611 परमेश्वर की सेवा करने के लिए तुम्हें उसे अपना हृदय अर्पित करना चाहिए
1
क्योंकि यीशु को थी परवाह ईश-इच्छा की
और उसने अपने लिए योजनाएँ नहीं बनाई,
इसलिए वो ईश-आदेश पूरा कर सका,
इंसान को छुटकारा दिला सका।
तैंतीस साल, उसने ईश-इच्छा पूरी की,
इसलिए ईश्वर ने इंसान के
छुटकारे का बोझ उस पर रखा।
वो ये करने योग्य था,
ईश्वर के लिए काफी कुछ सहा था,
शैतान ने लालच दिया पर वो कभी निराश न हुआ।
ईश्वर ने उसे ये काम दिया क्योंकि वो उस पर
भरोसा और उससे प्रेम करता था।
तुमने ईश-सेवा के मार्ग में प्रवेश किया है अभी-अभी,
तो पहले अपना पूरा दिल ईश्वर को दो।
चाहे ईश्वर के सामने हो या दूसरों के,
तुम्हारा दिल हो ईश्वर के आगे,
प्रेम करे उसे यीशु के जैसे।
इस तरह, ईश्वर तुम्हें पूर्ण करेगा,
ताकि तुम बनो सेवक उसके दिल के अनुरूप।
2
अगर तुम उसे अपना दिल न दो,
यीशु के जैसे उसकी इच्छा की परवाह न करो,
तो वो तुम पर भरोसा नहीं
बल्कि तुम्हारा न्याय करेगा।
आज, सेवा करते हुए तुम
ईश्वर को बेवकूफ बनाना चाहते,
उसके साथ तुम लापरवाही से पेश आते।
अगर तुम ईश्वर को धोखा दोगे, तो
कठोर न्याय तुम तक ज़रूर आएगा।
तुमने ईश-सेवा के मार्ग में प्रवेश किया है अभी-अभी,
तो पहले अपना पूरा दिल ईश्वर को दो।
चाहे ईश्वर के सामने हो या दूसरों के,
तुम्हारा दिल हो ईश्वर के आगे,
प्रेम करे उसे यीशु के जैसे।
इस तरह, ईश्वर तुम्हें पूर्ण करेगा,
ताकि तुम बनो सेवक उसके दिल के अनुरूप।
3
अगर तुम पूर्ण होना चाहो,
उसकी इच्छा अनुसार सेवा करना चाहो,
तो ईश्वर में आस्था के अपने पुराने विचार बदलो,
ईश्वर की सेवा का अपना ढंग बदलो,
ताकि तुम्हारा अधिक हिस्सा पूर्ण बनाया जाए।
तो ईश्वर तुम्हें त्यागेगा नहीं;
पतरस के जैसे तुम ईश-प्रेमियों के आगे चलोगे।
अगर तुम न पछताओगे, तो यहूदा बन जाओगे।
सभी विश्वासियों को ये पता होना चाहिए।
तुमने ईश-सेवा के मार्ग में प्रवेश किया है अभी-अभी,
तो पहले अपना पूरा दिल ईश्वर को दो।
चाहे ईश्वर के सामने हो या दूसरों के,
तुम्हारा दिल हो ईश्वर के आगे,
प्रेम करे उसे यीशु के जैसे।
इस तरह, ईश्वर तुम्हें पूर्ण करेगा,
ताकि तुम बनो सेवक उसके दिल के अनुरूप।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप सेवा कैसे करें से रूपांतरित