882 परमेश्वर ने अपना सारा प्रेम दिया है मानवता को
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चाहे दिखाए वो अपनी धार्मिकता, अपना प्रताप या प्रकोप,
परमेश्वर करता है अपना प्रबंधन, बचाता है इंसान को अपने प्रेम के कारण।
कुछ लोग पूछते हैं कितना प्रेम।
परमेश्वर का प्रेम होता है हमेशा सौ प्रतिशत।
क्योंकि परमेश्वर का प्रेम होता अगर थोड़ा भी कम,
बचाया जा नहीं सकता था इंसान को।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम मानवता को।
वो देता है अपना सारा प्रेम। वो देता है अपना सारा प्रेम।
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परमेश्वर ने देहधारण क्यों किया?
इंसान को बचाने के लिए उसने छोड़ी नहीं कोई कमी।
उसके देहधारण में है मौजूद उसका सारा प्रेम।
देखा जा सकता है कि इंसान ने किया है चरम सीमा तक विरोध परमेश्वर का।
निकल चुका है इंसान, निकल चुका है इंसान बचाए जाने की हद से भी आगे।
रहा परमेश्वर के पास कोई विकल्प नहीं।
इंसान के लिए ख़ुद का बलिदान देने के लिए किया उसने देहधारण।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम मानवता को।
वो देता है अपना सारा प्रेम। वो देता है अपना सारा प्रेम।
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नहीं करता अगर वो इंसान से प्यार, करता नहीं वो देहधारण।
गड़गड़ा सकता था वो बादल-बिजली को, बरसा सकता था अपना प्रकोप।
मानवता गिरती, गिरती ज़मीन पर,
होती नहीं फिर ज़रूरत परमेश्वर को देहधारी बनने की
शर्मनाक कीमत चुकाने की।
मानवता के लिए देता है वो बलिदान, मानवता के लिए देता है अपना प्रेम।
मानवता के लिए देता है वो बलिदान, मानवता के लिए देता है अपना प्रेम।
परमेश्वर दर्द, उत्पीड़न, और अपमान, तिरस्कार सहना समझता है बेहतर।
इसके बावजूद मानवता को बचाता है वो। यही तो है परिभाषा प्रेम की।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम। परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम।
परमेश्वर देता है अपना सारा प्रेम मानवता को।
वो देता है अपना सारा प्रेम। वो देता है अपना सारा प्रेम।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मसीह का सार प्रेम है से रूपांतरित