964 परमेश्वर जो भी करता है वह धार्मिक होता है
1 परमेश्वर का ज्ञान, चीज़ों के इंसानी नज़रिए के आधार पर यह बताना नहीं है कि वह कैसा दिखता है; जिस तरह से मनुष्य चीज़ों को देखते हैं उसमें कोई सत्य नहीं है। आपको देखना होगा कि उसका सार क्या है, उसका स्वभाव कैसा है। लोगों को बाहरी घटना के आधार पर परमेश्वर के सार को नहीं देखना चाहिए जो इस बात का परिणाम होता है कि उसने क्या किया है या क्या निपटाया है। परमेश्वर का स्वभाव धार्मिक है; वह प्रत्येक से समान व्यवहार करता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि फिर धार्मिक लोगों को परीक्षणों से गुज़रने की आवश्यकता नहीं है या धार्मिक लोगों को सुरक्षा देने की आवश्यकता है; ऐसा नहीं है। परमेश्वर को आपकी परीक्षा लेने का अधिकार है। यह उसके धार्मिक स्वभाव की अभिव्यक्ति है। वह वही करेगा जो उसे करना ही चाहिए, और उसका स्वभाव धार्मिक है।
2 धार्मिकता किसी भी तरह से न्यासंगत या तर्कसंगत नहीं होती; यह समतावाद नहीं है, या तुम्हारे द्वारा पूरे किए गए काम के अनुसार तुम्हें तुम्हारे हक़ का हिस्सा आवंटित करने, या तुमने जो भी काम किया हो उसके बदले भुगतान करने, या तुम्हारे किए प्रयास के अनुसार तुम्हारा देय चुकाने का मामला नहीं है। यह धार्मिकता नहीं है। मान लो कि अय्यूब द्वारा उसकी गवाही देने के बाद परमेश्वर अय्यूब को ख़त्म देता : तब भी परमेश्वर धार्मिक होता। इसे धार्मिकता क्यों कहा जाता है? मानवीय दृष्टिकोण से, अगर कोई चीज़ लोगों की धारणाओं के अनुरूप होती है, तब उनके लिए यह कहना बहुत आसान हो जाता है कि परमेश्वर धार्मिक है; परंतु, अगर वे उस चीज़ को अपनी धारणाओं के अनुरूप नहीं पाते—अगर यह कुछ ऐसा है जिसे वे बूझ नहीं पाते—तो उनके लिए यह कहना मुश्किल होगा कि परमेश्वर धार्मिक है। परमेश्वर का सार धार्मिकता है। यद्यपि वह जो करता है उसे बूझना आसान नहीं है, तब भी वह जो कुछ भी करता है वह सब धार्मिक है; बात सिर्फ़ इतनी है कि लोग समझते नहीं हैं।
3 जब परमेश्वर ने पतरस को शैतान के सुपुर्द कर दिया था, तब पतरस की प्रतिक्रिया क्या थी? "तुम जो भी करते हो उसकी थाह तो मनुष्य नहीं पा सकता, लेकिन तुम जो भी करते हो उस सब में तुम्हारी सदिच्छा समाई है; उस सब में धार्मिकता है। यह कैसे सम्भव है कि मैं तुम्हारे बुद्धिमान कर्मों की सराहना न करूँ?" वह सब जो परमेश्वर करता है धार्मिक है। हालाँकि वह तुम्हारे लिए अज्ञेय हो सकता है, तब भी तुम्हें मनमाने ढंग से फ़ैसले नहीं करने चाहिए। अगर तुम्हें उसका कोई कृत्य अतर्कसंगत प्रतीत होता है, या उसके बारे में तुम्हारी कोई धारणाएँ हैं, और उसकी वजह से तुम कहते हो कि वह धार्मिक नहीं है, तब तुम सर्वाधिक अतर्कसंगत हो रहे हो। पतरस ने पाया कि कुछ चीज़ें अबूझ थीं, लेकिन उसे पक्का विश्वास था कि परमेश्वर की बुद्धिमता विद्यमान थी और उन चीजों में उसकी इच्छा थी। मनुष्य हर चीज़ की थाह नहीं पा सकते; इतनी सारी चीज़ें हैं जिन्हें वे समझ नहीं सकते। परमेश्वर के स्वभाव को जानना आसान बात नहीं है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित