674 ईश्वर सबकुछ इंसान को पूर्ण बनाने और प्रेम करने के लिए करता है

तुम लोग भविष्य में जो चाहे हासिल करो,

आज तुम लोग देखते हो, तुममें ईश-कार्य है प्रेम।


1

सेवाकर्मियों के वक्त से लेकर आज तक,

लोग साफ़ देख पाते हैं ईश-कार्य कितना अद्भुत है।

इंसानी बुद्धि समझ न पाए जिस तरह ईश्वर कार्य करे।

देख सके इंसान उसका कद कितना छोटा है,

और उसकी अवज्ञा कितनी बड़ी है।

एक प्रभाव के लिए ईश्वर ने मारा नहीं, धिक्कारा इंसान को।

अपने वचनों से उसने शाप दिया इंसान को,

लेकिन ये शाप पड़ा नहीं इंसान पर।

उसने इंसान की अवज्ञा को शाप दिया,

जब ईश्वर ने इंसान को शाप दिया,

तो इंसान को पूर्ण बनाना भी उसका मकसद था।


ईश्वर इंसान का न्याय करे, उसे शाप दे।

दोनों तरह से वो इंसान को पूर्ण करे।

उसे न्याय करना है, शाप देना है।

उसे इंसान की अशुद्धि को दूर करना है।


2

ईश्वर ने पहले कभी नहीं किया ऐसा काम,

अब तुम लोगों पर कर रहा वो काम,

ताकि तुम समझ सको उसकी बुद्धि को।

हालाँकि कष्ट झेले हैं तुम लोगों ने, दिल अटल, शांत है तुम लोगों का।

ईश-कार्य के इस चरण का आनंद लेना, महान आशीष है तुम लोगों का।

ईश्वर का व्यवहार है बचाने को तुम्हें।

हालाँकि कष्ट हो सकता तुम्हें, जब बदल जाएगा स्वभाव तुम्हारा,

तुम देखोगे बुद्धिमत्तापूर्ण है काम उसका।

उस दिन समझोगे ईश्वर की इच्छा को।

अभी शायद साफ तौर पर न देख पाओ तुम,

एक दिन देखोगे आज का ईश-कार्य मूल्यवान है।


ईश्वर इंसान का न्याय करे, उसे शाप दे।

दोनों तरह से वो इंसान को पूर्ण करे।

उसे न्याय करना है, शाप देना है।

उसे इंसान की अशुद्धि को दूर करना है।


3

जब तुम ईश्वर-महिमा का आगमन देखोगे,

ईश्वर से प्रेम करने की सार्थकता देखोगे, तो तुम मानव जीवन को जानोगे,

तुम्हारी आत्मा मुक्त हो जाएगी, तुम्हारी देह ईश्वर-प्रेम में रहती है,

तुम्हारा जीवन आनंद से भरा है,

तुम सदा ईश्वर के करीब रहोगे, उम्मीद से ईश्वर को देखोगे।

तब तुम आज के ईश-कार्य के मूल्य को सचमुच जानोगे।

ईश-कार्य का हर चरण, चाहे कठोर वचन हों, न्याय या ताड़ना हो,

सही है और इंसान को पूर्ण बनाता है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो से रूपांतरित

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