87 परमेश्वर का प्रेम इंसानों के बीच है
1
दो हज़ार वर्ष पहले, महिमा में तुमने छोड़ा यहूदिया।
अब अंत के दिनों में, विनम्र और छिपे हुए,
तुम आए हो चीन में।
तुम प्रकट होते हो और काम करते हो, व्यक्त करते हो सत्य,
मानव जाति का न्याय और शुद्धिकरण करते हो।
तुम्हारे वचन दिखाते हैं तुम्हारी सर्वशक्तिमत्ता,
तुम्हारे वचनों ने प्राप्त की है विजय और
किया है पूर्ण लोगों का एक समूह।
तुमने चुकाई है हर कीमत,
मानव जाति के उद्धार के लिए तुमने दिया है सब कुछ।
2
तुम सर्वोच्च और सम्मानयोग्य हो, फिर भी तुम खुद को विनम्र बनाते हो, अपना काम करने को इंसान के रूप में प्रकट होते हो।
अभिमानी लोगों पर की जाती है विजय प्राप्त,
करते हैं वे तुम्हारे आगे समर्पण।
तुम्हारे वचनों के न्याय और ताड़ना
प्रकट करते हैं तुम्हारी धार्मिकता और पवित्रता।
महान शुद्धिकरण के ज़रिए
गहराई से दूषित मानव जाति होती है शुद्ध।
तुम्हारी ताड़ना और न्याय हैं
इंसान के लिए तुम्हारा प्रेम और आशीष।
3
काम करने के लिए देहधारी होकर,
तुम सहते हो बड़ा निरादर।
तुम सहते हो इंसान का तिरस्कार और ईश-निंदा,
तुम्हें किया है अस्वीकार इस युग ने।
तकलीफ़ों के कई सालों तक गुज़र कर,
तुम डटे रहे हो मानव जाति को बचाने के लिए,
अपने ख़ून, पसीने और आंसुओं के माध्यम से काम करते हुए,
इंसान के लौटने का इंतज़ार करते हुए।
तुम्हारी धार्मिकता और वफ़ादारी ने
विजय पाई है करोड़ों के दिलों पर।
4
तुम्हारी विनम्रता और तुम्हारे छिपे रहने को देखकर
भर जाते हैं हम प्रशंसा से।
तुम्हारी धार्मिकता और पवित्रता देखकर
हम भर जाते हैं भय और आज्ञाकारिता से।
तुम्हारे कर्मों की गवाही के लिए
इंसान के शब्द नहीं हैं पर्याप्त।
हमारा दिल में गहराई से बसा है आभार और प्रेम।
हमारी तुच्छ ताकत का एक-एक कतरा
वफ़ादारी से पूरा करेगा हमारा कर्तव्य।