और सहिष्णुता के साथ,
उसे बचाने के लिए सभी कोशिशें तुम करते हो।
अपना सिर रखने के लिए कोई जगह नहीं,
फिर भी इंसान की देखभाल तुम करते हो।
तुम्हारे वचन लोगों का सिंचन और पोषण करते हैं,
उन्हें बार-बार प्रोत्साहित करते हैं,
ताकि इंसान को मिल सके जीवन, एक अच्छी मंज़िल।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।
हां, तुम्हारे प्यार का हमेशा हो गुणगान।