31. कटीली झाड़ियों में उगा घास का एक तिनका
नवम्बर 2016 में, फेसबुक के ज़रिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई लिन, बहन झांग और शियाओशियाओ से मेरा परिचय हुआ। उन्होंने बाइबल की कुछ भविष्यवाणियों को मिलाकर मुझसे सहभागिता की और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही दी। उनकी सहभागिता और गवाहियों से मुझे समझ में आया कि प्रभु यीशु ने जो छुटकारे का काम किया था, उसी की बुनियाद पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर वचनों के ज़रिये लोगों का न्याय और उन्हें निर्मल करने का कार्य कर रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर यह कार्य इंसान को पूरी तरह से शैतान के कब्ज़े से बचाने और हमें हमारे भ्रष्ट स्वभावों से मुक्त करने के लिए करता है ताकि हम परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह और उसका विरोध न करें, बल्कि उसका सच्चा आज्ञापालन और आराधना करने वाले इंसान बनें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से मुझे समझ में आया कि परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय-कार्य गेहूँ और घासपात को, भेड़ों और बकरियों को, बुद्धिमान कुँवारियों और मूर्ख कुँवारियों को उजागर कर देगा, अंतत: हर एक को उसकी किस्म के अनुसार अलग-अलग करके, अच्छों को पुरस्कार और दुष्टों को सज़ा देगा। मुझे एहसास हुआ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस आया प्रभु यीशु ही है जिसके लिए मैं तरस रही थी, मैंने खुश होकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया।
एक दिन, मेरी पुरानी कलीसिया की बहन झू ने मुझसे अचानक पूछ लिया कि मैं इन दिनों क्या कर रही हूँ, मैंने उसे बताया कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल कर रही थी। बहन झू ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बहुत कुछ भुरा-भला कहा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा की। उसने मुझसे गुज़ारिश की कि मैं उनसे कोई संबंध न रखूँ। मैंने कहा, "मैं कुछ समय से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के कुछ भाई-बहनों के संपर्क में हूँ और हमने एक-दूसरे से अपने विचार भी साझा किए हैं। उनका सत्य पर सहभागिता का तरीका बहुत नया और स्पष्ट है, उनकी बातें सुनकर मैंने बहुत से सत्यों को समझा है। इससे मुझे बहुत मदद मिली है, काफी लाभ हुआ है, वे लोग ऐसे बिल्कुल भी नहीं हैं जैसा आप बता रही हैं। इसके अलावा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुत ही व्यवहारिक हैं, मैं जिन मसलों को पहले कभी समझ नहीं पायी थी, उन वचनों की वजह से वे बड़ी आसानी से सुलझ गए। परमेश्वर के वचन हमारे जीवन को पोषण दे सकते हैं और हमें अभ्यास का मार्ग दिखा सकते हैं।" मेरे अटल निश्चय को देखकर, बहन झू ने पैंतरा बदला और मुझसे पूछा कि क्या मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की अपनी जाँच-पड़ताल के बारे में बहन युन को बताऊँगी—जो हमें प्रभु के सुसमाचार पर प्रवचन देती है। मैंने उससे कहा, "नहीं, उन्हें अभी कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। अभी तो ऐसी बहुत-सी चीज़ें हैं जो मुझे समझ में नहीं आतीं, लेकिन जब मैं अपनी जाँच पूरी कर लूँगी और मुझे पक्का यकीन हो जाएगा, तब मैं अपनी खोज के बारे में सबको बताऊँगी।" उसने माना कि बहन यु को कुछ भी बताने से पहले मुझे सारी बातों को स्पष्ट कर लेना चाहिए।
लेकिन इसके पाँच दिन बाद, मुझे इस बात पर आश्चर्य हुआ कि मैं जिस सेलॉन में काम करती थी, उसकी बॉस ने मुझसे कहा, "यिशिन, बहन युन ने मुझे तुम्हारे लिए प्रार्थना करने के लिए कहा है। दरअसल, मुझे प्रार्थना करनी आती नहीं है लेकिन मैं पूरी कोशिश करूँगी...।" यह सुनकर मुझे तुरंत एहसास हुआ कि बहन झू ने बहन युन को मेरी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने वाली बात बता दी। मुझे लगा बहन झू ने यह हरकत अच्छी नहीं की, मुझे उस पर गुस्सा आया। मुझे लगा कि उसने मुझे धोखा दिया है, और मेरे साथ छल किया है। मुझे महसूस हुआ कि प्रभु के प्रति समर्पित भाई-बहन भी भरोसे लायक नहीं हैं। मैं यह बात सोच ही रही थी कि मेरी बॉस ने मुझसे बिना कुछ पूछे, सेलॉन में दर्जन भर सहर्मियों को इकट्ठा करके उन्हें यह बता दिया कि मैं अच्छी ईसाई नहीं हूँ और मैं भटक गयी हूँ। उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करने वाली बहुत-सी बातें कहीं। यह सब इतना जल्दी हुआ कि मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या कहूँ, मैं बहुत परेशान हो गयी। मैंने मन ही मन प्रार्थना की: "प्यारे प्रभु, इन सब लोगों ने तेरे लौट आने का समाचार सुन लिया है, तो इनके अंदर तेरी वापसी की जाँच-पड़ताल करने की रुचि क्यों नहीं है? ये लोग महज़ ऑनलाइन अफवाहों को सुनकर तेरा विरोध और निंदा करने वाली बातें क्यों कर रहे हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इतने सारे सत्य व्यक्त किए हैं, क्या उनसे साबित नहीं होता कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर तेरी ही वापसी है? उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रति मेरी आस्था का विरोध करने की क्या ज़रूरत है? क्या मैं गलत हूँ? हे प्रभु, मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ? प्लीज़ मेरी अगुवायी कर और मुझे राह दिखा...।"
उसके बाद, मैंने भाई लिन को उस दिन की सारी बातें बतायीं, उसने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया: "शैतान हमेशा उपस्थित रहकर उस ज्ञान का भक्षण कर रहा है, जो मेरे बारे में लोगों के हृदयों में है, दाँतों को पीसते और अपने पंजों को खोलते-बंद करते हुए अपनी मृत्यु के अंतिम समय के संघर्ष में लगा हुआ है। क्या तुम लोग इस समय उसकी कपटपूर्ण युक्तियों में फंसना चाहते हो? क्या तुम लोग ऐसे वक्त में अपने जीवन को बर्बाद कर लेना चाहते हो जब मेरा कार्य अंतत: पूरा हो गया है? क्या तुम लोग इंतज़ार कर रहे हो कि मैं एक बार फिर अपनी सहनशीलता दिखाऊँ? मेरे बारे में ज्ञान पाने की कोशिश करना सबसे मुख्य बात है, परन्तु अभ्यास पर ध्यान देना अपरिहार्य है। मेरे वचन सीधे तौर पर तुम लोगों पर उजागर किए जाते हैं, और मैं यह आशा करता हूँ कि तुम लोग मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण करोगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 6)। भाई लिन ने मुझसे सहभागिता की। "हम परमेश्वर के वचनों से समझ सकते हैं कि तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ, वह एक आध्यात्मिक जगत की लड़ाई है और तुम शैतान के प्रलोभनों के विरुद्ध खड़ी थी। अंत के दिनों में, परमेश्वर देहधारण करके इंसान को बचाने के लिए वचन व्यक्त कर रहा है। ऐसा करके, वह हमें इस योग्य बनाता है कि हम उसके वचनों से सत्य को समझ पाएँ, परमेश्वर के कार्य को जान पाएँ, परमेश्वर के स्वभाव को जान पाएँ, शैतान को पूरी तरह से त्यागकर, परमेश्वर की ओर मुड़ जाएँ, और उद्धार प्राप्त करके परमेश्वर को हासिल हो जाएँ। शैतान हमेशा परमेश्वर के पीछे पड़ा रहता है, परमेश्वर के काम को बाधित करने और उसमें रुकावट डालने का प्रयास करता है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर—अंत के दिनों के मसीह—को लाँछित और निंदित करने की खातिर अफवाहें फैलाने के लिए हर तरह के लोगों का इस्तेमाल करता है और हमें परमेश्वर के सामने आने से रोकता है। सत्ता में बैठे धार्मिक अगुवा और नास्तिक शैतान का मूर्त रूप हैं। परमेश्वर जब भी धरती पर अपना कार्य करने के लिए देहधारण करता है, ये लोग उसका विरोध और उसकी निंदा करते हैं, उसका अनुसरण करने से लोगों को रोकते हैं, उसे बाधित करने की कोशिश करते हैं। जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य किया, तो उस समय के मुख्य याजक धर्मशास्त्री और फ़रीसी शैतान के गुर्गों की तरह पेश आए, उन्होंने प्रभु के कार्य की निंदा और विरोध करने की हर संभव कोशिश की। उन्होंने प्रभु यीशु को बदनाम करने और उसकी निंदा करने करने के लिए झूठी अफवाहें फैलायीं और झूठी गवाहियाँ दीं। मिसाल के तौर पर, उन्होंने ईश-निंदा करते हुए कहा कि प्रभु यीशु शैतानी ताकत का इस्तेमाल करके, दुष्टात्माओं को नष्ट कर रहा है, उन्होंने प्रभु यीशु को बदनाम करते हुए कहा कि सीज़र को कर न देने के लिए वह स्थानीय लोगों को भड़का रहा है, उन्होंने सैनिकों को रिश्वत देकर उनसे यह कहलवाया कि प्रभु यीशु का पुनरुत्थान नहीं हुआ है, उसके अनुयायी चुपके से उसके शरीर को उठा कर ले गये। जब परमेश्वर ने अंत के दिनों में अपना कार्य करने के लिए देहधारण किया, तो चीनी सरकार, जो अपनी रोज़ी-रोटी और ओहदा बचाने में लगे पादरियों और एल्डरों के साथ मिलकर, चीन को नास्तिक देश बनाने की कोशिश कर रही है, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के खिलाफ अनगिनत झूठ फैलाने और झूठी गवाहियाँ देनी शुरू कर दी ताकि लोगों को धोखा दिया जा सके, उन्हें डराया जा सके, उन्हें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने और स्वीकार करने से रोका जा सके। सत्य को न समझने वाले और भेद न कर पाने वाले लोग इन अफवाहों पर आँख मूँदकर भरोसा कर लेते हैं और वे इन भ्राँतियों को फैलाकर शैतान की बोली बोलते हैं, लोगों को परेशान करते हैं और उन्हें सच्चे मार्ग को स्वीकार करने से रोकते हैं। ऐसे लोग शैतान के गुर्गे बन जाते हैं, वे लोग परमेश्वर का विरोध करने वाली दुष्टात्माएँ बन जाते हैं। इसलिए हमें अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि नास्तिक चीनी सरकार परमेश्वर की शत्रु है, और इस बात को भी अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि ये पादरी और एल्डर जो लोगों को परमेश्वर के कार्य की जाँच-पड़ताल करने से रोकते हैं, हमारे समय के फ़रीसी हैं। हमें इस बात को समझ लेना चाहिए कि इंटरनेट की अफवाहें हमें परमेश्वर की ओर मुड़ने से रोकने के लिए शैतान की साज़िश है। हमें यह बात भी साफ तौर पर जान लेनी चाहिए कि अगर हम सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करना चाहते हैं, तो हमें सिर्फ परमेश्वर के वचनों को ही सुनना चाहिए और शैतान की अफवाहों पर ज़रा भी ध्यान नहीं देना चाहिए। इस तरह हम लोग आध्यात्मिक लड़ाई के वक्त परमेश्वर के पक्ष में खड़े हो पाएँगे, परमेश्वर की गवाही दे पाँएगे, और शैतान हमें नहीं ले जा पाएगा।"
भाई लिन की सहभागिता से मुझे अफवाहों के मूल को समझने में मदद मिली। अब मैं समझ गयी कि मुझे बाधित करने और रुकावट डालने के पीछे शैतान का मकसद मुझे परमेश्वर के अंत के दिनों का उद्धार पाने से रोकना था। इस बात पर और अधिक विचार करने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि जो लोग मुझे पर आक्रमण कर रहे थे उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को कभी पढ़ा ही नहीं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल ही नहीं की। वे लोग आँख मूँदकर अफवाहों पर भरोसा कर रहे थे, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और उसकी निंदा कर रहे थे। शैतान ने उनके दिमाग को एकदम सड़ा दिया था, वे लोग परमेश्वर को जाने बिना शैतान की ज़बान बोलकर परमेश्वर का विरोध कर रहे थे। एक समझदार इंसान पहले सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को ईमानदारी से पढ़ेगा और किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले पूरी जाँच-पड़ताल करेगा। लेकिन परमेश्वर में आस्था का होना कोई मामूली बात नहीं है, मुझे डर था कि मैं कोई गलत मार्ग न चुन लूँ, इसलिए मेरे मन में अभी भी चिंताएँ थीं। काम से घर लौटकर, मैंने आँखों में आँसू लिए प्रभु से प्रार्थना की: "हे प्रभु, मैं खोयी-खोयी-सी और उलझन में हूँ, लेकिन मैं उसमें विश्वास नहीं करना चाहती जो लोग कह रहे हैं और तोते की तरह रटे हुए शब्द बोल रहे हैं। मैं तेरी इच्छा के अनुसार काम करना चाहती हूँ, इसलिए मेरी अगुवायी कर और मुझे राह दिखा।" उस रात, जब मैं सोयी, तो कुछ घंटों के बाद, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई चीज़ मुझे दबा रही है। मैंने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन खोल नहीं पायी। यह सोचकर कि इस तरह संघर्ष करना बेकार है, मैं ज़ोर से चिल्लायी, "मुझे बचाओ प्रभु यीशु!" मैं दो बार चिल्लायी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मुझे अभी भी लग रहा था कि कोई चीज़ मुझे दबा रही है। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, मैं बहुत डर गयी थी। अचानक, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का ख्याल आया, और मैं पुकारने लगी, "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! सर्वशक्तिमान परमेश्वर!" और मेरी आँख खुल गयी। उठने के बाद, मैं अभी भी काँप रही थी, मुझे पूरी तरह होश में आने में समय लगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि जब मैंने प्रभु यीशु को पुकारा तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को पुकार तो मैं तुरंत उठ गयी। फिर मुझे भाई लिन की एक सहभागिता याद आयी: "हर युग में परमेश्वर का एक अलग नाम होता है, जब परमेश्वर नया काम शुरू करता है, तो पवित्र आत्मा नये युग के लिए उसका नया नाम तय कर देता है। इसलिए परमेश्वर की सराहना, देखभाल और सुरक्षा पाने के लिए, विश्वासियों को चाहिए कि वे प्रार्थना के लिए परमेश्वर के वर्तमान युग के नाम का ही प्रयोग करें। इस युग में, प्रभु यीशु पहले ही आ चुका है और उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर नाम धारण करके अनुग्रह के युग का अंत किया है और राज्य के युग का आरंभ किया है। अंत के दिनों में, परमेश्वर का नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, इसलिए हमें अपनी प्रार्थनाओं में इसी नाम का प्रयोग करना चाहिए, वरना परमेश्वर उन्हें सुनेगा नहीं।" तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि मेरा भयानक सपना स्वाभाविक नहीं था, बल्कि परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली थी और यह प्रमाण दिया था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु ही है। परमेश्वर का धन्यवाद! इस एहसास के बाद, मेरे दिल में शक्ति का संचार हुआ और अब मेरे अंदर अपने बॉस और सहकर्मियों के आक्रमणों का सामना करने की आस्था थी।
अगले दिन मेरी बॉस ने वहाँ काम करने वाले तमाम लोगों से फिर कहा कि मैं भटक गयी हूँ, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करने वाली बहुत-सी बातें भी कहीं। ऐसी बातों को सुनकर मुझे सचमुच गुस्सा आ गया, और मैंने उससे कहा, "हम सब लोग परमेश्वर में आस्था रखते हैं। आप बजाय आँख मूँदकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और तिरस्कार करने के, उसके वचनों और काम की जाँच-पड़ताल करके परमेश्वर की इच्छा को जानने का प्रयास क्यों नहीं करतीं? ऐसा करके तो आप यही ज़ाहिर कर रही हैं कि आपके दिल में परमेश्वर के लिए कोई श्रद्धा नहीं है!" इतना कहकर, मैं वहाँ से तेज़ी से निकल गयी। कुछ समय बाद, मेरी बॉस मुझे ढूँढ़ती हुई वहाँ आयी और बोली कि मुझे गुस्सा नहीं करने चाहिए था। मैंने कहा, "मैं गुस्सा नहीं करना चाहती थी लेकिन आपको भी ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए थी। आपने जो कुछ कहा, उससे परमेश्वर की निंदा, विरोध और तिरस्कार होता है और हम परमेश्वर के विश्वासियों को कभी ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए, क्योंकि उससे परमेश्वर का अपमान होता है। आपके हिसाब से, ऐसा लग सकता है कि मुझे अपने मन को बदलने के लिए उकसाकर आप अच्छा काम कर रही हैं। लेकिन मैं कोई बच्ची नहीं हूँ, और मुझे लगता है कि मैं बातों को तार्किक ढंग से समझती हूँ। जहाँ तक यह सवाल है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु है या नहीं, यह ऐसा विषय है जिसकी मैं खोज और जाँच-पड़ताल कर चुकी हूँ। यह कोई ऐसा विषय नहीं है कि मैंने यूँ ही विश्वास रखने का निश्चय कर लिया। आपको मेरे निर्णय का सम्मान करना चाहिए, आपको मुझे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और जाँच-पड़ताल करने से रोकने या उसमें बाधा डालने प्रयास नहीं करना चाहिए।" उसके बाद मेरी बॉस ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में टीवी पर चल रही कोई अफवाह देखी है। मैंने कहा, "सारी नकारात्मक बातें शैतान की तरफ से आती हैं। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा निर्मित फिल्में, समूहगान वीडियो, और म्यूज़िक वीडियो देखे हैं। मैं वो सब नहीं देखती जो आप देखती हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया अपने सदस्यों को दुष्टतापूर्ण काम नहीं करने देती, जो कि आपकी बातों से बिल्कुल उलट है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर चाहता है कि हम ईमानदार और नेक इंसान बनें जिनमें इंसानियत हो, ज़मीर और विवेक हो।" मेरी बातों को सुनकर मेरी बॉस अवाक रह गयी, और कोई विकल्प न देखकर वो वहाँ से चली गयी।
उसके बाद मेरी बॉस ने मेरे साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि वह मुझ पर तंज़ कसने लगी। मैं जानती थी कि वो यह सब मुझसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था छुड़वाने के लिए कर रही है। एक दिन, वो मुझसे अचानक बोली, "बहन युन अपने कारोबारी दौरे से लौटने के बाद आपसे बात करना चाहती है।" यह सुनकर मैं थोड़ी बेचैन और नर्वस हो गयी। मैंने सोचा: "बहन युन ज़रूर मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था से रोकने की कोशिश करेगी। मैं उसके प्रवचनों को सुनकर ही ईसाई बनी थी और वो हमारे ब्यूटी सेलॉन की वीआईपी ग्राहक है। अगर मैंने उसे नाराज़ कर दिया तो बॉस को अच्छा नहीं लगेगा, मुझे आगे चलकर उसके साथ काम करने में और भी मुश्किल आएगी।" जैसे-जैसे बहन युन के वापस आने का दिन नज़दीक आ रहा था, मैं और भी ज़्यादा नर्वस और भयभीत होती जा रही थी। एक दिन दोपहर के वक्त, मैं वीआईपी कक्ष में बैठी परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी। मैंने प्रार्थना खत्म ही की थी कि मेरे फोन की घंटी बजी। मेरी बॉस का फोन था। "बहन युन आ रही है। उसे फेशल कराना है।" मैं यह काम बिल्कुल नहीं करना चाहती थी लेकिन मना करने का कोई रास्ता नहीं था। मैंने ट्रीटमेंट कक्ष में वापस आकर, परमेश्वर की उपस्थिति में अपने आपको शांत करने के लिए भजनों की रिकॉर्डिंग लगा दी। मैंने "मैं परमेश्वर को प्रेम करने को दृढ़-संकल्पित हूँ" भजन को सुनते हुए, ये पंक्तियाँ सुनीं: "तुम मेरी आध्यात्मिक आँखें खोल दो, तुम्हारा आत्मा मेरे हृदय को प्रेरित करे। इसे ऐसा बना दो कि जब मैं तुम्हारे सामने आऊँ, तो वह सबकुछ फेंक दूँ, जो नकारात्मक है, किसी भी व्यक्ति, विषय या चीज़ से विवश होना छोड़ दूँ, और अपना हृदय तुम्हारे सामने पूरी तरह से खोलकर रख दूँ, और ऐसा कर दो कि मैं अपना संपूर्ण अस्तित्व तुम्हारे सामने अर्पण कर सकूँ। तुम जैसे भी मेरी परीक्षा लो, मैं तैयार हूँ। अब मैं अपनी भविष्य की संभावनाओं पर कोई ध्यान नहीं देता, और न ही मैं मृत्यु के जुए से बँधा हूँ। ऐसे हृदय के साथ जो तुमसे प्रेम करता है, मैं जीवन के मार्ग की तलाश करना चाहता हूँ" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। परमेश्वर के वचनों से मुझे आस्था प्राप्त हुई, धीरे-धीरे मैं शांत, ज़्यादा संतुलित और समझदार हो गयी। मैंने सोचा, "सही है, सच्चाई के रास्ते को चुनते समय, मुझे किसी भी व्यक्ति, मामले या चीज़ से दबना नहीं है। चूँकि मुझे पहले से ही यकीन है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस आया प्रभु यीशु है, इसलिए मुझे बिना किसी शक या झिझक के उसका अनुसरण करना है। मेरी बॉस मुझे किस नज़र से देखती है और पेश आती है या बहन युन से मेरे संबंध किस तरह के बनते हैं, यह सब परमेश्वर के हाथों में है। मुझे इन तमाम बातों की चिंता छोड़कर, परमेश्वर की व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए।" इसलिए मैं पूरे आत्मविश्वास से स्थिति का सामना करने के लिए गयी।
थोड़ी देर बाद ही, बहन युन आ गयी। मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वो तेरी निंदा और विरोध करने, तेरा तिरस्कार करने वाली बातें कहेगी और तुझ पर हमला करेगी। मुझे डर है कि वो मुझे परेशान करने की कोशिश करेगी। हे परमेश्वर, प्लीज़ मेरी मदद और रक्षा कर।" पहले तो, बहन युन ने अपने कारोबारी इस्राएली दौरे बात की कि वो कितना कामयाब रहा। लेकिन उसके बाद, वह घुमा-फिराकर उस विषय पर आ गयी। "अंत के दिनों में बहुत से नकली मसीह और नबी होते हैं जो लोगों को धोखा देने की कोशिश करते हैं—" मैं नहीं चाहती थी कि वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करने वाली कोई बात कहे, इसलिए मैंने उसे बीच में ही टोककर कहा, "हाँ, प्रभु ने हमें यह चेतावनी दी है ताकि हम लोग ऐसे नकली मसीहियों से सावधान रहें जो संकेत और चमत्कार दिखाकर प्रभु यीशु की नकल करते हैं। लेकिन प्रभु का इरादा यह था कि हम लोग एक पहचान पैदा करें, न कि हम प्रभु की वापसी पर प्रवचन देने वालों को सुनने से इंकार कर दें। प्रभु यीशु ने कहा है, 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं' (यूहन्ना 10:27)। प्रभु हमें सही मार्ग दिखाएगा, इसलिए हमें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि अंत के दिनों के नकली मसीह हमें भटका देंगे, बल्कि हमें यह बात भी दिमाग में रखनी चाहिए कि प्रभु अंत के दिनों में आएगा। अगर हम लोग प्रभु की खोज करेंगे, तो हम प्रभु के प्रकटन को पा लेंगे क्योंकि उसने कहा है कि परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की वाणी को सुन सकती हैं।" लेकिन बहन युन ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और अंत के दिनों में नकली मसीहियों द्वारा लोगों को छले जाने के बारे में ही बोलती रही और मुझे समझाती रही कि मुझे अधिक सावधान रहना चाहिए। उसके बाद वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की और भी ज़्यादा बुराई करती रही। लेकिन मैंने उसे नज़रंदाज़ कर दिया, और जब उसने देखा कि मैं कोई जवाब नहीं दे रही, तो उसने बोलना बंद कर दिया।
उसके बाद, अभी भी मेरी बॉस सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था से खुश नहीं थी, मेरी सहकर्मियों के सामने मुझे छेड़ती और मुझ पर हमला करती रही। इस दौरान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन हमेशा मेरे साथ परमेश्वर के वचनों पर मुझसे सहभागिता साझा करते रहे ताकि मैं परमेश्वर की इच्छा को समझ सकूँ। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि परमेश्वर पवित्र है, परमेश्वर ने ही इंसान को बनाया है, उसने हमें उन्मुक्त इच्छा, यानी चुनने की आज़ादी दी है। उन्होंने मुझे बताया कि परमेश्वर कभी भी किसी को कुछ करने के लिए विवश नहीं करता बल्कि केवल सत्य व्यक्त करता है जिससे हमें पोषण प्राप्त होता है, हमें उसकी इच्छा को समझने में, अच्छाई-बुराई में भेद करने में मदद मिलती है। मिसाल के तौर पर, परमेश्वर ने आदम और हौवा से कहा कि वे अच्छाई-बुराई के ज्ञान के वृक्षों को छोड़कर, अदन-वाटिका से किसी भी वृक्ष के फलों को खा सकते हैं क्योंकि अगर उन्होंने प्रतिबंधित फल खाए तो वे यकीनन मर जाएँगे! परमेश्वर का सार अच्छाई है और वह इंसान को चुनने की आज़ादी देता है; केवल शैतान ही इंसान को नियंत्रण में रखकर विवश करता है, क्योंकि शैतान का सार बुराई है। इसलिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत दिनों के कार्य को स्वीकार करना इंसान का अपना फैसला है, इसके लिए किसी को विवश नहीं किया जाता। मुझे ये बातें बताने के अलावा, भाई-बहनों ने परमेश्वर के वचनों का एक अंश भी ढूँढ़ निकाला: "परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है। ... जब परमेश्वर और शैतान आध्यात्मिक क्षेत्र में संघर्ष करते हैं, तो तुम्हें परमेश्वर को कैसे संतुष्ट करना चाहिए, और किस प्रकार उसकी गवाही में अडिग रहना चाहिए? तुम्हें यह पता होना चाहिए कि जो कुछ भी तुम्हारे साथ होता है, वह एक महान परीक्षण है और ऐसा समय है, जब परमेश्वर चाहता है कि तुम उसके लिए गवाही दो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। भाई-बहनों की सहभागिता की मदद से मैं इस अंश को थोड़ा-बहुत समझ पायी। अब मैं समझ गयी कि मुझे चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन इस बात को हमेशा परमेश्वर की स्वीकृति मिलती है। इन स्थितियों के ज़रिए परमेश्वर मुझे आज़मा रहा था कि मेरे आस्था सच्ची है या नहीं। इसके ज़रिए वह मेरे अंदर भेद करने की शक्ति भी पैदा कर रहा था। परमेश्वर चाहता था कि मैं अच्छी तरह से समझ जाँऊ कि उससे हमें क्या प्राप्त होता है और शैतान से क्या। वह चाहता था कि मैं उस पर भरोसा करना सीख लूँ और परीक्षण के समय उसी पर निर्भर रहूँ, अय्यूब की तरह परमेश्वर की गवाही दूँ, और इस तरह शैतान को अपमानित करूँ।
परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन और भाई-बहनों की मदद से, मैं सच्चे मार्ग की एक ज़्यादा स्पष्ट तस्वीर बना पायी, मुझे यकीन हो गया कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करके गलत मार्ग पर नहीं चल रही बल्कि मेमने के पदचिह्नों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन सत्य और परमेश्वर की इच्छा पर मुझसे सहभागिता कर रहे थे। वे लोग इंसान को बचाने वाले परमेश्वर के कार्य की, जो परमेश्वर है और जो कुछ उसके पास है, उसकी गवाही दे रहे थे। उन्होंने किसी भी चीज़ पर विश्वास कर लेने के लिए मुझ पर कभी दबाव नहीं डाला, बल्कि अलग-अलग आवाज़ों में भेद करना सीखने के लिए मेरी मदद की ताकि मैं खुलकर अपना निर्णय ले सकूँ। लेकिन बहन युन और मेरी बॉस ऑनलाइन अफवाहों पर भरोसा करके लगातार ऐसी-ऐसी बातें कह रही थीं जिनसे परमेश्वर का विरोध और निंदा होती है ताकि वे मुझे बाधित और विवश कर सकें, और मुझे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने से रोक सकें। लेकिन जब मैंने उनके नज़रिए को नहीं माना, तो उन्होंने मुझे धमकाना शुरू कर दिया, मेरा मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया, और मुझ पर शाब्दिक प्रहार करने शुरू कर दिए। लेकिन मैं अच्छी तरह से समझ गयी कि वे जो कुछ कह रही और कर रही हैं, वह सब शैतान से आता है, क्योंकि लोगों को धमकाना, मजबूर करना, और उन पर हमला करने जैसे कृत्य सिर्फ शैतान से ही मिल सकते हैं। परमेश्वर का धन्यवाद! अब मैं एक नज़र में समझ सकती थी कि कौन परमेश्वर से आता है और कौन शैतान से, और अब मैं इस तरह के लोगों में भेद कर सकती थी। अब मुझे अपने दिल रोशनी भरती हुई महसूस होने लगी थी जैसे एक भारी बोझ हट गया हो। मैं परमेश्वर की बहुत आभारी थी कि उसने मुझे अंत के दिनों में एक इंसानी चोला दे दिया और बहुत सारे सत्य व्यक्त कर दिए ताकि, जब कभी मुझे सताया जाए, तो मैं परमेश्वर की इच्छा को समझने के लिए उसके वचनों की ओर मुड़ सकूँ और अभ्यास के मार्ग को पा सकूँ। मुझे लगा कि मैं कितनी खुशकिस्मत हूँ कि मैं परमेश्वर के वचनों के पोषण से थोड़ा-थोड़ा करके, आगे बढ़ पा रही हूँ!
पहले तो, मुझे लगा कि सारा मामला खत्म हो गया है, इसलिए जब मुझ पर नए सिरे से हमला शुरू हुआ, तो मुझे आश्चर्य हुआ। एक दिन, मैंने एक ग्राहक को ब्यूटी ट्रीटमेंट देने का काम पूरा ही किया था कि तभी मेरी बॉस आ गयी और मुझे अगली बिल्डिंग में ले गयी। हम लोग जैसे ही दरवाज़े पर पहुँचे, वो बोली कि बहन युन मेरा इंतज़ार कर रही है। मैं अंदर चली गयी, तो मैंने देखा कि वहाँ पर बहन युन, पादरी लियू और उसकी पत्नी मौजूद है, मैं एकदम नर्वस हो गयी, मुझे समझ में नहीं आया कि ये लोग क्या करने वाले हैं। मैंने तुरंत मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, ये लोग फिर मुझसे बात करने चले आए। प्लीज़ मेरी रक्षा कर और उनके सवालों का जवाब देने के लिए मुझे बुद्धि दे।" प्रार्थना करने के बाद, मेरी घबराहट चली गयी, मुझे आश्चर्य हुआ: क्या ये लोग मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को छोड़ देने के लिए मजबूर करने आए हैं? और अगर मैंने इंकार कर दिया तो, क्या मेरा जॉब चला जाएगा? लेकिन तभी मुझे याद आया कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है और परमेश्वर की व्यवस्था हमेशा मुनासिब होती है, इसलिए उसका हल तो मिल गया, अगर मेरा जॉब चला भी गया, तो भी मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नहीं छोड़ूँगी।
पादरी ने मुझसे सवाल किया कि मैंने सबसे पहले प्रभु में आस्था रखनी कब शुरू की थी, और प्रभु में आस्था से जुड़ी ढेरों बातें कीं। उसके बाद उसने मुझसे पूछा, "तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में जानती हो? क्या तुम अब भी उनके संपर्क में हो?" उसके बाद वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करने वाली बहुत-सी बातें करने लगा, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के खिलाफ बहुत से झूठे आरोप लगाए। मुझे उसकी बातें सुनकर गुस्सा आ गया, और मैंने कहा, "ऐसा क्यों है कि आप जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में बता रहे हैं, वह वैसा बिल्कुल नहीं है जिसके संपर्क में मैं हूँ और जिसके बारे में असल में मैं कुछ जानती हूँ? ऑनलाइन सामग्री को हम सबने देखा है। मैंने जो देखा है वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा निर्मित फिल्में और वीडियो हैं, साथ ही भाई-बहनों के अनुभवों की लिखित गवाहियाँ हैं। मैंने भी थोड़ा-बहुत नकारात्मक प्रचार देखा है, लेकिन सब का सब एकदम खोखला, आधारहीन अफवाह और झूठ है। वे लोग अपनी अफवाहों के पक्ष में एक भी ऐसा सबूत नहीं ला पाए जो ज़रा भी विश्वास-योग्य हो। वे लोग या तो हवा में से चीज़ों को गढ़ते हैं या मौजूदा झूठ को सजा-सँवारकर फैलाते हैं। ये सब शैतान के झूठ हैं, इसलिए मुझे उन पर न तो विश्वास है और न ही उनमें किसी तरह की कोई दिलचस्पी है। ऐसा क्यों है कि आप केवल नकारात्मक अफवाहों पर ही भरोसा करते हैं लेकिन कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की वेबसाइट पर परमेश्वर के वचनों को नहीं देखते? आप में से कोई भी परमेश्वर के वचनों को नहीं पढ़ता, न ही परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करता है, बल्कि आपको उनकी निंदा करने में मज़ा आता है। क्या ऐसा करना सही है?" पादरी ने सीधे तौर पर मेरी बात का जवाब नहीं दिया, बल्कि यह बोला, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का विस्तार बहुत तेज़ी से हुआ है, और वे सक्रिय रूप से दूसरी कलीसियाओं में जा कर उनके सदस्यों को चुरा रहे हैं। अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखने पर अड़ी रहोगी, तो फिर तुम्हारे प्रति हमारा व्यवहार अच्छा नहीं होगा। हम कलीसिया के सभी भाई-बहनों को बता देंगे कि अब तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखने लगी हो, इसलिए जब अगली बार तुम हमारी सभा में आओगी, तो वे लोग सोचेंगे कि तुम उन्हें चुराने के लिए आयी हो और वे लोग तुम्हें नकार देंगे।" उसने कुछ झूठी गवाहियों से मुझे डराने की कोशिश की लेकिन उसकी बातों का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। बल्कि मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मैंने कहा, "जिस चीज़ की आप बात कर रहे हैं, उसे होते हुए क्या आपने अपनी आँखों से देखा है? या आपने उसकी पूरी जाँच-पड़ताल करके पक्के सबूत हासिल किए हैं? आपके पास क्या सबूत है कि यह सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने किया है? सबूत कहाँ है? आप लोग सिर्फ सर्वशक्तिमान परमेश्वर को बदनाम करने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर झूठे आरोप लगाने और उसे दोषी ठहराने के लिए सीसीपी सरकार और धार्मिक समुदाय द्वारा फैलायी गयी अफवाहों और झूठी गवाहियों को लेकर चल रहे हैं। क्या आपको इस बात की चिंता नहीं है कि आप लोग प्रभु द्वारा फ़रीसियों की तरह ही निंदित किए जाएँगे?"
मैं बोलती रही, "प्रभु यीशु ने अपने लौटकर आने की बात कही थी: 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ' (लूका 17:25)। इसका क्या अर्थ है? आज, पूरा धार्मिक समुदाय और चीन की नास्तिक कम्युनिस्ट सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध और निंदा करने के लिए जी-जान लगा रही है। क्या इससे प्रभु की भविष्यवाणी पूरी नहीं होती? आज धार्मिक समुदाय जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा कर रहा है, क्या यह ठीक वैसी ही नहीं है जैसी बरसों पहले फ़रीसियों द्वारा प्रभु यीशु का विरोध और निंदा गयी थी? फ़रीसियों ने प्रभु यीशु का विरोध किया और इस बात को मानने से इंकार कर दिया कि वह वही मसीह है जिसकी भविष्यवाणी की गयी थी, लेकिन प्रभु के अनुयायियों ने पहचान लिया कि प्रभु यीशु वही मसीह है जिसकी भविष्यवाणी की गयी थी और उन्होंने उसका अनुसरण करना शुरू कर दिया। और आज, हम अपने आपको ठीक उसी स्थिति में पाते हैं। पादरी और एल्डर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार नहीं कर रहे, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा कर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग संप्रदायों की अच्छी भेड़ें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचान रही हैं और मान रही हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु ही है। ऐसा कैसे है? प्रभु यीशु ने कहा था कि परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की वाणी को सुन पाती हैं, और परमेश्वर की वापसी भेड़ों को बकरियों से अलग कर देगी। मुझे प्रभु में आस्था रखते हुए अभी थोड़ा समय ही हुआ है, और मुझे बाइबल उतनी अच्छी तरह से समझ में नहीं आती, इसलिए मुझे यह नहीं पता कि प्रभु भेड़ों को बकरियों से कैसे अलग करेगा। पादरी लियू, आपको सेमिनारों में जाते और पादरी बने बरसों हो चुके हैं। शायद यह चीज़ आप मुझे बेहतर ढंग से समझा सकते हैं।" पादरी लियू ने मुझे गुस्से से देखा, क्योंकि उसे ठीक से पता नहीं था कि वो यह चीज़ मुझे कैसे समझाए। उसने बस इतना ही कहा, "हम विश्वासी लोग अनंत जीवन पाते हैं क्योंकि हमारा बपतिस्मा हो चुका है।" मैंने कहा, "क्या? क्या अनंत जीवन पाना इतना आसान है? तो क्या जो भी आपकी कलीसिया में आया है और जिसका भी बपतिस्मा हुआ है, वो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेगा? क्या यह बात प्रभु के कथन के अनुरूप है? क्या ये सारे लोग प्रभु के पास सच्चे दिल से पहुँचते हैं? क्या ये तमाम लोग स्वर्गिक पिता का आज्ञापालन करते हैं? कलीसिया के हर प्रवचन में भेंट अर्पित करने के लिए कहा जाता है, लेकिन प्रभु ने कभी नहीं कहा कि भेंट अर्पित करना प्रभु से प्रेम करने के समान है। तो प्रभु से प्रेम करना क्या है?" पादरी लियू ने जवाब दिया, "खूब बाइबल पढ़ना और खूब प्रार्थना करना प्रभु से प्रेम करना है।" हालाँकि मुझे पता नहीं था कि प्रभु से सच्चा प्रेम करना क्या होता है, लेकिन यह पता था कि यह कहना बेवकूफी है कि खूब बाइबल पढ़ना और खूब प्रार्थना करना प्रभु से प्रेम करना है। फ़रिसी भी खूब बाइबल पढ़ते थे और प्रार्थना भी खूब करते थे, लेकिन क्या ऐसा कहा जा सकता है कि वे प्रभु से प्रेम करते थे? अगर वे प्रभु से प्रेम करते थे, तो उसकी निंदा और तिरस्कार क्यों करते थे, और उसे सूली पर क्यों चढ़ा दिया? मुझे लगा पादरी को ज़रा भी पता ही नहीं कि प्रभु से प्रेम करने का अर्थ क्या है? हो सकता है पादरियों को बाइबल और धर्मशास्त्रों के सिद्धांतों का ज्ञान हो, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें सत्य का भी ज्ञान हो! लेकिन इसके लिए मैं खुद को ही दोष दे सकती थी कि मैंने पहले इस चीज़ को क्यों नहीं पहचाना और इन्हें इतना ऊँचा दर्जा क्यों दिया।
इस बात का एहसास होने के बाद, मुझे लगा कि अब पादरी लियू से बहस करते रहने का कोई फायदा नहीं, इसलिए मैंने बोलना बंद कर दिया। लेकिन पादरी के पास अभी भी कहने के लिए बहुत-कुछ था, "क्या तुम जानती हो, उन लोगों का कहना है कि प्रभु एक स्त्री का देहधारण करके परमेश्वर का कार्य करने आया है?" मैंने कहा, "परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए कौन-सा देहधारण करके आता है, यह परमेश्वर का काम है। हम लोग तिनका हैं, परमेश्वर द्वारा बनाए गए तुच्छ प्राणी हैं, इसलिए परमेश्वर के कार्य के लिए हम नियम कैसे बना सकते हैं? बाइबल में कहा गया है, 'या उसका मंत्री कौन हुआ?' (रोमियों 11:34)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कहते हैं: 'मनुष्य को परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं करना चाहिए; बल्कि, मनुष्य परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं कर सकता। परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य एक चींटी जितना महत्वहीन है; तो फिर वह परमेश्वर के कार्य की थाह कैसे पा सकता है?' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। हर चीज़ परमेश्वर ने बनायी है, परमेश्वर की बुद्धि हर चीज़ से बढ़कर है, इसलिए परमेश्वर चाहे जैसे कार्य करे, उसे उसके लिए पहले इंसान से पूछने की ज़रूरत नहीं है!" जब मैंने यह देखा कि परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने में उनकी कोई रुचि नहीं है, उनका मकसद सिर्फ बाल की खाल निकालना है, परमेश्वर पर आक्रमण करने और उसकी निंदा करने का मौका ढूँढ़ना है, मुझे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने से रोकना है, तो मैंने तय कर लिया कि अब मुझे बातचीत जारी नहीं रखनी है। आखिरकार, मैंने उससे पूछा, "आपको पता है आज आपका यहाँ आना मेरे सेलॉन के काम पर कैसा असर डालेगा?" मुझे आश्चर्य हुआ जब पादरी ने मेरे सामने ही झूठ बोल दिया, "तुम्हारी बॉस को नहीं पता कि यह बातचीत किस बारे में है।" अगर पादरी ने यह झूठ पहले बोला होता, तो मुझे झटका लगता कि जो इंसान प्रवचन देता है, लोगों को सीख देता है, जो बाइबल को इतनी अच्छी तरह समझता है, वो झूठ कैसे बोल सकता है। लेकिन उसे अपने सामने परमेश्वर की निंदा करने वाली झूठ गढ़ते देखने के बाद, मुझे इस पर ज़रा भी आश्चर्य नहीं हुआ। उन लोगों के लिए यह सब बहुत ही मामूली-सी बात है। मुझे प्रभु के वचन याद आ गए: "तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं। जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है" (यूहन्ना 8:44)। मैंने मन ही मन परमेश्वर से ये वचन कहे: "परमेश्वर, तेरा धन्यवाद! तूने मेरे लिए आज इस घटना को अंजाम दिया ताकि मैं इस बात को जान सकूँ कि इन लोगों को सत्य की समझ नहीं है, ये लोग झूठे हैं जो बेशर्मी से झूठ फैलाकर लोगों को धोखा देते हैं। सचमुच, ये लोग पाखंडी फ़रीसी हैं।" मुझे अब उनसे और कुछ नहीं कहना था, मैं वहाँ से तुरंत चली जाना चाहती थी।
यह देखकर कि मैं बातचीत को जारी रखने के मूड में नहीं हूँ, बहन युन ने कहा, "यिशिन, तुम्हें अपने बच्चों और माता-पिता के बारे में सोचना चाहिए।" मैंने कहा, "वे सब लोग ठीक हैं, हम सभी लोग ठीक हैं। मैं एक सच्चे परमेश्वर में आस्था रखती हूँ, जो सभी चीज़ों को बनाने वाला है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु है। परमेश्वर वो होता है जो लोगों से प्रेम करता है, उन्हें बचाता है। परमेश्वर के आशीषों और मार्गदर्शन से, मेरा परिवार और सुखी होता जाएगा।" पादरी और बहन युन मेरे लिए प्रार्थना करना चाहते थे, लेकिन मैंने इंकार कर दिया। पादरी ने मुझे चेतावनी देते हुए अपनी बात खत्म की: "अगर तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को नहीं छोड़ा, तो तुम्हें कलीसिया से बेदखल कर दिया जाएगा!" मैंने सोचा: "और आजकल कलीसिया है कैसी? यह उस मंदिर की तरह है जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य शुरु किया था: चोर-लुटेरों का अड्डा। सभाएँ कोई आध्यात्मिक पोषण नहीं देतीं, तो ऐसा क्या है जो मैं खो दूँगी?" मैं पहले ही परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर चुकी हूँ, मेमने के पदचिह्नों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हूँ, परमेश्वर के सिंहासन के सामने आ चुकी हूँ। मुझे मसीह से सजीव जीवन-जल प्राप्त हो रहा था, परमेश्वर के रूबरू सिंचित होने का, परमेश्वर की चरवाही पाने का आनंद मिल रहा था। मैं इस दुनिया में सबसे ज़्यादा खुश इंसान थी, अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ही मेरा सच्चा घर था।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कहते हैं: "जो कुछ भी वर्तमान में व्यवस्थित किया गया है वह तुम लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए है, ताकि तुम लोग अपने जीवन में विकास कर सको, अपनी आत्माओं को उत्सुक और तीक्ष्ण कर सको, अपनी आध्यात्मिक आंखों को खोल सको ताकि उन चीज़ों को पहचान सको जो परमेश्वर से आती हैं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 13)। मैं परमेश्वर की आभारी हूँ कि मुझ पर उसकी करुणा बनी हुई है, उसने धार्मिक ताकतों का इस्तेमाल करके मुझे भेद कर पाने का विवेक दिया है। मैंने जान लिया है कि धार्मिक पादरी झूठ का पुलिंदा हैं, किस तरह वे लोग परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध और निंदा करते हैं, मैंने देख लिया है कि किस तरह उनकी सभाएँ पापपूर्ण रवैया अपनाए हुए हैं, किस तरह वे भौतिक जगत के तौर-तरीकों और फैशन पर चल रहे हैं, किस तरह वे लोग एक-दूसरे को धोखा देते हैं, किस तरह वे लोग नास्तिकों की तरह बर्ताव करते हैं। इन सारी बातों से मुझे और भी यकीन हो गया कि अब धार्मिक समुदाय में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं रह गया है, अंधेरों ने इसका गला घोंट दिया है और अब यह शैतान के कब्ज़े में है। साथ ही, मैं यह भी जान गयी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में सत्य पर चल रहे हैं और परमेश्वर को जानने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें जब किसी मुश्किल का सामना करना पड़ता है, तो वे लोग परमेश्वर के वचनों में अपनी समस्याओं का हल ढूँढ़ लेते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में केवल सत्य का, परमेश्वर के वचनों का, और पवित्र आत्मा का राज है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन अवश्य ही पूरे होंगे, और जो कहा गया है वह होकर रहेगा। परमेश्वर जिस कार्य को करना चाहता है, उस कार्य के रास्ते में कोई बाधा नहीं बन सकता, यह एक अकाट्य सच्चाई है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सचमुच सत्य हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर सृजन के प्रभु की अभिव्यक्ति है। मैं आजीवन सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करना चाहती हूँ!