धार्मिक दुनिया का मानना है कि सभी पवित्रशास्त्र परमेश्वर से प्रेरित हैं और पूरी तरह से उसके वचन हैं; यह सोच गलत है

17 मार्च, 2018

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

आज लोग यह विश्वास करते हैं कि बाइबल परमेश्वर है और परमेश्वर बाइबल है। इसलिए वे यह भी विश्वास करते हैं कि बाइबल के सारे वचन ही वे वचन हैं, जिन्हें परमेश्वर ने बोला था, और कि वे सब परमेश्वर द्वारा बोले गए वचन थे। जो लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वे यह भी मानते हैं कि यद्यपि पुराने और नए नियम की सभी छियासठ पुस्तकें लोगों द्वारा लिखी गई थीं, फिर भी वे सभी परमेश्वर की अभिप्रेरणा द्वारा दी गई थीं, और वे पवित्र आत्मा के कथनों के अभिलेख हैं। यह मनुष्य की गलत समझ है, और यह तथ्यों से पूरी तरह मेल नहीं खाती। वास्तव में, भविष्यवाणियों की पुस्तकों को छोड़कर, पुराने नियम का अधिकांश भाग ऐतिहासिक अभिलेख है। नए नियम के कुछ धर्मपत्र लोगों के व्यक्तिगत अनुभवों से आए हैं, और कुछ पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता से आए हैं; उदाहरण के लिए, पौलुस के धर्मपत्र एक मनुष्य के कार्य से उत्पन्न हुए थे, वे सभी पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता के परिणाम थे, और वे कलीसियाओं के लिए लिखे गए थे, और वे कलीसियाओं के भाइयों एवं बहनों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन के वचन थे। वे पवित्र आत्मा द्वारा बोले गए वचन नहीं थे—पौलुस पवित्र आत्मा की ओर से नहीं बोल सकता था, और न ही वह कोई नबी था, और उसने उन दर्शनों को तो बिलकुल नहीं देखा था जिन्हें यूहन्ना ने देखा था। उसके धर्मपत्र इफिसुस, फिलेदिलफिया और गलातिया की कलीसियाओं, और अन्य कलीसियाओं के लिए लिखे गए थे। और इस प्रकार, नए नियम में पौलुस के धर्मपत्र वे धर्मपत्र हैं, जिन्हें पौलुस ने कलीसियाओं के लिए लिखा था, और वे पवित्र आत्मा की अभिप्रेरणाएँ नहीं हैं, न ही वे पवित्र आत्मा के प्रत्यक्ष कथन हैं। वे महज प्रेरणा, सुविधा और प्रोत्साहन के वचन हैं, जिन्हें उसने अपने कार्य के दौरान कलीसियाओं के लिए लिखा था। इस प्रकार वे पौलुस के उस समय के अधिकांश कार्य के अभिलेख भी हैं। वे प्रभु में विश्वास करने वाले सभी भाई-बहनों के लिए लिखे गए थे, ताकि उस समय कलीसियाओं के भाई-बहन उसकी सलाह मानें और प्रभु यीशु द्वारा बताए गए पश्चात्ताप के मार्ग पर बने रहें। किसी भी तरह से पौलुस ने यह नहीं कहा कि, चाहे वे उस समय की कलीसियाएँ हों या भविष्य की, सभी को उसके द्वारा लिखी गई चीज़ों को खाना और पीना चाहिए, न ही उसने कहा कि उसके सभी वचन परमेश्वर से आए हैं। उस समय की कलीसियाओं की परिस्थितियों के अनुसार, उसने बस भाइयों एवं बहनों से संवाद किया था और उन्हें प्रोत्साहित किया था, और उन्हें उनके विश्वास में प्रेरित किया था, और उसने बस लोगों में प्रचार किया था या उन्हें स्मरण दिलाया था और उन्हें प्रोत्साहित किया था। उसके वचन उसके स्वयं के दायित्व पर आधारित थे, और उसने इन वचनों के जरिये लोगों को सहारा दिया था। उसने उस समय की कलीसियाओं के प्रेरित का कार्य किया था, वह एक कार्यकर्ता था जिसे प्रभु यीशु द्वारा इस्तेमाल किया गया था, और इस प्रकार कलीसियाओं की ज़िम्मेदारी लेने और कलीसियाओं का कार्य करने के लिए उसे भाइयों एवं बहनों की स्थितियों के बारे में जानना था—और इसी कारण उसने प्रभु में विश्वास करने वाले सभी भाइयों एवं बहनों के लिए धर्मपत्र लिखे थे। यह सही है कि जो कुछ भी उसने कहा, वह लोगों के लिए शिक्षाप्रद और सकारात्मक था, किंतु वह पवित्र आत्मा के कथनों का प्रतिनिधित्व नहीं करता था, और वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता था। यह एक बेहद गलत समझ और एक ज़बरदस्त ईश-निंदा है कि लोग एक मनुष्य के अनुभवों के अभिलेखों और धर्मपत्रों को पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं को बोले गए वचनों के रूप में लें! यह पौलुस द्वारा कलीसियाओं के लिए लिखे गए धर्मपत्रों के संबंध में विशेष रूप से सत्य है, क्योंकि उसके धर्मपत्र उस समय प्रत्येक कलीसिया की परिस्थितियों और उनकी स्थिति के आधार पर भाइयों एवं बहनों के लिए लिखे गए थे, और वे प्रभु में विश्वास करने वाले भाइयों एवं बहनों को प्रेरित करने के लिए थे, ताकि वे प्रभु यीशु का अनुग्रह प्राप्त कर सकें। उसके धर्मपत्र उस समय के भाइयों एवं बहनों को जाग्रत करने के लिए थे। ऐसा कहा जा सकता है कि यह उसका स्वयं का दायित्व था, और यह वह दायित्व भी था, जो उसे पवित्र आत्मा द्वारा दिया गया था; आखिरकार, वह एक प्रेरित था जिसने उस समय की कलीसियाओं की अगुआई की थी, जिसने कलीसियाओं के लिए धर्मपत्र लिखे थे और उन्हें प्रोत्साहित किया था—यह उसकी जिम्मेदारी थी। उसकी पहचान मात्र काम करने वाले एक प्रेरित की थी, और वह मात्र एक प्रेरित था जिसे परमेश्वर द्वारा भेजा गया था; वह नबी नहीं था, और न ही भविष्यवक्ता था। उसके लिए उसका कार्य और भाइयों एवं बहनों का जीवन अत्यधिक महत्वपूर्ण था। इस प्रकार, वह पवित्र आत्मा की ओर से नहीं बोल सकता था। उसके वचन पवित्र आत्मा के वचन नहीं थे, और उन्हें परमेश्वर के वचन तो बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि पौलुस परमेश्वर के एक प्राणी से बढ़कर कुछ नहीं था, और वह परमेश्वर का देहधारण तो निश्चित रूप से नहीं था। उसकी पहचान यीशु के समान नहीं थी। यीशु के वचन पवित्र आत्मा के वचन थे, वे परमेश्वर के वचन थे, क्योंकि उसकी पहचान मसीह—परमेश्वर के पुत्र की थी। पौलुस उसके बराबर कैसे हो सकता है? यदि लोग पौलुस जैसों के धर्मपत्रों या शब्दों को पवित्र आत्मा के कथनों के रूप में देखते हैं, और उनकी परमेश्वर के रूप में आराधना करते हैं, तो सिर्फ यह कहा जा सकता है कि वे बहुत ही अधिक अविवेकी हैं। और अधिक कड़े शब्दों में कहा जाए तो, क्या यह स्पष्ट रूप से ईश-निंदा नहीं है? कोई मनुष्य परमेश्वर की ओर से कैसे बात कर सकता है? और लोग उसके धर्मपत्रों के अभिलेखों और उसके द्वारा बोले गए वचनों के सामने इस तरह कैसे झुक सकते हैं, मानो वे कोई पवित्र पुस्तक या स्वर्गिक पुस्तक हों। क्या परमेश्वर के वचन किसी मनुष्य के द्वारा बस यों ही बोले जा सकते हैं? कोई मनुष्य परमेश्वर की ओर से कैसे बोल सकता है? तो, तुम क्या कहते हो—क्या वे धर्मपत्र, जिन्हें उसने कलीसियाओं के लिए लिखा था, उसके स्वयं के विचारों से दूषित नहीं हो सकते? वे मानवीय विचारों द्वारा दूषित कैसे नहीं हो सकते? उसने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और अपने ज्ञान के आधार पर कलीसियाओं के लिए धर्मपत्र लिखे थे। उदाहरण के लिए, पौलुस ने गलातियाई कलीसियाओं को एक धर्मपत्र लिखा, जिसमें एक निश्चित राय थी, और पतरस ने दूसरा धर्मपत्र लिखा, जिसमें दूसरा विचार था। उनमें से कौन-सा पवित्र आत्मा से आया था? कोई निश्चित तौर पर नहीं कह सकता। इस प्रकार, सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि उन दोनों ने कलीसियाओं के लिए दायित्व वहन किया था, फिर भी उनके पत्र उनके आध्यात्मिक कद का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे भाइयों एवं बहनों के लिए उनके पोषण एवं समर्थन का, और कलीसियाओं के प्रति उनके दायित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, और वे केवल मनुष्य के कार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं; वे पूरी तरह से पवित्र आत्मा के नहीं थे। यदि तुम कहते हो कि उसके धर्मपत्र पवित्र आत्मा के वचन हैं, तो तुम बेतुके हो, और तुम ईश-निंदा कर रहे हो! पौलुस के धर्मपत्र और नए नियम के अन्य धर्मपत्र बहुत हाल की आध्यात्मिक हस्तियों के संस्मरणों के बराबर हैं : वे वाचमैन नी की पुस्तकों या लॉरेंस आदि के अनुभवों के समतुल्य हैं। सीधी-सी बात है कि हाल ही की आध्यात्मिक हस्तियों की पुस्तकों को नए नियम में संकलित नहीं किया गया है, फिर भी इन लोगों का सार एकसमान था : वे पवित्र आत्मा द्वारा एक निश्चित अवधि के दौरान इस्तेमाल किए गए लोग थे, और वे सीधे परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते थे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3)

बाइबल में हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का अभिलेख नहीं है। बाइबल बस परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरण दर्ज करती है, जिनमें से एक भाग नबियों की भविष्यवाणियों का अभिलेख है, और दूसरा भाग युगों-युगों में परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किए गए लोगों द्वारा लिखे गए अनुभवों और ज्ञान का अभिलेख है। मनुष्य के अनुभव उसके मतों और ज्ञान से दूषित होते हैं, और यह एक अपरिहार्य चीज़ है। बाइबल की कई पुस्तकों में मनुष्य की धारणाएँ, पूर्वाग्रह और बेतुकी समझ शामिल हैं। बेशक, अधिकतर वचन पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी का परिणाम हैं और वे सही समझ हैं—फिर भी अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वे पूरी तरह से सत्य की सटीक अभिव्यक्ति हैं। कुछ चीज़ों पर उनके विचार व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त ज्ञान या पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता से बढ़कर कुछ नहीं हैं। नबियों के पूर्वकथन परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से निर्देशित किए गए थे : यशायाह, दानिय्येल, एज्रा, यिर्मयाह और यहेजकेल जैसों की भविष्यवाणियाँ पवित्र आत्मा के सीधे निर्देशन से आई थीं; ये लोग द्रष्टा थे, उन्होंने भविष्यवाणी के आत्मा को प्राप्त किया था, और वे सभी पुराने नियम के नबी थे। व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा की अभिप्रेरणाओं को प्राप्त करने वाले लोगों ने अनेक भविष्यवाणियाँ की थीं, जिन्हें सीधे यहोवा के द्वारा निर्देशित किया गया था।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3)

पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा द्वारा बड़ी संख्या में खड़े किए गए नबियों ने उसके लिए भविष्यवाणी की, उन्होंने विभिन्न कबीलों एवं राष्ट्रों को निर्देश दिए, और यहोवा द्वारा किए जाने वाले कार्य की भविष्यवाणी की। इन सभी खड़े किए गए लोगों को यहोवा द्वारा भविष्यवाणी की आत्मा दी गई थी: वे यहोवा से उसके दर्शन प्राप्त करने और उसकी आवाज़ सुनने में सक्षम थे, और इस प्रकार वे उसके द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने भविष्यवाणियाँ लिखीं। उन्होंने जो कार्य किया, वह यहोवा की आवाज़ की अभिव्यक्ति था, यहोवा की भविष्यवाणी की अभिव्यक्ति था, और उस समय यहोवा का कार्य केवल पवित्रात्मा का उपयोग करके लोगों का मार्गदर्शन करना था; वह देहधारी नहीं हुआ, और लोगों ने उसका चेहरा नहीं देखा। इस प्रकार, उसने अपना कार्य करने के लिए बहुत-से नबियों को खड़ा किया और उन्हें आकाशवाणियाँ दीं, जिन्हें उन्होंने इस्राएल के प्रत्येक कबीले और कुटुंब को सौंप दिया। उनका कार्य भविष्यवाणी करना था, और उनमें से कुछ ने अन्य लोगों को दिखाने के लिए उन्हें यहोवा के निर्देश लिखकर दिए। यहोवा ने इन लोगों को भविष्यवाणी करने, भविष्य के कार्य या उस कार्य के बारे में पूर्वकथन कहने के लिए खड़ा किया था जो उस युग के दौरान अभी किया जाना था, ताकि लोग यहोवा की चमत्कारिकता एवं बुद्धि को देख सकें। भविष्यवाणी की ये पुस्तकें बाइबल की अन्य पुस्तकों से काफी अलग थीं; वे उन लोगों द्वारा बोले या लिखे गए वचन थे, जिन्हें भविष्यवाणी की आत्मा दी गई थी—उनके द्वारा, जिन्होंने यहोवा के दर्शनों या आवाज़ को प्राप्त किया था। भविष्यवाणी की पुस्तकों के अलावा, पुराने विधान में हर चीज़ उन अभिलेखों से बनी है, जिन्हें लोगों द्वारा तब तैयार किया गया था, जब यहोवा ने अपना काम समाप्त कर लिया था। ये पुस्तकें यहोवा द्वारा खड़े किए गए नबियों द्वारा की गई भविष्यवाणियों का स्थान नहीं ले सकतीं, बिलकुल वैसे ही जैसे उत्पत्ति और निर्गमन की तुलना यशायाह की पुस्तक और दानिय्येल की पुस्तक से नहीं की जा सकती। भविष्यवाणियाँ कार्य पूरा होने से पहले की गई थीं; जबकि अन्य पुस्तकें कार्य पूरा होने के बाद लिखी गई थीं, जिसे करने में वे लोग समर्थ थे। उस समय के नबी यहोवा द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने कुछ भविष्यवाणियाँ कीं, उन्होंने कई वचन बोले, और अनुग्रह के युग की चीजों, और साथ ही अंत के दिनों में संसार के विनाश—वह कार्य, जिसे करने की यहोवा की योजना थी—के बारे में भविष्यवाणी की। बाकी सभी पुस्तकों में यहोवा के द्वारा इस्राएल में किए गए कार्य को दर्ज किया गया है। इस प्रकार, जब तुम बाइबल पढ़ते हो, तो तुम मुख्य रूप से यहोवा द्वारा इस्राएल में किए गए कार्यों के बारे में पढ़ रहे होते हो; बाइबल के पुराने विधान में मुख्यतः इस्राएल का मार्गदर्शन करने का यहोवा का कार्य और मिस्र से बाहर इस्राएलियों का मार्गदर्शन करने के लिए उसके द्वारा मूसा का उपयोग दर्ज किया गया है, जिसने उन्हें फिरौन के बंधनों से छुटकारा दिलाया और उन्हें बाहर सुनसान जंगल में ले गया, जिसके बाद उन्होंने कनान में प्रवेश किया और इसके बाद कनान का जीवन ही उनके लिए सब-कुछ था। इसके अलावा सब पूरे इस्राएल में यहोवा के कार्य के अभिलेख से निर्मित है। पुराने विधान में दर्ज सब-कुछ इस्राएल में यहोवा का कार्य है, यह वह कार्य है जिसे यहोवा ने उस भूमि पर किया, जिसमें उसने आदम और हव्वा को बनाया था। जबसे परमेश्वर ने नूह के बाद आधिकारिक रूप से पृथ्वी पर लोगों की अगुआई करनी आरंभ की, तब से पुराने विधान में दर्ज सब-कुछ इस्राएल का कार्य है। और उसमें इस्राएल के बाहर का कोई भी कार्य दर्ज क्यों नहीं किया गया है? क्योंकि इस्राएल की भूमि मानवजाति का पालना है। शुरुआत में, इस्राएल के अलावा कोई अन्य देश नहीं थे, और यहोवा ने अन्य किसी स्थान पर कार्य नहीं किया। इस तरह, बाइबल के पुराने विधान में जो कुछ भी दर्ज है, वह केवल उस समय इस्राएल में किया गया परमेश्वर का कार्य है। नबियों द्वारा, यशायाह, दानिय्येल, यिर्मयाह और यहेज़केल द्वारा बोले गए वचन ... उनके वचन पृथ्वी पर उसके अन्य कार्य के बारे में पूर्वकथन करते हैं, वे यहोवा स्वयं परमेश्वर के कार्य का पूर्वकथन करते हैं। यह सब-कुछ परमेश्वर से आया, यह पवित्र आत्मा का कार्य था, और नबियों की इन पुस्तकों के अलावा, बाकी हर चीज़ उस समय यहोवा के कार्य के बारे में लोगों के अनुभवों का अभिलेख है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1)

आज, तुम लोगों में से कौन यह कहने का साहस कर सकता है कि पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किए गए लोगों द्वारा कहे गए सभी वचन पवित्र आत्मा से आये थे? क्या किसी में ऐसी चीज़ें कहने का साहस है? यदि तुम ऐसी चीज़ें कहते हो, तो फिर क्यों एज्रा की भविष्यवाणी की पुस्तक को नामंज़ूर कर दिया गया था, और क्यों यही उन प्राचीन संतों और भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों के साथ किया गया था? यदि वे सभी पवित्र आत्मा से आयी थीं, तो तुम लोग क्यों ऐसे स्वेच्छाचारी चुनाव करने का साहस करते हो? क्या तुम पवित्र आत्मा के कार्य को चुनने के योग्य हो? इस्राएल की बहुत सारी कहानियों को भी नामंज़ूर कर दिया दिया गया था। और यदि तुम मानते हो कि अतीत के ये सभी लेख पवित्र आत्मा से आये, तो फिर क्यों कुछ पुस्तकों को नामंज़ूर क्यों कर दिया गया था? यदि वे सभी पवित्र आत्मा से आये, तो उन सब को सुरक्षित रखा जाना चाहिए था, और पढ़ने के लिए कलीसियाओं के भाइयों और बहनों को भेजा जाना चाहिए था। उन्हें मानवीय इच्छा के अनुसार नहीं चुना या नामंज़ूर किया जाना चाहिए था; ऐसा करना ग़लत है। यह कहना कि पौलुस और यूहन्ना के अनुभव उनकी व्यक्तिगत अंतर्दृष्टियों के साथ घुल-मिल गए थे इसका यह मतलब नहीं है कि उनके अनुभव और ज्ञान शैतान से आये थे, बल्कि बात केवल इतनी है कि उनके पास ऐसी चीज़ें थीं जो उनके व्यक्तिगत अनुभवों और अंतर्दृष्टियों से आई थीं। उनका ज्ञान उस समय के उनके वास्तविक अनुभवों की पृष्ठभूमि के अनुसार था, और कौन आत्मविश्वास के साथ कह सकता था कि यह सब पवित्र आत्मा से आया था। यदि चारों सुसमाचार पवित्र आत्मा से आये, तो ऐसा क्यों था कि मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना प्रत्येक ने यीशु के कार्य के बारे कुछ भिन्न कहा? यदि तुम लोग इस पर विश्वास नहीं करते हो, तो फिर तुम बाइबल के विवरणों में देखो कि किस प्रकार पतरस ने प्रभु को तीन बार नकारा था: वे सब भिन्न हैं, और उनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ हैं। बहुत से अज्ञानी लोग कहते हैं, "देहधारी परमेश्वर भी एक मनुष्य है, तो क्या जो वचन वह कहता है, वे पूरी तरह से पवित्र आत्मा से आ सकते हैं? जब पौलुस और यूहन्ना के वचन मानवीय इच्छा के साथ मिले हुए थे, तो क्या जिन वचनों को वो कहता है वे वास्तव में मानवीय इच्छा के साथ मिले हुए नहीं हैं?" जो लोग ऐसी बातें करते हैं वे अन्धे और अज्ञानी हैं! चारों सुसमाचारों को ध्यानपूर्वक पढ़ो; पढ़ो कि उन्होंने उन चीज़ों के बारे में क्या दर्ज किया है जो यीशु ने की थीं, और उन वचनों को पढ़ो जो उसने कहे थे। प्रत्येक विवरण, एकदम सरल रूप में भिन्न है और प्रत्येक का अपना परिप्रेक्ष्य है। यदि इन पुस्तकों के लेखकों के द्वारा जो कुछ लिखा गया था, वह सब पवित्र आत्मा से आया, तो यह सब एक समान और सुसंगत होना चाहिए। तो फिर उनमें विसंगतियाँ क्यों हैं? क्या मनुष्य अत्यंत मूर्ख नहीं है जो इसे देखने में असमर्थ है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में

नए नियम में मत्ती का सुसमाचार यीशु की वंशावली दर्ज करता है। प्रारंभ में वह कहता है कि यीशु दाऊद और अब्राहम का वंशज और यूसुफ का पुत्र था; आगे वह कहता है कि वह पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया था, और कुँआरी से जन्मा था—जिसका अर्थ है कि वह यूसुफ का पुत्र या अब्राहम और दाऊद का वंशज नहीं था। यद्यपि वंशावली यीशु का संबंध यूसुफ से जोड़ने पर ज़ोर देती है। आगे वंशावली उस प्रक्रिया को दर्ज करना प्रारंभ करती है, जिसके तहत यीशु का जन्म हुआ था। वह कहती है कि यीशु पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया था, उसका जन्म कुँआरी से हुआ था, और वह यूसुफ का पुत्र नहीं था। फिर भी वंशावली में यह साफ-साफ लिखा हुआ है कि यीशु यूसुफ का पुत्र था, और चूँकि वंशावली यीशु के लिए लिखी गई है, अत: वह उसकी बयालीस पीढ़ियों को दर्ज करती है। जब वह यूसुफ की पीढ़ी पर जाती है, तो वह जल्दी से कह देती है कि यूसुफ मरियम का पति था, ये वचन यह साबित करने के लिए दिए गए हैं कि यीशु अब्राहम का वंशज था। क्या यह विरोधाभास नहीं है? वंशावली साफ-साफ यूसुफ की वंश-परंपरा को दर्ज करती है, वह स्पष्ट रूप से यूसुफ की वंशावली है, किंतु मत्ती दृढ़ता से कहता है कि यह यीशु की वंशावली है। क्या यह यीशु के पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आने के तथ्य को नहीं नकारता? इस प्रकार, क्या मत्ती द्वारा दी गई वंशावली मानवीय विचार नहीं है? यह हास्यास्पद है! इस तरह से तुम जान सकते हो कि यह पुस्तक पूरी तरह से पवित्र आत्मा से नहीं आई थी। शायद, ऐसे कुछ लोग हैं, जो यह सोचते हैं कि पृथ्वी पर परमेश्वर की वंशावली अवश्य होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप वे यीशु को अब्राहम की बयालीसवीं पीढी़ आवंटित करते हैं। यह वास्तव में हास्यास्पद है! पृथ्वी पर आने के बाद परमेश्वर की वंशावली कैसे हो सकती है? यदि तुम कहते हो कि परमेश्वर की वंशावली है, तो क्या तुम उसे परमेश्वर के प्राणियों में ही श्रेणीबद्ध नहीं कर देते? क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी का नहीं है, वह सृष्टि का प्रभु है, और यद्यपि वह देह में आ गया है, फिर भी उसका सार मनुष्य के सार जैसा नहीं है। तुम परमेश्वर को उसके प्राणियों के समान ही श्रेणीबद्ध कैसे कर सकते हो? अब्राहम परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता; वह उस समय यहोवा के कार्य का पात्र था, वह परमेश्वर द्वारा अनुमोदित एक विश्वासयोग्य सेवक मात्र था, और वह इस्राएल के लोगों में से एक था। वह यीशु का पूर्वज कैसे हो सकता है?

यीशु की वंशावली को किसने लिखा था? क्या यीशु ने स्वयं उसे लिखा था? क्या यीशु ने व्यक्तिगत रूप से उनसे कहा था, "मेरी वंशावली लिखो"? यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद इसे मत्ती द्वारा दर्ज किया गया था। उस समय यीशु ने बहुत सारा ऐसा काम किया था, जो उसके शिष्यों की समझ से परे था, और उसने कोई व्याख्या प्रस्तुत नहीं की थी। उसके जाने के बाद शिष्यों ने हर जगह प्रचार करना और काम करना प्रारंभ किया, और कार्य के उस चरण के लिए उन्होंने धर्मपत्र और सुसमाचार की पुस्तकें लिखनी प्रारंभ कीं। नए नियम की सुसमाचार की पुस्तकें यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बीस से तीस साल बाद लिखी गई थीं। उससे पहले इस्राएल के लोग केवल पुराना नियम ही पढ़ते थे। दूसरे शब्दों में, अनुग्रह के युग की शुरुआत में लोग पुराना नियम ही पढ़ते थे। नया नियम केवल अनुग्रह के युग के दौरान ही प्रकट हुआ। यीशु के काम करने के समय नया नियम मौजूद नहीं था; लोगों ने उसके कार्य को उसके पुनर्जीवित होने और स्वर्गारोहण करने के बाद दर्ज किया। केवल तभी चार सुसमाचार और पौलुस व पतरस के धर्मपत्र और साथ ही प्रकाशितवाक्य की पुस्तक सामने आई। प्रभु यीशु के स्वर्ग जाने के तीन सौ साल से अधिक समय के बाद आगामी पीढ़ियों ने चुनिंदा रूप से इन दस्तावेजों को उचित क्रम में एकत्र और संयोजित किया, तब जाकर बाइबल का नया नियम अस्तित्व में आया। केवल इस कार्य के पूरा जाने के बाद ही नया नियम अस्तित्व में आया था; यह पहले मौजूद नहीं था। परमेश्वर ने वह सब कार्य किया था, और पौलुस और अन्य प्रेरितों ने विभिन्न स्थानों पर स्थित कलीसियाओं को बहुत-से धर्मपत्र लिखे थे। उनके बाद के लोगों ने उनके धर्मपत्रों को संयुक्त किया और पतमुस के टापू में यूहन्ना द्वारा दर्ज किए गए सबसे बड़े दर्शन को संलग्न किया, जिसमें अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य के बारे में भविष्यवाणी की गई थी। लोगों ने यह क्रम बनाया था, जो आज के कथनों से अलग है। आज जो दर्ज किया जा रहा है, वह परमेश्वर के कार्य के चरणों के अनुसार है; आज लोग जिसमें शामिल हैं, वह परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाने वाला कार्य और उसके द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचन हैं। तुम्हें यानी कि मनुष्यजाति को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है; आत्मा से सीधे आने वाले वचनों को कदम-दर-कदम व्यवस्थित किया गया है, और वे मनुष्य के अभिलेखों की व्यवस्था से अलग हैं। कहा जा सकता है कि जो कुछ उन्होंने दर्ज किया है, वह उनकी शिक्षा और उनकी मानवीय क्षमता के स्तर के अनुसार था। उन्होंने जो कुछ दर्ज किया, वे मनुष्यों के अनुभव थे, और प्रत्येक के पास दर्ज करने और जानने का अपना साधन था, और प्रत्येक अभिलेख अलग था। इसलिए, यदि तुम बाइबल की परमेश्वर के रूप में आराधना करते हो, तो तुम बहुत ही ज़्यादा नासमझ और मूर्ख हो! तुम आज के परमेश्वर के कार्य को क्यों नहीं खोजते हो? केवल परमेश्वर का कार्य ही मनुष्य को बचा सकता है। बाइबल मनुष्य को नहीं बचा सकती, लोग हज़ारों सालों तक इसे पढ़ते रह सकते हैं और फिर भी उनमें ज़रा-सा भी परिवर्तन नहीं होगा, और यदि तुम बाइबल की आराधना करते हो, तो तुम्हें पवित्र आत्मा का कार्य कभी प्राप्त नहीं होगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3)

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

धार्मिक दुनिया को लगता है कि परमेश्वर में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, और बाइबल से हटना परमेश्वर में विश्वास करना नहीं है; यह समझना गलत है

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :बहुत सालों से, लोगों के विश्वास (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत) का परंपरागत साधन बाइबल पढ़ना ही...

बाइबल केवल परमेश्वर के दो चरणों के कार्य का अभिलेख है, जो व्यवस्था का युग और अनुग्रह का युग हैं; वह परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का अभिलेख नहीं है

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं...

बाइबल का अंतर्निहित मूल्य और परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप बाइबल को कैसे समझना चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :बाइबल इस्राएल में परमेश्वर के कार्य का ऐतिहासिक अभिलेख है, और प्राचीन नबियों की अनेक भविष्यवाणियों के साथ उस समय...

बाइबल को मानने और उसकी आराधना करने वाले लोग अनंत जीवन पाने में असफल क्यों रहेंगे

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी...

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें