प्रश्न 7: ज़्यादातर विश्वासी इसे अभी भी नहीं समझ पाते हैं। वे सोचते हैं कि धर्म में परमेश्वर में विश्वास करके वे प्रभु यीशु पर विश्वास कर रहे हैं, फरीसियों और एल्डर्स पर नहीं, तो फिर उन्हें कैसे नहीं बचाया जाएगा?

उत्तर: धर्म किस तरह की जगह है? यह फरीसियों की दुनिया है, मसीह-विरोधियों का पुराना अड्डा! यह सोचना कि परमेश्वर में विश्वास करके आप बचा लिये जाएंगे, सिर्फ खयाली पुलाव है! धर्म में परमेश्वर पर विश्वास करने से किसी को क्यों नहीं बचाया जा सकता? इसका मुख्य कारण यह है कि जब परमेश्वर ने अंत के दिनों में नया कार्य किया, तो परमेश्वर के नये कार्य के साथ पवित्र आत्मा का कार्य भी स्थानांतरित कर दिया गया, और इस प्रकार धार्मिक दुनिया ने पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया और वह बंजर ज़मीन बन गयी। इसके अलावा, धार्मिक दुनिया पूरी तरह से पाखंडी फरीसियों और मसीह-विरोधियों के वश में है, और काफ़ी समय से वह ऐसी जगह बन गयी है, जहाँ परमेश्वर का विरोध होता है। सिर्फ पवित्र आत्मा ही धर्म में कार्य नहीं कर रहा है बल्कि देहधारी परमेश्वर भी कार्य करने के लिए धर्म में नहीं आते हैं। इसलिए, धर्म में परमेश्वर पर विश्वास करके कोई भी परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का अनुभव नहीं कर सकता। वह परमेश्वर के अंत के दिनों के वचनों का प्रसाद खा-पी नहीं सकता और उनका आनंद नहीं ले सकता, अगर लोग सच्चे मार्ग की खोज और जांच-पड़ताल नहीं करते हैं, तो वे आसानी से बंजर ज़मीन में गिर जाएंगे और परमेश्वर का उद्धार नहीं पा सकेंगे! जो लोग धार्मिक दुनिया की बंजर ज़मीन पर गिर गये हैं, वे सभाओं में सिर्फ बाइबल से बंधे रहकर परमेश्वर के मौजूदा वचनों का आनंद नहीं ले पाते हैं। पवित्र आत्मा के कार्य और मार्गदर्शन के बिना, मनुष्य एक अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास करता है। सभाओं में उनके सारे संवाद बाइबल में मौजूद परमेश्वर के पहले के कार्य और वचनों से जुड़े होते हैं। ऐसे लोग परमेश्वर के अंत के दिनों का उद्धार और परमेश्वर का वादा कैसे पा सकते हैं बिल्कुल उसी तरह जैसे कि प्रभु यीशु ने आराधनालय के बाहर कार्य करना शुरू किया था। आराधनालय एक अव्यवस्थित बंजर ज़मीन और चोरों का अड्डा बन गया था। प्रभु यीशु के कार्य का अनुसरण न करने के कारण, जो लोग आराधनालय में रह गये थे, वे पुरानी व्यवस्थाओं और नियमों से जकड़े हुए थे और बेशक उन लोगों ने प्रभु से उद्धार का मौक़ा खो दिया था। इसी तरह, अब अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने परमेश्वर के लोगों से शुरू करते हुए न्याय का कार्य किया है, मानवजाति का न्याय और शुद्धिकरण करने के लिए सत्य व्यक्त किये हैं, जिससे कि मनुष्य शैतान के भ्रष्ट स्वभाव और प्रभाव से दूर होकर परमेश्वर का उद्धार पा सके, उसे परमेश्वर द्वारा पूर्ण करके विजयी बनाया जा सके और सीधे उनके राज्य में आरोहित किया जा सके। यह एक सुनहरा मौका है! अगर मनुष्य सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का अनुसरण नहीं करता है, तो वह उद्धार प्राप्त नहीं कर पायेगा और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पायेगा। आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़ें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जो लोग परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार नहीं करते, वे परमेश्वर की उपस्थिति से वंचित रहते हैं, और, इससे भी बढ़कर, वे परमेश्वर के आशीषों और सुरक्षा से रहित होते हैं। उनके अधिकांश वचन और कार्य पवित्र आत्मा की पुरानी अपेक्षाओं को थामे रहते हैं; वे सिद्धांत हैं, सत्य नहीं। ऐसे सिद्धांत और विनियम यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि इन लोगों का एक-साथ इकट्ठा होना धर्म के अलावा कुछ नहीं है; वे चुने हुए लोग या परमेश्वर के कार्य के लक्ष्य नहीं हैं। उनमें से सभी लोगों की सभा को मात्र धर्म का महासम्मेलन कहा जा सकता है, उन्हें कलीसिया नहीं कहा जा सकता। यह एक अपरिवर्तनीय तथ्य है। उनके पास पवित्र आत्मा का नया कार्य नहीं है; जो कुछ वे करते हैं वह धर्म का द्योतक प्रतीत होता है, जैसा जीवन वे जीते हैं वह धर्म से भरा हुआ प्रतीत होता है; उनमें पवित्र आत्मा की उपस्थिति और कार्य नहीं होता, और वे पवित्र आत्मा का अनुशासन या प्रबुद्धता प्राप्त करने के लायक तो बिलकुल भी नहीं हैं। ... उन्हें मनुष्य की विद्रोहशीलता और विरोध का कोई ज्ञान नहीं है, मनुष्य के समस्त कुकर्मों का कोई ज्ञान नहीं है, और वे परमेश्वर के समस्त कार्य और परमेश्वर की वर्तमान इच्छा के बारे में तो बिलकुल भी नहीं जानते। वे सभी अज्ञानी, अधम लोग हैं, और वे कूडा-करकट हैं जो विश्वासी कहलाने के योग्य नहीं हैं!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास)। "मसीह द्वारा बोले गए सत्य पर भरोसा किए बिना जो लोग जीवन प्राप्त करना चाहते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे बेतुके लोग हैं, और जो मसीह द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते हैं, वे कोरी कल्पना में खोए हैं। और इसलिए मैं कहता हूँ कि वे लोग जो अंत के दिनों के मसीह को स्वीकार नहीं करते हैं सदा के लिए परमेश्वर उनसे घृणा करेगा। मसीह अंत के दिनों के दौरान राज्य में जाने के लिए मनुष्य का प्रवेशद्वार है, और ऐसा कोई नहीं जो उससे कन्नी काटकर जा सके। मसीह के माध्यम के अलावा किसी को भी परमेश्वर द्वारा पूर्ण नहीं बनाया जा सकता। तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, और इसलिए तुम्हें उसके वचनों को स्वीकार करना और उसके मार्ग का पालन करना चाहिए। सत्य को प्राप्त करने में या जीवन का पोषण स्वीकार करने में असमर्थ रहते हुए तुम केवल आशीष प्राप्त करने के बारे में नहीं सोच सकते हो। मसीह अंत के दिनों में आता है ताकि वह उसमें सच्चा विश्वास करने वाले सभी लोगों को जीवन प्रदान कर सके। उसका कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है, और उसका कार्य वह मार्ग है जिसे उन सभी लोगों को अपनाना चाहिए जो नए युग में प्रवेश करेंगे। यदि तुम उसे पहचानने में असमर्थ हो, और इसकी बजाय उसकी भर्त्सना, निंदा, या यहाँ तक कि उसे उत्पीड़ित करते हो, तो तुम्हें अनंतकाल तक जलाया जाना तय है और तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं करोगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। इससे पता चलता है कि वे सभी लोग जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं, और जो परमेश्वर के मौजूदा कार्य और वचनों का पालन नहीं करते हैं, वे सब परमेश्वर की नाराज़गी के पात्र होते हैं। इस प्रकार, धार्मिक जगहों में रहने वाले लोग स्वाभाविक रूप से परमेश्वर का मार्गदर्शन खो चुके हैं, और वे परमेश्वर के वास्तविक वचनों की आपूर्ति को नहीं पा सकते। वे सिर्फ अंधेरों में गिर सकते हैं, अलग किए जा सकते हैं और परमेश्वर के अंत के दिनों के उद्धार को खो सकते हैं, बिल्कुल अनुग्रह के युग की तरह, जब लोग व्यवस्था के युग के कार्य और नियमों से ही जकड़े हुए थे, और बेशक उन्होंने प्रभु यीशु के उद्धार को खो दिया था। राज्य के युग में, अगर लोग अभी भी अनुग्रह के युग के कार्य और नियमों से जकड़े रहेंगे, तो यह तय है कि प्रभु उनका त्याग कर उन्हें नष्ट कर देंगे और उन्हें स्वर्गिक राज्य में नहीं ले जाया जाएगा! यह एक ऐसा सच है जिसे कोई नहीं बदल सकता!

धर्म में रहकर परमेश्वर में विश्वास करना और फिर भी बचाये जाने की चाह रखना, क्या जागती आँखों से सपने देखना नहीं है? एक तरफ शैतान और मसीह-विरोधियों को खुश करने की ख्वाहिश और दूसरी तरफ परमेश्वर का उद्धार पाने की चाह—क्या ऐसा संभव है? धार्मिक दुनिया पाखंडी फरीसियों के वश में है और उस पर धार्मिक पादरियों और एल्डर्स का नियंत्रण है। असलियत यह है कि वह इन परमेश्वर-विरोधी मसीह-विरोधियों के काबू में है। यह एक प्रमाणित सच है! पादरी और एल्डर्स कार्य करते और उपदेश देते समय कभी भी प्रभु के वचनों को समझाने या उनकी गवाही देने पर ध्यान नहीं देते, या बाइबल में परमेश्वर के कार्य और उनके स्वभाव की गवाही भी नहीं देते। वे सिर्फ बाइबल में मनुष्य के कथनों को समझाने पर ध्यान देते हैं और बाइबल में मौजूद मनुष्य के कथनों को परमेश्वर के वचन बताकर परमेश्वर के वचनों को असंगत बना देते हैं, और इस तरह से लोग परमेश्वर के वचनों से दूर होकर मनुष्य के कथनों का अनुसरण करने लगते हैं। वे बाइबल के पात्रों, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और ऐसी ही चीज़ों को समझाते हुए, बाइबल के ज्ञान और धर्मशास्त्र के सिद्धांत की व्याख्या करते हैं। वे ऐसी चीज़ें इसलिए समझाते हैं ताकि खुद को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा सकें और लोगों से अपनी आराधना करवा सकें, इस तरह वे लोगों को मनुष्य का अनुसरण करने, उसकी आराधना करने और परमेश्वर का विरोध करने के रास्ते पर ले जाते हैं। खास तौर से जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों का अपना कार्य करने आते हैं, तो वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का घोर विरोध और निंदा करते हैं, लोगों को सच्चे मार्ग की खोज और जांच-पड़ताल करने से रोकने की पूरी कोशिश करते हैं, वे लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य को स्वीकार करने से रोकते हैं और उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों की आपूर्ति नहीं पाने देते हैं। वे सिर्फ लोगों को उनकी तरह-तरह की भ्रांतियों और वैचारिक सिद्धांतों को ही स्वीकार करने देते हैं। इसलिए, जब लोग फरीसियों और मसीह-विरोधियों के नियंत्रण वाली धार्मिक जगहों में परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, धार्मिक फरीसियों के उपदेश को स्वीकार करते हैं, तो उनके विचार और नज़रिये, उनकी पसंद और ग्रहण करने की क्षमता, सब-कुछ उनसे प्रभावित हो जाती है। उनके अंतर्मन स्वाभाविक रूप से और अधिक काले और परमेश्वर से अलग हो जाते हैं! जब सर्वशाक्तिन परमेश्वर, अंत के दिनों में अपना कार्य करने आते हैं, तो धार्मिक फरीसी और मसीह-विरोधी उनको अपने चंगुल में फंसाकार अपने वश में कर लेते हैं, इसलिए वे परमेश्वर के वास्तविक वचनों को सुन पाने या परमेश्वर के सिंहासन से प्रवाहित जीवन जल की आपूर्ति का आनंद नहीं ले पाते हैं। इस प्रकार, वे परमेश्वर का अंत के दिनों का उद्धार नहीं पा सकेंगे। भले ही धर्म में रहकर लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं, परंतु वे जिनका अनुसरण करते हैं, वे मसीह-विरोधी मनुष्य हैं, और जिस मार्ग पर वे चलते हैं, वह फरीसियों और मसीह-विरोधियों का मार्ग है। जाहिर है, कुछ समय के बाद, वे भी फरीसी बन जाएंगे। फिर वे ऐसे लोग कैसे बन पायेंगे, जो परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करें और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें? यह बिल्कुल नामुमकिन है! अब, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य से धार्मिक दुनिया का सार उजागर हो चुका है। धार्मिक दुनिया स्वर्ग का राज्य नहीं है; यह मसीह-विरोधियों का पुराना अड्डा है। यह परमेश्वर का विरोध करनेवाला एक मजबूत गढ़ है, ऐसा शैतानी राज्य जो परमेश्वर का विरोध करता है! इसलिए, लोग धर्म में रहकर परमेश्वर में विश्वास करके उद्धार नहीं पा सकते। भले ही वे सत्य से प्रेम करते हों, मगर चूंकि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार नहीं करते, वे अंत के दिनों के मसीह द्वारा व्यक्त वचनों की आपूर्ति और परमेश्वर का उद्धार भी नहीं पा सकेंगे!

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 6: मैं आपकी बातों से सहमत नहीं हूँ! परमेश्वर में विश्वास, बाइबल में विश्वास है। बाइबल से दूर जाना परमेश्वर में विश्वास करना नहीं है!

अगला: प्रश्न 8: भले ही धार्मिक दुनिया पर पादरियों और एल्डर्स का शासन हो, और वे ऐसे पाखंडी हों जो फरीसियों के रास्ते पर चलते हों, उनके पापों का हमसे क्या सरोकार है? हालांकि हम उनका अनुसरण कर उनकी बात सुनते हैं, परंतु हम जिनमें विश्वास करते हैं वे प्रभु यीशु हैं, पादरी और एल्डर्स नहीं। मुझे लगता है कि हम फरीसियों के रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। ऐसे फ़रीसी कैसे बन सकते हैं?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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