866 पुनरुत्थान के बाद यीशु के प्रकट होने का अर्थ
1
ईश्वर चाहता था, इंसान उसके करीब आए,
उसका परिवार बने, न कि उससे नज़रें चुराए।
इसलिए अपने पुनरुत्थान के बाद,
यीशु प्रकट हुआ देह में, खाया-पिया संग इंसान के।
ईश्वर इंसान को परिवार समझे,
चाहे इंसान उसे सबसे प्रिय समझे।
इसी तरह ईश्वर इंसान को प्राप्त कर सके,
और इंसान उससे प्रेम, उसकी आराधना कर सके।
पुनरुत्थान के बाद यीशु ने जो कहा और किया,
बहुत सोच-विचारकर किया।
यह इंसान के लिए उसके प्रेम और उसके संग
गहरे रिश्ते की परवाह से भरा था, जब वो देह था।
यह भरा था उसकी तड़प से उन दिनों के लिए
जब वो देहधारी होकर
अपने अनुयायियों के साथ खाता-पीता था।
2
ईश्वर ने कभी नहीं चाहा
कि इंसान उससे दूरी महसूस करे,
न चाहता था कि इंसान उससे दूर हो।
न वो चाहता था कि लोग सोचें कि जी उठने के बाद
यीशु वो प्रभु न रहा जो कभी
अपने लोगों के बहुत करीब था,
या यीशु लौट गया उस पिता के पास
वे जिसे देख न सकते, न पहुँच सकते उसके पास,
वो नहीं चाहता उन्हें लगे उनकी हैसियत में अंतर है।
जब ईश्वर ऐसे लोगों को देखे जो उसका अनुसरण
करना चाहें लेकिन उससे दूर रहें,
उसे दुख हो क्योंकि उनके दिल दूर हैं,
उन्हें पाना कठिन होगा।
यीशु ने जो किया उससे इंसान को लगा प्रभु बदला नहीं।
सूली चढ़कर भी वो जी उठा फिर से,
उसने कभी इंसान को छोड़ा नहीं।
वो इंसान के बीच लौट आया था।
वो बिलकुल भी न बदला था।
उसने इंसान को अपने करीब महसूस कराया,
खुद को फिर से पाने का आनंद दिया।
उन्होंने बड़े आराम से,
उसपे भरोसा किया, उसके आसरे रहे,
उस मनुष्य के पुत्र के
जो उनके पाप क्षमा कर सकता था।
बेहिचक वे यीशु से प्रार्थना करते थे,
उसका अनुग्रह और आशीष पाने के लिए,
उसकी शांति, आनंद,
देखभाल और सुरक्षा पाने के लिए।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III से रूपांतरित