935 परमेश्वर का सार सर्वशक्तिमत्ता भी है और व्यवहारिकता भी
1 परमेश्वर के प्रत्येक कार्य में उसकी सर्वशक्तिमत्ता का पहलू भी शामिल है और उसकी व्यवहारिकता का पहलू भी। परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता उसका सार-तत्व है, किंतु उसकी व्यवहारिकता भी उसका सार-तत्व है; ये दोनों पहलू अविभाज्य हैं। परमेश्वर जिन कार्यों को वास्तविक और व्यवहारिक रूप में क्रियान्वित करता है उनमें उसका व्यवहारिक पहलू कार्यरत होता है, और यह बात कि वह इस तरीके से कार्य कर सकता है, उसकी सर्वशक्तिमत्ता को दर्शाती है। जो कुछ भी परमेश्वर करता है उसमें उसकी सर्वशक्तिमत्ता और उसकी व्यवहारिकता दोनों ही पहलू शामिल रहते हैं, और यह सब कुछ उसके सार-तत्व के आधार पर ही होता है; यह उसके स्वभाव की एक अभिव्यक्ति है, और साथ ही यह उसके सार-तत्व और जो कुछ वह है उसका प्रकाशन भी है।
2 परमेश्वर की यह क्षमता कि वह वास्तविक और व्यवहारिक रूप से कार्य कर सकता है, सत्य को अभिव्यक्त करके मानवता की भ्रष्टता को दूर कर सकता है, और साथ ही लोगों का सीधे नेतृत्व कर सकता है, उसके व्यवहारिक पहलू को दर्शाती है। वह अपने स्वयं के स्वभाव को और वह जो कुछ है, उसे प्रकट करता है। जो काम मनुष्य नहीं कर सकता है, वह परमेश्वर कर सकता है, और यह बात उसकी सर्वशक्तिमत्ता के पहलू को दर्शाती है। परमेश्वर के पास यह अधिकार है कि जो वह कहता है उसे अस्तित्व में ला सके, अपने आदेशों को दृढ़ता से लागू कर सके, और जो वह कहे, उसे प्राप्त कर सके। परमेश्वर जब बोलता है तो उसकी सर्वशक्तिमत्ता प्रकट होती है। परमेश्वर सभी चीजों पर शासन करता है, अपनी सेवा के लिए शैतान का इस्तेमाल करता है, लोगों का परीक्षण और परिशोधन करने के लिए परिवेशों की व्यवस्था करता है, उनके स्वभावों को शुद्ध और परिवर्तित करता है—ये सभी परमेश्वर के सर्वशक्तिशाली पक्ष की अभिव्यक्तियां हैं। परमेश्वर का सार-तत्व सर्वशक्तिमत्ता और व्यवहारिकता दोनों ही है, और ये दोनों पहलू एक-दूसरे के पूरक हैंl परमेश्वर जो कुछ भी करता है वह उसके स्वभाव की अभिव्यक्ति है, और वह जो कुछ है उसका प्रकाशन है। इसमें उसकी सर्वशक्तिमत्ता, उसकी धार्मिकता और उसका प्रताप शामिल है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित