456 पवित्र आत्मा के कार्य को अपने प्रवेश में लेकर चलो

1

पवित्र आत्मा के काम के अनुभव के दौरान,

तुम लोग उसके और अपने बारे में जानने लगते हो।

भयंकर कष्टों की बहुत-सी घटनाओं के दौरान,

ईश्वर से तुम्हारे रिश्ते सामान्य और ज़्यादा घनिष्ठ होने लगते हैं।

काफी काट-छाँट और शुद्धिकरण के बाद,

ईश्वर के लिए सच्चा प्रेम जागता है तुम में।


जब तुम लोग पवित्र आत्मा का कार्य पाते हो,

उस वक्त तुम अपने प्रवेश पर ज़्यादा ध्यान दो,

पवित्र आत्मा के काम को और अपने प्रवेश को समझो,

उसके काम को अपने प्रवेश में शामिल करो,

ताकि वो तुम्हें बेहतर ढंग से पूर्ण बना सके,

ताकि इससे तुम पवित्र आत्मा के कार्य के सार को

अपने अंदर गढ़ने दो, अपने अंदर गढ़ने दो, अपने अंदर गढ़ने दो।


2

तुम सबको जान लेना चाहिए कि कष्ट और प्रहार, भयावह नहीं हैं;

सिर्फ पवित्र आत्मा का कार्य पाना लेकिन अपना प्रवेश न पाना, भयावह है।

जिस दिन ईश्वर का काम पूरा हो जाएगा, उस दिन तुम्हारा श्रम बेकार हो जाएगा।

उसके काम का अनुभव करके भी, तुममें इन दो चीज़ों का अभाव होगा।

तुम फिर भी पवित्र आत्मा को न जान पाओगे।

तुम फिर भी अपना प्रवेश न पाओगे।


जब तुम लोग पवित्र आत्मा का कार्य पाते हो,

उस वक्त तुम अपने प्रवेश पर ज़्यादा ध्यान दो,

पवित्र आत्मा के काम को और अपने प्रवेश को समझो,

उसके काम को अपने प्रवेश में शामिल करो,

ताकि वो तुम्हें बेहतर ढंग से पूर्ण बना सके,

ताकि इससे तुम पवित्र आत्मा के कार्य के सार को

अपने अंदर गढ़ने दो, अपने अंदर गढ़ने दो।


3

इंसान के जुनून को बनाए रखने के लिए नहीं है

पवित्र आत्मा द्वारा इंसान का प्रबोधन;

ये है इसलिए कि इंसान पवित्र आत्मा को जाने

इंसान के प्रवेश के लिए रास्ता खुले

और उसमें ईश्वर के वास्ते श्रद्धा और भक्तियुक्त दिल उभरे।


जब तुम लोग पवित्र आत्मा का कार्य पाते हो,

उस वक्त तुम अपने प्रवेश पर ज़्यादा ध्यान दो,

पवित्र आत्मा के काम को और अपने प्रवेश को समझो,

उसके काम को अपने प्रवेश में शामिल करो,

ताकि वो तुम्हें बेहतर ढंग से पूर्ण बना सके,

ताकि इससे तुम पवित्र आत्मा के कार्य के सार को

अपने अंदर गढ़ने दो, अपने अंदर गढ़ने दो, अपने अंदर गढ़ने दो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (2) से रूपांतरित

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