471 परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं
परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं।
वो दाता है जीवन का, रहनुमा इन्सां का।
1
उसके वचनों का मूल्य और अर्थ
तय होता उनके सार से,
न कि इंसान के उन्हें मानने, न मानने से।
अगर एक भी इन्सां न ग्रहण करे उन वचनों को,
तब भी उसके लिए उनकी कीमत और मदद अपार है।
परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं।
वो दाता है जीवन का, रहनुमा इन्सां का।
2
ख़िलाफ़त और अपमान जो करते हैं वचनों का,
उनके लिये परमेश्वर बस इतना कहे:
वक्त और तथ्य परमेश्वर के गवाह होंगे,
दिखलाएंगे उसके वचन हैं सत्य, मार्ग और जीवन;
दिखलाएंगे कहा जो भी उसने सत्य है,
जो इंसां के पास होना चाहिए,
जो उसे स्वीकारना चाहिए।
परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं।
वो दाता है जीवन का, रहनुमा इन्सां का।
3
अपने अनुयायियों को परमेश्वर ये जानने देगा:
जो इंसां ना स्वीकारे वचन उसके
या अपने कामों के ज़रिये ना करे उन्हें पूरा,
जो इन्सां ख़ोज ना पाये कोई मकसद,
या हो नाकाम पाने में उद्धार उसके वचनों में,
उन्हीं की निंदा की है परमेश्वर के वचनों ने।
उन्होंने खो दिया है उद्धार परमेश्वर का।
उनके लिये उसका दण्ड कभी ज़्यादा दूर ना होगा।
परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं।
वो दाता है जीवन का, रहनुमा इन्सां का।
परमेश्वर के वचन कभी न बदलने वाला सत्य हैं।
वो दाता है जीवन का, रहनुमा इन्सां का।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम लोगों को अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए से रूपांतरित