444 क्या परमेश्वर से तुम्हारा संबंध सामान्य है?
1
जो तुम पूर्ण किए जाना चाहो, सही राह में प्रवेश करना चाहो,
रहे तुम्हारा दिल ईश्वर के पास ही, न भटको, न जाओ शैतान के पीछे।
शैतान को काम का मौका न दो, शैतान के द्वारा इस्तेमाल न हो,
ख़ुद को ईश्वर को अर्पित कर दो, ईश्वर ही शासन करे।
अपने कर्मों, विचारों और शब्दों को जाँचो,
अपनी असली स्थिति को समझो और जानो,
आत्मा के कार्य के मार्ग में प्रवेश करो,
तब ईश्वर से संबंध तुम्हारा सामान्य होगा।
2
क्या चाहो तुम शैतान द्वारा इस्तेमाल होना, उसका सेवक बनना?
तुम्हारी आस्था है ईश्वर से पूर्णता पाने की, या उसके काम में विषमता बनने की?
क्या चाहते हो ईश्वर को प्राप्त होना? अपना जीवन सार्थक जीना?
या चाहते हो सिर्फ तुम जीना बेकार और खोखला जीवन?
अपने कर्मों, विचारों और शब्दों को जाँचो,
अपनी असली स्थिति को समझो और जानो,
आत्मा के कार्य के मार्ग में प्रवेश करो,
तब ईश्वर से संबंध तुम्हारा सामान्य होगा।
3
क्या चाहो तुम्हें ईश्वर प्रयोग करे या शैतान शोषित करे?
भरना चाहोगे ईश्वर के सत्य और वचन से या भरना शैतान और पाप से?
जीवन में अपने शब्द और कर्म समझो जो कर सकते हैं ईश्वर से
तुम्हारे संबंध को ख़राब, सही स्थिति में प्रवेश करो।
अपने कर्मों, विचारों और शब्दों को जाँचो,
अपनी असली स्थिति को समझो और जानो,
आत्मा के कार्य के मार्ग में प्रवेश करो,
तब ईश्वर से संबंध तुम्हारा सामान्य होगा।
4
तुम्हारे संबंध ईश्वर से हैं या नहीं, अच्छे और उचित, इसे जानो,
अपने इरादों को तुम सुधारो, इंसान की प्रकृति और सार को जानो।
तो तुम वास्तव में खुद को जान सकते हो, असल अनुभव में प्रवेश कर सकते हो।
तुम सच में अहम को त्याग दोगे और करोगे आज्ञापालन।
जब तुम अनुभव करो, ईश्वर से है तुम्हारा संबंध सामान्य।
तुम पाओगे अवसर पूर्ण किए जाने के।
तुम समझोगे कई स्थितियों को, जहां पवित्र आत्मा काम करे।
तुम समझ लोगे शैतान की चालों को। ऐसे तुम पूर्ण किये जाओगे।
अपने कर्मों, विचारों और शब्दों को जाँचो,
अपनी असली स्थिति को समझो और जानो,
आत्मा के कार्य के मार्ग में प्रवेश करो,
तब ईश्वर से संबंध तुम्हारा सामान्य होगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध कैसा है? से रूपांतरित