परमेश्‍वर ने विभिन्‍न पशु-पक्षियों मछलियों, कीट-पतंगों और पेड़-पौधों के लिए सीमाएँ तय की थी

06 अगस्त, 2018

परमेश्वर द्वारा निर्मित इन सीमाओं के कारण, विभिन्न भूभागों ने जीवित रहने के लिए अलग-अलग वातावरण उत्पन्न किए हैं, और जीवित रहने के लिए ये वातावरण विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों के लिए सुविधाजनक रहे हैं, साथ ही ये जीवित रहने के लिए उन्हें एक स्थान भी उपलब्ध कराते हैं। इस तरह विभिन्न जीवों के जीवित रहने के लिए वातावरण की सीमाओं को विकसित किया गया है। यह दूसरा भाग है जिस पर हम आगे बात करने जा रहे हैं। सर्वप्रथम, पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े कहाँ रहते हैं? क्या वे वन-उपवन में रहते हैं? ये उनके निवास-स्थान हैं। इसलिए, विभिन्न भौगोलिक वातावरण के लिए सीमाएँ स्थापित करने के अलावा, परमेश्वर ने विभिन्न पशु-पक्षियों, मछलियों, कीड़े-मकोड़ों, और सभी पेड़-पौधों के लिए सीमाएँ खींचीं। उसने नियम भी स्थापित किये। विभिन्न भौगोलिक वातावरण के मध्य भिन्नताओं के कारण और विभिन्न भौगोलिक वातावरण की मौजूदगी के कारण, विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों, मछलियों, कीड़े-मकोड़ों, और पेड़-पौधों के पास जीवित रहने के लिए अलग-अलग वातावरण हैं। पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े विभिन्न पेड़-पौधों के बीच रहते हैं, मछलियां पानी में रहती हैं, और पेड़-पौधे भूमि पर उगते हैं। भूमि में विभिन्न क्षेत्र जैसे पर्वत, मैदान और पहाड़ियां शामिल हैं। एक बार पशु-पक्षियों के पास उनके अपने नियत घर हो जाएँ, तो वे इधर-उधर नहीं भटकेंगे। उनके निवास-स्थान जंगल और पहाड़ हैं। अगर कभी उनके निवास-स्थान नष्ट हो जाएँ, तो यह सारी व्यवस्था अराजकता में बदल जाएगी। इस व्यवस्था के अराजक होने के परिणाम क्या होंगे? सबसे पहले किसे नुकसान पहुँचेगा? (मानवजाति को।) मानवजाति को! परमेश्वर द्वारा स्थापित इन नियमों और सीमाओं के अंतर्गत, क्या तुम लोगों ने कोई अजीब-सी घटना देखी है? उदाहरण के लिए, हाथी का मरुस्थल में घूमना। क्या ऐसा तुम लोगों ने ऐसा कुछ देखा है? यदि ऐसा हुआ, तो यह एक बहुत ही अजीब-सी घटना होगी, क्योंकि हाथी जंगल में रहते हैं, और परमेश्वर ने उनके जीने के लिए यही वातावरण बनाया है। जीने के लिए उनके पास अपना वातावरण है, अपना स्थायी घर है, तो वे इधर-उधर क्यों भागते फिरेंगे? क्या किसी ने शेरों या बाघों को महासागर के तट पर टहलते हुए देखा है? नहीं, तुमने नहीं देखा है। शेरों और बाघों का निवास-स्थान जंगल और पर्वत हैं। क्या किसी ने महासागर की व्हेल या शार्क मछलियों को मरुस्थल में तैरते हुए देखा है? नहीं, तुमने नहीं देखा है। व्हेल और शार्क मछलियां अपना घर महासागर में बनाती हैं। मनुष्य के जीने के वातावरण में, क्या ऐसे लोग हैं जो भूरे भालुओं के साथ रहते हैं? क्या ऐसे लोग हैं जो अपने घरों के भीतर और बाहर हमेशा मोर, या अन्य पक्षियों से घिरे रहते हैं? क्या किसी ने चीलों और जंगली कलहंसों को बन्दरों के साथ खेलते देखा है? (नहीं।) ये सब बहुत ही अजीब घटनाएँ होंगी। तुम लोगों की नज़रों में इन अजीब घटनाओं के विषय में मेरी बात करने की वजह यही है कि मैं तुम लोगों को समझाना चाहता हूँ कि परमेश्वर के द्वारा रची गयी सभी चीज़ों के जीवित रहने के लिए अपने नियम हैं—इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वे एक ही स्थान में स्थायी रूप से रहते हैं या वे अपने नथुनों से साँस ले सकते हैं या नहीं। परमेश्वर ने इन प्राणियों क सृजित करने के बहुत पहले ही उनके लिये निवास-स्थान, और जीवित रहने के लिए उनके अनुकूल वातावरण बना दिया था। इन प्राणियों के पास जीवित रहने के लिए उनका अपना स्थायी वातावरण, अपना भोजन, अपना निवास-स्थान था और उनके जीवित रहने के लिए उपयुक्त तापमानों से युक्त निर्धारित जगहें थीं। इस तरह वे इधर-उधर भटकते नहीं थे या मानवजाति के जीवन को कमज़ोर या प्रभावित नहीं करते थे। परमेश्वर सभी चीज़ों का प्रबंधन इसी तरह से करता है। वह मानवजाति के जीवित रहने हेतु उत्तम वातावरण प्रदान करता है। सभी चीज़ों के अंतर्गत जीवित प्राणियों में से प्रत्येक के पास जीवित रहने हेतु वातावरण के भीतर जीवन को बनाए रखने वाला भोजन है। उस भोजन के साथ, वे जीवित रहने के लिए अपने पैदाइशी वातावरण से जुड़े रहते हैं; उस प्रकार के वातावरण में, वे परमेश्वर द्वारा स्थापित नियमों के अनुसार निरंतर जीवन-यापन कर रहे हैं, वंश-वृद्धि कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रकार के नियमों के कारण, और परमेश्वर के पूर्वनिर्धारण के कारण, सभी चीज़ें मनुष्यजाति के साथ सामंजस्य में रहती हैं और मनुष्यजाति सभी चीज़ों के साथ परस्पर निर्भरता और सह-अस्तित्व में एक साथ रहती है।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX

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