129 मेरे दिल में जो कुछ है मैं वह सब कह नहीं सकता
1 मैंने तेरी वाणी सुनी और मुझे तुझसे मिलकर खुशी हुई। मैंने तेरे वचनों की प्रचुरता का आनंद लिया है। तेरा दिल वास्तव में दयालु और सुंदर है, तेरा प्रेम मोहक है। जो तू है और जो कुछ तेरे पास है, वह बहुत अनमोल है। मैं नहीं बता सकता कि वास्तव में सर्वशक्तिमान परमेश्वर कितना मनोहर है। तू लोगों के बीच रहता है, और हर तरह से एक मिसाल कायम करता है। तेरा प्रेम आज तक मेरे साथ रहा है। तेरे वचनों के मार्गदर्शन और पोषण के कारण मैं अपने जीवन में धीरे-धीरे विकसित होता हूँ। तू मेरे हृदय को परिष्कृत, मेरे प्रेम को शुद्ध करता है। तेरे वचनों के न्याय का अनुभव करते हुए, मैं कष्ट सहता हूँ, लेकिन मधुरता भी महसूस करता हूँ।
2 तेरे न्याय का अनुभव लेकर, मेरा दिल तुझसे और भी अधिक जुड़ गया है। तेरा न्याय और ताड़ना मेरी भ्रष्टता को दूर करते हैं। कठिनाइयों और शुद्धिकरण से, मैंने समर्पण करना सीख लिया है। अब मैं न नकारात्मक हूँ, न विद्रोही हूँ, मैंने तेरी इच्छा को समझ लिया है। केवल तेरे वचन ही सत्य हैं और इंसान को जीवन प्रदान कर सकते हैं। तेरा दिल सबसे उदार है, तू इंसान को बचाने के लिए अपना सर्वस्व प्रदान करता है। तेरे सच्चे प्रेम का अनुभव करते हुए, मैं वह सब नहीं कह सकता जो मेरे दिल में है। तू मुझे शुद्ध करता है, मैं तेरा हूँ, मैं सदा तुझे प्रेम करूँगा। मैं तेरे प्रेम के बारे में अनंत काल तक बोल सकता था, पर मैं वह सब नहीं कह सकता जो मेरे दिल में है। मैं अपना कर्तव्य निभाना और तेरी गवाही देना चाहता हूँ, मैं सदा तुझे प्रेम करूँगा।