826 एक विश्वासी के रूप में तुम्हारा कर्तव्य परमेश्वर के लिए गवाही देना है
1
जानो कि ईश्वर द्वारा शैतान को हराने
और इंसान पर पूर्ण विजय पाने की गवाही
है इंसान की आज्ञाकारिता, निष्ठा में समाई।
परमेश्वर में तुम्हारी आस्था का फ़र्ज़ है उसके लिए गवाही देना,
बस उसी के लिए वफ़ादार होना, और अंत तक आज्ञाकारी होना।
ईश-कार्य के अगले चरण से पहले कैसे दोगे तुम उसकी गवाही?
कैसे बनोगे उसके आज्ञाकारी?
क्या अपना फ़र्ज़ निभाओगे निष्ठा से, या हार मानोगे?
उसकी व्यवस्था को समर्पित होगे,
या उसकी ताड़ना से बचने को बीच में ही भागोगे?
ईश्वर दे तुम्हें ताड़ना कि तुम दो उसकी गवाही, बनो वफ़ादार, आज्ञाकारी।
परमेश्वर में तुम्हारी आस्था का फ़र्ज़ है उसके लिए गवाही देना,
बस उसी के लिए वफ़ादार होना, और अंत तक आज्ञाकारी होना।
2
आज की ताड़ना है ईश-कार्य के अगले चरण को शुरू करने
और काम को अबाधित आगे बढ़ाने के लिए।
तो बनो ज्ञानी, न समझो अपने जीवन और उसके मायने को धूल और मिट्टी।
क्या तुम जानते उसका अगला काम क्या होगा,
या उसका काम कैसे शुरू होगा?
3
तुम्हें ईश-कार्य के अनुभव के मायने,
उसमें तुम्हारे विश्वास का अर्थ जानना चाहिए।
ईश्वर सच में आया है इस युग का अंत करने।
लेकिन जान लो कि वह एक नया युग,
काम शुरू करेगा, सबसे बढ़कर राज्य का सुसमाचार फैलाएगा।
जानो कि अभी का काम बस युग शुरू करने,
आने वाले समय में सुसमाचार प्रचार की नींव रखने
और भविष्य में युग का अंत करने के लिए है।
ईश-कार्य नहीं उतना सरल जितना तुम सोचते,
ना है बेकार जैसा कि तुम मानते।
दो उसके काम को अपना जीवन,
उसकी महिमा के लिए करो खुद को अर्पण।
ईश्वर की गवाही दो, उसका सुसमाचार फैलाओ, रही है यह उसकी लालसा।
समझनी चाहिए तुम्हें उसके दिल की बात।
परमेश्वर में तुम्हारी आस्था का फ़र्ज़ है उसके लिए गवाही देना,
बस उसी के लिए वफ़ादार होना, और अंत तक आज्ञाकारी होना।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो? से रूपांतरित