112 परमेश्वर आरम्भ है और अंत भी
1
ईश्वर देहधारी क्यों हुआ है? उसका उद्देश्य क्या है?
पुराने युग के अंत और नए युग के आरम्भ के लिए।
आदि और अंत परमेश्वर है।
वो खुद शुरू काम करता और पुराने युग का अंत।
यह साबित करे, शैतान और जहान पे जीत ईश्वर की हुई है।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
हर बार वह देहधारी बन करे कार्य, नया शुरू होता युद्ध।
बिन ईश्वर के नए कार्य के, पुराना अंत न हो।
और यह सत्य कि पुराना कार्य अभी ख़त्म नहीं हुआ,
दर्शाता है कि शैतान से युद्ध अब तक पूरा न हुआ।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
2
जब स्वयं परमेश्वर आये और नया कार्य करे,
तब मानव शैतान के नियंत्रण से आज़ाद होगा।
यदि ईश्वर न आता करने कार्य, न होती नई शुरुआत और नई ज़िन्दगी।
जीता पुराने युग में मानव प्रभाव में शैतान के।
हर युग जिसकी अगुवाई करे ईश्वर, हो मानव का एक भाग आज़ाद।
उनको बढ़ाये ईश्वर का कार्य नए युग की ओर।
हर युग जिसकी अगुवाई करे ईश्वर, हो मानव का एक भाग आज़ाद।
उसकी जीत उन सबकी है जो उसका अनुसरण करते हैं।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है। बोये वही, वही काटे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1) से रूपांतरित