43 सब-कुछ परमेश्वर के हाथ में है
1
ईश्वर ने कभी कहा था:
जो भी ईश्वर कहे, वो ज़रूर पूरा होगा,
उसे कोई बदल नहीं सकता।
चाहे उसके वचन पहले कहे गए हों,
या अभी कहे जाने हों,
वे सभी पूरे होंगे, ताकि सभी देख सकें।
ईश-वचनों और कार्य के पीछे यही सिद्धांत है।
ब्रह्मांड में सब-कुछ ईश्वर ही तय करे।
ईश्वर के हाथ में क्या नहीं है?
जो भी ईश्वर कहे, वो पूरा होकर रहेगा।
कौन ईश्वर की इच्छा बदल सके?
क्या धरती पर ईश्वर की बनाई वाचा इसे बदल सके?
ईश-योजना को आगे बढ़ने से कोई चीज़ न रोक सके।
ईश्वर हर समय काम कर रहा। सब उसके हाथों में है।
2
ईश्वर हर क्षण अपनी प्रबंधन-योजना पर काम कर रहा।
कौन इसमें दखल दे सके?
क्या ईश्वर अभी भी सब-कुछ आयोजित नहीं करता?
चीज़ें जिस अवस्था में आज आ गई हैं,
वो अब भी ईश्वर की योजना और दृष्टि में है।
ब्रह्मांड में सब-कुछ ईश्वर ही तय करे।
ईश्वर के हाथ में क्या नहीं है?
जो भी ईश्वर कहे, वो पूरा होकर रहेगा।
कौन ईश्वर की इच्छा बदल सके?
क्या धरती पर ईश्वर की बनाई वाचा इसे बदल सके?
ईश-योजना को आगे बढ़ने से कोई चीज़ न रोक सके।
ईश्वर हर समय काम कर रहा। सब उसके हाथों में है।
3
उसने यही पूर्वनियत किया है।
तुम लोगों में से कौन
ईश-योजना के इस कदम की थाह पा सके?
ईश्वर के लोग उसकी वाणी ज़रूर सुनेंगे।
जो लोग सच में ईश्वर से प्रेम करते,
वो उसके सिंहासन के सामने लौटेंगे।
ब्रह्मांड में सब-कुछ ईश्वर ही तय करे।
ईश्वर के हाथ में क्या नहीं है?
जो भी ईश्वर कहे, वो पूरा होकर रहेगा।
कौन ईश्वर की इच्छा बदल सके?
क्या धरती पर ईश्वर की बनाई वाचा इसे बदल सके?
ईश-योजना को आगे बढ़ने से कोई चीज़ न रोक सके।
ईश्वर हर समय काम कर रहा। सब उसके हाथों में है।
सब उसके हाथों में है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 1 से रूपांतरित