15 धार्मिक, सर्वशक्तिमान और व्यावहारिक परमेश्वर
1
शाश्वत सच्चे परमेश्वर ने
बोले अपने वचन और सृजन किया हर चीज़ का।
उसने कहा और हो गया, उसने आदेश दिया और दृढ़ रहा।
धूल मनुष्यों में बदल गई।
उसने अपने प्राणियों को किया पोषित,
और स्वर्ग और पृथ्वी भर गया जीवन से।
उसने जारी किए क़ानून, किए उसने चमत्कार।
उसने की इंसान की अगुवाई, रखा उनका ख़्याल।
लेकिन इंसान ने ख़ुद को मैली और दूषित,
देखने के लिए अनुपयुक्त बुराई के लिए छोड़ दिया।
देह में विनम्र, परमेश्वर ने उन्हें किया माफ़,
गरिमा त्याग दी, अन्याय का किया सामना।
तीस साल के कठोर जीवन के बाद,
क्रूस पर पीड़ित होकर चला गया वो ख़ामोशी से।
अपना बहुमूल्य रक्त, उसने बहा दिया बलिदान में,
इंसान को कराया मुक्त, छोड़ गया सच्चा प्यार उनके बीच।
2
पूरब से चमकी बिजली,
सिनिम में उतरा है सफ़ेद बादल।
धार्मिकता से भरा, परमेश्वर लौट आया है पृथ्वी पर,
वो है देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर।
नया युग शुरू करता हुआ, नया काम लाता हुआ,
हर तरह से न्याय करता हुआ, इंसान को बचाने के लिए सच्चाई व्यक्त करता है वो।
मानवता भरी है विद्रोह और विरोध से,
और परमेश्वर अपने दिल में गहरी उदासी, घृणा और नाराज़गी महसूस करता है।
ख़ून के आंसू रोता हुआ, वो है अत्यंत धैर्यवान।
कौन दे सकता है उसके दुखद दिल को सांत्वना?
क्रोधित, फिर भी दयालु, वो देता है।
वो करता है काम, करता है इंतज़ार, देता है अपना सच्चा दिल।
फूल कितने बार खिले और मुरझा गए?
एक बार फिर, कलहंस उड़ते हैं दक्खिन की ओर और हैं लौटते।
उसका निर्दोष देह हुआ अपमानित,
उसके दिल के ज़ख्म भरे जा नहीं सकते।
3
वो सहता है पीड़ा अकेला, आराम की कोई जगह नहीं,
करता है काम दिन-रात, परवाह नहीं खाने और सोने की।
उसकी सच्चाई को मिलता है धोखा,
और उसके सच्चे वचन करते हैं उपहास का सामना।
नम्रता से छुपा, वो करता है अपना काम।
अंत में, प्राप्त करता है वह लोगों के एक समूह को,
जो हैं उसके साथ एक दिल और दिमाग़ के।
नम्रता से छुपा, वो करता है अपना काम।
अंत में, प्राप्त करता है वह लोगों के एक समूह को,
जो हैं उसके साथ एक दिल और दिमाग़ के।
धार्मिकता, सर्वशक्तिमता देह मे प्रकट होती है,
वो है सर्वशक्तिमान परमेश्वर!