827 विजेता हैं वे जो परमेश्वर की शानदार गवाही दें

1

परमेश्वर में आस्था के लिये फरमाबरदारी चाहिये,

परमेश्वर के कार्य का अनुभव चाहिये।

बहुत कार्य किया है परमेश्वर ने;

पूर्णता है, शुद्धिकरण है, ताड़ना है उसका काम,

इंसान की अपेक्षाओं के मुताबिक नहीं है उसका काम,

परमेश्वर के कठोर वचनों का इंसान लेता है अनुभव।

परमेश्वर आता है जब,

तो लेना चाहिये इंसान को उसके रोष और प्रताप का आनंद।

हालाँकि कठोर हैं उसके वचन, बचाता है, पूर्ण करता है वो इंसान को।

सृजित प्राणी के तौर पर, निभाना चाहिये फर्ज़ अपना इंसान को

और शुद्धिकरण में परमेश्वर के लिये गवाही देनी चाहिये इंसान को।

हर इम्तहान में, अपनी गवाही कायम रखनी चाहिये,

देनी चाहिये शानदार गवाही इंसान को।

भले ही कैसे भी शुद्धिकरण हो, तुम्हारा विश्वास बना रहे परमेश्वर में

वही करो जो करना चाहिये तुम्हें, मगर विश्वास कभी न ख़त्म हो।

यही चाहिये इंसान से परमेश्वर को।

लौटा दो हृदय अपना पूरी तरह परमेश्वर को,

उसके पक्ष में हर पल खड़े रहो।

ये होता है विजेता।


2

विजेता वे होते हैं जो गवाही देते हैं,

परमेश्वर में विश्वास और पूरा समर्पण रखते हैं,

भले ही शैतान के प्रभाव में हों,

भले ही शैतान की घेरेबंदी में हों, अंधेरे की शक्तियों के चंगुल में हों।

अभी भी है अगर हृदय शुद्ध तुम्हारा,

कुछ भी हो जाए, परमेश्वर के लिये प्यार सच्चा है तुम्हारा,

तो फिर खड़े हो तुम परमेश्वर की गवाही में,

तुम्हें ही कहता है विजेता परमेश्वर स्वयं।


3

परमेश्वर पूर्ण करे तुम्हें, अहम है रवैया तुम्हारा इसके लिये।

उसके काम पर शक न करो, अपना फर्ज़ पूरा करो,

उसे कायम रखो, जिस पर चाहता है परमेश्वर कि तुम अमल करो,

याद रखो परमेश्वर की नसीहत को, चाहे कुछ भी करे परमेश्वर,

भूलो मत उसे, अपना रवैया कायम रखो,

अपनी गवाही बनाए रखो, विजय में चलो,

विजेता बनाने के लिये, पूर्ण कर देगा तुम्हें परमेश्वर, तुम्हें परमेश्वर,

तुम्हें परमेश्वर, तुम्हें परमेश्वर, तुम्हें परमेश्वर।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति बनाए रखनी चाहिए से रूपांतरित

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