937 इन्सान का जीवन परमेश्वर की प्रभुता के बिना नहीं हो सकता

परमेश्वर की प्रभुता, उसके शासन बिना

नहीं रह सकती अस्तित्व में कोई चीज़, कोई इन्सान।

परमेश्वर के शासन और प्रावधान बिना

अस्तित्व नहीं होगा मानव-जीवन, देह में जीवन का।

मानव के जीने के लिए परमेश्वर ने, बनाया जो परिवेश, यही है महत्व उसका।


1

मानव के जीते रहने और वंश-वृद्धि के लिए,

जो भी करता परमेश्वर, वो है ज़रूरी।

सब चीज़ों में करता वो जो भी, अविभाज्य है मानव के अस्तित्व से।

चाहे हो कोई भी प्रजाति, या रहो तुम कहीं भी, पूरब हो या पश्चिम,

तुम अलग हो सकते नहीं परमेश्वर द्वारा बनाये गये परिवेश से,

जो है मानव के जीते रहने के लिए।

परमेश्वर की प्रभुता, उसके शासन बिना

नहीं रह सकती अस्तित्व में कोई चीज़, कोई इन्सान।

परमेश्वर के शासन और प्रावधान बिना

अस्तित्व नहीं होगा मानव-जीवन, देह में जीवन का।

मानव के जीने के लिए परमेश्वर ने, बनाया जो परिवेश, यही है महत्व उसका।


2

नहीं कर सकते तुम अलग खुद को कभी भी,

परमेश्वर के पोषण या प्रावधान से जो देता रहता तुम्हें परमेश्वर उस परिवेश से,

जिसे बनाया है उसने मानव के जीवित रहने के लिए।

परमेश्वर की प्रभुता, उसके शासन बिना

नहीं रह सकती अस्तित्व में कोई चीज़, कोई इन्सान।

परमेश्वर के शासन और प्रावधान बिना

अस्तित्व नहीं होगा मानव-जीवन, देह में जीवन का।

मानव के जीने के लिए परमेश्वर ने, बनाया जो परिवेश, यही है महत्व उसका।


3

जिसके भरोसे जीते हो, जीवन बनाये रखते हो, उससे

या तुम्हारी आजीविका से, कोई फर्क पड़ता नहीं,

खुद को अलग नहीं कर सकते तुम परमेश्वर के शासन से,

अलग नहीं हो सकते तुम परमेश्वर के प्रबन्धन से।

परमेश्वर की प्रभुता, उसके शासन बिना

नहीं रह सकती अस्तित्व में कोई चीज़, कोई इन्सान।

परमेश्वर के शासन और प्रावधान बिना

अस्तित्व नहीं होगा मानव-जीवन, देह में जीवन का।

मानव के जीने के लिए परमेश्वर ने, बनाया जो परिवेश, यही है महत्व उसका।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX से रूपांतरित

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