प्रश्न 2: हमने बहुत पहले यह सुना था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया ने पहले ही प्रभु यीशु की वापसी की गवाही दी है। और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं! वे सच्चाई व्यक्त करते हैं और अंत के दिनों के अपने न्याय के कार्य करते हैं, लेकिन धार्मिक मंडलियों के अधिकांश लोग यह मानते हैं कि प्रभु बादलों से अवतरित होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा था: "तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा: और तब पृथ्‍वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे, और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे" (मत्ती 24:30)। प्रकाशितवाक्‍य की पुस्तक ने भी भविष्यवाणी की थी: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। मैं स्वयं भी यह विश्वास रखती हूं कि प्रभु बादलों से अवतरित होकर हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाएंगे। हम उस प्रभु यीशु को स्वीकार करने से इनकार करते हैं जो बादलों से अवतरित नहीं होंगे। आप कहते हैं कि प्रभु का पुनरागमन देह में वापसी और गुप्त रूप से अवतरण है। लेकिन इस बारे में कोई नहीं जानता है। फिर भी, प्रभु का खुले तौर पर बादलों से अवतरित होना निश्चित है! यही कारण है कि हम प्रभु के बादलों से अवतरित होने और हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए खुले तौर पर प्रकट होने का इंतजार कर रहे हैं। क्या हमारी समझ सही है या नहीं?

उत्तर: जब प्रभु के लिए बादलों के साथ अवतरण की प्रतीक्षा करने की बात आती है, हमें मनुष्यों के विचारों और कल्पनाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए! फरीसियों ने मसीहा के आगमन की प्रतीक्षा करने में बड़ी गलती की थी। उन्होंने निश्चित रूप से मनुष्य के विचारों और कल्पनाओं के अनुसार प्रभु यीशु को आंका जो कि पहले ही आ चुके थे। अंत में, उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया था। क्या यह एक तथ्य नहीं है? क्या प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा करना इतना ही सरल है जितना कि हम सोचते हैं? यदि प्रभु वापस आते हैं और मनुष्यों के बीच उसी तरह कार्य करते हैं जैसे प्रभु यीशु ने देह में किया था, और हम उन्हें पहचानते नहीं है, तो क्या हम भी फरीसियों के समान उनकी आलोचना और निंदा करेंगे और उन्हें फिर से सूली पर चढ़ा देंगे? क्या यह एक संभावना है? प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि वे वापस आएंगे और इसके बारे में कई वचन कहे थे, लेकिन आप केवल उस भविष्यवाणी को पकड़े हैं कि प्रभु बादलों के साथ अवतरित होंगे और प्रभु द्वारा कही गयी अन्य महत्वपूर्ण भविष्यवाणियों की खोज या जांच नहीं करते हैं। इससे गलत रास्ते पर चलना और प्रभु द्वारा त्याग दिया जाना आसान बनता है! वास्तव में बाइबल में सिर्फ "बादलों के साथ अवतरित होने" की भविष्यवाणी ही नहीं है। ऐसी कई भविष्यवाणियां भी हैं जैसे प्रभु चोर के रूप में आएंगे और गुप्त रूप से अवतरित होंगे। उदाहरण के लिए, प्रकाशितवाक्‍य 16:15, "देख, मैं चोर के समान आता हूँ।" मत्ती 25:6, "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।'"और प्रकाशितवाक्‍य 3:20: "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ: यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर, उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।" ये सभी भविष्यवाणियां परमेश्‍वर के मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करने और उनके गुप्त रूप से अवतरित होने को दर्शाती हैं। "एक चोर के रूप" में का मतलब है चुपके से गुप्त रूप से आना। लोगों को पता नहीं होगा कि वे परमेश्वर हैं, भले ही वे उन्हें देखते या सुनते हैं, जैसे पहले था जब प्रभु यीशु प्रकट हुए थे और अपना कार्य किया था। बाहर से, प्रभु यीशु सिर्फ एक साधारण मनुष्य के पुत्र थे और कोई नहीं जानता था कि वे परमेश्वर हैं, यही कारण है कि प्रभु यीशु ने मनुष्य के पुत्र के स्वरूप और कार्य के लिए "चोर के रूप" की उपमा का प्रयोग किया। यह बहुत उपयुक्त है! जो लोग सच्चाई से प्यार नहीं करते, उन्हें देहधारी परमेश्वर के कोई भी वचन, कार्य अथवा उनके द्वारा व्यक्त किए सत्य स्वीकार नहीं होते। बल्कि, वे देहधारी परमेश्वर को एक सामान्य व्यक्ति के रूप में देखते हैं और उनकी निंदा करते हैं और उन्हें त्याग देते हैं। यही कारण है कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि जब वे वापस लौटेंगे: "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर, आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु की भविष्यवाणी के आधार पर, उनकी वापसी "मनुष्य के पुत्र का आगमन" होगी। "मनुष्य के पुत्र" का संदर्भ देहधारी परमेश्वर से है, न कि पुनर्जीवित प्रभु यीशु के आध्यात्मिक शरीर के बादलों के साथ सभी लोगों के सामने प्रत्यक्ष अवतरण से। ऐसा क्यों है? चलिए इसके बारे में विचार करें। यदि पुनर्जीवित प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर सार्वजनिक रूप से अवतरित होता, तो यह अत्यधिक शक्तिशाली होता और विश्व को अचंभित कर देता। हर कोई जमीन पर गिर जाता और कोई भी विरोध करने की हिम्मत नहीं करता। उस स्थिति में, क्या वापस लौटे प्रभु यीशु को तब भी बहुत अधिक पीड़ा सहन करनी होगी और वे इस पीढ़ी द्वारा अस्वीकार कर दिए जाएंगे? बिलकुल नहीं! यही कारण है कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि उनकी वापसी "मनुष्य के पुत्र का आगमन" और "चोर के रूप में" होगी। वास्तविकता में, यह परमेश्वर का मनुष्य के पुत्र के रूप में गुप्त रूप से देहधारण करने को दर्शा रहा है।

तो मनुष्य के पुत्र का गुप्त रूप से अवतरित होकर अपने कार्य करने और परमेश्वर के प्रत्यक्ष रूप से बादलो के साथ अवतरित होने के बीच क्या सम्बन्ध है? इस प्रक्रिया में क्या शामिल है? चलिए उस बारे में सरलता से चर्चा करते हैं। अंत के दिनों में, परमेश्वर देहधारी होते हैं और अपने वचन सुनाने के लिए लोगों के बीच गुप्त रूप से अवतरित होते हैं, परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए न्याय के कार्य करते हैं, जो लोग उनकी वाणी सुनते हैं और उनके सिंहासन के सामने लौटते हैं, उनको शुद्ध और सिद्ध करते हैं और उन्हें विजयी लोगों का समूह बनाते हैं। तब परमेश्वर भीषण आपदा लाते हैं, उन सभी को जो अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय को स्वीकार नहीं करते हैं, उनको शुद्ध करते हैं और ताड़ना देते हैं। इसके बाद, परमेश्वर सभी मनुष्यों के सामने प्रत्यक्ष तौर पर प्रकट होने के लिए बादलों के साथ अवतरित होंगे। यह तब पूरी तरह से प्रकाशितवाक्‍य 1:7 की भविष्यवाणी को पूरा करेगा: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे: और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे।" जब प्रभु बादलों के साथ अवतरित होते हैं तो जिन्होंने उन्हें बींधा था वे भी उन्हें क्यों देख सकते हैं। वे कौन लोग हैं जिन्होंने उन्हें बींधा था? कुछ लोग कहते हैं कि ये वही लोग हैं जिन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया था। क्या यह वास्तव में ऐसा है? क्या जिन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया था उन लोगों को परमेश्वर ने पहले ही शापित और नष्ट नहीं कर दिया था? वास्तविकता में, उनको बींधने वाले लोग वे हैं जो, उस अवधि में जब देहधारी परमेश्वर अंत के दिनों में कार्य करने के लिए गुप्त रूप से अवतरित हुए, तब परमेश्वर की वाणी की खोज नहीं करते और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और उनका विरोध करते हैं। उस समय, वे उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर को देखेंगे कि जिनका उन्होंने विरोध और निंदा की है वह वास्तव में वही उद्धारकर्ता यीशु है, जिनका वे इन सभी वर्षों से व्याकुलता से इंतजार करते रहे हैं। वे अपनी छाती पीटेंगे, रोयेंगे और अपने दाँत पीसेंगे, और उनका परिणाम केवल सज़ा ही हो सकता है। प्रकाशितवाक्‍य की पुस्तक यह नहीं कहती कि अंत में ऐसे लोग जीवित रहते हैं या मर जाते हैं, इसलिए हम संभवत: जान नहीं सकते। केवल परमेश्वर जानते हैं। केवल बुद्धिमान कुंवारियां जो परमेश्वर की वाणी सुनती हैं प्रभु की वापसी का स्वागत करने का अवसर प्राप्त कर सकती हैं, मेमने की शादी के भोज में भाग लेने के लिए परमेश्वर के सिंहासन के सामने लायी जा सकती हैं, और परमेश्वर द्वारा एक विजयी के रूप में सिद्ध की जा सकती हैं। यह प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी को पूरा करता है: "ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं। ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैंI ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)। जहाँ तक उन लोगों की बात है जो केवल इस धारणा को मानते हैं कि प्रभु बादलों के साथ अवतरित होंगे, लेकिन अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की खोज और जांच नहीं करते हैं, उन्हें मूर्ख कुंवारी माना जाता है। खासकर वे लोग जो क्रोधावेश में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध करते हैं और उनकी निंदा करते हैं, वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य से उजागर किये गए फरीसी और यीशु-विरोधी हैं। वे सभी वे लोग हैं जिन्होंने परमेश्वर को फिर से सूली पर चढ़ाया है। ये सभी लोग भीषण आपदाओं में गिर जाएंगे और दंड प्राप्त करेंगे। इसलिए, क्या गलती है उन लोगों की जो केवल बादलों के साथ अवतरित होने वाले प्रभु का स्वागत करते हैं, वे किस प्रकार के लोग हैं, और उनका परिणाम क्या होगा, ये वही बातें हैं जिनके बारे में मैं विश्वास करता हूं, सभी को स्पष्ट होनी चाहिए।

"मायाजाल को तोड़ दो" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 1: आपकी गवाही है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी हैं, यह असंभव है! बाइबल कहती है: "उन दिनों के क्लेश के तुरन्त बाद सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चन्द्रमा का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्‍तियाँ हिलाई जाएँगी। तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे" (मत्ती 24:29-30)। अगर प्रभु वाकई लौट आते तो वो पूरी शानोशौकत के साथ बादलों पर सवार होकर आते। और फिर, स्वर्ग और धरती काँप जाते, चाँद और सूरज रोशनी देना बंद कर देते। अब तक ऐसा तो कुछ दिखा नहीं, फिर वे ऐसा कैसे कह सकते हैं कि प्रभु लौट आए हैं। आख़िर ये सब है क्या?

अगला: प्रश्न 3: जैसा कि बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी: "हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा" (प्रेरितों 1:11)। प्रभु यीशु के जी उठने के बाद, आकाश में जो आरोहित हुआ, वह उनका आध्यात्मिक शरीर था। जब प्रभु लौटेंगे, तो वह उनका आध्यात्मिक शरीर होना चाहिए, जो एक बादल पर नीचे आयेगा। परंतु आप लोग यह गवाही देते हैं कि अंत के दिनों में न्याय कार्य करने के लिए परमेश्वर पुन: देहधारी – मनुष्य के पुत्र – हो गए हैं। स्वाभाविक रूप से यह बाइबल से असंगत है। पादरी और एल्डर्स अक्सर कहते हैं कि प्रभु के देहधारी हो कर आने के बारे में कोई भी गवाही झूठी है। इसलिए मैं समझता हूँ कि प्रभु के लिए देहधारी हो कर लौटना असंभव है। मैं आप लोगों की गवाही स्वीकार नहीं कर सकता। मैं बस प्रभु के बादल पर उतरने और हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने की प्रतीक्षा करूंगा। निश्चित रूप से यह गलत नहीं हो सकता!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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