30. उस दिन आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था

टियान यिंग, चीन

मैं चीन में थ्री-सेल्फ कलीसिया की एक विश्वासी हुआ करती थी। जब मैंने पहली बार सभाओं में भाग लेना शुरू किया, तो पादरी अक्सर हमसे कहा करते थे, "भाइयो-बहनो, बाइबल में लिखा है, 'क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:10)। हमें अपने विश्वास के कारण उचित ठहराया गया है और चूँकि हम यीशु में विश्वास करते हैं,इसलिए हम बचाए गए हैं। अगर हम किसी अन्य में विश्वास करते, तो हम नहीं बचाए जाते...।" मैंने पादरी द्वारा कहे गए ये शब्द हमेशा ध्यान में रखे। उन्होंने मुझे इतना प्रेरित किया कि मैं दृढ़ता से उनका अनुसरण करने लगा और सक्रिय रूप से सभाओं में भाग लेने लगा और प्रभु के आने तथा स्वयं को स्वर्ग के राज्य में ले जाए जाने की प्रतीक्षा करने लगा। बाद में, कलीसिया में बहुत सारे गैरकानूनी काम हुए, जिससे मैं वहाँ सभाओं में जाने से ऊब गई। वे पादरी-न केवल आपस में विभाजित-थे-और उनमें से प्रत्येक स्वयं को शीर्ष पर प्रतिष्ठित करने और अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने की कोशिश कर रहा था, बल्कि पादरियों द्वारा दिए जाने वाले प्रवचनों को को संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग (यू.एफ.डब्ल्यू.डी.) द्वारा खींची गई लाइन पर चलने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। यू.एफ.डब्ल्यू.डी. ने उन्हें इस डर से प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में से प्रचार करने की इजाज़त नहीं दी थी कि इससे लोगों में अशांति फैल जाएगी, और इसलिए पादरी प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में से प्रचार नहीं करते थे। पादरी अक्सर यह कहकर दान के बारे में प्रचार किया करते थे कि जो जितना अधिक दान करेगा, वह परमेश्वर से उतना ही अधिक आशीर्वाद प्राप्त करेगा। कलीसिया को इस स्थिति में देखकर मुझे बहुत परेशानी महसूस हुई: कलीसिया की यह हालत कैसे होगई? क्या पादरी प्रभु में विश्वास नहीं करते? वे प्रभु के वचन का पालन क्यों नहीं करते? प्रभु के प्रति उनके दिल में जरा-सा भी सम्मान क्यों नहीं है? तब से मेरी थ्री-सेल्फ कलीसिया की सभाओं में जाने की इच्छा खत्म हो गई, क्योंकि मुझे लगा कि वे वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते, और वे नकली चरवाहे थे, जो भाई- बहनों की कड़ी मेहनत से अर्जित की गई धनराशि हड़पने के लिए परमेश्वर में विश्वास करने का ढोंग किया करते थे।

1995 के उत्तरार्ध मेंमैंने बिना किसी हिचकिचाहट के, कलीसिया छोड़ दी और एक घरेलू कलीसिया (सोला फाइड कलीसिया) में शामिल हो गई। शुरू में मुझे लगा कि उनके प्रवचनों पर राष्ट्रीय सरकार का प्रतिबंध लागू नहीं है और वे अपने प्रवचनों में प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को समाहित करते हुए अंत के दिनों और प्रभु के लौटने आदि की चर्चा भी करते थे। इसलिए मुझे लगा कि थ्री-सेल्फ कलीसिया के पादरियों की तुलना में उनका प्रचार बहुत बेहतर हैं और थ्री-सेल्फ कलीसिया की सभाओं की तुलना में यहाँ की सभाओं में आना अधिक आनंदमय होगाऔर इससे मैं बहुत खुश हुई। लेकिन कुछ समय बाद मैंने पाया कि यहाँ भी सहकर्मियों में कुछ ऐसे लोग हैं, जो ईर्ष्यालु हैं, विवाद किया करते हैं और उस समूह को तोड़ना चाहते हैं। भाई-बहनों में से कोई भी प्रभु की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर रहा था, और वे उतने प्यारे नहीं थे जैसे कभी हुआ करते थे। जब मैंने देखा कि इस कलीसिया और थ्री-सेल्फ कलीसिया के बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं है, तो मुझे बहुत निराशा हुई, लेकिन मुझे यह भी पता नहीं था कि मुझे ऐसी कलीसिया कहाँ मिल सकती है,जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो। किसी बेहतर विकल्प के अभाव में मैं इतना ही कर सकती थी कि सोला फाइड कलीसिया में ही रहती रहूँ, इसलिए मैं पहले की तरह सभाओं में भाग लेती रही। पादरी और प्रचारक सभी कहा करते थे, "एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है" और "अगर तुम अंत तक टिके रहोगे,, प्रभु के लिए परिश्रम और कार्य करते रहोगे और प्रभु के मार्ग पर चलते रहोगे, तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने सकोगे"। इसलिए मैंने मन ही मन सोचा: "अन्य लोगों के साथ चाहे जो कुछ भी हो, अगर मैं प्रभु यीशु में अपना विश्वास बनाए रखूँगी और प्रभु के मार्ग से विचलित नहीं हूँगी, तो जब प्रभु लौटेगा, मुझे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का मौका मिलेगा।"

पलक झपकते ही जैसे 1997 का उत्तरार्ध आ गया, परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार हम तक पहले ही पहुँच चुका था, और हमारी कलीसिया में अराजकता फैल चुकी थी। हमारे अगुआ ली ने हमसे कहा: "आजकल एक समूह उभरा है जो पूर्वी बिजली का प्रचार कर रहा है, वे विभिन्न संप्रदायों से भेड़ें चुरा रहे हैं, और कह रहे हैं कि प्रभु यीशु लौट चुका है और वह कार्य का एक नया चरण पूरा कर रहा है। प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उसने हमें छुटकारा दिलाने के लिए अपने जीवन से इसकी क़ीमत पहले ही चुका दी है। हम पहले से ही बचाये जा चुके हैं। हमें बस अंत तक टिके रहने की ज़रूरत है, और जब भी प्रभु लौटेगा,तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में पहुँच जाएँगे। इसलिए हमें सावधान रहना होगा और हम पूर्वी बिजली के इन लोगों का बिलकुल भी स्वागत नहीं कर सकते जो भी उनसे मिलेगा, उसे कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाएगा! साथ ही, तुम्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे जो भी कहते हैं, उसे न सुनें, और उनकी पुस्तकें न पढ़ें...।" ऐसा लगता था, मानो लगभग सभी सभाओं में सभी स्तरों के सहकर्मी इसी के बारे में बातें कर रहे थे। उनकी बातें सुनने के बादभाई-बहनों ने अनजाने ही पूर्वी बिजली का विरोध करना और उससे बचना शुरू कर दिया। मैंने और भी ज्यादा सावधान और सतर्क रहने लगी, क्योंकि मुझे डर था कि मुझे पूर्वी बिजली द्वारा चुरा लिया जाएगा और फलस्वरूप मैं स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अवसर खो दूँगी।

बहरहाल, 1998 का नव वर्ष अभी शुरू ही हुआ था कि एक दिन अप्रत्याशित रूप से मेरी मुलाक़ात सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के किसी व्यक्ति से हो गई और मुझे पहली बार पूर्वी बिजली के मार्ग के बारे में सुनने का सौभाग्य मिला। उस दिन मेरी बड़ी बहन ने मुझे फोन करके मुझे अपने घर पर आमंत्रित किया। उसने अपने गाँव से बहन ह्यू को भी आने के लिए आमंत्रित किया था। जब उसने मुझे देखा तो वह मुस्कुराई और बोली: "ओह, अच्छा हुआ, तुम आ गई। प्रभु में विश्वास करने वाली मेरी दूर की एक रिश्तेदार मुझसे मिलने आ रही है।, क्यों न हम सब एक-साथ मिलें?" मैं खुशी से सहमत हो गई। जल्द ही बहन ह्यू अपनी रिश्तेदार को लेकर वापस आई। जब उस बहन ने हमें देखा, तो उसने उत्साह से हमारा अभिवादन किया। हालांकि मैं उससे पहले कभी नहीं मिली थी, फिर भी मुझे उसके साथ घनिष्ठता महसूस हुई। उसने कहा: "आजकल कलीसिया में बेहद सन्नाटाहै। प्रचारकों के पास ऐसा कुछ भी नया नहीं है जिसके बारे में वे प्रवचन करसकें। हर सभा में जब वे पूर्वी बिजली का विरोध करने का तरीका नहीं बता रहे होते, तो वहाँ सिर्फ टेप सुनने और स्तुति-गीत गाने का काम ही होता है। सभाओं में बस यही कुछ होता है। सहकर्मी ईर्ष्यापूर्ण वादों में लिप्त होते हैं, वे आपस में साजिश और साँठ-गाँठ करते हैं, वे सभी अत्यंत दंभी हैं और कोई किसी की नहीं सुनता। भाई-बहन नकारात्मक और कमज़ोर हैं, और वे अपना विश्वास और प्यार खो चुके हैं। कई लोग प्रभु को छोड़कर पैसा कमाने के लिए संसार में लौट गए हैं।" अपने अंतर्मन की गहराई में मुझे भी वैसा ही लगा और सहमति में अपना सिर हिलाते हुए मैंने बहन से कहा: "मेरी कलीसिया में भी बिलकुल ऐसा ही है। हमारी मासिक बैठकों में पहले बैठक की हर जगह 20-30 लोग इकट्ठे हो जाया करते थे, लेकिन अब कुछ बड़े-बूढ़े ही आते हैं, यहाँ तक कि प्रचारक भी पैसे कमाने के लिए संसार में चले गए हैं! सभाओं में अब कुछ आनंद नहीं आता।" बहन ने सहमति में अपना सिर हिलाया और कहा: "इस तरह की स्थिति अब सिर्फ कुछ कलीसियाओं में ही नहीं है, बल्कि यह पूरी धार्मिक दुनिया की एक व्यापक घटना है। इससे पता चलता है कि पवित्र आत्मा का कार्य अब कलीसिया के भीतर नहीं मिलता, इसलिए हर वक्त गैरकानूनी काम हो रहे हैं—यह प्रभु की वापसी का संकेत है। यह व्यवस्था के युग के अंत की तरह है, जब मंदिर एक ऐसा स्थान बन गया था जिसमें पशुओं को बेचा जाता था और धन का आदान-प्रदान किया जाता था। ऐसा इसलिए था, क्योंकि परमेश्वर पहले ही मंदिर में अपना कार्य करना बंद कर चुका था और इसके बजाय उसनेमंदिर के बाहर कार्य का एक नया चरण पूरा करने के लिए प्रभु यीशु के रूप में देहधारण कर लिया था।" मैंने ध्यान से सुना और बीच-बीच में सहमति के रूप में सिर हिलाती रही। बहन कहती गई: "बहन, लूका 17:24-26 में कहा गया है: 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ। जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।' तुम पवित्रशास्त्र की इन पंक्तियों की व्याख्या किस तरह करती हो?" मैंने थोड़ी देर उनके बारे में गंभीरता से सोचा और फिर अजीब ढंग से हँसते हुए बोली:"बहन, क्या पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की बात नहीं कर रही हैं?" बहन ने जवाब दिया: "पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की चर्चा कर रही हैं, परंतु ये उन पुराने दिनों में लौटे प्रभु यीशु की बात नहीं कर रहीं। इसके विपरीत ये अंत के दिनों में प्रभु के लौटने का ज़िक्र कर रही हैं, क्योंकि यहाँ प्रभु बहुत स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी कर रहे हैं कि अंत के दिनों में जब वे लौटेंगे तो क्या होगा।बहन, अभी कलीसिया में विश्वासियों का विश्वास ठंडा पड़ गया है, और वे नकारात्मक और कमज़ोर हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि परमेश्वर एक बार फिर कार्य के एक नए चरण को पूरा करने के लिए देहधारी बन गया है। परमेश्वर का कार्य आगे बढ़ चुका है, और जो कोई परमेश्वर के नए कार्य का अनुसरण नहीं करेगा, वह पवित्र आत्मा के कार्य को खो देगा।" जैसे ही मैंने बहन को यह कहते सुना कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, मैंने तुरंत अनुमान लगाया कि वह पूर्वी बिजली की है, और मेरा दिल तुरंत डूब गया। मेरे चेहरे पर से मुस्कुराहट भी गायब हो गई, क्योंकि मेरे जिन अगुआओं ने कलीसिया की घेराबंदी की थी, उनके शब्द तुरंत मेरे दिमाग में तैरने लगे: "यीशु में विश्वास करना बचाया जाना है, और एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है! ...पूर्वी बिजली के लोगों से मत मिलना! ..." जैसे ही मैंने अपने अगुआओं के इन शब्दों के बारे में सोचा, मेरी इच्छा हुई कि वापस घर भाग जाऊँ लेकिन जब यह विचार मेरे दिमाग में आया, तो प्रभु ने मुझे एक स्तुति-गीत की यह पंक्ति याद दिलाकर मेरा प्रबोधन किया: "यीशु हमारी शरण है, जब तुम्हारे पास मुसीबतें आएँ, तो उसके साथ छिप जाओ, जब प्रभु और तुम एक साथ हो, तो तुम्हें किस बात का डर?" "यहबात है!" "अगर प्रभु मेरे साथ है, तो मुझे किसका डर? जिन चीज़ों से मैं डरती हूँ, वे परमेश्वर से नहीं आती, वे शैतान से आती हैं।" उसी समय बहन ने कहा: "यदि किसी के पास कोई प्रश्न हो, तो आगे बढ़ो और उन्हें साझा करो, परमेश्वर का वचन हमारी सभी समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने में समर्थ होगा।" बहन को यह कहते सुनकर मैंने मन में सोचा: "तुम मेरे सवालों का जवाब नहीं दे पाओगी! अब मुझे पता लगाना ही होगाकि पूर्वी बिजली द्वारा वास्तव में क्या प्रचार किया जाता है, और कैसे वह इतनी सारी अच्छी भेड़ें चुरा ले जाने में सक्षम रही है।"

यह सोचकर मैंने सीधे कूद पड़ने और पहल करने का निश्चय किया और बोली: "हमारे नेता हमेशा यह कहते रहे हैं कि प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उसने पहले ही हमें छुड़ाने की कीमत अपने जीवन से चुका दी है, इसलिए हम पहले ही बचा लिए गए हैं। पवित्रशास्त्र में यह दर्ज है: 'क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:10)। चूँकि हम एक बार बचा लिए गए हैं, अत: हम हमेशा के लिए बचा लिए गए हैं, और अगर हम अंत तक टिके रहेंगे, तो जब प्रभु लौटेंगे, तब हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में ले जाए जाएँगे। यह वो वादा है, जो प्रभु ने हमसे किया है। इसलिए हमें परमेश्वर द्वारा किए जा रहे किसी नए कार्य को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है।"

बहन मुस्कुराई और मुझसे बोली: "बहुत-से विश्वासियों को लगता है कि प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, और चूँकि उन्होंने हमारे छुटकारे की कीमत अपने जीवन से चुका दी है, इसलिए हम बचा लिए गए हैं। लोग सोचते हैं कि एक बार बचाये जाने का अर्थ हमेशा के लिए बचाया जाना है, और हमें बस अंत तक टिके रहना है, और फिर जब प्रभु वापस आएँगे, तो हमें स्वर्ग ले जाया जाएगा, और हमें परमेश्वर द्वारा किए गए किसी भी नए काम को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन क्या सोचने का यह तरीक़ा वास्तव में सही है? क्या यह वास्तव में प्रभु की इच्छा के अनुरूप है? असल में, यह विचार कि 'एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है, और जब प्रभु लौटेंगे, तो हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाएगा' सिर्फ मनुष्य की अवधारणा और कल्पना है, यह प्रभु के वचन के अनुरूप बिलकुल नहीं है। प्रभु यीशु ने एक बार भी यह नहीं कहा था कि जो लोग अपने विश्वास द्वारा बचाए गए हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं,' बल्कि उसने कहा, 'परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है' (मत्ती 7:21)। 'बचाया जाना' और 'स्वर्ग में मौजूद पिता की इच्छा पर चलना' एक ही बात नहीं है। जब हम 'किसी को उसके विश्वास द्वारा बचाये जाने' की बात करते हैं, तो इस बचे जाने का अर्थ है उसे उसके पापों के लिए क्षमा किया जाना। कहने का तात्पर्य है, अगर किसी व्यक्ति को व्यवस्था के अनुसार मृत्यु-दंड मिलना था, लेकिन फिर वह प्रभु के सामने आया और पश्चाताप करके उसने प्रभु का उद्धार प्राप्त कर लिया, तो प्रभु उसे उसके पापों के लिए क्षमा कर देंगे, और यह व्यक्ति व्यवस्था की सजा से बच जाएगा, और अब उसे व्यवस्था के अनुसार मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी। यह 'बचाये जाने' का असली अर्थ है। लेकिन बचाये जाने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति पाप से मुक्त हो गया है और स्वच्छ हो गया है। हम सभी ने गहराई से इसे अनुभव किया। भले ही हमने कई वर्षों से परमेश्वर में विश्वास किया हो, और हम अक्सर हमारे पापों को प्रभु के सामने स्वीकार करें और पश्चाताप करें, और अपने पापों के लिए क्षमा पाने की खुशी और शांति का आनंद भी उठाते हों, फिर भी हम अक्सर अनिच्छा से पाप करते रहते हैं और अपने पापों से बँधे हैं। यह एक सच्चाई है। उदाहरण के लिए: हमारे भ्रष्ट स्वभाव, जैसे कि हमारा अहंकार, कपट, स्वार्थ, लोभ, दुष्टता आदि अभी भी मौजूद हैं; हम अभी भी दुनिया की प्रवृत्तियों का पीछा करने, धन और प्रसिद्धि के पीछे भागने और देह के सुख भोगने में आनंद लेते हैं, और पापपूर्ण सुखों से ललचाते रहते हैं। व्यक्तिगत हितों की रक्षा के लिए हम अक्सर झूठ बोलने और दूसरों को धोखा देने में भी सक्षम हैं। इसलिए 'बचाये जाने' का मतलब यह नहीं है कि किसी ने पूर्ण उद्धार प्राप्त कर लिया है। यह एक तथ्य है। यह पवित्रशास्त्र में दर्ज किया गया है: 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्यव्यवस्था 11:45)। परमेश्वर पवित्र है, इसलिए क्या वह उन लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए अनुमति दे सकता है, जो अक्सर पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं? यदि तुम मानती हो कि जो लोग अपने विश्वास द्वारा बचाए गए हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, तो प्रभु यीशु निम्नलिखित वचन भी क्यों कहता है? 'जो मुझ से, "हे प्रभु! हे प्रभु!" कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, "हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?" तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, "मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ"' (मत्ती 7:21-23)। ऐसा क्यों कहा जाता है कि जब प्रभु लौटेगा, तो वह बकरियों को भेड़ों से और गेहूँ को जंगली दानों के पौधों से अलग कर देगा? इसलिए यह कहना बिलकुल गलत है कि जो लोग अपने विश्वास द्वारा बचाए गए हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। यह पूरी तरह से प्रभु यीशु के शब्दों से हटकर और उसके वचनों का विरोध करता है! इसलिए अगर हम प्रभु के वचन को ग्रहण नहीं करते और उनमें विश्वास नहीं करते, बल्कि पादरियों और एल्डरों द्वारा प्रचारित भ्रांतियों से चिपके रहते हैंऔर परमेश्वर पर विश्वास की अपनी ही अवधारणाओं और कल्पनाओं पर भरोसा करते हैं, तो हम कभी भी परमेश्वर की अपेक्षाएँ पूरी नहीं कर पाएँगे, और कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम नहीं होंगे।"

मैंने बहन के शब्दों पर चिंतन किया और महसूस किया कि उसने जो कहा उसमें बहुत अर्थ है, इसलिए मैं वहाँ बैठी चुपचाप सुनती रही... बहन ने बात करना जारी रखा: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ने पहले से ही बचाये जाने और पूर्ण उद्धार प्राप्त करने के रहस्य को खोल दिया है, तो आओ, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन की ओर ध्यान दें और देखें कि उसे इसके बारे में क्या कहना है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'उस समय यीशु का कार्य समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाना था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; अगर तुम उस पर विश्वास करते हो, तो वह तुम्हें छुटकारा दिलाएगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते, तो तुम पापी नहीं रह जाते, तुम अपने पापों से मुक्त हो जाते हो। यही बचाए जाने और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ है। फिर विश्वासियों के अंदर परमेश्वर के प्रति विद्रोह और विरोध का भाव था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था। उद्धार का अर्थ यह नहीं था कि मनुष्य पूरी तरह से यीशु द्वारा प्राप्त कर लिया गया है, बल्कि यह था कि मनुष्य अब पापी नहीं रह गया है, उसे उसके पापों से मुक्त कर दिया गया है। अगर तुम विश्वास करते हो, तो तुम फिर कभी भी पापी नहीं रहोगे' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य का दर्शन (2))। 'मनुष्य को छुटकारा दिए जाने से पहले शैतान के बहुत-से ज़हर उसमें पहले ही डाल दिए गए थे, और हज़ारों वर्षों तक शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद मनुष्य के भीतर ऐसा स्थापित स्वभाव है, जो परमेश्वर का विरोध करता है। इसलिए, जब मनुष्य को छुटकारा दिलाया गया है, तो यह छुटकारे के उस मामले से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसमें मनुष्य को एक ऊँची कीमत पर खरीदा गया है, किंतु उसके भीतर की विषैली प्रकृति समाप्त नहीं की गई है। मनुष्य को, जो कि इतना अशुद्ध है, परमेश्वर की सेवा करने के योग्य होने से पहले एक परिवर्तन से होकर गुज़रना चाहिए। न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर के गंदे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने के योग्य हो सकता है। ... क्योंकि मनुष्य को छुटकारा दिए जाने और उसके पाप क्षमा किए जाने को केवल इतना ही माना जा सकता है कि परमेश्वर मनुष्य के अपराधों का स्मरण नहीं करता और उसके साथ अपराधों के अनुसार व्यवहार नहीं करता। किंतु जब मनुष्य को, जो कि देह में रहता है, पाप से मुक्त नहीं किया गया है, तो वह निरंतर अपना भ्रष्ट शैतानी स्वभाव प्रकट करते हुए केवल पाप करता रह सकता है। यही वह जीवन है, जो मनुष्य जीता है—पाप करने और क्षमा किए जाने का एक अंतहीन चक्र। अधिकतर मनुष्य दिन में सिर्फ इसलिए पाप करते हैं, ताकि शाम को उन्हें स्वीकार कर सकें। इस प्रकार, भले ही पापबलि मनुष्य के लिए हमेशा के लिए प्रभावी हो, फिर भी वह मनुष्य को पाप से बचाने में सक्षम नहीं होगी। उद्धार का केवल आधा कार्य ही पूरा किया गया है, क्योंकि मनुष्य में अभी भी भ्रष्ट स्वभाव है। ... यह पाप से ज्यादा गहरी दौड़ रही है, इसे शैतान द्वारा स्थापित किया गया है और यह मनुष्य के भीतर गहराई से जड़ जमाए हुए है। मनुष्य के लिए अपने पापों से अवगत होना आसान नहीं है; उसके पास अपनी गहरी जमी हुई प्रकृति को पहचानने का कोई उपाय नहीं है, और उसे यह परिणाम प्राप्त करने के लिए वचन के न्याय पर भरोसा करना चाहिए। केवल इसी प्रकार से मनुष्य इस बिंदु से आगे धीरे-धीरे बदल सकता है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))। 'तुम सिर्फ यह जानते हो कि यीशु अंत के दिनों में उतरेगा, परन्तु वास्तव में वह कैसे उतरेगा? तुम लोगों जैसा पापी, जिसे परमेश्वर के द्वारा अभी-अभी छुड़ाया गया है, और जो परिवर्तित नहीं किया गया है, या सिद्ध नहीं बनाया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी पुराने अहम् वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और कि परमेश्वर द्वारा उद्धार की वजह से तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम संत जैसे कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो: तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुटकारा दिया जाता है, तो तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में)

बहन ने सहभागिता जारी रखी। "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से हम देख सकते हैं कि परमेश्वर द्वारा किए गये कार्य का हर चरण भ्रष्ट मानव जाति की आवश्यकताओं के अनुसार पूरा किया जाता है। व्यवस्था के युग के अंत में, मनुष्य शैतान द्वारा अधिकाधिक रूप से भ्रष्ट किया जा रहा था और वो अधिक से अधिक पाप कर रहा था। मनुष्य ने यहोवा के नियमों का उल्लंघन किया था और उसे पत्थरों से मार-मार कर खत्म कर दिए जाने और स्वर्ग की आग से जलाए जाने का खतरा था। परमेश्वर मानवजाति से प्यार करता है। उसने पापी मानव देह की समानता में देहधारण किया, और पाप से मनुष्य को बचाने के लिए उसे क्रूस पर कीलों से जड़ दिया गया। इसलिए, जब तक हम प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, हम बचा लिए जाएँगे और प्रभु हमारे पापों को याद नहीं रखेगा। हम सीधे परमेश्वर के सामने आ सकते हैं और उससे प्रार्थना कर सकते हैं, और उसके द्वारा दिए गए अनुग्रह की बहुतायत का आनंद ले सकते हैं। लेकिन भले ही हम बचाए गए हैं, उससे यह साबित नहीं होता है कि हम पाप से रहित हैं। हम, अर्थात मानवजाति हज़ारों सालों से शैतान द्वारा किए गए हैं। शैतान के ज़हर ने हमारे अंदर गहरी जड़ें बना ली हैं, यह ज़हर हमारी प्रकृति, हमारा जीवन बन गया है। हम शैतानी प्रकृति जैसे कि दंभ और अहंकार, धोखाधड़ी और कुटिलता, स्वार्थ और घिनौनापन, और लालच तथा बुराई से नियंत्रित होते हैं। हम अभी भी झूठ बोलने, धोखा देने, पाप करने परमेश्वर का विरोध करने में सक्षम हैं। यह पापों को लगातार करने और फिर दोष को स्वीकार कर लेने के चक्रव्यूह में जीने की जड़ है। इसलिए, भ्रष्ट मानव जाति की आवश्यकताओं और मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना के आधार पर, परमेश्वर मनुष्य का न्याय करने और उसे ताड़ना देने हेतु अंत के दिनों में कार्य का एक नया चरण पूरा करने के लिए आया है, ताकि वो हमें शुद्ध कर सके और हमारे भ्रष्ट स्वभाव को बदल दे। अंत में जो लोग उद्धार प्राप्त कर लेते हैं और जिन्हें पूर्ण कर दिया गया है, परमेश्वर उन्हें अपने राज्य में ले जाएगा। अगर हम अब भी इस अवधारणा को थामे रहते हैं कि 'एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है,' और हम अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करने से इंकार करते हैं, तो शैतान का जो ज़हर जो हमारे खून में है, वह कभी भी शुद्ध नहीं होगा, और हम कभी भी परमेश्वर के पूर्ण उद्धार को प्राप्त नहीं कर सकेंगे, स्वर्ग के राज्य में लाए जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये परिणाम बहुत गंभीर हैं। तो, अब, इन अंत के दिनों में, केवल अनुग्रह के युग से आगे चलकर और अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करके, मनुष्य पूरी तरह से शुद्ध किया जा सकेगा, परमेश्वर के पूर्ण उद्धार को प्राप्त करेगा और एक अच्छी मंज़िल तक पहुँचेगा।"

जब मैंने बहन द्वारा की गई सहभागिता को सुना, तो मैंने मन ही मन सोचा: "हाँ, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुत व्यावहारिक हैं। पिछले कई सालों से, क्या मैं ऐसा जीवन नहीं जी रही हूँ जिसमें मैं दिन के दौरान पाप करती हूँ लेकिन फिर रात में उन्हें स्वीकार करती हूँ? प्रभु में हमारे विश्वास के कारण हमें वास्तव में केवल हमारे पापों के लिए क्षमा किया गया है, लेकिन हमारी पापमय प्रकृति अभी भी मौजूद है। हम अभी भी पाप, और परमेश्वर का विरोध कर सकते हैं। प्रभु पवित्र है, तो कैसे वे लोग जो अक्सर पाप करते हैं और उसका विरोध करते हैं, स्वर्ग के राज्य में उठाए जा सकते हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मेरे मन में इन मुद्दों की गांठों को खोल दिया है जिनका मुझ पर कई वर्षों से भार था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में वास्तव में सत्य हैं जिन्हें हमें खोजना चाहिए। क्या यह हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु है? मुझे वास्तव में इसकी ठीक से जाँच करने की ज़रूरत है।"

मैं धीरे-धीरे उस बहन के खिलाफ़ मन में खड़ी की गयी दीवार को गिराने लगी, लेकिन जब मैं उन मामलों की जाँच करने के बारे में सोच ही रही थी, जिन पर हमने चर्चा की थी, कि दरवाज़े पर किसी के ज़ोर दस्तक देने की आवाज़ आई। बहन ह्यू दरवाजा खोलने के लिए भागी, और मेरा पादरी कमरे में धड़धड़ाते हुए घुस आया। उसने मुझे देखा, और फिर उसने उस बहन को देखा जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार फैला रही थी, और फिर उसने मुझसे आश्चर्य और क्रोध के स्वर में कहा: "तुम यहाँ क्या कर रही हो? क्या मैंने तुम्हें नहीं कहा था कि यहाँ-वहाँ जाकर अपरिचितों के प्रचार को मत सुनना? तुम फिर भी कैसे यहाँ आकर उन्हें सुन सकती हो? जल्दी घर चली जाओ, और फिर कभी उनकी मत सुनना। अगर तुम धोखा खा गयी तुम्हारे पश्चाताप के लिए बहुत देर हो जाएगी!" जब पादरी ने मुझे ये बातें सुना लीं, तो वह बहन को धमकी देने लगा, "और तुम लोग जो पूर्वी बिजली का प्रचार रहे हो, तुम हमारी कलीसिया में बस हमारी भेड़ें चुराने के अलावा और कुछ नहीं करते हो! तुरंत चली जाओ, अगर तुम नहीं जाओगी तो मैं इतना विनम्र नहीं रहूँगा!" पादरी को बहन के साथ इस तरह पेश आते देखकर मैं घृणा से भर गई, अतः मैंने उससे कहा, "पादरी महाशय, इस बहन के पास कहने के लिए कुछ वाकई अच्छी बातें थीं, और जो कुछ उसने कहा यह सब बाइबल के अनुरूप है। मुझे लगता है कि यह वास्तव में काफी संभव है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु हो। आप इसे एक बार सुन क्यों नहीं लेते, और फिर हम निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, क्या बाइबल यह नहीं कहती है कि 'अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है' (इब्रानियों 13:2)? हम लोगों को जो प्रभु में विश्वास करते हैं, दया दिखानी चाहिए, हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते। क्या इस बहन को इस तरह से बाहर निकालना परमेश्वर की शिक्षाओं के खिलाफ़ नहीं है?" यह सुनकर पादरी मुझ पर चिल्लाया, "तुम समझती ही कितना हो? हम जो यीशु में विश्वास करते हैं, पहले से ही बचाए जा चुके हैं, हमें फिर से बचाए जाने की ज़रूरत नहीं है! वे यहाँ भेड़ें चुराने आए हैं, इसलिए हमें उनका स्वागत नहीं करना चाहिए!" यह सुनकर जो बहन सुसमाचार फैला रही थी, मुस्कुराई और बोली: "हम सभी प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम क्यों बैठकर बातचीत नहीं कर सकते? अगर हम प्रभु की वापसी को चूक जाते हैं तो हमें बहुत खेद होगा—" बहन की बात पूरी होने की प्रतीक्षा किए बिना, पादरी ने यह कहते हुए उसे बाहर निकालना शुरू कर दिया, "बस बहुत हुआ, चाहे तुम कितने ही अच्छे से क्यों न बोलो, मुझे फिर भी नहीं सुनना है! तुरंत ही चली जाओ!" और इस तरह, पादरी इस हद तक चला गया कि बहन को घर से बाहर निकालने के लिए उसे धकेलने, खींचने और गालियाँ देने लगा। बहन के जाने के बाद, पादरी मुझे दुबारा धमकाने लगा, "जल्दी से घर वापस जाओ। अब से तुम्हें पूर्वी बिजली के लोगों के संपर्क में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर तुमने संपर्क किया तो तुम्हें कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाएगा, और यदि ऐसा होता है तो तुम्हें कभी परमेश्वर की सराहना प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अवसर नहीं मिलेगा।" चूंकि मैंने बहन द्वारा दी गई सहभागिता पहले ही सुन ली थी, मुझे समझ में आ गया था कि प्रभु यीशु का कार्य केवल छुटकारे का था, उसने मनुष्य को शुद्ध नहीं किया था, केवल तभी जब प्रभु न्याय के अपने कार्य को पूरा करने के लिए अंत के दिनों में लौटता है, तभी वो मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध करेगा और बचाएगा। अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार किए बिना, मनुष्य का भ्रष्ट स्वभाव नहीं बदलेगा, और वह परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में समर्थ नहीं होगा। इसलिए, पादरी के शब्दों का मुझ पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, मैंने यों ही झूठी सहमति दिखाते हुए सिर हिला दिया, और बाद में मैं घर लौट आई।

घर लौटने के बाद, बहन ने जो सहभागिता की थी, उस पर मैं विचार करती रही, और मैंने मन ही मन सोचा: "जो कुछ भी वह बहन कह रही थी वह सब बाइबल के अनुरूप है। मेरा यह विश्वास बहुत ही आधारहीन था कि ‘एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है’।" मैंने उन विगत सारे वर्षों के दरम्यान प्रभु में विश्वास करने के बारे में सोचा और महसूस किया कि मैं लगातार पाप करने और फिर अपना दोष स्वीकारने कि परिस्थितियों में जी रही थी, लेकिन मैं कभी इस समस्या को हल नहीं कर सकी थी, और मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत पीड़ा से गुज़री थी। मुझे लगा कि अगर मैं इसी तरह विश्वास करते रहती, तो अंत में मैं परमेश्वर की सराहना प्राप्त नहीं कर सकूँगी। बहन की सहभागिता सुनने के बाद, मैं और भी निश्चित हो गई कि यदि प्रभु में विश्वास करने वाले लोग पूर्ण उद्धार प्राप्त करना चाहते हैं और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें वास्तव में लौटे हुए प्रभु यीशु द्वारा किए गए कार्य को स्वीकार करना होगा जो मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण करता है। इसलिए मैंने विचार किया: अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय का कार्य वास्तव में क्या है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को कैसे शुद्ध करता और बदलता है? जब मैं इन बातों पर विचार कर रही थी, तो साथ ही मैं बाइबल के पन्ने भी पलटाये जा रही थी, अचानक मैंने एक ऐसा अंश देखा जहाँ प्रभु यीशु कहता है: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। मैंने देखा कि बाइबल यह भी कहती है: "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1पतरस 4:17)। "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। जब मैंने इसे पढ़ा तो मुझे ऐसा लगा कि मैं अंततः एक सपने से जाग उठी थी: वास्तव में, प्रभु यीशु ने बहुत पहले भविष्यवाणी की थी कि अंत के दिनों में परमेश्वर और अधिक सत्य व्यक्त करेगा और काम का एक नया चरण पूरा करेगा। क्या यह मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण के कार्य को करने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आना नहीं है? मैंने सोचा, "अगर आज पादरी न आता और इतनी मुश्किलें न खड़ी करता तो मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के मार्ग के बारे में गंभीरता से सुनना जारी रख सकती थी। इससे पहले मैंने हमेशा पादरी और एल्डरों की बातें सुनी थीं, लेकिन मैंने कभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और जाँच नहीं की थी। मैं बस वही करती थी जो पादरी और एल्डर कहते थे। आज मुझे यह पता चला कि मेरे दिल में प्रभु के लिए कोई जगह थी ही नहीं। जहां तक प्रभु की वापसी की जांच करने की बात है, मैंने प्रभु की इच्छा की खोज नहीं की, बल्कि पादरी और एल्डरों की बातें सुनी। मैं वास्तव में अत्यंत बेवकूफ़ थी! हम में से जो प्रभु में विश्वास करते हैं उन्हें परमेश्वर को सम्मान देना चाहिए, और हमें प्रभु की वापसी के संबंध में सक्रिय रूप से परमेश्वर के कदमों की तलाश करनी चाहिए, केवल इसी तरह हम परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप होंगे। आज मैंने देखा कि पादरी का काम प्रभु की इच्छा के अनुरूप बिलकुल नहीं हैं। वे जो कुछ भी कहते हैं उसे मैं अब अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर नहीं सुन सकती, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के मार्ग की खोज और जाँच करनी ही होगी।"

अगले दिन सुबह, सबसे पहले, मैंने बहन ह्यू के घर जाकर उस बहन की तलाश करने का फैसला किया जिसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार किया था, ताकि हम सहभागिता को जारी रख सकें। किसने सोचा होगा कि इससे पहले कि मैं दरवाज़े से बाहर निकलती, बहन ह्यू उस बहन को मेरे घर पर ले आई थी। यह वास्तव में प्रभु का मार्गदर्शन था। उसने पहले चिंतापूर्वक मुझसे पूछा कि क्या मैं पिछले दिन पादरी के कारण परेशान हुई थी। मैंने बहुत निश्चय से कहा, "नहीं, कल की सहभागिता के बाद, मैं यहाँ वापस आई और ध्यान से मैंने सारी बातों पर विचार किया, और मुझे एहसास हुआ कि हम वास्तव में केवल प्रभु यीशु में विश्वास करने के द्वारा शुद्ध नहीं हो सकते हैं। हमारी भ्रष्ट प्रकृति अभी भी मौजूद है, और इसके होते हुए हम परमेश्वर के पूर्ण उद्धार को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे। और तो और, मैंने बाइबल का एक पद भी पढ़ा जो वास्तव में भविष्यवाणी करता है कि प्रभु अंत के दिनों में न्याय के अपने कार्य को पूरा करने के लिए वापस आएगा। जिस बात को मैं अब सबसे ज्यादा जानना चाहती हूँ वह यह है कि वास्तव में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में जो न्याय का कार्य करने वाला है, वह किस बारे में है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य कैसे मनुष्य को शुद्ध करेगा और बदल देगा?"

बहन ने खुशी से कहा: "परमेश्वर को धन्यवाद हो! तुमने जो प्रश्न पूछा है वह वास्तव में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस महत्वपूर्ण विषय के साथ जुड़ा हुआ है कि परमेश्वर में हमारा विश्वास हमें पूर्ण उद्धार प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है या नहीं। आओ, पहले हम देखें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन क्या कहते हैं। 'वर्तमान देहधारण में परमेश्वर का कार्य मुख्य रूप से ताड़ना और न्याय के द्वारा अपने स्वभाव को व्यक्त करना है। इस नींव पर निर्माण करते हुए वह मनुष्य तक अधिक सत्य पहुँचाता है और उसे अभ्यास करने के और अधिक तरीके बताता है और ऐसा करके मनुष्य को जीतने और उसे उसके भ्रष्ट स्वभाव से बचाने का अपना उद्देश्य हासिल करता है। यही वह चीज़ है, जो राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के पीछे निहित है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। '"न्याय" शब्द का जिक्र होने पर संभवत: तुम उन वचनों के बारे में सोचोगे, जो यहोवा ने सभी स्थानों पर कहे थे और फटकार के जो वचन यीशु ने फरीसियों से कहे थे। अपनी समस्त कठोरता के बावजूद, ये वचन परमेश्वर द्वारा मनुष्य का न्याय नहीं थे; बल्कि वे विभिन्न परिस्थितियों, अर्थात् विभिन्न संदर्भों में परमेश्वर द्वारा कहे गए वचन हैं। ये वचन मसीह द्वारा अंत के दिनों में मनुष्यों का न्याय करते हुए कहे जाने वाले शब्दों से भिन्न हैं। अंत के दिनों में मसीह मनुष्य को सिखाने, उसके सार को उजागर करने और उसके वचनों और कर्मों की चीर-फाड़ करने के लिए विभिन्न प्रकार के सत्यों का उपयोग करता है। इन वचनों में विभिन्न सत्यों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को परमेश्वर का आज्ञापालन किस प्रकार करना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मनुष्यता का जीवन जीना चाहिए, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और उसका स्वभाव, इत्यादि। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं। खास तौर पर वे वचन, जो यह उजागर करते हैं कि मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर का तिरस्कार करता है, इस संबंध में बोले गए हैं कि किस प्रकार मनुष्य शैतान का मूर्त रूप और परमेश्वर के विरुद्ध शत्रु-बल है। अपने न्याय का कार्य करने में परमेश्वर केवल कुछ वचनों के माध्यम से मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता; बल्कि वह लंबे समय तक उसे उजागर करता है, उससे निपटता है और उसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने, निपटने और काट-छाँट करने की इन विधियों को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि उस सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसका मनुष्य में सर्वथा अभाव है। केवल इस तरह की विधियाँ ही न्याय कही जा सकती हैं; केवल इस तरह के न्याय द्वारा ही मनुष्य को वशीभूत और परमेश्वर के प्रति समर्पण के लिए पूरी तरह से आश्वस्त किया जा सकता है, और इतना ही नहीं, बल्कि मनुष्य परमेश्वर का सच्चा ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है। न्याय का कार्य मनुष्य में परमेश्वर के असली चेहरे की समझ पैदा करने और उसकी स्वयं की विद्रोहशीलता का सत्य उसके सामने लाने का काम करता है। न्याय का कार्य मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य और उन रहस्यों की अधिक समझ प्राप्त कराता है, जो उसकी समझ से परे हैं। यह मनुष्य को अपने भ्रष्ट सार तथा अपनी भ्रष्टता की जड़ों को जानने-पहचानने और साथ ही अपनी कुरूपता को खोजने का अवसर देता है। ये सभी परिणाम न्याय के कार्य द्वारा लाए जाते हैं, क्योंकि इस कार्य का सार वास्तव में उन सभी के लिए परमेश्वर के सत्य, मार्ग और जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य है, जिनका उस पर विश्वास है। यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया जाने वाला न्याय का कार्य है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है)

परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद, बहन ने सहभागिता जारी रखते हुए कहा, "परमेश्वर के वचन के माध्यम से हम समझते हैं कि अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को उजागर और विश्लेषित करने के लिए सत्य के कई पहलुओं का उपयोग करता है, और न्याय का यह कार्य उसके धार्मिक और प्रतापी स्वभाव के द्वारा किया जाता है जो मनुष्य के किसी अपराध को सहन नहीं करता है। परमेश्वर मनुष्य के भ्रष्ट सार और उसकी भ्रष्टता की सच्चाई को प्रकट करने के लिए, और हमारी उस शैतानी प्रकृति का न्याय करने के लिए जो परमेश्वर के प्रति विरोध और विश्वासघात करती है, और हमारे भीतर निहित सभी प्रकार की भ्रष्टता को शुद्ध करने के लिए अपने वचनों का उपयोग करता है। भ्रष्टता के उदाहरण में शामिल है: परमेश्वर के कार्य के विषय में बहुत सारी अवधारणाएँ और कल्पनाएँ रखना, या परमेश्वर के कार्य की जाँच करते समय में अपनी ही अवधारणाओं को सच्चाई मान लेना, अपनी मर्जी के अनुसार परमेश्वर का आकलन, परमेश्वर की निंदा और परमेश्वर का विरोध करना। भले ही हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में हम अविश्वासियों से अलग नहीं हैं, हम सभी प्रसिद्धि और सौभाग्य का पीछा करते हैं, इसके लिए कोई भी क़ीमत चुकने को तैयार हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए नहीं जीता है; हम कई चीज़ों को उन दृष्टिकोणों के साथ भी देखते हैं जो परमेश्वर के साथ असंगत हैं, जैसे कि हमारी यह धारणा है कि जब तक हम प्रभु में विश्वास करते हैं, हम बचा लिए जाएँगे, और जब प्रभु आएगा तो हम स्वर्ग के राज्य में उठा लिए जाएँगे, जबकि वास्तव में परमेश्वर कहता है कि केवल परमेश्वर की इच्छा का पालन करके ही मनुष्य स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकेगा। हमारे भीतर जो भ्रष्टता है ये उसके बस कुछ ही उदाहरण हैं। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के माध्यम से, इन भ्रष्ट स्वभावों, इन गलत दृष्टिकोणों और शैतान की जीवन सूक्तियों को शुद्ध और परिवर्तित कर दिया जाएगा, और हम परमेश्वर का वास्तव में आज्ञापालन करेंगे। साथ ही साथ परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के माध्यम से, हम यह भी पहचान लेंगे कि परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव मनुष्यों के अपराध को सहन नहीं करता है, हम जान लेंगे कि परमेश्वर किस प्रकार के व्यक्ति को पसंद करता है, किस प्रकार के व्यक्ति से परमेश्वर घृणा करता है, और हम जानेंगे कि मनुष्य को बचाने की परमेश्वर की इच्छा को समझेंगे, हम परमेश्वर का आदर करेंगे, हम जानेंगे कि सत्य की खोज कैसे करें, और परमेश्वर की सराहना को प्राप्त करने के लिए हमारे कर्तव्यों को सही तरीके से कैसे पूरा करें। परमेश्वर के वचनों का अनुभव और अभ्यास करके हम कई सत्यों को समझेंगे। उदाहरण के लिए, हम जान लेंगे कि परमेश्वर में विश्वास करने का अर्थ क्या है; हम जान लेंगे कि वास्तव में उद्धार प्राप्त करने का अर्थ क्या है; हम जानेंगे कि परमेश्वर का अनुपालन करने और परमेश्वर से प्यार करने का अर्थ क्या है; हम जान लेंगे कि परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करने का अर्थ क्या है, आदि। हमारे सभी भ्रष्ट स्वभाव अलग-अलग हद तक बदल जाएँगे, और हमारे जीवन की विचारधाराएँ और हमारे मूल्य भी परिवर्तित हो जाएँगे। यही न्याय और ताड़ना का वो कार्य है जो परमेश्वर हमारे बीच करता है, तुम इसे परमेश्वर का प्रेमपूर्ण उद्धार भी कह सकती हो। तो, केवल अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर के आसन के सामने न्याय को प्राप्त करके हम सत्य को प्राप्त करने में सक्षम होंगे, केवल तभी हम पाप से दूर जा सकेंगे और शुद्ध होकर पूर्ण उद्धार को प्राप्त करेंगे। बहन, क्या तुम इस सहभागिता को समझ पा रही हो?"

परमेश्वर के वचनों को पढ़ने से और बहन की सहभागिता के माध्यम से, मैं परमेश्वर के कार्य और उसकी इच्छा को समझने लगी। मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया, और गहराई से द्रवित होने को महसूस किया, और मैंने कहा, "परमेश्वर को धन्यवाद, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को सुनकर, मुझे यह समझ आ गया है कि अंत के दिनों में परमेश्वर मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करने के लिए अपने वचन के सत्य का उपयोग करता है। मेरी पिछली कोशिशें बहुत अस्पष्ट थीं, अव्यवहारिक थीं। अब मैं समझती हूँ कि केवल अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य को स्वीकार करने के माध्यम से ही है मनुष्य परमेश्वर द्वारा शुद्ध किया जा सकता है और पूर्ण उद्धार प्राप्त कर सकता है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है! मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को, परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, ताकि मेरा भ्रष्ट स्वभाव किसी दिन जल्द ही बदला जा सके।" जैसे ही बहन ने मेरी बात सुनी, वह खुशी से मुस्कुराई, और उसने लगातार परमेश्वर को अपना धन्यवाद दिया।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे मेरे मन की अवधारणाओं से मुक्त कर दिया, और उन्होंने मुझे मेरे भ्रष्ट स्वभाव को हटाने, और शुद्ध हो जाने का मार्ग दिखाया है। मुझे लगता है कि पूर्ण उद्धार प्राप्त करने की खोज में मेरी दिशा और लक्ष्य अब स्पष्ट है। मेरी आत्मा उज्ज्वल, स्थिर और मुक्त महसूस करती है। जब मैंने खिड़की से बाहर देखा, तो मुझे लगा कि उस दिन का आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था। मैंने तुरंत ज़मीन पर घुटने टेके और मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मैं तुम्हें धन्यवाद देती हूँ। अपने जीवनकाल में, तुम्हारी वापसी का स्वागत करने और तुम्हारे प्रकटन को देखने का सौभाग्य मिलना कितनी बड़ी आशीष है! लेकिन मैं अंधी और अज्ञानी हूँ, क्योंकि मैंने पादरी और एल्डरों द्वारा फैलायी गयी अफ़वाहों पर विश्वास किया, मैं अपनी अवधारणाओं और कल्पनाओं को थामे रही, और मैंने लगभग अपना अनंत उद्धार खो ही दिया था! हे परमेश्वर, मैं बहुत अज्ञानी और संवेदनहीन हूँ! मैं पश्चाताप करने के लिए तैयार हूँ, और मैं पूर्ण उद्धार प्राप्त करने के इस अत्यंत दुर्लभ अवसर को संजोती हूँ। मैं आपकी उपस्थिति में अन्य भाइयों और बहनों को लाने के लिए भी तैयार हूँ ताकि वे आपके द्वारा उद्धार प्राप्त कर सकें! आमेन!"

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