653 क्या वर्षों के विश्वास से तुमने कुछ भी हासिल किया है?
तुम्हें यह मालूम होना चाहिए मैं क्यों और किसके लिए यह कार्य पूरा करता हूँ। तुम्हारे प्रेम में अच्छाई है या बुराई? क्या तुम वाकई मुझे वैसे ही जानते हो जैसे दाऊद और मूसा ने जाना था? क्या तुम वास्तव में मेरी वैसे सेवा करते हो जैसे अब्राहम ने की? यह सच है कि मेरे द्वारा तुमको परिपूर्ण किया जा रहा है, लेकिन तुम्हें यह जानना चाहिए तुम किसका प्रतिनिधित्व करोगे और तुम किसके जैसा परिणाम लेना चाहोगे। अपने जीवन में, क्या तुम्हें मेरे कार्य का अनुभव लेने के माध्यम से आनन्द और प्राचुर्य की एक फसल प्राप्त है? क्या यह भरपूर और फलदायी है? तुम्हें अपने आप को जाँचना चाहिए। कई वर्षों से तुमने मेरे लिए काम किया है, लेकिन क्या तुमने कभी कुछ हासिल किया? क्या तुम कुछ बदले, या तुमने कुछ प्राप्त किया? कठिनाई के अपने अनुभव के विनिमय में, क्या तुम पतरस की तरह बन जाते हो जिन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया था, या पौलुस की तरह जो कि मार गिराया गया और जिसने एक महान प्रकाश को प्राप्त किया? तुम्हें इनके बारे में अवगत होना चाहिए।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "मनुष्य का सार और उसकी पहचान" से रूपांतरित