512 परमेश्वर के वचनों का आधार ही अभ्यास का मार्ग प्रदान करता है

1

सत्य का अनुसरण करके ही पा सकते तुम बदलाव स्वभाव में, आचरण में।

समझना होगा तुम्हें इसे पूरी तरह से।

जो तुम सत्य ठीक से न समझे,

तो आसानी से भटक जाओगे, फिसल जाओगे।

जीवन में बढ़ने के लिए, खोजो सत्य हर चीज़ में।


2

जो करो उसके मोल पर विचार करो।

सार्थक काम करो, अर्थहीन नहीं।

जब भी हो सके, छोड़ो वो काम जो ज़रूरी नहीं।

कुछ समय इन कामों को करने पर

गर लगे कि इन्हें नहीं करना चाहिए, तो जल्दी उन्हें रोक दो।

जो भी करो, उसमें इस नियम को मानो।

प्रवेश की कोशिश में, सभी मामलों को जाँचो।

सत्य और ईश-वचन द्वारा मंथन करो।

फिर जान जाओगे कौन से कर्म ईश-इच्छा के अनुरूप हैं पूरी तरह।


3

फिर तुम अपनी मनमानी छोड़ पाओगे।

जान जाओगे ईश-इच्छा के अनुरूप कैसे काम करें,

फिर तुम वैसे ही काम करोगे।

तब लगेगा सब चीज़ें हो रहीं स्वाभाविक ढंग से;

सब लगेगा इतना आसान, जितना नहीं लगा पहले।

जिनके पास है सत्य, वो काम करते ऐसे।


4

फिर दूसरों को दिखा सको कि बदल दिया तुमने,

अपना स्वभाव, आचरण अपना।

देखेंगे वे अच्छे कर्म जो निश्चित ही किए हैं तुमने,

और जीते हो सिद्धान्त के अनुसार, काम करते सही।

तुम जानते हो सत्य, है इंसानी सादृश्यता तुममें।

हाँ, ईश-वचन फलित हुए लोगों में।


प्रवेश की कोशिश में, सभी मामलों को जाँचो।

सत्य और ईश-वचन द्वारा मंथन करो।

फिर जान जाओगे कौन से कर्म ईश-इच्छा के अनुरूप हैं पूरी तरह।


चाहे जो बात हो, सत्य के अनुरूप सामना करो।

देखो तुममें और क्या है जो ख़िलाफ़ है सत्य के।


—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, केवल सत्य की खोज करके ही स्वभाव में बदलाव लाया जा सकता है से रूपांतरित

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