636 क्या तुम ऐसे व्यक्ति हो जिसने ताड़ना और न्याय को हासिल किया है?
1 क्या तुम ताड़ना और न्याय के बाद जीत लिए जाने की कामना करते हो, या ताड़ना और न्याय के बाद शुद्ध किए जाने, रक्षा किए जाने और सँभाल लिए जाने की कामना करते हो? तुम इनमें से क्या पाना चाहते हो? क्या तुम्हारा जीवन अर्थपूर्ण है, या अर्थहीन और मूल्यहीन है? तुम्हें शरीर चाहिए या सत्य चाहिए? तुम न्याय चाहते हो या सुख? परमेश्वर के कार्यों का इतना अनुभव कर लेने, और परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता को देख लेने के बाद, तुम्हें किस प्रकार खोज करनी चाहिए? तुम्हें इस पथ पर किस प्रकार चलना चाहिए? तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यवहार में कैसे लाना चाहिए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ने तुम पर कोई असर डाला है?
2 तुम्हें परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय का ज्ञान है कि नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम किसे जी रहे हो, और तुम किस सीमा तक परमेश्वर से प्रेम करते हो! तुम्हारे होंठ कहते हैं कि तुम परमेश्वर से प्रेम करते हो, फिर भी तुम उसी पुराने और भ्रष्ट स्वभाव को जी रहे हो; तुममें परमेश्वर का कोई भय नहीं है, और तुम्हारे अंदर चेतना तो और भी कम है। क्या ऐसे लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं? क्या ऐसे लोग परमेश्वर के प्रति वफादार होते हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय को स्वीकार करते हैं? तुम कहते हो कि तुम परमेश्वर से प्रेम करते हो और उसमें विश्वास करते हो, फिर भी तुम अपनी धारणाओं को नहीं छोड़ पाते। तुम्हारे कार्य में, तुम्हारे प्रवेश में, उन शब्दों में जो तुम बोलते हो, और तुम्हारे जीवन में परमेश्वर के प्रति तुम्हारे प्रेम की कोई अभिव्यक्ति नहीं है, और परमेश्वर के प्रति कोई आदर नहीं है। क्या यह एक ऐसा इंसान है जिसने ताड़ना और न्याय प्राप्त कर लिए हैं?
3 क्या ऐसा कोई इंसान पतरस के समान हो सकता है? क्या जो लोग पतरस के समान हैं उनमें केवल ज्ञान होता है, वे उसे जीते नहीं हैं? क्या पतरस केवल प्रार्थना करता था, वह सत्य का अभ्यास नहीं करता था? तुम्हारी खोज किसके लिए है? परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के दौरान तुम्हें किस प्रकार सुरक्षा और शुद्धता ग्रहण करनी चाहिए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से मनुष्य को कोई लाभ नहीं है? यदि मनुष्य न्याय की जीवन-शैली के बिना एक सुहावने और आरामदेह वातावरण में रहे, तो क्या उसे शुद्ध किया जा सकता है? यदि मनुष्य बदलना और शुद्ध होना चाहता है, तो उसे पूर्ण किए जाने को कैसे स्वीकार करना चाहिए? आज तुम्हें कौनसा पथ चुनना चाहिए?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान से रूपांतरित