965 क्या तुम सचमुच परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को जानते हो?
1 परमेश्वर लोगों की नियति एक सिद्धांत के आधार पर तय करते हैं। अंतत: लोगों की नियति उनके कामों और व्यवहार के अनुसार निर्धारित होगी। परमेश्वर में विश्वास करने वाले बहुत-से लोग परमेश्वर की इच्छा को समझने पर ध्यान नहीं देते; वे सोचते हैं कि परमेश्वर ने जिसको बचाना पूर्वनिर्धारित कर दिया है, परमेश्वर उसे अवश्य ही बचाएगा; और वे सोचते हैं कि जिनको बचाना परमेश्वर ने पूर्वनिर्धारित नहीं किया है, परमेश्वर उन्हें नहीं बचाएगा, भले ही वे कुछ भी करें। उन्हें लगता है कि परमेश्वर लोगों के कृत्यों और व्यवहार के आधार पर उनकी नियति तय नहीं करेगा। यदि तुम इस तरह सोचते हो तो तुमने परमेश्वर को बिल्कुल गलत समझा है। यदि परमेश्वर सचमुच ऐसा करता तो क्या वह धार्मिक और न्यायसंगत हो सकता है?
2 तुम्हें परमेश्वर का धर्मी स्वभाव नजर नहीं आता है, और तुम हमेशा ही परमेश्वर को गलत समझ लेते हैं और उसके इरादों को तोड़-मरोड़कर देखते हो। यही कारण है कि तुम निराशावादी बनकर उम्मीद छोड़ देते हैं। क्या यह खुद पर थोपी हुई चीज नहीं होती? क्या तुम सचमुच परमेश्वर को समझते हो, और क्या तुम परमेश्वर के इरादों को लेकर आश्वस्त हो? तुमने “परमेश्वर के पूर्वनिर्धारण” को हमेशा एक सीमा-रेखा खींचने के लिए इस्तेमाल किया है, और परमेश्वर के वचनों को नकारा है। यह परमेश्वर के विषय में एक गंभीर भ्रम है! तुम परमेश्वर के कार्यों को और परमेश्वर की इच्छाओं को बिल्कुल भी नहीं समझते हो; और यह भी नहीं कि परमेश्वर ने हर चीज पर कितना दिमाग खपाया है। तुम परमेश्वर के इरादों को गलत समझते हो, तुम्हें परमेश्वर के वचनों पर भरोसा नहीं है। तो तुम अपना कर्तव्य ठीक से निभाकर परमेश्वर की इच्छा को कैसे संतुष्ट कर सकते हो?
3 ऐसे अनेक लोग हैं जो अपने स्वभाव को बदलने पर जरा भी ध्यान नहीं देते हैं, सच्चाई को अपने जीवन में उतारने की तो बात ही क्या है। उनका सारा ध्यान इसी तरफ रहता है कि उनका अंतिम गंतव्य अच्छा रहेगा या नहीं, परमेश्वर उनके साथ कैसा बर्ताव करेगा, क्या परमेश्वर ने उन्हें अपने लोगों में शामिल करने के लिए पूर्वनिर्धारित किया है, और ऐसी ही दूसरी सुनी-सुनाई बातें। जो लोग नेक काम में नहीं जुटे हुए हैं, उन्हें अनंत जीवन कैसे मिल सकता है? मैं तुम लोगों से गंभीरता से कहता हूँ : अगर कोई पूर्वनिर्धारित नीयति वाला व्यक्ति सत्य का पालन नहीं करता है तो उसे अंतत: हटा दिया जाएगा। और कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी नीयति पूर्वनिर्धारित नहीं है, किंतु वह पूरी निष्ठा से सत्य का पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेगा।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित