प्रश्न 3: पौलुस ने बाइबल में स्पष्ट रूप से कहा है: "इसलिये अपनी और पूरे झुण्ड की चौकसी करो, जिसमें पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है, कि तुम परमेश्‍वर की कलीसिया की रखवाली करो..." (प्रेरितों 20:28)। इससे साबित होता है कि पादरी और एल्डर्स सब पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्त किये जाते हैं। क्या पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्त किया जाना परमेश्‍वर द्वारा अभिषिक्त किये जाने का प्रतीक नहीं है? परमेश्‍वर ने पादरियों और एल्डर्स को समुदायों के सर्वेक्षक के रूप में अभिषिक्त किया। यह गलत नहीं हो सकता है।

उत्तर: धार्मिक मंडलियों में कुछ विवेकहीन लोग अक्सर नियमों को गढ़ने के लिए बाइबल के शब्दों का दुरुपयोग करते हैं। उनका दावा है कि पाखंडी फरीसी और धार्मिक पादरी सभी परमेश्वर द्वारा अभिषिक्त और उपयोग किये जाते हैं। क्या यह गंभीर रूप से परमेश्वर का विरोध और निंदा करना नहीं है? बहुत से लोग यह भेद करना जानते ही नहीं हैं। वे प्रभु पर विश्वास करते हैं किन्तु उनकी स्तुति नहीं करते, बल्कि उपहार, हैसियत और शक्ति की वकालत करते हैं, और पादरियों और एल्डर्स में भी अन्धवत विश्वास करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वे भेद नहीं कर सकते हैं कि क्या किसी में पवित्र आत्मा का कार्य है और सत्य की वास्तविकता है। वे केवल सोचते हैं जब तक किसी के पास एक पादरी प्रमाणपत्र और उपहार होते हैं और वे बाइबल का विश्लेषण कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि वे परमेश्वर द्वारा अनुमोदित और अभिषिक्त किये गए हैं, और उनका पालन करना चाहिए। कुछ लोग और भी विवेकहीन हैं और सोचते हैं कि पादरियों और एल्डर्स का आज्ञापालन करना परमेश्वर का आज्ञापालन करना है, और पादरियों और एल्डर्स का विरोध करना परमेश्वर का विरोध करना है। अगर हम इस तरह के विचारों के अनुसार जाते हैं, तो यहूदियों के मुख्य पुजारी, शास्त्री और फरीसी जो सभी बाइबल से परिचित थे और अक्सर दूसरों को बाइबल समझाते थे, किन्तु प्रभु यीशु के प्रकट होने और कार्य करने पर उनका विरोध किया और निंदा की, और यहां तक कि उन्हें सूली पर भी चढ़ाया, क्या वे लोग परमेश्वर द्वारा अभिषिक्त और प्रयोग किए गए थे? यदि कोई प्रभु यीशु का विरोध और निंदा करने में यहूदी अग्रणियों का पालन करता था, क्या इसका मतलब यह है कि वो परमेश्वर का पालन कर रहा था? क्या आप लोग ये कहेंगे कि वे लोग, जिन्होंने यहूदी अग्रणियों को अस्वीकार कर दिया और प्रभु यीशु का अनुसरण किया, परमेश्‍वर का विरोध कर रहे थे? इससे दिखता है कि यह राय कि "पादरियों और एल्डर्स का पालन करना परमेश्वर का पालन करना है, पादरियों और एल्डर्स का विरोध करना परमेश्वर का विरोध करना है" वास्तव में बहुत विवेकहीन और भ्रामक है! हम परमेश्वर के विश्वासियों को स्पष्ट होना चाहिए कि अगर धार्मिक पादरी और एल्डर्स परमेश्‍वर का विरोध करते हैं, और जिस मार्ग का वे नेतृत्व करते हैं वो सत्य को धोखा देता है और परमेश्वर का विरोध करता है, तो हमें परमेश्वर के पक्ष में खड़े होना चाहिए, उनका पर्दाफाश करना चाहिए और उन्हें अस्वीकार करना चाहिए। यह परमेश्‍वर के प्रति सच्ची आज्ञाकारिता है। वह प्रकाश के लिए अंधेरे को त्यागने और परमेश्वर के इरादों को संतुष्ट करना है इसलिए, जब पादरियों और एल्डर्स से निपटने की बात आती है, हमें सत्य का पीछा करना चाहिए और परमेश्वर के इरादों को समझना चाहिए। अगर पादरी और एल्डर्स ऐसे लोग हैं जो सत्य से प्यार करते हैं और सत्य का पीछा करते हैं, तो उनके पास निश्चित रूप से पवित्र आत्मा का कार्य होगा और परमेश्वर के शब्दों का अभ्यास और अनुभव करने, परमेश्वर का भय मानने, और बुराई से हटने के लिए हमारा नेतृत्व करने में वे सक्षम होंगे। ऐसे लोगों का सम्मान करना और उनका अनुसरण करना परमेश्वर के प्रयोजन से सामंजस्य रखता है! अगर वे सत्य से प्यार नहीं करते हैं और हम उनकी पूजा और अनुसरण करें सिर्फ इसलिये दिखावे और अपने बाइबल ज्ञान और धार्मिक सिद्धांतों को समझाने और स्‍वयं की बड़ाई दिखाने से मतलब रखते, परमेश्‍वर का गुणगान नहीं करते, परमेश्‍वर की गवाही नहीं देते, और हमारा परमेश्‍वर के वचनों का अभ्‍यास और अनुभव करने के लिए नेतृत्‍व नहीं करते, तो वे ऐसे लोग हैं जिन्हें परमेश्‍वर ने निन्दित और शापित किया है और हम परमेश्वर का विरोध करेंगे अगर हम अभी भी उनकी पूजा करते हैं, उनका अनुसरण करते हैं और उनका आज्ञापालन करते हैं। यह पूरी तरह से परमेश्वर के प्रयोजनों के खिलाफ होगा।

वर्तमान की धार्मिक मंडलियों में अधिकांश लोग परमेश्वर का विरोध करने वाले पादरियों और एल्डर्स के सार को पहचानने में असमर्थ हैं। उनका विश्वास है कि जब तक पादरी और एल्डर्स बाइबल समझते हैं और बाइबल की व्याख्या कर सकते हैं, और यह कि जब तक पादरियों और एल्डर्स के कथन बाइबल के अनुरूप हों और बाइबल पर आधारित हों, तब तक लोगों को अनुसरण और आज्ञापालन करना चाहिए। ऐसा दृष्टिकोण सही प्रतीत होता है, किन्तु जब हम इसके बारे में सोचते हैं, तो क्या वाकई पादरी और एल्डर्स बाइबल को समझते हैं? क्या वे वास्तव में परमेश्वर के कार्य जानते हैं? क्या बाइबल ज्ञान का होना परमेश्वर को जानने का प्रतिनिधित्व है? क्या पादरियों और एल्डर्स की बाइबल व्याख्या सुनना वास्तव में लोगों को सत्य को समझने और परमेश्वर को जानने और उनकी आज्ञापालन करने के लिए मार्ग दर्शन कर सकता है? मुझे डर है कि धार्मिक मंडलियों में कोई भी इन सवालों को समझ नहीं पा रहा है। आइये वापस सोचते हैं कैसे यहूदी फरीसी दूसरों को ऐसे दिखाई देते थे जैसे कि वे बाइबल समझते थे और बाइबल को समझाने में अच्छे थे, परन्तु जब प्रभु यीशु कार्य कर रहे थे, तो उन्होंने प्रभु को पहचाना ही नहीं और इसके बजाए बाइबल के पत्रों और नियमों के भरोसे प्रभु यीशु को हर मौके पर फंसाने की कोशिश की। उन्होंने प्रभु यीशु का विरोध किया और उनकी निंदा की, और क्योंकि प्रभु यीशु ने परमेश्वर के शब्दों को व्यक्त किया, उन्होंने प्रभु यीशु को धिक्कारा और उनकी निंदा की, उनके वचनों को ईशनिंदा कह कर आरोपित किया। अंत में, उन्होंने क्रूरता से प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। बस उनकी समस्या क्या थी? क्या वे अहंकारी और परमेश्वर से अनजान नहीं थे? ये तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि बाइबल ज्ञान होने से और बाइबल को समझाने में अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति सत्य को समझता है और परमेश्वर को जानता है, और इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें परमेश्वर के कार्य का ज्ञान है! जो लोग वास्तव में परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हैं, वे परमेश्वर के शब्दों का अनुभव और अभ्यास करने की तरफ ध्यान देते हैं। परमेश्वर के शब्दों में वे परमेश्वर के अद्भुत कार्य देखते हैं, उन सभी सावधानी और विचार को समझते हैं जो परमेश्वर ने मानव जाति को बचाने में खपाए हैं, और स्पष्ट रूप से देखते हैं कि परमेश्वर के कार्य के दौरान उनके द्वारा व्यक्त सभी वचन सत्य की वास्तविकता हैं जिनमें लोगों को प्रवेश करना चाहिए। उनके पास सही समझ भी है कि परमेश्वर इन सत्यों को क्यों व्यक्त करते हैं, उनके प्रयोजन क्या हैं, और वे लोगों पर अपने कार्य के माध्यम से क्या प्राप्त करना चाहते हैं। केवल ऐसे लोग वास्तव में परमेश्वर का कार्य समझते हैं। केवल ऐसे लोग वास्तव में बाइबल और सत्य को समझते हैं। जो लोग वास्तव में बाइबल को समझते हैं वे सभी बाइबल में परमेश्वर के शब्दों का संचार करने पर और परमेश्वर के प्रयोजन, परमेश्वर की मानव से अपेक्षाएं, और परमेश्वर के कार्य और उनके स्वभाव का संचार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और हमें सत्य की वास्तविकता में प्रवेश करने में और लोगों को परमेश्वर का भय करने और परमेश्वर की आज्ञा मानने में हमारा नेतृत्व कर सकते हैं। धार्मिक पादरी और एल्डर्स क्या उपदेश देते हैं? ऐसी बातों का संचार करने का क्या परिणाम है? अंत में, यह केवल लोगों को अधिक से अधिक अहंकारी ही बना सकता है। वे किसी से भी हार नहीं मानते हैं क्योंकि वे थोड़ा सा बाइबल ज्ञान समझते हैं। नतीजतन, जब परमेश्वर सत्य व्यक्त करने के लिए देहधारी बन जाते हैं, वे परमेश्वर को अस्वीकार करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं, और परमेश्वर का सामना करते हैं! चीजों के देखते हुए, पादरियों और एल्डर्स का बाइबल ज्ञान और धार्मिक सिद्धांतों का समझाना वास्तव में परमेश्‍वर का विरोध करना है! क्या वे पहले के फरीसियों की तरह नहीं हैं? क्यों ये धार्मिक पादरी और एल्डर्स परमेश्वर के शब्दों के स्वयं अपने अभ्यास का ज्ञान और अनुभव का संचार करने में सक्षम नहीं हैं? क्यों वे परमेश्‍वर के कार्य और उनके स्वभाव के बारे में अपनी सही समझ नहीं बता पा रहे हैं? यह असल में इसलिए क्योंकि उनके पास परमेश्वर के शब्दों और सत्य का वास्तविक अनुभव नहीं है और वे जिस पर ध्यान केंद्रित करते हैं वो है केवल बाइबल का अध्ययन ताकि वे बाइबल के ज्ञान को प्राप्त कर सकें, यही कारण है कि वे संभवतः पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त नहीं कर सकते। तो कैसे उनकी सेवा को संभवतः परमेश्वर की स्‍वीकृति प्राप्त हो सकती है? परमेश्वर मनुष्य के पुत्रके रूप में देह-धारी बन गए हैं और उन्होंने अंत के दिनों के अपने न्‍याय कार्य को करने के लिए सत्य व्यक्त किया है, हर व्यक्ति की असलियत उजागर करते हुए। जो लोग सत्य से प्यार करते हैं, सत्य से नफरत करते हैं, अच्छे सेवक, बुरे सेवक हैं, जो लोग परमेश्वर की सेवा करते हैं, और जो धन की सेवा करते हैं, वे सभी प्रत्यक्ष होंगे। और जहाँ तक उन धार्मिक पादरियों और एल्डर्स की बात है, वे सभी छंदों को संदर्भ से बाहर लेते हैं और बाइबल को गलत तरीके से परिभाषित करने के लिए अपने विचारों और कल्पनाओं पर भरोसा करते हैं, यहां तक कि यह भी निर्धारित करते हैं कि "बाइबल के बाहर परमेश्वर के कोई कथन और कोई कार्य नहीं है" और अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का विरोध करने और निंदा करने के लिए सभी प्रकार के भ्रम फैलाते हैं। क्या यह लोगों को भ्रमित करना और धोखा देना नहीं है? कौन जानता है कि ऐसे भ्रम फ़ैलाने से कितने विश्वासियों को नुकसान पहुंचा और उन्हें बर्बाद कर दिया गया? कितने लोगों ने परमेश्वर के सिंहासन के सामने ले जाए जाने का और परमेश्वर के साथ विवाह भोज में भाग लेने का मौका और परमेश्वर द्वारा विजयी किए जाने का दुर्लभ अवसर खो दिया? क्या ये पादरी और एल्डर्स लोगों के सही मार्ग को स्वीकारने में अवरोध और बाधाएं नहीं हैं?

चलिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ शब्दों को पढ़ते हैं और हम धार्मिक पादरियों और एल्डर्स को भी बेहतर समझ सकेंगे! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "हर पंथ और संप्रदाय के अगुवाओं को देखो। वे सभी अभिमानी और आत्म-तुष्ट हैं, और वे बाइबल की व्याख्या संदर्भ के बाहर और उनकी अपनी कल्पना के अनुसार करते हैं। वे सभी अपना काम करने के लिए प्रतिभा और पांडित्य पर भरोसा करते हैं। यदि वे कुछ भी उपदेश करने में असमर्थ होते, तो क्या वे लोग उनका अनुसरण करते? कुछ भी हो, उनके पास कुछ ज्ञान तो है ही, और वे सिद्धांत के बारे में थोड़ा-बहुत बोल सकते हैं, या वे जानते हैं कि दूसरों को कैसे जीता जाए, और कुछ चालाकियों का उपयोग कैसे करें, जिनके माध्यम से वे लोगों को अपने सामने ले आए हैं और उन्हें धोखा दे चुके हैं। नाम मात्र के लिए, वे लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने अगुवाओं का अनुसरण करते हैं। अगर वे उन लोगों का सामना करते हैं जो सच्चे मार्ग का प्रचार करते हैं, तो उनमें से कुछ कहेंगे, 'हमें परमेश्वर में अपने विश्वास के बारे में हमारे अगुवा से परामर्श करना है।' देखिये, परमेश्वर में विश्वास करने के लिए कैसे उन्हें किसी की सहमति की आवश्यकता है; क्या यह एक समस्या नहीं है? तो फिर, वे सब अगुवा क्या बन गए हैं? क्या वे फरीसी, झूठे चरवाहे, मसीह-विरोधी, और लोगों के सही मार्ग को स्वीकार करने में अवरोध नहीं बन चुके हैं?"("अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'सत्य का अनुसरण करना ही परमेश्वर में सच्चे अर्थ में विश्वास करना है')

"ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने पादरियों और एल्डर्स के सच्चे सार को उजागर किया है जो स्पष्ट रूप से परमेश्वर की सेवा करते हुए परमेश्वर का विरोध करते हैं और इंसान को धोखा देते हैं! धार्मिक पादरी और एल्डर्स प्रायः पदों को सन्दर्भ से बाहर लेते हैं और इसे समझाते समय बाइबल का गलत अर्थ निकालते हैं। वे दिखावे के लिए, स्वयं का कद बढ़ाने के लिए, और लोगों द्वारा अपनी पूजा और आज्ञापालन करवाने के प्रयोजन से बाइबल के ज्ञान और धार्मिक सिद्धांत की व्याख्या करने के लिए धारणाओं और कल्पनाओं पर भरोसा करते हैं। परन्तु वे कभी प्रभु की प्रशंसा नहीं करते हैं, प्रभु की गवाही नहीं देते हैं, बल्कि हर किसी को अपने नियंत्रण में रखने की योजना बनाते हैं। क्यों इतने सारे धार्मिक लोग हैं, जो पादरियों और एल्डर्स की पूजा करते हैं साथ ही वे जो बाइबल की व्याख्या कर सकते हैं, किन्तु बहुत कम लोग हैं जो प्रभु की महिमा कर सकते हैं? यहां क्या समस्या है? विशेष रूप से अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य के दौरान, ऐसे कई लोग हैं जो सत्य की जांच और उसका अनुसरण नहीं करते हैं। वे परमेश्वर से प्रार्थना नहीं करते किन्तु पादरियों की तलाश करते हैं और उनके आदेशों का पालन करते हैं। ये लोग प्रभु में विश्वास करते हैं या पादरियों में? हमें इन समस्याओं पर आत्मचिंतन करना चाहिए। प्रभु यीशु ने लंबे समय पहले ही परमेश्वर के विरुद्ध धार्मिक फरीसियों के प्रतिरोध का पर्दाफाश कर दिया था, तो कैसे हमारे पास अंत के दिनों में धार्मिक पादरियों और एल्डर्स का कोई प्रभेद नहीं है? और अब भी बहुत से लोग हैं जो उनकी पूजा करते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। वे अनजाने में परमेश्वर के विरोध के रास्ते पर चल पड़े हैं, और फरीसियों की तरह परमेश्वर द्वारा घृणा और नफरत किये जाते हैं। यह किस तरह की समस्या है? क्या यह पादरियों और एल्डर्स द्वारा धोखा दिए जाने का परिणाम नहीं है? अब, बहुत से लोगों ने जो सत्य से प्रेम करते हैं और परमेश्वर की उपस्थिति के लिए भूखे हैं धार्मिक पादरियों और एल्डर्स की यीशु-विरोधी प्रकृति को समझ लिया है। उन सभी ने धर्म को छोड़ दिया है और अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया है और मेम्ने के विवाह के भोज में भाग ले रहे हैं। जहाँ तक उन लोगों की बात है जो अभी भी धार्मिक पादरियों और एल्डर्स की पूजा करते हैं और उनका अनुसरण करते हैं, वे केवल आपदा में पड़ सकते हैं, रो कर अपने दांतों को पीस सकते हैँ। महान आपदा आने वाली है। यदि हम अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को नहीं जांचते हैं और स्वीकारते हैं, तो हमसिर्फ रोते हुए और अपने दांतों को पीसते हुए आपदा में पड़ सकते हैं!

"मायाजाल को तोड़ दो" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 2: कि पादरी और एल्डर्स सभी प्रभु द्वारा चुने और नियुक्त किए गए हैं, और यह कि ये सब वे लोग हैं जो प्रभु की सेवा करते हैं। पादरियों और एल्डर्स का आज्ञापालन करना प्रभु का आज्ञापालन करना है। यदि हम पादरियों और एल्डर्स का विरोध करते हैं और उनकी निंदा करते हैं, तो हम प्रभु का विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा, केवल पादरी और एल्डर्स बाइबल को समझते हैं और बाइबल की व्याख्या कर सकते हैं। केवल वे हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं जब तक पादरियों और एल्डर्स का कथन बाइबल के अनुरूप है और उसका बाइबल में आधार है, तब तक हमें अनुपालन और आज्ञापालन करना चाहिए। जब तक पादरी और एल्डर्स जो करते हैं वह बाइबल के अनुरूप है, तब तक हमें स्वीकार और अनुकरण करना चाहिए। यह कैसे गलत हो सकता है?

अगला: प्रश्न 4: धार्मिक मंडलियों में सभी पादरी बाइबल से परिचित हैं। वे अक्सर कलीसियाओं में बाइबल की व्याख्या करते हैं और बाइबल को बढ़ावा देते हैं। हमने हमेशा सोचा कि वे ऐसे लोग होने चाहिये जो परमेश्वर को जानते हैं। तो फिर अंत के दिनों के देह-धारी परमेश्वर के कार्य की धार्मिक जगत के अधिकांश पादरियों ने बुरी तरह निंदा क्यों की और इसका विरोध क्यों किया? मेरा मानना है कि धार्मिक समुदाय के ज़्यादातर पादरी और अगुवा जिसकी निंदा करते हैं शायद वो सच्चा मार्ग नहीं हो सकता!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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